NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
अंतरराष्ट्रीय
ब्लैक होल एक ऐसा कुआं है जहां प्रकृति के सारे नियम अपना दम तोड़ देते हैं!
तीन वैज्ञानिकों को ब्लैक होल को समझने के लिए किए गए उनके उल्लेखनीय कार्य पर साल 2020 का फ़िज़िक्स का नोबेल पुरस्कार दिया गया है।
अजय कुमार
08 Oct 2020
ब्लैक होल

एक सवाल हम सबने अपनी जिंदगी में कभी ना कभी तो जरूर सोचा होगा। सवाल यह कि इस ब्रह्मांड का अंत कहां होगा? इस ब्रह्मांड की सीमा क्या है? अभी तक किसी को भी इसका कोई पुख्ता जवाब नहीं मिला है। लेकिन कई जवाबों में से एक जवाब ब्लैक होल का होता है।

कई जानकार कहते हैं कि यह एक ऐसी जगह होती है जहां कोई चीज जाकर फिर वापस नहीं आती है। शायद यही पर ब्रह्मांड का अंतिम सिरा होने की संभावना है। लेकिन यह भी एक ऐसी संभावना का नाम है जो अपने आप में अंतहीन है। पहले जानकार निश्चित नहीं थे कि ब्लैक होल जैसी कोई परिघटना होती भी है या नहीं। लेकिन अब निश्चित हो गए हैं कि ब्लैक होल जैसी परिघटना होती है।

इसी निश्चितता के सत्यापन करने वाले वैज्ञानिकों को साल 2020 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिए जाने का ऐलान किया जा चुका है। इनका नाम रोजर पेनरोज़, रेनहर्ड जेंज़ेल, एंड्रिया गेज़ है। तो इस मौके पर थोड़ा यह समझते हैं कि आखिर कर यह ब्लैक होल होता क्या है?

ब्लैक होल एक ऐसा इलाका है जिसका गुरुत्वाकर्षण बल इतना अधिक मजबूत होता है कि उसके अंदर कुछ भी जाए वह लौटकर वापस नहीं आता है। यहां तक की किसी भी तरह की रोशनी का बाहर आना नामुमकिन होता है।

ये ब्लैक होल बहुत अधिक घनत्व और बहुत अधिक द्रव्यमान वाले पिंड होते हैं। यानी इनका सतह बहुत अधिक सघन और घना होता है। चूकि जब प्रकाश की किरण भी इसके अंदर घुसती हैं तो इसमें गुम हो जाती हैं। इसलिए यह अदृश्य रहता है।

अब आप पूछेंगे कि इन ब्लैक होल का निर्माण होता कैसे है? तो इसके निर्माण को समझने के लिए तारों के विकास क्रम को समझना जरूरी है। यह समझना जरूरी है कि तारे कैसे बनते हैं?

हमारा सौरमंडल तारों के एक सिस्टम का हिस्सा है। तारों के किसी भी तरह की सिस्टम वाले इलाके को आकाशगंगा कहा जाता है। जिस आकाशगंगा में हमारा सौरमंडल मौजूद है उसे मिल्की वे कहा जाता है।

इस मिल्की वे में धूल और गैस के बहुत बड़े-बड़े बादल होते हैं। इन्हें निहारिका या नेबुला कहा जाता है। इनमें हाइड्रोजन की मात्रा बहुत अधिक होती है। समय के साथ-साथ धूल और गैस के बड़े-बड़े बादल धीरे धीरे एक दूसरे के साथ मिलते हैं। मिलने पर बहुत अधिक ताप और दाब पैदा होता है। चूंकि मूल रूप से यह हाइड्रोजन के कण होते हैं। तो इनके टकराहट से नाभिकीय संलयन की क्रिया शुरू हो जाती है।

मोटे तौर पर समझा जाए तो हाइड्रोजन की टकराहट की वजह से परमाणु बम की तरह धमाका होने लगता है और बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा पैदा होने लगती है। यह ऊर्जा जिन इलाकों से पैदा होती है, उन्हें ही तारा कहा जाता है। समय के साथ धीरे-धीरे ऊर्जा कम भी होती रहती है। जब तारे के अंदर की पूरी ऊर्जा खत्म हो जाती है तो उसमें एक जबरदस्त विस्फोट होता है। इसे सुपरनोवा कहा जाता है।

इसके बाद एक ऐसा इलाका बनता है जिसका गुरुत्वाकर्षण इतना अधिक होता है कि उसमें रोशनी भी आकर समा जाए। यह इलाका ब्लैक होल होता है। तो मोटे तौर पर यह समझिए कि ब्लैक होल की परिघटना तारों के बर्बाद होने से जुड़ी है, जिसके बाद बहुत अधिक मजबूत गुरुत्वाकर्षण लिए हुए जिस जगह का निर्माण होता है उसे ही ब्लैक होल कहते हैं।

साल 1783 में पहली बार ब्लैक होल के बारे में बतलाया गया। लेकिन वैज्ञानिकों ने इसे नहीं माना। बहुत सारे वैज्ञानिकों ने विरोध जताया। 19वीं शताब्दी में इस सिद्धांत को ख्याली पुलाव कहकर खारिज किया जाता रहा। तब आया साल 1915 और इस साल महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी का सिद्धांत दिया।

इस सिद्धांत के बाद ब्लैक होल होने की बात को गंभीरता के साथ लिया जाने लगा। लेकिन यह इतना भी गंभीर नहीं था कि ब्लैक होल होने की संभावना पर निश्चित हुआ जा सके। खुद अल्बर्ट आइंस्टीन इसे लेकर संकोची थे। निश्चित नहीं थे।

जनरल थियरी ऑफ रिलेटिविटी या कह लीजिए सापेक्षता का सिद्धांत के जरिए अल्बर्ट आइंस्टीन न्यूटन द्वारा दिए गए गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत की बुनियादी कमियों को दूर करते हैं। न्यूटन ने तो यह कहा था कि हर दो कण या आसान भाषा में कह लीजिए किन्हीं भी दो चीजों के बीच गुरुत्वाकर्षण लगता है।

यह गुरुत्वाकर्षण चीजों के द्रव्यमान बढ़ने पर बढ़ता है। द्रव्यमान घटने पर घटता है। यानी गुरुत्वाकर्षण और द्रव्यमान के साथ सीधा संबंध होता है। लेकिन चीजों के बीच की दूरी बढ़ने पर गुरुत्वाकर्षण घटता है और चीजों की बीच की दूरी घटने पर गुरुत्वाकर्षण बढ़ता है। यानी गुरुत्वाकर्षण और चीजों की बीच की दूरी के बीच उल्टा संबंध होता है।

आइंस्टीन से पहले न्यूटन की थ्योरी के हिसाब से बने फार्मूले के आधार पर ही गुरुत्वाकर्षण की गणना की जाती थी। अब भी न्यूटन की थ्योरी के हिसाब से ही गुरुत्वाकर्षण की गणना की जाती है। लेकिन मामला जब जटिल होता है। अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़ा होता है। परिणाम बिल्कुल सटीक चाहिए होते हैं। ताकि रॉकेट या स्पेसक्राफ्ट उड़ाया जा सके तो आइंस्टीन की जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी ही काम आती है। अब आप पूछेंगे कि आखिर कर आइंस्टीन ने न्यूटन की थ्योरी में किस कमी को दूर किया और इसका ब्लैक होल से क्या संबंध है?

न्यूटन की थ्योरी की सबसे बड़ी कमी यह थी कि न्यूटन ने यह नहीं बताया था कि दो कण आपस में आकर्षित क्यों होते है। उनके ऊपर गुरुत्वाकर्षण बल क्यों काम करता है? इस क्यों का जवाब आइंस्टीन ने दिया। आइंस्टीन ने स्पेस टाइम और कर्वेचर तीन अवधारणाओं के सहारे यह बताया कि दो वस्तुएं एक दूसरे के सापेक्ष में क्यों मौजूद होती हैं। स्पेस का मतलब जगह किसी भी तरह का जगह। हमारे बालों के बीच में मौजूद जगह से लेकर अंतरिक्ष का पूरा संसार स्पेस कहा जा सकता है। इसमें लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई तीन चीजें होती हैं और यह एक समय में मौजूद होता है। और जब इसमें अपने द्रव्यमान के साथ कोई पिंड आता है तो स्पेस और टाइम यानी जगह और समय दोनों में बदलाव हो जाता है।

इसे ऐसे समझ गए कि एक बड़ा सा चादर है। जब इस चादर पर कोई द्रव्यमान लिए हुए पिंड या वस्तु रखते हैं तो वह पिंड या वस्तु चादर के बीच में चला जाता है चादर धंस जाता है। चादर के सतह में थोड़ा कर्व यानी मुड़ाव आ जाता है। इसे ही कर्वेचर कहते हैं। जब इस कर्वेचर में कोई दूसरा पिंड डालते हैं तो यह दूसरा पिंड पहले पिंड के सापेक्ष घूमने लगता है। इस सापेक्षता में एक तरह का त्वरण मौजूद होता है। जिसे गुरुत्वाकर्षण बल कहा जाता है।

इसी आधार पर यह सिद्धांत बना कि ग्रह एक निश्चित रास्ते पर सूर्य का चक्कर लगाते हैं। और यह चक्कर इसीलिए संभव हो पाता है क्योंकि सूर्य और पृथ्वी जैसे ग्रहों के बीच एक तरह का गुरुत्वाकर्षण बल काम करता है। आइंस्टीन ने अपनी थ्योरी में कहा कि जब गुरुत्वाकर्षण बल बहुत अधिक मजबूत होगा तो वह रोशनी यानी प्रकाश को भी अपनी तरफ खींचेगा। अगर ऐसा होगा तो जिस तरह से चादर में कर्वेचर बनता है ठीक उसी तरह से प्रकाश की रोशनी में भी कर्व या मुड़ाव बनेगा।

बाद में जाकर सूर्य ग्रहण के दिन पर वैज्ञानिकों ने यह देखा कि प्रकाश की रोशनी में भी कर्व बन रहा है। यानी प्रकाश की रोशनी भी मुड़ रही है। इस तरह से ब्लैक होल होने की परिघटना पर मुहर लगनी शुरू हुई। आइंस्टीन ने ही बताया कि जब किसी स्पेस में गुरुत्वाकर्षण बल बहुत अधिक होगा यानी त्वरण बहुत अधिक होगा तो उस स्पेस में जाने वाली वस्तुएं बहुत छोटी होती चली जाएंगी और समय बहुत धीमा होता चला जाएगा।

यानी अगर ब्लैक होल में हम या आप गए तो हमारा और आपका आकार छोटा होकर एक बिंदु में तब्दील हो सकता है और हमारे और आपके द्वारा ब्लैक होल में गुजारा गया 5 मिनट का वक्त पृथ्वी पर साल भर का वक्त हो सकता है। आइंस्टीन की इस थियरी और ब्लैक होल के विषय पर हॉलीवुड में इंटरस्टेलर नाम से एक बड़ी ही शानदार फिल्म बनी है। आइंस्टीन के इस उम्दा सिद्धांत में अगर गोते लगाने का मन हो तो यह फिल्म देखी जा सकती है।

इस बार का भौतिकी का नोबेल जिन वैज्ञानिकों को दिया गया है, उनमें से एक रॉजर पेनरोज ने उन शर्तों की व्याख्या की है जो पूरी तरह से आइंस्टीन के जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी से जुड़ी हुई है। और ब्लैक होल होने की संभावना पर गारंटी की मुहर लगाते हैं। पेनरोज ने यह बात आइंस्टीन के मरने के 10 साल बाद यानी साल 1965 में सत्यापित कर दी थी। रॉजर पेनरोज के अलावा एंड्रिया गेज़ और रेन हार्ड गेंजल दो ऐसे वैज्ञानिक है जिन्हें ब्लैक होल पर भौतिकी का नोबेल मिलने जा रहा है।

इन दोनों का योगदान है कि इन्होंने यह खोजा कि हमारी गैलेक्सी में एक अदृश्य और बहुत बड़ा ऑब्जेक्ट है। इस ऑब्जेक्ट का द्रव्यमान सूरज के द्रव्यमान से 40 लाख गुना अधिक है। किस ऑब्जेक्ट का एरिया एक सौर मंडल के बराबर है। यही ऑब्जेक्ट पूरे गैलेक्सी और तारों के चक्रण को नियंत्रित कर रहा है। और इस ऑब्जेक्ट की व्याख्या यह है कि यह ब्लैक होल है।

इस तरह से मौजूदा समय में विज्ञान ने तो एक व्याख्या कर दी है कि अगर सूरज जैसा तारा बर्बाद हो गया तो ब्लैक होल में समा जाएगा और ब्लैक होल पृथ्वी समेत पूरा सौरमंडल समा जाएगा।

नोट - सभी वैज्ञानिक अवधारणाओं को पाठकों तक पहुंचाने के लिए कुछ फेरबदल किया गया है लेकिन मूल तत्व वही है, जो विज्ञान कहता है।

Black Hole
Universe
General Theory of Relativity
Albert Einstein
Isaac Newton
Gravity

Related Stories

2020 के नोबेल पुरस्कार के पीछे की वैज्ञानिक तकनीक

2020 का फिज़िक्स में नोबेल पुरस्कार और हमारी आकाशगंगा का विशालकाय 'ब्लैक होल'

गुरुत्वाकर्षण तरंगों के इस्तेमाल के द्वारा सबसे शक्तिशाली ब्लैक होल के टकराव का पता लगा लिया गया है 


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License