NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
दो महीने में 5,000 करोड़ रुपये का नुकसान : कश्मीर चैंबर
के.सी.सी.आई. का कहना है कि कई व्यापारिक नेताओं की गिरफ्तारी और 'व्यापार के राजनीतिकरण' ने कश्मीर की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से अपंग बना दिया है, कश्मीर के इतिहास में ऐसा मंजर पहले कभी नहीं देखा गया।
अनीस ज़रगर
04 Oct 2019
Translated by महेश कुमार
kashmir lackdown

श्रीनगर: कश्मीर के इतिहास में व्यापार और वाणिज्य सबसे खराब दौर से गुज़र रहा है, ऐसा व्यापार जगत के नेताओं का कहना है, क्योंकि घेरेबंदी और संचार पर नाकाबंदी ने व्यापार को अपंग बना दिया है और इससे पूरे क्षेत्र में आर्थिक नुकसान हो रहा है।

कश्मीर के चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (KCCI) के एक अनुमान के अनुसार, पिछले 2 महीनों में नुकसान 5,000 करोड़ रुपये को पार कर गया है, यानी 5 अगस्त, जबसे अनुच्छेद 370 और 35A को राज्य से निरस्त किया है और जम्मू और कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया है।

कुछ व्यापारियों का कहना है कि घाटे के अलावा, कई कारोबारी नेताओं की गिरफ्तारी ने पूरे व्यापारी समुदाय को झकझोर कर रख दिया है, उन्होंने तुरंत इन व्यापारिक नेताओं की रिहाई की मांग की है।

हज़ और उमरा सेवाओं का काम करने वाले शेख फिरोज का कहना है कि मौजूदा संकट और इंटरनेट के बंद होने के कारण उन्होंने इस वक्त होने वाले जबरदस्त कारोबार को खो दिया है, यह उनका कमाई का वक्त था।

लोग सर्दियों या शरद ऋतु के मौसम को उमरा करने के लिए प्राथमिकता देते हैं और इसे सबसे माकूल वक़्त मानते हैं और इसलिए हमने यात्रा के लिए 2,000 लोगों को पहले ही बुक कर लिया था। उन्होने कहा, लेकिन घेरेबंदी और आम बंद के कारण, किसी भी बुकिंग की पुष्टि नहीं की जा सकी है।”

कश्मीर स्थित यात्रा फर्मों के जरिये प्रत्येक व्यक्ति के लिए उमरा सेवा बुकिंग की लागत करीब 75,000 रुपये से 1.25 लाख रुपये के बीच आती है। फ़िरोज़ के अनुसार, "अधिकांश बुकिंग अगस्त और अक्टूबर के बीच की जाती हैं। इस अवधि में बुकिंग की औसत संख्या लगभग 35,000 होती है।"

के.सी.सी.आई. के अनुसार कश्मीर में मेहमानदारी/आतिथ्य से जुड़ा क्षेत्र, 5,000 करोड़ रुपये का उद्योग है, और राज्य के कमाई के मुख्य क्षेत्रों में से एक है जिस पर उस वक़्त भारी हमला हो गया जब सरकार ने सभी पर्यटकों को कश्मीर छोड़ चले जाने की सूचना जारी की, और उसके तुरंत बाद बाद 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया ।

वर्तमान में, कश्मीर में लगभग 1,300 होटल, 900 हाउसबोट और 650 शिकारा नाव हैं, जो बिना किसी काम के खाली पड़ी हैं। के.सी.सी.आई का कहना है कि इस सब से पर्यटन क्षेत्र में घाटा 1,500 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।

के.सी.सी.आई. के अध्यक्ष शेख आशिक ने न्युजक्लिक को बताया कि मौजूदा संकट के चलते व्यापार घाटे में और अधिक वृद्धि होगी क्योंकि घाटी में उथल-पुथल और संचार सांधनो पर नाकाबंदी बिना किसी राहत के जारी है। “कुल नुकसान का आकलन करना मुश्किल है क्योंकि दो महीने बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। जैसे-जैसे समय बीतेगा इसका प्रभाव और नुकसान बढ़ता जाएगा।"

कश्मीर के व्यापारियों का कहना है कि व्यापार हमेशा से इस तरह के टकराव/संघर्ष और हिंसा का मुख्य शिकार रहा है। व्यापारियों के मुताबिक उनकी परेशानियों में काफी इजाफा हुआ है, क्योंकि सरकार ने "व्यापार का भी राजनीतिकरण" कर दिया है।

शेख आशिक कहते हैं कि, ''सरकार ने व्यापारियों के लिए और मुसीबत खड़ी कर दी है, विशेषकर सामान्य व्यापार में, जिसे उन्होंने संकट के प्रतिरोधी के रूप में और कश्मीर में सामान्य स्थिति के एक संकेतक के रूप में पेश किया है। ''

वर्तमान में, सरकारी फरमान के तहत की गई घेरेबंदी के कारण कश्मीर की लगभग 70,000 दुकानें बंद पड़ी हैं और श्रीनगर के लाल चौक के मशहूर वाणिज्यिक केंद्र की भी लगभग सभी दुकानें बंद हैं। हालांकि, वहां एक पिस्सू बाजार है, जिसे 'संडे मार्केट' कहा जाता है, क्योंकि यह केवल रविवार को खुलता है, इस क्षेत्र में अब यह सभी दिनों में काम कर रहा है, जिस पर लाल चौक के व्यापारियों का आरोप है कि इसे घाटी में 'सामान्य स्थिति की वापसी' की झलक दिखाने के लिए स्थापित किया गया है।

सेब उद्योग, जिसे जम्मू कश्मीर के सकल घरेलू उत्पाद की मुख्य रीढ़ माना जाता है, उसे उग्रवादी समूहों की धमकियों और सरकारी घेरेबंदी के कारण बड़े पैमाने पर नुकसान हो रहा है। करीब 8,000 करोड़ रुपये के बागवानी उद्योग के संकट ने न केवल कश्मीर के व्यापारियों को बल्कि जम्मू और अन्य जगहों के उन व्यापारियों को भी लील कर रख दिया है जिन्होंने इस क्षेत्र में सैकड़ों करोड़ का निवेश किया था।

पिछले दो महीनों में परिवहन सेवाओं को ही करीब 500 करोड़ रुपये के नुकसान होने का अनुमान है।

अन्य प्रमुख क्षेत्र, हस्तशिल्प है जो जम्मू-कश्मीर की कुल अर्थव्यवस्था में 2 प्रतिशत की आय का योगदान करता है और जिसका मूल्य 2,000 करोड़ रुपये है, वह भी लगभग ठहराव पर है और उसके सामने आगे बड़ी चुनौतियां हैं।

आशिक के अनुसार, “हर साल क्रिसमस और नए साल की पूर्व संध्या पर हस्तशिल्प में निर्यात वाले उत्पादों का उत्पादन बढ़ता है। अधिकांश निर्यात वाले ऑर्डर में कश्मीरी शॉल और कालीन होते हैं, जो कश्मीर से किए निर्यात उत्पादों की पहचान है, इनके ऑर्डर इस मौसम के दौरान बुक किए जाते हैं। लेकिन संचार पर लगी नाकाबंदी के कारण, हस्तकला व्यापारियों ने इस साल व्यापार में एक बड़ी हिस्सेदारी को खो दिया है।"

के.सी.सी.आई. के अनुमान के अनुसार 5 अगस्त के बाद से हस्तशिल्प उद्योग को प्रतिदिन औसत 100 करोड़ रुपये का व्यापार घाटा हो रहा है।

आशिक ने बताया कि इस बात की कोई सूचना या जानकारी नहीं है कि पिछले दो महीनों में कश्मीर में कितने व्यापारियों को हिरासत में लिया गया है। मुबीन शाह, शकील कलंदर और यासीन खान जैसे व्यापार से जुड़े नेताओं की गिरफ्तारी से पूरे व्यापारिक भाईचारे में भय और अनिश्चितता पैदा हो गई है।

फ़िरोज़ के अनुसार, इन हालात के चलते कश्मीर की कई ट्रैवल एजेंसियों को इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन में उनके नाम ब्लैक लिस्टेड होने का खतरा बढ़ गया है, क्योंकि वे अपनी सदस्यता का नवीनीकरण नहीं कर पा रहे हैं। के.सी.सी.आई. के साथ-साथ कई व्यापारियों को भी इन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वे पिछले दो महीनों से अपने माल और सेवा कर और आयकर रिटर्न जमा नहीं कर पाए हैं। आशिक कहते हैं, "इनमें से कुछ लोग जम्मू और कश्मीर के बाहर इन दस्तावेजों को दर्ज करने के लिए यात्रा कर पाए हैं, लेकिन कई अन्य ऐसा नहीं कर सके।"

Kashmir Economy
J&K Lockdown
J&K clampdown
KCCI
Kashmir Chamber
Kashmir Trade Losses
Kashmir Tourism Losses

Related Stories

कश्मीर को समझना क्या रॉकेट साइंस है ?  

जम्मू-कश्मीर: राज्य में लागू कड़े प्रतिबंधों के बीच जल्दबाज़ी में प्रशासन ने गिलानी का अंतिम संस्कार किया

सीएए का विरोध, कश्मीर में पर्यटकों की संख्या में कमी और अन्य ख़बरें

श्रीनगर: घेराबंदी के बीच कम्युनिटी स्कूल बने प्रतिरोध का रास्ता

बारामूला की रातें : वो ख़त लिखे जा रहे हैं जिनको भेजना मुमकिन ही नहीं है!

यूसुफ तारिगामी - कश्मीरी कम्युनिस्ट


बाकी खबरें

  • संदीपन तालुकदार
    वैज्ञानिकों ने कहा- धरती के 44% हिस्से को बायोडायवर्सिटी और इकोसिस्टम के की सुरक्षा के लिए संरक्षण की आवश्यकता है
    04 Jun 2022
    यह अध्ययन अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया भर की सरकारें जैव विविधता संरक्षण के लिए अपने  लक्ष्य निर्धारित करना शुरू कर चुकी हैं, जो विशेषज्ञों को लगता है कि अगले दशक के लिए एजेंडा बनाएगा।
  • सोनिया यादव
    हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?
    04 Jun 2022
    17 साल की नाबालिग़ से कथित गैंगरेप का मामला हाई-प्रोफ़ाइल होने की वजह से प्रदेश में एक राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ : दो सूत्रीय मांगों को लेकर बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दिया
    04 Jun 2022
    राज्य में बड़ी संख्या में मनरेगा कर्मियों ने इस्तीफ़ा दे दिया है। दो दिन पहले इन कर्मियों के महासंघ की ओर से मांग न मानने पर सामूहिक इस्तीफ़े का ऐलान किया गया था।
  • bulldozer politics
    न्यूज़क्लिक टीम
    वे डरते हैं...तमाम गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज और बुलडोज़र के बावजूद!
    04 Jun 2022
    बुलडोज़र क्या है? सत्ता का यंत्र… ताक़त का नशा, जो कुचल देता है ग़रीबों के आशियाने... और यह कोई यह ऐरा-गैरा बुलडोज़र नहीं यह हिंदुत्व फ़ासीवादी बुलडोज़र है, इस्लामोफ़ोबिया के मंत्र से यह चलता है……
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’
    04 Jun 2022
    यूं तो आरएसएस पौधे नहीं ‘शाखा’ लगाता है, लेकिन उसके छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने एक करोड़ पौधे लगाने का ऐलान किया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License