NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
ख़तरे में लोकतंत्र : दिल्ली में दिसंबर से अब तक 32 पत्रकारों पर हमला
CAAJ की ओर से 'रिपब्लिक इन पेरल' (Republic In Peril) नाम से जारी इस रिपोर्ट में दिल्ली के उन 32 पत्रकारों का विवरण दिया गया है, जिन पर सीएए मसले से लेकर दिल्ली हिंसा की रिपोर्टिंग के दौरान हमला किया गया।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
11 Mar 2020
dv

सीएए पास होने के बाद उसके खिलाफ शुरू हुए प्रदर्शन, उसके समर्थन में निकाली गई रैलियों और बीते दिनों दिल्ली में हुई हिंसा के दौरान 32 ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें पत्रकारों के साथ मारपीट या उन्हें उनके काम करने से रोकने की कोशिश हुई है। यह खुलासा सोमवार को 'कमेटी अगेन्स्ट एसॉल्ट ऑन जर्नलिस्ट' (CAAJ) द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट से हुआ है।

CAAJ की ओर से 9 मार्च को दिल्ली में प्रेस क्लब में 'रिपब्लिक इन पेरल' (Republic In Peril) नाम से जारी इस रिपोर्ट में दिल्ली के उन 32 पत्रकारों का विवरण दिया गया है, जिन पर हमला किया गया था।

रिपोर्ट में हमलों को तीन चरणों में विभाजित किया गया है - पहला जब दिसंबर में एंटी-सीएए आंदोलन यानी सीएए के विरोध में प्रदर्शन शुरू हुआ, उसके बाद जनवरी में दूसरे चरण की शुरुआत हुई और जेएनयू कैंपस के आसपास के पत्रकारों पर हमले की शुरुआत हुई और तीसरा चरण, दिल्ली की हिंसा के दौरान।

रिपोर्ट में सात मामलों का दस्तावेजीकरण किया गया है जिसमें जामिया को कवर करने गए पत्रकारों पर शारीरिक हमला किया गया था। इस हमले के शिकार होने वाले पत्रकार मुख्यधारा के समाचार चैनलों, समाचार एजेंसियों, अंतर्राष्ट्रीय मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्मों से थे। हमलावरों में भीड़ और पुलिस दोनों शामिल थे।

यह पहला चरण 15 दिसंबर से 20 दिसंबर, 2019 तक पांच दिनों तक चला था, हालांकि 2019 के अंत तक पूरे महीने तक हमले देश भर में जारी रहे। सीएए के विरोध प्रदर्शनों को कवर करने वाले पत्रकारों में राष्ट्रव्यापी हमले के इन 16 मामलों का दस्तावेजीकरण किया गया और उसे सीएएजे द्वारा जारी किया गया था ।

रिपोर्ट में इन तीन चरणों को निरंतरता में देखा गया है। इसमें सरकारी और गैर सरकारी दोनों हमलों ने ज़मीन तैयार की जो फरवरी के अंतिम सप्ताह में दिल्ली हिंसा के दौरान प्रेस पर एक पूर्ण समेकित हमले का निर्माण किया।

रिपोर्ट को जारी करते हुए कारवां पत्रिका के राजनीतिक संपादक हरतोष सिंह बल ने कहा, ‘‘ये रिपोर्ट काफी विस्तृत रूप में लिखी गई है जो पिछले तीन-चार महीने की घटनाओं से जुड़ी है। पर इन घटनाओं की शुरुआत पिछले तीन-चार महीने नहीं बल्कि पांच से छह साल पहले हुई थी। मीडिया के प्रति एक जो अविश्वास है और मीडिया के अंदर जो दरार पैदा हुई है, वह अपने आप नहीं हुई है इस पर काफी काम किया गया है।’’

ऑल इंडिया विमेंस प्रेस कॉर्प्स की पूर्व अध्यक्ष टीके राजलक्ष्मी ने कहा, ‘‘पत्रकारों पर हो रहे हमले के पीछे पांच छह सालों से इस सरकार द्वारा की जा रही ध्रुवीकरण की राजनीति है। घृणा और नफ़रत की जो राजनीति लिंचिंग के साथ शुरू हुई। जिन लोगों ने सरकार का विरोध किया उनको देशद्रोही बोला गया। एक पूरे विश्वविद्यालय को देशद्रोही बताया गया। पटियाला कोर्ट में वकीलों ने पत्रकारों पर हमले किए। उसके बाद से जो दौर शुरू हुआ वो अभी तक जारी है। इस सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता कि इस ध्रुवीकरण की राजनीति का असर पत्रकारों पर भी हो रहा है।’’

यह रिपोर्ट बताती है कि दिसंबर और जनवरी की ये घटनाएं ही मिलकर फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई व्यापक हिंसा में तब्दील हो गई, जब खुलेआम पत्रकारों को उनकी धार्मिक पहचान साबित करने तक को बाध्य किया गया। दो दिनों 24 और 25 फरवरी के बीच ही कम से कम 18 रिपोर्टरों को कवरेज के दौरान हमलों का सामना करना पड़ा। जेके न्यूज़ 24 के आकाश नापा को तो सीधे गोली ही मार दी गयी। उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया।

दिल्ली की इस हिंसा के दौरान पीड़ित राष्ट्रीय मीडिया के पत्रकारों ने अपनी आपबीती अलग अलग मंचों और सोशल मीडिया पर बताई है। समिति की यह रिपोर्ट इन्हीं आपबीतियों और रिपोर्टों पर आधारित है।

यह पूरी रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं।

Republic in Peril_report by Newsclick on Scribd

Delhi Violence
CAA
Delhi riots 2020
journalist attacked
Delhi

बाकी खबरें

  • भाषा
    ईडी ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला को धनशोधन मामले में पूछताछ के लिए तलब किया
    27 May 2022
    माना जाता है कि फ़ारूक़ अब्दुल्ला से यह पूछताछ जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) में कथित वित्तीय अनिमियतता के मामले में की जाएगी। संघीय एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एनसीबी ने क्रूज़ ड्रग्स मामले में आर्यन ख़ान को दी क्लीनचिट
    27 May 2022
    मेनस्ट्रीम मीडिया ने आर्यन और शाहरुख़ ख़ान को 'विलेन' बनाते हुए मीडिया ट्रायल किए थे। आर्यन को पूर्णतः दोषी दिखाने में मीडिया ने कोई क़सर नहीं छोड़ी थी।
  • जितेन्द्र कुमार
    कांग्रेस के चिंतन शिविर का क्या असर रहा? 3 मुख्य नेताओं ने छोड़ा पार्टी का साथ
    27 May 2022
    कांग्रेस नेतृत्व ख़ासकर राहुल गांधी और उनके सिपहसलारों को यह क़तई नहीं भूलना चाहिए कि सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता की लड़ाई कई मजबूरियों के बावजूद सबसे मज़बूती से वामपंथी दलों के बाद क्षेत्रीय दलों…
  • भाषा
    वर्ष 1991 फ़र्ज़ी मुठभेड़ : उच्च न्यायालय का पीएसी के 34 पूर्व सिपाहियों को ज़मानत देने से इंकार
    27 May 2022
    यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने देवेंद्र पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल अपील के साथ अलग से दी गई जमानत अर्जी खारिज करते हुए पारित किया।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    “रेत समाधि/ Tomb of sand एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं”
    27 May 2022
    ‘रेत समाधि’ अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। इस पर गीतांजलि श्री ने कहा कि हिंदी भाषा के किसी उपन्यास को पहला अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार दिलाने का जरिया बनकर उन्हें बहुत…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License