NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
चार टीमों ने मिलकर गढ़ी नरेंद्र मोदी की बड़ी छवि!
नरेंद्र मोदी के पक्ष में माहौल तैयार करने के लिए फेसबुक के अधिकारियों ने भाजपा आईटी प्रकोष्ठ के लोगों को प्रशिक्षण भी दिया।
सिरिल सैम, परंजॉय गुहा ठाकुरता
18 Mar 2019
सांकेतिक तस्वीर

2014 के लोकसभा चुनावों के पहले मुंबई के उद्यमी राजेश जैन ने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के लिए मतदाताओं का एक डाटाबेस तैयार किया। इसके जरिए लक्षित वर्ग को फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए संदेश भेजा गया। मतदाता सूची, मतदान केंद्रों और निर्वाचन आयोग जैसे स्रोतों की मदद से यह डाटाबेस तैयार हुआ था। इसके जरिए राजेश जैन और उनकी टीम ने भारतीय जनता पार्टी को मजबूत और कमजोर सीटों और यहां तक की मतदान केंद्रों की पहचान करने में मदद की।

इस डाटाबेस की खास बात यह थी इसमें जाति, भौगोलिक आधार और यहां तक की धर्म के आधार पर मतदाताओं को श्रेणीबद्ध किया गया था। इससे भाजपा की सोशल मीडिया टीम को लक्षित वर्ग तक पहुंचने में मदद मिली। इन सबमें शामिल रहे एक व्यक्ति ने बताया, ‘कभी इस बात को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार नहीं किया गया कि यह डाटाबेस मुस्लिमों और दूसरे अल्पसंख्यकों की पहचान करने के लिए तैयार किया गया था। इससे पार्टी की सोशल मीडिया टीम को यह पता चला कि किन्हें लक्षित नहीं करना है।’

इसे भी पढ़ें : #सोशल_मीडिया : लोकसभा चुनावों पर फेसबुक का असर?

इसके बाद जैन की टीम ने इन आंकड़ों को मोबाइल नंबर से जोड़कर इन्हें भाजपा के मिस्ड कॉल अभियान से जोड़ दिया। जिन लोगों ने मिस्ड कॉल देकर नरेंद्र मोदी का समर्थन किया उन्हें एक संदेश भेजकर उनसे मतदाता पहचान पत्र का विवरण मांगा गया। इससे यह सुनिश्चित किया गया कि भाजपा इस वर्ग को चुनाव के दिन लक्षित करे और वोट देने जाएं। चुनावों के बाद राजेश जैन ने रेडियस कोड के ब्रांड नाम से इस डाटाबेस को निजी कंपनियों को बेचने की नाकाम कोशिश की।  

एक तरफ जहां राजेश जैन अपनी रणनीति बना रहे थे, वहीं दूसरी तरफ भाजपा आईटी प्रकोष्ठ के लोगों ने फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ बातचीत शुरू की। भाजपा समर्थकों की मानें तो भाजपा ने अपने विरोधियों के मुकाबले सोशल मीडिया का बहुत अच्छे से इस्तेमाल किया। फेसबुक के कर्मचारियों ने भाजपा आईटी प्रकोष्ठ के लोगों को प्रशिक्षण भी दिया।

उस दौर में भाजपा को मदद करने का काम क्रिएटिवलैंड एशिया सज्जन राज कुरूप और प्रहलाद कक्कड़ भी कर रहे थे। अनुपम खेर कुछ विज्ञापन अभियानों के चेहरा बन गए। नरेंद्र मोदी का दाहिना हाथ माने जाने वाले हीरेन जोशी के नेतृत्व वाली टीम ने मोदी की बहुत बड़ी छवि गढ़ने का काम किया। प्रधानमंत्री कार्यालय में ओएसडी के पद पर काम कर रहे जोशी का दखल कई क्षेत्रों में है। उनकी मदद नीरव शाह और यश राजीव गांधी कर रहे थे। फेसबुक के वरिष्ठ अधिकारियों से जोशी के गहरे संबंध रहे हैं। 2013 में उनके साझीदार अखिलेश मिश्रा थे। वे बाद में भारत सरकार की वेबसाइट माई गोव के निदेशक बने। अभी इसके प्रमुख अरविंद गुप्ता हैं। जो पहले भाजपा आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख थे। अखिलेश मिश्र ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

इसे भी पढ़ें : सोशल मीडिया पर मोदी के पक्ष में माहौल बनाने वाले अहम किरदार कौन-कौन हैं?

मोदी का चुनाव अभियान बराक ओबामा के 2012 के चुनाव अभियान की तर्ज पर खड़ा किया गया था। ओबामा को ‘दुनिया का पहला फेसबुक राष्ट्रपति’ कहा जाता है। ऐसा लगता है कि मोदी के अभियान में लगे लोग साशा आइसेनबर्ग की किताब दि विक्ट्री लैबः दि सिक्रेट साइंस ऑफ विनिंग कैंपेंस। 2014 के लोकसभा चुनावों में हर स्रोत से डाटा जमा किया गया और मोदी की महानता वाली छवि गढ़ने में इसका इस्तेमाल हुआ।

इसके लिए एक साथ चार टीम काम कर रही थी। दूसरी टीम का नेतृत्व राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर कर रहे थे। प्रशांत किशोर की इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी मोदी के लिए रन फॉर यूनिटि, चाय पे चर्चा और मंथन जैसे अभियान चला रही थी। वहीं उनकी दूसरी संस्था सिटिजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस प्रबंधन के छात्रों को जोड़कर मोदी की सभाओं के लिए समर्थन जुटाने का काम कर रहे थे। प्रशांत किशोर अभी बिहार की सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड के उपाध्यक्ष हैं।

तीसरी टीम का नेतृत्व हीरेन जोशी कर रहे थे। यह टीम गुजरात के मुख्यमंत्री कार्यालय से चल रही थी। इसके जरिए मोदी की निजी छवि गढ़ने का काम हो रहा था। हमारे एक से अधिक स्रोत ने बताया कि इस टीम के सदस्य फेसबुक इंडिया के अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहे थे। अभी फेसबुक में वरिष्ठ पद पर काम कर रहे शिवनाथ ठुकराल इस टीम के साथ काम कर रहे थे। हमने हीरेन जोशी से बात करने के लिए उन्हें कई बार फोन किया और ईमेल किया लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया।

चौथी टीम का नेतृत्व अरविंद गुप्ता कर रहे थे। वे दिल्ली से भाजपा का अभियान चला रहे थे। जब उनसे हमने बातचीत की कोशिश की तो उन्होंने यह कहते हुए बातचीत से इनकार कर दिया कि वे अब भाजपा के साथ नहीं बल्कि भारत सरकार के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम भाजपा आईटी प्रकोष्ठ के मौजूदा प्रमुख अमित मालवीय से बात करें। मालवीय ने फेसबुक और भाजपा के रिश्तों पर कुछ नहीं बोला। 

चारों टीमें अलग-अलग काम कर रही थीं। उस वक्त भाजपा आईटी प्रकोष्ठ के सह-संयोजक रहे विनित गोयनका कहते हैं, ‘यह एक रिले दौड़ की तरह था। जरूरत के हिसाब से टीमों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान होता था। इसी तरह से कोई भी समझदार संगठन काम करता है।’

हमारे सोशल मीडिया सीरीज़ के अन्य आलेख पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :-

सोशल मीडिया पर मोदी के पक्ष में माहौल बनाने वाले अहम किरदार कौन-कौन हैं?

किसने गढ़ी मोदी की छवि?

क्यों फेसबुक कंपनी को अलग-अलग हिस्सों में बांटने की मांग उठ रही है?

मुफ्त इंटरनेट के जरिये कब्ज़ा जमाने की फेसबुक की नाकाम कोशिश?

#सोशल_मीडिया : लोकसभा चुनावों पर फेसबुक का असर?

क्या सोशल मीडिया पर सबसे अधिक झूठ भारत से फैलाया जा रहा है?

#सोशल_मीडिया : सत्ताधारियों से पूरी दुनिया में है फेसबुक की नजदीकी

जब मोदी का समर्थन करने वाले सुषमा स्वराज को देने लगे गालियां!

फेसबुक पर फर्जी खबरें देने वालों को फॉलो करते हैं प्रधानमंत्री मोदी!

फर्जी सूचनाओं को रोकने के लिए फेसबुक कुछ नहीं करना चाहता!

#सोशल_मीडिया : क्या सुरक्षा उपायों को लेकर व्हाट्सऐप ने अपना पल्ला झाड़ लिया है?

#सोशल_मीडिया : क्या व्हाट्सऐप राजनीतिक लाभ के लिए अफवाह फैलाने का माध्यम बन रहा है?

#सोशल_मीडिया : क्या फेसबुक सत्ताधारियों के साथ है?

#सोशल_मीडिया : क्या नरेंद्र मोदी की आलोचना से फेसबुक को डर लगता है?

#सोशल_मीडिया : कई देशों की सरकारें फेसबुक से क्यों खफा हैं?

सोशल मीडिया की अफवाह से बढ़ती सांप्रदायिक हिंसा

#socialmedia
#Facebook
Facebook India
Real Face of Facebook in India
WhatsApp
Narendra modi

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 


बाकी खबरें

  • tourism sector
    भाषा
    कोरोना के बाद से पर्यटन क्षेत्र में 2.15 करोड़ लोगों को रोज़गार का नुकसान हुआ : सरकार
    15 Mar 2022
    पर्यटन मंत्री ने बताया कि सरकार ने पर्यटन पर महामारी के प्रभावों को लेकर एक अध्ययन कराया है और इस अध्ययन के अनुसार, पहली लहर में 1.45 करोड़ लोगों को रोजगार का नुकसान उठाना पड़ा जबकि दूसरी लहर में 52…
  • election commission of India
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली नगर निगम चुनाव टाले जाने पर विपक्ष ने बीजेपी और चुनाव आयोग से किया सवाल
    15 Mar 2022
    दिल्ली चुनाव आयोग ने दिल्ली नगर निगम चुनावो को टालने का मन बना लिया है। दिल्ली चुनावो की घोषणा उत्तर प्रदेश और बाकी अन्य राज्यों के चुनावी नतीजों से पहले 9 मार्च को होनी थी लेकिन आयोग ने इसे बिल्कुल…
  • hijab
    सीमा आज़ाद
    त्वरित टिप्पणी: हिजाब पर कर्नाटक हाईकोर्ट का फ़ैसला सभी धर्मों की औरतों के ख़िलाफ़ है
    15 Mar 2022
    इस बात को दरअसल इस तरीके से पढ़ना चाहिए कि "हर धार्मिक रीति का पालन करना औरतों का अनिवार्य धर्म है। यदि वह नहीं है तभी उस रीति से औरतों को आज़ादी मिल सकती है, वरना नहीं। "
  • skm
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एमएसपी पर फिर से राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेगा संयुक्त किसान मोर्चा
    15 Mar 2022
    एसकेएम ने फ़ैसला लिया है कि अगले महीने 11 से 17 अप्रैल के बीच एमएसपी की क़ानूनी गारंटी सप्ताह मना कर राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरूआत की जाएगी। 
  • Karnataka High Court
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    हिजाब  मामला: हिजाब इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने खारिज की याचिका
    15 Mar 2022
    अदालत ने अपना फ़ैसला सुनते हुए यह भी कहा कि शिक्षण संस्थानों में यूनिफ़ॉर्म की व्यवस्था क़ानूनी तौर पर जायज़ है और इसे संविधान के तहत दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन नहीं कहा जा…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License