NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
चुनाव 2019; दिल्ली : उत्तर-पूर्वी सीट पर सबसे कड़ा और सबसे रोचक मुकाबला
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और इस सीट से मौजूदा सांसद मनोज तिवारी के लिए यहां अपना कब्ज़ा बरकरार रखना एक मुश्किल चुनौती है। आप ने यहां युवा दिलीप पांडे को उम्मीदवार बनाया है तो कांग्रेस ने दिग्गज और बुजुर्ग नेता पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर दांव लगाया है।
मुकुंद झा
10 May 2019
north east delhi
Image Courtesy: Newsstate.com

दिल्ली में रविवार, 12 मई को मतदान होने जा रहा है। दिल्ली की सभी सात सीटों में से सबसे सबसे चर्चित सीट उत्तर-पूर्वी लोकसभा सीट है, जो पूर्वी दिल्‍ली लोकसभा सीट से अलग कर बनाई गई है, यह दिल्‍ली की प्रमुख सीटों में से एक है।

इस सीट के प्रमुख होने की कई वजह हैं, एक तो यह कि यह देश के अलग-अलग हिस्‍सों से आए प्रवासी भारतीयों का गढ़ है, दूसरा यह सबसे घनी आबादी वाला लोकसभा क्षेत्र है।

2019 लोकसभा चुनावों की बात की जाए तो इस सीट पर काफ़ी कड़ा मुक़ाबला दिख रहा है। पहले इस सीट पर आम आदमी पार्टी और भाजपा में सीधा मुक़ाबला दिख रहा था लेकिन कांग्रेस द्वारा प्रमुख नेता और दिल्‍ली की पूर्व मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित को इस सीट पर उम्‍मीदवार बनाने का ऐलान करने के बाद अब मुक़ाबला त्रिकोणीय दिख रहा है, जबकि आम आदमी पार्टी ने भी अपने प्रमुख नेताओ में से एक दिलीप पांडे को उतारा है। वहीं बीजेपी से मनोज तिवारी यहाँ से सांसद हैं। 

delhi.PNG

                             (2014  लोकसभा चुनाव के नतीजे )

2008 से पहले यह सीट पूर्वी दिल्ली थी लेकिन 2008 में हुए परिसीमन में बनी इस सीट पर 2009 में कांग्रेस के जयप्रकाश अग्रवाल ने,जबकि 2014 में बीजेपी के मनोज तिवारी ने जीत दर्ज की थी। 

उत्‍तर पूर्वी दिल्‍ली लोकसभा सीट की स्थिति

उत्‍तर पूर्वी दिल्‍ली लोकसभा सीट में 10 विधानसभा सीट आती हैं जिनमें- सीमापुरी, गोकुलपुरी, घोंडा, सीलमपुर, रोहतास नगर, बाबरपुर,करावल नगर, बुराड़ी, तिमारपुर, मुस्तफ़ाबाद शामिल हैं। पिछले विधान सभा चुनावों के आधार पर देखें तो इन 10 विधान सभा में से भाजपा को केवल एक सीट मुस्तफ़ाबाद हासिल हुई थी और बाक़ी 9 सीटें आप ने जीती थीं। पिछले विधान सभा चुनाव के आंकड़ों को देखें तो आम आदमी पार्टी बहुत मज़बूत दिख रही है लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि 2015 के चुनाव में पूरी दिल्ली में एक अलग माहौल था। तब आप की और केजरीवाल की लहर थी, इसलिए उस आधार पर इस चुनाव का आंकलन करना उचित नहीं होगा।  

इसे भी पढ़े:-चुनाव 2019 : एक दिल्ली ऐसी भी जिसे सिर्फ़ वोट के समय याद किया जाता है

इन दस विधानसभा सीटों पर कभी कांग्रेस का मज़बूत आधार था लेकिन कई जानकारों का मानना है कि 2013 में आप के आने के बाद यहाँ बंटवारा हुआ जिसका फ़ायदा 2014 के चुनावो में भाजपा को मिला था। यह भी देखा गया कि 2013 और 2015 के चुनावों में आप को जो वोट मिले वो अधिकांश कांग्रेस के ही थे क्योंकि इन चुनावो में भाजपा के वोट प्रतिशत में बहुत ही मामूली गिरावट आई थी। 

कांग्रेस को इस बार उम्मीद है कि शीला दीक्षित के इस क्षेत्र में आने से वो इस बँटवारे को रोक सकेगी और अपने पुराने जनाधार को वापस ला पाएगी। क्योंकि 2013 से पहले की बात करें तो इन दस में से 6 विधानसभा सीटें कांग्रेस के पास थीं जबकि भाजपा के पास तीन और बहुजन समाज पार्टी के पास एक सीट थी। 

इसे भी देखे;- राजनीति में गुंडाराज खत्म करने का समय आ चुका है : राघव चड्डा

सामाजिक स्थिति और प्रमुख मुद्दे 

इस बार जातीय समीकरण के साथ-साथ प्रवासी आबादी और अनाधिकृत कॉलोनियाँ प्रमुख मुद्दा हैं। अनाधिकृत कॉलोनियों में बिहार, यूपी और अन्‍य राज्‍यों से आए लोग रह रहे हैं। ऐसे में प्राथमिक और ज़मीनी मालिकाना हक़ की समस्या, अनाधिकृत कॉलोनियों को अधिकृत करना और उनका विकास करना यहाँ अहम मुद्दा होगा। यहाँ आज भी लोगों के पास मूलभूत सुविधाएँ नहीं है। यही इस इलाक़े की प्रमुख मांगें हैं। 

सीलिंग गंभीर समस्या

इसके साथ ही पिछले समय में जिस तरह से पूरी दिल्ली में सीलिंग हुई इसका असर यहाँ भी देखने को मिल रहा है क्योंकि अगर हम इस लोकसभा सीट की बात करें तो यहाँ कोई बड़े औद्योगिक क्षेत्र तो नहीं है लेकिन यहाँ कई लघु उद्योग हैं। ख़ासतौर पर सीमा पूरी, घोंडा,सीलमपुर, बुराड़ी, मुस्तफ़ाबाद में यह बहुत ही गंभीर समस्या है। सीमा पूरी, घोंडा, सीलमपुर, बुराड़ी, मुस्तफ़ाबाद के इलाक़े में कारोबारियों ने बताया कि जब से भाजपा आई है तब से ही उनका धंधा पूरी तरह से चौपट हो गया है, पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी से उभर ही रहे थे कि अचानक सीलिंग शुरू कर दी गई जिससे बड़ी संख्या में छोटी फ़ैक्ट्रियाँ बंद हुई हैं। शायद यह मुद्दा भाजपा के लिए इस चुनाव में गले की हड्डी बन सकता है | 

सार्वजनिक यातायात भी गंभीर समस्या है 

इन इलाक़ों में एक और गंभीर समस्या है कि यहाँ सार्वजनिक यातायात की हालत बहुत बुरी है। करावल नगर में लोगों का कहना है कि यहाँ कभी-कभी कोई बस देखने को मिलती है। यहाँ यातायात के नाम पर केवल शेयरिंग ऑटो मिलता है जिसमें हमेशा ही जान का ख़तरा बना रहता है क्योंकि तीन सीट वाले ऑटो में 6 लोगों को ले कर जाया जाता है। इसके चलते समय-समय पर हादसे होते रहते हैं। कई लोगो की मौत भी हो चुकी है। 

इसे भी पढ़े:दिल्ली : क्यों चुनावी मुद्दा नहीं बन रहा गरीबों को सस्ते-किफ़ायती घर का वादा?

 पूर्वांचल वोटर निर्णायक

इस सीट पर पूर्वांचल के वोटर निर्णायक भूमिका में हैं इसलिए तीनों मुख्य पार्टियों ने इस बार अपने उम्मीदवार को चुनने मे इस बात का ध्यान रखा है।  पूर्वांचलियों की यहाँ इतनी चलती है कि वो किसी भी उम्मीदवार की तक़दीर का फ़ैसला कर सकते हैं।

दिल्ली की इस संसदीय सीट पर तीनों उम्मीदवार बिहार-यूपी से अपना नाता बता रहे हैं। 

आम आदमी पार्टी ने यहाँ से दिलीप पांडे को उम्मीदवार बनाया है, जो गाज़ीपुर के जमनिया गांव के हैं। वहीं बीजेपी ने इस सीट से दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को एक बार फिर से मैदान में उतारा है, जिनका जन्मस्थान बनारस है। कांग्रेस की उम्मीदवार शीला दीक्षित तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं, लेकिन उनका नाता भी उत्तर प्रदेश के कन्नौज से ही बताया जाता है। इस लोकसभा सीट पर यूपी-बिहार से आए लोगों की तादाद बहुत ज़्यादा है।

"दिल्ली की सात लोक सभा सीटों में कई सीटों पर पूर्वांचलियों की संख्या बहुत है लेकिन उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट पर एक अनुमान के मुताबिक़ यहाँ 25 से 28 फ़ीसदी लोग यूपी-बिहार से आए हैं" जो किसी भी चुनाव को प्रभावित करने के लिए काफ़ी हैं। 

इसे भी पढ़े:चुनाव 2019; दिल्ली : बीजेपी को सेलिब्रिटी और कांग्रेस को पुराने चेहरों से आस

 इस बार भाजपा के लिए राह बहुत कठिन लग रही है 

पिछले चुनाव में यहाँ से बीजेपी के मनोज तिवारी ने क़रीब डेढ़ लाख वोटों से जीत दर्ज की थी, मनोज तिवारी को कुल 5,96,125 वोट मिलेम, वहीं दूसरे नंबर पर रहे प्रो.आनंद कुमार को 4,52,041 वोट और कांग्रेस के जेपी अग्रवाल 2,14,792 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे। गोकुलपुरी के निवासी नरेश ने कहा, "इस बार मनोज तिवारी के काम पर वोट दिए जाएंगे न कि उनके नाम पर।" आगे वो कहते हैं, "उन्होंने सांसद रहते हुए इस क्षेत्र में कोई काम नहीं किया है और इस बार फिर से मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं। लेकिन वो आपना रिपोर्ट कार्ड नहीं दे रहे है।" हमने कई भाजपा कार्यकर्ताओं से भी बात की वो भी मनोज तिवारी से नाख़ुश थे और खुले तौर पर कह रहे थे, "तिवारी मजबुरी है क्योंकि मोदी ज़रूरी है" 

चुनाव प्रचार में तिवारी खुद के पूर्वांचली होने के आधार पर और मोदी के नाम पर ही टिके हुए हैं। इसके अलावा उनके पास कुछ और बताने को नहीं दिख रहा है। दूसरी तरफ आप प्रत्याशी दिलीप पांडेय इस सीट के लिए नया और युवा चेहरा हैं। काफी समय से क्षेत्र में सक्रिय रहने का लाभ मिल सकता है। पूर्वांचल के होने के कारण पूर्वांचलियों का साथ मिल सकता है।

इसे भी देखे;- चुनाव 2019: कहां है विकास?          

 

 

 

AAP
Delhi
BJP
Congress
sheila dixit
dilip pandey
manoj tiwari
Public Safety Act
General elections2019
2019 आम चुनाव
Narendra modi

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • brooklyn
    एपी
    ब्रुकलिन में हुई गोलीबारी से जुड़ी वैन मिली : सूत्र
    13 Apr 2022
    गौरतलब है कि गैस मास्क पहने एक बंदूकधारी ने मंगलवार को ब्रुकलिन में एक सबवे ट्रेन में धुआं छोड़ने के बाद कम से कम 10 लोगों को गोली मार दी थी। पुलिस हमलावर और किराये की एक वैन की तलाश में शहर का चप्पा…
  • non veg
    अजय कुमार
    क्या सच में हिंदू धर्म के ख़िलाफ़ है मांसाहार?
    13 Apr 2022
    इतिहास कहता है कि इंसानों के भोजन की शुरुआत मांसाहार से हुई। किसी भी दौर का कोई भी ऐसा होमो सेपियंस नही है, जिसने बिना मांस के खुद को जीवित रखा हो। जब इंसानों ने अनाज, सब्जी और फलों को अपने खाने में…
  • चमन लाल
    'द इम्मोर्टल': भगत सिंह के जीवन और रूढ़ियों से परे उनके विचारों को सामने लाती कला
    13 Apr 2022
    कई कलाकृतियों में भगत सिंह को एक घिसे-पिटे रूप में पेश किया जाता रहा है। लेकिन, एक नयी पेंटिंग इस मशहूर क्रांतिकारी के कई दुर्लभ पहलुओं पर अनूठी रोशनी डालती है।
  • एम.के. भद्रकुमार
    रूस पर बाइडेन के युद्ध की एशियाई दोष रेखाएं
    13 Apr 2022
    यह दोष रेखाएं, कज़ाकिस्तान से म्यांमार तक, सोलोमन द्वीप से कुरील द्वीप समूह तक, उत्तर कोरिया से कंबोडिया तक, चीन से भारत, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान तक नज़र आ रही हैं।
  • ज़ाहिद खान
    बलराज साहनी: 'एक अपरिभाषित किस्म के कम्युनिस्ट'
    13 Apr 2022
    ‘‘अगर भारत में कोई ऐसा कलाकार हुआ है, जो ‘जन कलाकार’ का ख़िताब का हक़दार है, तो वह बलराज साहनी ही हैं। उन्होंने अपनी ज़िंदगी के बेहतरीन साल, भारतीय रंगमंच तथा सिनेमा को घनघोर व्यापारिकता के दमघोंटू…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License