NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
चुनाव 2019; झारखंड: नेताओं के "बोल वचन" से टकराते आदिवासी समाज के ज़मीनी सवाल!
पूरे देश समेत झारखंड प्रदेश में भी जैसे-जैसे चुनावी चरण सम्पन्न होता जा रहा है, बड़े ही सुनियोजित ढंग से चुनाव को मुद्दाविहीन बनाकर मतदाताओं की अंधभावना भड़काने वाले नेताओं के द्वारा ‘बोल वचन' का अभियान चलाया जा रहा है।
अनिल अंशुमन
11 May 2019
चुनाव 2019; झारखंड:

झारखंड प्रदेश में लोकसभा के तीसरे चरण के चुनाव का प्रचार समाप्त हो चुका है और 12 मई को अगला मतदान होना है। इसके पहले सम्पन्न हुए दो चरणों के चुनाव में सात सीटों पर हुए मतदान के विश्लेषण में सत्ताधारी दल के उम्मीदवारों को बहुत सफ़लता नहीं मिलने की बात कही जा रही है। विशेषकर आदिवासी सुरक्षित क्षेत्र लोहरदगा व खूंटी के अलावा राजधानी रांची की सीट पर महागठबंधन प्रत्याशी कड़ी टक्कर दे रहें हैं। 2014 में इन सभी सीटों पर भाजपा ने सीधी जीत दर्ज की थी। उसी चुनाव में भाजपा की जीत वाली पलामू, चतरा और हज़ारीबाग़ सीट पर स्थिति अपेक्षाकृत अनुकूल होने का अनुमान तो है लेकिन कोडरमा में त्रिकोणीय संघर्ष जैसी स्थिति है। हालांकि पार्टी प्रवक्ता मीडिया ने इन सभी सीटों के साथ-साथ प्रदेश की बाक़ी सीटों पर भी जीत का दावा किया है। बहरहाल, स्थिति का अंतिम खुलासा तो मतगणना के दिन ही हो सकेगा। 

झारखंड प्रदेश में इस बार के लोकसभा के चुनावों में पहली बार ऐसा विडम्बनापूर्ण संयोग सामने आया है कि जिस क्षेत्र में मतदान पूर्व का चुनाव प्रचार समाप्त हो रहा है, ठीक उससे सटे हुए इलाक़ों में अगले चरण के चुनाव प्रचार के नाम पर पहले प्रधानमंत्री और उसके तुरंत बाद पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष की भी सभा की जा रही है। मसलन, जब 29 अप्रैल को पलामू प्रमंडल में मतदान होना था तो उससे सटे लोहरदगा में प्रधानमंत्री और रांची में पार्टी अध्यक्ष की सभाएँ हुईं। 6 मई को जिन सीटों पर मतदान था, उसके पास के ज़िले चाईबासा और जमशेदपुर में इनकी सभाएँ की गईं। हालांकि विपक्ष ने इसे लेकर चुनाव आयोग में अपना विरोध भी दर्ज किया लेकिन यहाँ भी चुनाव आयोग ‘क्लीन चिट' की लाठी लेकर चौकीदारी में खड़ा हो गया। 

दूसरा विडम्बनापूर्ण संयोग है, पूरे देश समेत झारखंड प्रदेश में भी जैसे-जैसे चुनावी चरण सम्पन्न होता जा रहा है, बड़े ही सुनियोजित ढंग से चुनाव को मुद्दाविहीन बनाकर मतदाताओं की अंधभावना भड़काने वाले नेताओं के द्वारा ‘बोल वचन' का अभियान चलाया जा रहा है। 8 मई को जमशेदपुर की सभा में तो भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने भाषण में साफ़ कह दिया कि – इस चुनाव में विकास नहीं, सिर्फ़ देश की सुरक्षा के लिए वोट दें! प्रायः सभी सभाओं में प्रधानमंत्री और अध्यक्ष के भाषणों में पुलमावा और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों की भावनात्मक बातें हीं उछाली जा रहीं हैं। 

उक्त सुनियोजित कवायदों के बावजूद झारखंड प्रदेश के ग्रामीण समाज के लोग और विशेषकर आदिवासी समाज अपने ज़मीनी सवालों को लगातार इस चुनाव का एक निर्णायक मुद्दा बनाए हुए हैं। जिनकी ओर से ‘डबल इंजन' की भाजपा सरकार और उनके उम्मीदवारों को चुनाव में वोट नहीं देने की अपील में कहा जा रहा है कि, "भाजपा को वोट नहीं दें! क्योंकि इसने सदियों से आदिवासी समाज के परंपरागत ‘पत्थलगड़ी' की ग़लत व्याख्या तथा इसकी तुलना कश्मीर के पत्थरबाज़ों के समकक्ष ‘देशद्रोह‘ घोषित कर आदिवासी समाज का क्रूरता से दमन किया है। वर्षों पूर्व अंग्रेज़ी हुकूमत के ख़िलाफ़ किए गए बहादुराना विद्रोह से हासिल सीएनटी-एसपीटी एक्टों में संशोधन करने का अपराध किया है। भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक तथा लैंड-बैक योजना थोपकर झारखंड में आदिवासियों के बचे खुचे जल–जंगल–ज़मीन को कॉर्पोरेट कंपनियों की खुली लूट की पूरी छूट के हवाले कर दिया है। इसका विरोध कर रहे जन संगठनों के नेताओं और सामाजिक कार्यकर्त्ताओं–बुद्धिजीवियों पर ‘देशद्रोह–राजद्रोह' का मुक़दमा कर राज्य दमन चलाया है। झारखंडी व आदिवासी समाज का अस्तित्व संकट पैदा करने वाले विस्थापन और पलायन की मार सबसे अधिक भाजपा शासन में ही बढ़ी है। 

 

स्थापित मीडिया द्वारा आदिवासी समाज सवालों को अभी की चुनावी चर्चाओं से ग़ायब करने के तमाम प्रयासों के बावजूद उक्त सारे सवाल ज़मीनी धरातल पर मज़बूती से क़ायम हैं। जिसका जीवंत उदाहरण है कि अबतक सम्पन्न हुए चुनाव में आदिवासी बहुल्य क्षेत्रों के जिन मतदान केन्द्रों को ‘ख़तरनाक और अति संवेदनशील‘ घोषित कर उसे अर्ध सैन्यबलों की छवानी में तब्दील कर दिया गया था, वहाँ के वोटरों में सबसे अधिक सक्रियता दिखी। सभी आदिवासी सुरक्षित सीटों के चुनाव में विशेषकर भाजपा नेताओं–प्रत्याशियों की हालत कमज़ोर है। आदिवासी समाज की दुर्दशा व बदहाली के लिए विपक्षी महागठबंधन के दलों की पूर्व की सरकारों व उनके नेताओं को कोसने और छद्म देशहित की अंधभवनाएँ भड़काने के बावजूद यहाँ जीत की गारंटी नहीं हो पा रही है। 

चुनाव का परिणाम अभी आना बाक़ी है लेकिन फ़िलहाल ये स्थितियाँ स्पष्ट दर्शा रहीं हैं कि आदिवासी समाज के 'भोले-भाले-अशिक्षित और गँवार' होने का सदियों से गढ़ा गया मिथक अब नहीं चलने वाला है। जो विशेषकर इस चुनाव में तो खुलकर इस पहलू को स्थापित कर रहीं हैं कि ख़ुद को मुख्यधारा और सभ्य–शिक्षित व समझदार कहलाने वाले मतदाता समाज आज अपने सवालों को लेकर कहाँ खड़ा है और आदिवासी समाज कहाँ खड़े हैं? जिस पर अवामी शायर दुष्यंत जी ने काफ़ी पहले ही आगाह किया था कि,

"रहनुमाओं की अदाओं पे फ़िदा है दुनिया,
इस बहकती हुई दुनिया को संभालो यारों!"
 

2019 Lok Sabha elections
Jharkhand
jharkhand tribals
adivasi samaj
BJP
Congress
ammit shah
Narendra modi

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • ऋचा चिंतन
    WHO की कोविड-19 मृत्यु दर पर भारत की आपत्तियां, कितनी तार्किक हैं? 
    25 Apr 2022
    भारत ने डब्ल्यूएचओ के द्वारा अधिक मौतों का अनुमान लगाने पर आपत्ति जताई है, जिसके चलते इसके प्रकाशन में विलंब हो रहा है।
  • एजाज़ अशरफ़
    निचले तबकों को समर्थन देने वाली वामपंथी एकजुटता ही भारत के मुस्लिमों की मदद कर सकती है
    25 Apr 2022
    जहांगीरपुरी में वृंदा करात के साहस भरे रवैये ने हिंदुत्ववादी विध्वंसक दस्ते की कार्रवाई को रोका था। मुस्लिम और दूसरे अल्पसंख्यकों को अब तय करना चाहिए कि उन्हें किसके साथ खड़ा होना होगा।
  • लाल बहादुर सिंह
    वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव को विभाजनकारी एजेंडा का मंच बनाना शहीदों का अपमान
    25 Apr 2022
    ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध हिन्दू-मुस्लिम जनता की एकता की बुनियाद पर लड़ी गयी आज़ादी के लड़ाई से विकसित भारतीय राष्ट्रवाद को पाकिस्तान विरोधी राष्ट्रवाद (जो सहजता से मुस्लिम विरोध में translate कर…
  • आज का कार्टून
    काश! शिक्षा और स्वास्थ्य में भी हमारा कोई नंबर होता...
    25 Apr 2022
    SIPRI की एक रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार ने साल 2022 में हथियारों पर जमकर खर्च किया है।
  • वसीम अकरम त्यागी
    शाहीन बाग़ की पुकार : तेरी नफ़रत, मेरा प्यार
    25 Apr 2022
    अधिकांश मुस्लिम आबादी वाली इस बस्ती में हिंदू दुकानदार भी हैं, उनके मकान भी हैं, धार्मिक स्थल भी हैं। समाज में बढ़ रही नफ़रत क्या इस इलाक़े तक भी पहुंची है, यह जानने के लिये हमने दुकानदारों,…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License