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भारत
राजनीति
चुनाव 2019: राष्ट्रपति अकेली बड़ी पार्टी या मोर्चा को आमंत्रित करेंगे?
एनडीए को बहुमत दिलाने वाले एग्ज़िट पोल की भविष्यवाणी पर ध्यान न दें। विपक्षी पार्टियां त्रिशंकु सदन और राष्ट्रपति को पत्र लिखने की योजना बना रही हैं।
अमेय तिरोदकर
21 May 2019
फाइल फोटो

लोकसभा चुनावों के नतीजे से पहले कई एजेंसियों और न्यूज चैनलों ने अपने अपने एग्ज़िट पोल बता दिए हैं। इनमें भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के लिए जीत की भविष्यवाणी करते हुए 277 से लेकर 368 सीटें मिलती हुई दिखाई गई है जो कि बहुत बड़ा अंतर है। लेकिन अब कुछ ही समय की बात है जब 23 मई को नतीजे हमारे सामने होंगे। उधर राजनीतिक दल इन भविष्यवाणियों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। वास्तव में बीजेपी-विरोधी गठबंधन के लिए राष्ट्रीय मोर्चे को लेकर गतिविधि पहले से ही तेज़ हो गई है।

18 और 19 मई को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती समेत कई नेताओं से मुलाकात की। 

इसी क्रम में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पवार से मिले और दोनों ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। सूत्रों ने कहा कि एग्जिट पोल में बताई गए संख्या के बावजूद इन वरिष्ठ नेताओं के बीच मुलाकात यह संकेत देता है कि वे त्रिशंकु संसद की संभावना के लिए तैयारी कर रहे हैं।

नायडू ने 21 मई को चर्चा के लिए ग़ैर-एनडीए और ग़ैर-यूपीए दलों के नेताओं को आमंत्रित किया है और सूत्रों का कहना है कि ये नेता ग़ैर-बीजेपी सरकार बनाने पर आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे। 

हालांकि वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख जगन मोहन रेड्डी और तेलंगाना राष्ट्र समिति प्रमुख के चंद्रशेखर राव की तरह नायडू के प्रतिद्वंद्वी की इस बैठक में उपस्थित होने की संभावना नहीं है लेकिन उम्मीद है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ मायावती और समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव जैसे नेता या उनके प्रतिनिधि इस बैठक में हिस्सा लेंगे।

सूत्रों का कहना है कि ये नेता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को संबोधित एक पत्र का मसौदा तैयार करेंगे जिसमें उनसे अनुरोध किया जाएगा कि वे सरकार बनाने के लिए किसी को भी जल्दबाज़ी में आमंत्रित न करें। 

विपक्षी खेमे के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “संभावना है कि 21 मई की बैठक में भाग लेने वाले दल को वर्तमान एनडीए की तुलना में संख्या अधिक प्राप्त होगा। बेशक इसमें कांग्रेस की सक्रिय भागीदारी या समर्थन शामिल है। इसलिए इस स्थिति में राष्ट्रपति को केवल सबसे बड़ी पार्टी की संख्या को देखते हुए बुलाना नहीं चाहिए।” वरिष्ठ नेता ने बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी रहने की संभावना व्यक्त की।

नतीजे के दिन शाम को सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई एक अन्य बैठक होगी। इस बैठक के लिए ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसी राव और वाईएसआरसीपी नेता जगन रेड्डी जैसे नेताओं को बुलाने के लिए कांग्रेस की पिछले दरवाजे से प्रयास जारी है। इसलिए ये तीनों नेता 21 मई को होने वाली बैठक में शामिल नहीं हो सकते हैं और वे 23 मई की बैठक में आ सकते हैं और राष्ट्रपति को लिखे जाने वाले पत्र पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। 

बेशक सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग लेने वाले दक्षिण के ये तीनों नेता का शामिल होना नतीजे में मिलने वाली सीटों की संख्या पर निर्भर करता हैं।

वर्तमान बैठक के प्रयासों का उद्देश्य 23 मई तक राष्ट्रपति कोविंद को पत्र सौंपना है।
ऐसी स्थिति में जहां 21 मई की बैठक में भाग लेने वाले दलों की संख्या अधिक है लेकिन बीजेपी अकेली सबसे बड़ी पार्टी होती है तो राष्ट्रपति कोविंद के सामने वाजिब सवाल उठेगा कि सरकार बनाने के लिए पहले किसे आमंत्रित करें? 

ऐसे मामले में विभिन्न संभावित कारणों के चलते राष्ट्रपति बीजेपी को बुला सकते हैं। बीजेपी को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन की मोहलत मिलेगी। विपक्षी नेता इस समय बीजेपी को मौका देने के मूड में नहीं हैं। इसलिए राष्ट्रपति कोविंद सरकार बनाने के लिए किसी भी पक्ष को आमंत्रित करें इससे पहले उन्हें पत्र सौंपना वांछित प्रभाव डालेगा।

लेकिन हमें यह देखने के लिए इंतजार करना होगा कि अगली सरकार किसकी बनती है। ये सरकार सबसे बड़ी पार्टी की या अकेली सबसे बड़े मोर्चे की बनती है? 

lok sabha election
BJP
Congress
EVM
election commission of India
NCP
Congress-NCP

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