NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
चुनाव 2019; यूपी : नयी राजनीतिक आहटें—क़रीब आती हुईं
उत्तर प्रदेश में इस बार मामला फ़िफ़्टी-फ़िफ़्टी है। मोदी (और भाजपा) को यह डर सता रहा है कि राज्य में इस बार भी पार्टी को अगर 80 लोकसभा सीटों में से 71 न मिलीं (जैसा कि 2014 में हुआ था), तब क्या होगा! 
अजय सिंह
02 May 2019
सांकेतिक तस्वीर

लोकसभा चुनाव-2019 का आधे से ज़्यादा सफ़र पूरा हो चला है। अब मतदान के सिर्फ़ तीन दौर बचे हैं। बीच चुनाव में उत्तर प्रदेश की कैसी राजनीतिक तस्वीर उभरती दिखायी दे रही है? क्या कोई अनुमान लगाया जा सकता है, जो सतह के नीचे चल रही हलचल का अता-पता दे?

प्रचलित शब्दावली में कहा जा सकता है कि अभी कुछ कहना मुश्किल है। लेकिन जो संकेत मिल रहे हैं, वे बताते हैं कि नयी राजनीतिक आहटें, क़रीब आती हुई, सुनायी दे रही हैं। ये सधी हुई आहटें जैसे कह रही हैं कि 2019 में उत्तर प्रदेश में 2014-जैसा ‘मोदी जादू’ या ‘मोदी लहर’ नहीं है, और टक्कर कांटे की है।

ख़ास बात यह है कि इस चीज़ को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अच्छी तरह समझ रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने बनारस (वाराणसी) में 26 अप्रैल 2019 को जो कहा, उस पर ध्यान दीजिये। उस दिन बनारस लोकसभा सीट से  भाजपा की ओर से अपनी उम्मीदवारी का परचा दाख़िल करने के बाद उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से कहा, ‘इस झांसे में न आइये कि मैं (मोदी) जीत रहा हूं, इसलिए वोट देने की ज़रूरत नहीं। वोट देने के लिए घर से बाहर ज़रूर निकलिए।’ मोदी की देहभाषा कुछ-भी-हो-सकता-है की आशंका और तनाव से भरी हुई है।

मतलब साफ हैः उत्तर प्रदेश में इस बार मामला फ़िफ़्टी-फ़िफ़्टी है। मोदी (और भाजपा) को यह डर सता रहा है कि राज्य में इस बार भी पार्टी को अगर 80 लोकसभा सीटों में से 71 न मिलीं (जैसा कि 2014 में हुआ था), तब क्या होगा! और इस डर की वजह है—समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) का गठबंधन। इस गठबंधन ने मोदी व भाजपा के सामने कड़ी चुनौती पेश कर दी है कि इस बार उत्तर प्रदेश की राह आसान नहीं है।

सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के व्यापक—और फ़िलहाल टिकाऊ—सामाजिक-राजनीतिक आधार ने काफ़ी दूर तक—और ज़मीनी स्तर पर—असर पैदा किया है। यह गठबंधन उत्तर प्रदेश में राजनीतिक बातचीत व विमर्श के केंद्र में आ गया है। यह महत्वपूर्ण परिघटना है। इस गठबंधन को, कम-से-कम उत्तर प्रदेश के संदर्भ में, नरेंद्र मोदी व भाजपा के विकल्प के तौर पर देखा जाने लगा है। पहले जहां सिर्फ़ मोदी-मोदी-मोदी का शोर सुनायी देता था, वहां अब अखिलेश यादव (सपा), मायावती (बसपा) व अजित सिंह (राष्ट्रीय लोकदल) के बारे में भी लोकप्रिय चर्चा के लिए पर्याप्त जगह बन गयी है। इसी में, कांग्रेस भी, जो गठबंधन का हिस्सा नहीं है, अपने लिए जगह तलाशती नज़र आ रही है।

इस चीज़ ने मोदी व भाजपा को बहुत परेशान व बेचैन कर दिया है। उन्हें दिखायी दे रहा है कि सपा-बसपा-रालोद गठबंधन के चलते उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए 2014 की जीत को दोहरा पाने की संभावना लगभग नामुमकिन हो चली है। ग़ौर करने की बात यह है कि 2014 में केंद्र में भाजपा और नरेंद्र मोदी की जो सरकार बनी थी, उसके पीछे उत्तर प्रदेश का निर्णायक हाथ था—राज्य में कुल 80 लोकसभा सीटों में से 71 पर भाजपा ने जीत हासिल की थी और दो सीटों पर उसकी सहयोगी पार्टी (अपना दल) को जीत मिली थी। यह ‘निर्णायक हाथ’ इस बार भी मोदी व भाजपा को मिलेगा, इस पर सपा-बसपा-रालोद गठबंधन ने गंभीर सवालिया निशान लगा दिया है।

यही इस गठबंधन की सफलता है। हालांकि कुछ लोकसभा सीटों पर—जैसे लखनऊ व बनारस—उम्मीदवारों का चयन करते समय उसने राजनीतिक समझदारी का परिचय नहीं दिया। लेकिन गठबंधन ने जनता को यह मज़बूत संदेश ज़रूर दिया है कि मोदी व भाजपा को चुनौती और टक्कर देना—और लड़ाई में टिके रहना—मुमकिन है।

(लेखक वरिष्ठ कवि और राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

2019 आम चुनाव
General elections2019
2019 Lok Sabha elections
UttarPradesh
BJP
Gathbandhan
Congress

Related Stories

ख़बरों के आगे-पीछे: केजरीवाल के ‘गुजरात प्लान’ से लेकर रिजर्व बैंक तक

यूपी में संघ-भाजपा की बदलती रणनीति : लोकतांत्रिक ताकतों की बढ़ती चुनौती

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

ख़बरों के आगे-पीछे: भाजपा में नंबर दो की लड़ाई से लेकर दिल्ली के सरकारी बंगलों की राजनीति

बहस: क्यों यादवों को मुसलमानों के पक्ष में डटा रहना चाहिए!

ख़बरों के आगे-पीछे: गुजरात में मोदी के चुनावी प्रचार से लेकर यूपी में मायावती-भाजपा की दोस्ती पर..

ख़बरों के आगे-पीछे: पंजाब में राघव चड्ढा की भूमिका से लेकर सोनिया गांधी की चुनौतियों तक..

कश्मीर फाइल्स: आपके आंसू सेलेक्टिव हैं संघी महाराज, कभी बहते हैं, और अक्सर नहीं बहते

उत्तर प्रदेशः हम क्यों नहीं देख पा रहे हैं जनमत के अपहरण को!

जनादेश-2022: रोटी बनाम स्वाधीनता या रोटी और स्वाधीनता


बाकी खबरें

  • अनिंदा डे
    मैक्रों की जीत ‘जोशीली’ नहीं रही, क्योंकि धुर-दक्षिणपंथियों ने की थी मज़बूत मोर्चाबंदी
    28 Apr 2022
    मरीन ले पेन को 2017 के चुनावों में मिले मतों में तीन मिलियन मत और जुड़ गए हैं, जो  दर्शाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद धुर-दक्षिणपंथी फिर से सत्ता के कितने क़रीब आ गए थे।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली : नौकरी से निकाले गए कोरोना योद्धाओं ने किया प्रदर्शन, सरकार से कहा अपने बरसाये फूल वापस ले और उनकी नौकरी वापस दे
    28 Apr 2022
    महामारी के भयंकर प्रकोप के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर 100 दिन की 'कोविड ड्यूटी' पूरा करने वाले कर्मचारियों को 'पक्की नौकरी' की बात कही थी। आज के प्रदर्शन में मौजूद सभी कर्मचारियों…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज 3 हज़ार से भी ज्यादा नए मामले सामने आए 
    28 Apr 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,303 नए मामले सामने आए हैं | देश में एक्टिव मामलों की संख्या बढ़कर 0.04 फ़ीसदी यानी 16 हज़ार 980 हो गयी है।
  • aaj hi baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    न्यायिक हस्तक्षेप से रुड़की में धर्म संसद रद्द और जिग्नेश मेवानी पर केस दर केस
    28 Apr 2022
    न्यायपालिका संविधान और लोकतंत्र के पक्ष में जरूरी हस्तक्षेप करे तो लोकतंत्र पर मंडराते गंभीर खतरों से देश और उसके संविधान को बचाना कठिन नही है. माननीय सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कथित धर्म-संसदो के…
  • न्यूज़क्लिक डेस्क
    जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र: एक कवि का बयान
    28 Apr 2022
    आजकल भारत की राजनीति में तीन ही विषय महत्वपूर्ण हैं, या कहें कि महत्वपूर्ण बना दिए गए हैं- जुलूस, लाउडस्पीकर और बुलडोज़र। रात-दिन इन्हीं की चर्चा है, प्राइम टाइम बहस है। इन तीनों पर ही मुकुल सरल ने…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License