NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
चुनाव के शोर में नौकरियां गंवाने वालों की चीख़ क्या आप सुन पा रहे हैं?
उत्तराखंड की जीवन रेखा कहे जाने वाले 108 एंबुलेंस सेवा और ख़ुशियों की सवारी के सात सौ से अधिक कर्मचारियों को एक मई से सेवाएं समाप्त करने का नोटिस दिया गया है।
वर्षा सिंह
21 Apr 2019
108 ambulance uttarakhand
Image Courtesy : Aaj Tak

इसी वर्ष नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) ने नौकरियों में गिरावट के आंकड़े जारी किए, तो केंद्र की सरकार दोबारा सर्वे कराने की बात कहने लगी। रिपोर्ट में कहा गया कि देश में बेरोजगारी दर 2017-18 में 45 साल के उच्च स्तर यानी 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इसको लेकर विवाद छिड़ गया और सरकार ने कहा कि ये रिपोर्ट अंतिम नहीं हैं। जेट एयरवेज़ के करीब बीस हज़ार कर्मचारियों ने शुक्रवार को जंतर-मंतर पर धरना दिया और कहा कि बच्चों की फीस भरने और घरों की ईएमआई देने के लिए भी पैसे नहीं हैं। इधर, उत्तराखंड की जीवन रेखा कहे जाने वाले 108 एंबुलेंस सेवा और ख़ुशियों की सवारी के सात सौ से अधिक कर्मचारियों को एक मई से सेवाएं समाप्त करने का नोटिस दिया गया है।

चुनाव के इस वक्त में, सत्ता हासिल करने के लिए, नेता बड़े-बड़े जुमले उछाल रहे हैं। इसी समय में हज़ारों लोग अपनी नौकरियां खोने से संकट में आ गए हैं। उन्हें अपने बैंक अकाउंट में सालाना 6 हज़ार या 72 हज़ार की सरकारी मदद नहीं चाहिए। उन्हें अपनी मेहनत की कमाई, अपनी नौकरी चाहिए, जो उनका हक़ है।

उत्तराखंड में वर्ष 2008 में जीवीके-ईएमआरआई कंपनी ने 108 एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की। बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं से जूझ रहे राज्य के लिए ये एक बड़ी राहत थी। दुर्गम क्षेत्रों में मरीज़ों को लाने-ले जाने के लिए 108 एंबुलेंस किसी संजीवनी की तरह ही है। इसीलिए इसे पहाड़ों की जीवन रेखा कहा जाता है।

स्वास्थ्य महकमे के तहत संचालित 108 एंबुलेंस सेवा का करार अब मध्यप्रदेश की गैर-लाभकारी संस्था कैंप- कम्यूनिटी एक्शन थ्रू मोटिवेशन को मिल गया है। अपने नाम से उलट, नई संस्था नए सिरे से अपेक्षाकृत कम वेतन पर कर्मचारियों की भर्ती कर रही है। पुरानी कंपनी ने फील्ड कर्मचारियों को सेवा समाप्ति का नोटिस जारी कर दिया है। जबकि मिड-मैनेजमेंट लेवल के करीब 50 कर्मचारियों को दूसरे राज्यों में समाहित किया जा रहा है।

जीवीके-ईएमआरआई कंपनी के उत्तराखंड में ऑपरेशनल हेड मनीष टिंकू कहते हैं कि कंपनी को दस वर्ष का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। जो वर्ष 2018 में पूरा हो गया। उसके बाद कंपनी को छह-छह महीने के दो एक्सटेंशन दिये गये। इसके बाद राज्य सरकार ने नया टेंडर निकाला। मनीष टिंकू बताते हैं कि उत्तराखंड में 108 एंबुलेंस के लिए जारी किए गए टेंडर में तीन कंपनियों ने हिस्सा लिया। जीवीके ने 1.66 लाख प्रति एंबुलेंस प्रति माह कोट किया। एक अन्य कंपनी ने 1.44 लाख रुपये प्रति एंबुलेंस प्रति माह कोट किया और मध्य प्रदेश की गैर-लाभकारी संस्था कैंप ने 1.18 लाख रुपये प्रति एंबुलेंस प्रति माह कोट किया। कैंप को ये टेंडर मिल गया। चूंकि उन्होंने अपेक्षाकृत कम बजट में ये टेंडर लिया है तो वे नए कर्मचारियों को वेतन भी कम देंगे। यानी कम बजट का खामियाजा कर्मचारी उठाएंगे।

एक मई को जब हम मज़दूर दिवस मनाएंगे, उत्तराखंड के करीब 717 फील्ड कर्मचारियों और उनके परिजनों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ जाएगा। 108 एंबुलेंस कर्मचारी एसोसिएशन के सचिव विपिन जमलोकी कहते हैं कि ये कर्मचारियों के साथ अन्याय है। कर्मचारियों ने देहरादून में श्रम आयुक्त को इसकी शिकायत भी की है। भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) भी कर्मचारियों की इस लड़ाई में साथ आ गया है। भारतीय मज़दूर संघ के बैनर तले 108 एंबुलेंस सेवा के कर्मचारी 24 अप्रैल को देहरादून में सचिवालय कूच करेंगे। यदि इसके बाद भी उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो भारतीय मज़दूर संघ ने कर्मचारियों के साथ मिलकर पूरे प्रदेश में चरणबद्ध आंदोलन का फ़ैसला लिया है। हालांकि यहां उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में बीजेपी की ही सरकार है और बीएमएस आरएसएस से जुड़ा मज़दूर संगठन है। कर्मचारियों की मांग है कि इस सेवा को संचालित करने वाली नई संस्था उन्हें उसी वेतन और लोकेशन पर समाहित करे।

पिछले दस वर्षों से 108 एंबुलेंस के लिए कार्य कर रहे फील्ड कर्मचारियों का वेतन इस समय करीब 17-18 हज़ार रुपये है। नई संस्था ने दस हज़ार रुपये वेतन दे रही है। पहाड़ों में आपातकालीन सेवाएं देने जा रही कैंप संस्था के राज्य में ऑपरेशनल हेड प्रदीप राय कहते हैं कि जो लोग पहले से इसमें कार्य कर रहे हैं उन्हें वरीयता दी जाएगी। वो बताते हैं कि जिन लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन किया, उन्हें दस-साढ़े दस हजार के वेतन पर ले लिया गया है। वो ये भी कहते हैं कि ज्यादातर पुराने कर्मचारियों ने ही आवेदन किया।

जबकि 108 एंबुलेंस सेवा के कर्मचारी विपिन जमलोकी कैंप संस्था की इस बात का खंडन करते हैं। उनके मुताबिक किसी भी पुराने कर्मचारी को समाहित नहीं किया गया। अगर ऐसा है तो संस्था उन कर्मचारियों की लिस्ट जारी करे। श्रम विभाग के नियम के अनुसार भी स्वास्थ्य विभाग यदि पुराने ठेकेदार को बदलता है, तो कर्मचारी वही रहते हैं। ठेकेदार बदलने पर पहला अधिकार मौजूदा कर्मचारियों का ही बनता है। 11 साल से इस सेवा से जुड़े कर्मचारी ठेकेदार बदलने पर नहीं हटाए जा सकते। न ही कर्मचारियों के वेतन में नए ठेकेदार द्वारा कटौती की जा सकती है। कर्मचारी एसोसिएशन के विपिन जमलोकी कहते हैं कि नौकरी के 11 साल बाद वे इस वेतन पर पहुंचे हैं, जो अपने आप में औसत भी नहीं है।

राज्य सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक कहते हैं कि राज्य सरकार की कोशिश होगी कि जो कर्मचारी पहले से कार्य कर रहे हैं, उन्हीं को प्राथमिकता के आधार पर नई संस्था में समायोजित किया जाए। वेतन के मुद्दे पर उनका कहना है कि स्किल के मुताबिक कर्मचारियों का वेतन तय होता है। दूसरे राज्यों में चुनाव प्रचार कर रहे मंत्री जी को संभवत: पता नहीं कि उनके राज्य में इतने बड़े पैमाने पर नौजवान बेरोज़गार हो रहे हैं।

पहाड़ों में आज भी गर्भवती महिलाएं सड़क पर और पुलों पर बच्चे को जन्म दे रही हैं। राजधानी देहरादून के नजदीकी इलाकों से भी ऐसी ख़बरें मिल जाती हैं। पिछले हफ्ते नैनीताल में एक महिला ने 108 एंबुलेंस न मिलने पर, टैक्सी में बच्चे को जन्म दिया। कर्मचारियों की चेतावनी के मुताबिक 24 अप्रैल से राज्य में 108 एंबुलेंस के पहिए थम जाएंगे। ज़ाहिर है इसका ख़ामियाजा आम लोगों को ही उठाना होगा।

108 ambulance
UTTARAKHAND
unemployment
Employment
BJP Govt
Trivendra Singh Rawat
Narendra modi
2019 Lok Sabha elections

Related Stories

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

उत्तर प्रदेश: "सरकार हमें नियुक्ति दे या मुक्ति दे"  इच्छामृत्यु की माँग करते हजारों बेरोजगार युवा

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"


बाकी खबरें

  • श्रुति एमडी
    किसानों, स्थानीय लोगों ने डीएमके पर कावेरी डेल्टा में अवैध रेत खनन की अनदेखी करने का लगाया आरोप
    18 May 2022
    खनन की अनुमति 3 फ़ीट तक कि थी मगर 20-30 फ़ीट तक खनन किया जा रहा है।
  • मुबाशिर नाइक, इरशाद हुसैन
    कश्मीर: कम मांग और युवा पीढ़ी में कम रूचि के चलते लकड़ी पर नक्काशी के काम में गिरावट
    18 May 2022
    स्थानीय कारीगरों को उम्मीद है कि यूनेस्को की 2021 की शिल्प एवं लोककला की सूची में श्रीनगर के जुड़ने से पुरानी कला को पुनर्जीवित होने में मदद मिलेगी। 
  • nato
    न्यूज़क्लिक टीम
    फ़िनलैंड-स्वीडन का नेटो भर्ती का सपना हुआ फेल, फ़िलिस्तीनी पत्रकार शीरीन की शहादत के मायने
    17 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के विस्तार के रूप में फिनलैंड-स्वीडन के नेटो को शामिल होने और तुर्की के इसका विरोध करने के पीछे के दांव पर न्यूज़क्लिक के प्रधान…
  • सोनिया यादव
    मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!
    17 May 2022
    देश में मैरिटल रेप को अपराध मानने की मांग लंबे समय से है। ऐसे में अब समाज से वैवाहिक बलात्कार जैसी कुरीति को हटाने के लिए सर्वोच्च अदालत ही अब एकमात्र उम्मीद नज़र आती है।
  • ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद
    विजय विनीत
    ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद
    17 May 2022
    सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मामले की सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने की। कोर्ट ने कथित शिवलिंग क्षेत्र को सुरक्षित रखने और नमाज़ जारी रखने के आदेश दिये हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License