NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
नज़रिया
भारत
राजनीति
छोटे-छोटे भूकंप एनसीआर और हिमालय के लिए अच्छे हैं!
भूकंप वैज्ञानिकों के अनुसार, लगातार आ रहे छोटे भूकंप के कारण भूकंपीय ऊर्जा जमीन के नीचे निकलती रहेगी। अगर ये छोटे छोटे भूकंप न आये तो भूकंपीय ऊर्जा जमीन के नीचे ही जमा होती रहेगी।
मनमीत
19 Aug 2020
छोटे-छोटे भूकंप एनसीआर और हिमालय के लिए अच्छे हैं!

देहरादून। एनसीआर में लगातार आ रहे भूकंप का कारण हिमालय बेसिन के नीचे मौजूद यूरेशिया टेक्टॉनिक प्लेटस का इंडियन प्लेट से टकराना है। इस टकराहट से हिमालय पर्वत श्रंखलाओं से दो सौ किमी दूर एनसीआर में ट्रांसफर फॉल्ट विकसित होने लगे है। जिसके कारण एनसीआर और उसके आसपास के इलाकों में पिछले कुछ सालों से तीन से चार रिक्टर के छोटे भूकंप लगातार महसूस किए जा रहे हैं। भूकंप वैज्ञानिकों के अनुसार, लगातार आ रहे छोटे भूकंप के कारण भूकंपीय ऊर्जा जमीन के नीचे निकलती रहेगी। अगर ये छोटे छोटे भूकंप न आये तो भूकंपीय ऊर्जा जमीन के नीचे ही जमा होती रहेगी। जिसके चलते भविष्य में हिमालय समेत एनसीआर में बड़ा भूकंप आने की संभावना बन सकती है।

 वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वरिष्ठ भूकंप वैज्ञानिक और भू-भौतिकी विभाग के अध्यक्ष डॉ सुशील कुमार ने एनसीआर में आ रहे छोटे भूकंप पर शोध किया है। उन्होंने बताया कि, हिमालयी श्रृंखलाओं के सैकड़ों किलोमीटर नीचे आने वाले हल्के भूकंप भविष्य के बड़े भूकंप का पूर्वानुमान दे सकते हैं। लेकिन ऐसे छोटे भूकंपों को मॉनिटर कर उन पर शोध करना अभी तक असंभव था। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्था ने उत्तराखंड और हिमाचल में इन छोटे झटकों को पकड़ने वाले उपकरण सिस्मोग्राफ और एक्सलरोग्राफ लगाये है। इन उपकरणों से रीडिंग मिलने लगी है। जिसके बाद हिमालय क्षेत्र के लाखों लोगों को बचाने के लिए गहन शोध भी शुरू हो गया है।

 हिमालय में लगातार आ रहे भूकंप पर हो रहे शोध में ये भी सामने आया कि प्लेटस के आपस में टकराने से जो घर्षण हो रहा है, उसका असर एनसीआर में भी हो रहा है। वैज्ञानिक भाषा में उसे हिमालय के नीचे उत्पन्न हुये मैन बाउंड्री थ्रस्ट के कारण 200 किमी दूर तक ट्रांसफर फॉल्ट विकसित हो रहा है। इस टकराहट से जहां हिमालय की ऊंचाई हर साल 20 से 30 एमएम तक बढ़ती है, वहीं लगातार भूकंप भी आता है।

 वरिष्ठ भूकंप वैज्ञानिक डॉ. सुशील बताते हैं कि पूरी दुनिया में हिमालयन रेंज से लगते देश भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील माने जाते हैं। क्योंकि इंडियन प्लेट और यूरेशिया प्लेट दोनों एक दूसरे से नीचे खिसक रही है। लिहाजा, हर दिन कहीं न कहीं छोटे भूकंप आते रहते हैं। लेकिन जब इन दोनों प्लेटों को टकराने के लिए ज्यादा गेप मिल जाता है तो टकराहट जोरदार होती है जो बेहद तेज कंपन (उदाहरण नेपाल भूकंप) पैदा करती है। लेकिन इन बड़े भूकंप से पहले छोटी टकराहट होती है। जो रिक्टर एक से तीन तक के भूकंप लाते है। अगर ये छोटे छोटे भूकंप लगातार आते रहे तो बड़े भूकंप की आशंका कम हो जाती है। 

 ऊंचा ही नहीं, दक्षिण की तरफ भी खिसक रहा है हिमालय

 वाडिया संस्थान ने इस शोध के लिये कुमाऊं- गढ़वाल और नेपाल हिमालय (तिब्बत से

उत्तराखंड वाला भूभाग) में नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआइ) समेत अन्य संस्थानों ने जीपीएस स्टेशन स्थापित किए हैं। अध्ययन से पता चला कि यहां का हिमालयी भूभाग प्रतिवर्ष 18 मिलीमीटर की दर से दक्षिण की तरफ खिसक रहा है, जबकि शेष हिमालयी क्षेत्र में यह दर 12 से 16 मिलीमीटर के बीच है। अधिक सक्रियता के चलते निरंतर भूकंपीय ऊर्जा उत्पन्न हो रही है। 

 रिक्टर आठ का भूकंप आया तो आयेगी सुनामी

 सन् 1503 के बाद से उत्तराखंड में आठ रिक्टर का भूकंप नहीं आया है। इसी तरह 1803 और 1905 में भी बड़े भूकंप आ चुके हैं। नब्बे के दशक में उत्तरकाशी और चमोली में भूकंप आये थे, लेकिन वो बड़े भूकंप नहीं थे। हालांकि जनसंख्या घनत्व ज्यादा होने के कारण जानमाल का नुकसान ज्यादा हुआ था। वैज्ञानिकों के अनुसार, हिमालय में भविष्य में अगर कोई बड़ा भूकंप आया तो बड़ी सुनामी आ सकती है।

 डॉ. सुशील कुमार बताते हैं कि हिमालय में इस समय लगभग दस हजार ग्लेशियर से बनी झीले हैं। अगर रिक्टर आठ का भूकंप आता है तो इन झीलों में पानी पचास मीटर तक ऊपर उठ सकता है। ये सभी झीले सिस्मिक जॉन पर है। यानी ये झीले सबसे ज्यादा भूकंप आने वाली भूगर्भीय क्षेत्रों में मौजूद है। उन्होंने बताया 1934 में ऐसा हो चुका है।

 

(मनमीत स्वतंत्र पत्रकार हैं)


बाकी खबरें

  • न्यूजक्लिक रिपोर्ट
    ज्ञानवापी प्रकरणः 14 मई की सुबह आठ बजे से शुरू होगा मस्जिद का सर्वे, सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मुस्लिम पक्ष
    13 May 2022
    वाराणसी के कलेक्टर कौशल राज शर्मा के मुताबिक शनिवार की सुबह 8 से 12 बजे के बीच ज्ञानवापी के सर्वे का काम शुरू किया जाएगा। पुलिस कमिश्‍नर ए.सतीश गणेश ने दोनों पक्षों से शांति और सौहार्दपूर्ण माहौल…
  • एम. के. भद्रकुमार
    रूसी तेल की चिकनाहट पर लड़खड़ाता यूरोपीय संघ 
    13 May 2022
    तेल निर्यात करने वाले अंतराष्ट्रीय संगठन ओपेक ने यूरोपीय संघ को इस बात की चेतावनी दी है कि प्रतिबंधों के कारण संभावित रूप से हाथ से निकल चुके 7 मिलियन बैरल प्रति दिन (बीपीडी) से ज़्यादा रूसी तेल और…
  • डी राजा
    समीक्षा की कोई गुंजाइश नहीं, राजद्रोह क़ानून को विधान से हटाया जाना चाहिए
    13 May 2022
    सुप्रीम कोर्ट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मोदी सरकार प्रक्रिया में देरी न करे। पढ़िए सीपीआई महासचिव डी राजा के विचार
  • बी. सिवरामन
    राष्ट्रीय युवा नीति या युवाओं से धोखा: मसौदे में एक भी जगह बेरोज़गारी का ज़िक्र नहीं
    13 May 2022
    एशियाई विकास बैंक की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में 15-24 आयु वर्ग के युवाओं में बेरोज़गार होने की संभावना वृद्ध वयस्कों की अपेक्षा लगभग पांच गुना अधिक है। ऐसे समय में राष्ट्रीय युवा नीति 2021 आई है…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: दुनियाभर के कई देशों में अब भी क़हर बरपा रहा कोरोना 
    13 May 2022
    देश में आज लगातार तीसरे दिन भी कोरोना के 2,800 से ज़्यादा यानी 2,841 नए मामले सामने आए हैं | जबकि इस बीच देश भर में कोरोना से पीड़ित 3,295 मरीज़ों को ठीक किया गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License