NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
छत्तीसगढ़ चुनाव : किसान-आदिवासी रमन सिंह को करेंगे सत्ता से बेदख़ल?
हर क्षेत्र के लोगों ने यह स्पष्ट किया कि इस बार भाजपा पर कांग्रेस भारी पड़ रही है। इस बार किसान-आदिवासियों का मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा रहा। इसके अलावा भी अधिकांश जिलों में स्थानीय मुद्दे भी थे। लोगों में रमन सरकार को लेकर भारी नाराज़गी देखने को मिली।
तामेश्वर सिन्हा
10 Dec 2018
chhattisgarh chunav
Image Courtesy: ndtv

छत्तीसगढ़ में मतगणना की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और प्रत्याशियों की धड़कनें तेज हो गईं हैं। मंगलवार, 11 दिसंबर को मतगणना होनी है। छत्तीसगढ़ में कुल 90 सीटों के लिए दो चरणों में मतदान हुआ है। पहले चरण का मतदान 12 नवंबर और दूसरे अंतिम चरण का मतदान 20 दिन पहले यानी 20 नवंबर को हुआ। तब से नेताओं की बेचैनी भी बढ़ती जा रही है। रही-सही कसर शुक्रवार को टीवी चैनलों पर चले एग्जिट पोल ने पूरी कर दी। एक दो चैनलों को छोड़कर पांच राज्यों में भाजपा के हार का अनुमान एग्जिट पोल दिखा रहा है। इस बीच एक बार फिर छत्तीसगढ़ की जमीनी हकीकत को टटोलने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों के सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं वरिष्ठ पत्रकारों के अनुभवों एवं अनुमानों पर बात की गई। हर क्षेत्र के लोगों ने यह स्पष्ट किया कि इस बार भाजपा पर कांग्रेस भारी पड़ रही है। किसान-आदिवासियों के मुद्दे प्रमुख रहे। अधिकांश जिलों में भाजपा स्थानीय कारणों से भी अपनी सीटें गंवा रही है।

छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार अलोक पुतुल कहते हैं धान का समर्थन मूल्य बढ़ाना और किसानों की कर्ज माफ़ी कांग्रेस के इस घोषणा ने प्रदेश में बदलाव की लहर पैदा कर दी है। निश्चित ही इन दोनों वादों के चलते कांग्रेस को प्रदेश में सत्ता मिलेगी। पुतुल कहते हैं इस बार प्रदेश में सरकार बदलने को लेकर जबरदस्त लहर थी। किसानों के मुद्दे पर भाजपा नेतृत्व भी किसानों के कर्जमाफी और समर्थन मूल्य  का मुद्दा केंद्र के शीर्ष नेताओं के समक्ष रखा गया था लेकिन केंद्रीय नेतृत्व की शीर्ष इकाई ने इसे खारिज कर दिया। पुतुल कहते है मेरा अनुमान है कि प्रदेश में 50 से ज्यादा सीटों के साथ कांग्रेस सत्ता में आ रही है।

छत्तीसगढ़ में कार्यरत वरिष्ठ सामजिक कार्यकर्त्ता अलोक शुक्ला कहते है कि प्रदेश में सपष्ट रूप से कांग्रेस की सरकार दिखाई दे रही है। प्रदेश में 15 साल से बीजेपी की रमन सरकार है और लगातार लोगों में नराजगी देखी जा रही थी। यहां तक कि बीजेपी से कार्यकर्ताओ में ही अपने पार्टी नेतृत्व को लेकर नाराजगी देखी गई थी। बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने ही काम नहीं किया। शुक्ला आगे कहते हैं बीजेपी ने जो टिकिट वितरण किया वो वाहियात तरीके से किया गया। सारे मंत्री मंडल के लोगों को टिकिट देकर रिपीट किया गया, इससे लोगों में नाराजगी थी। प्रदेश में मतदाता चुप थे लेकिन मन बना लिया था कि परिवर्तन की सरकार इस बार लाएंगें। जोगी कांग्रेस को लेकर आलोक शुक्ला कहते हैं कि जोगी कांग्रेस को ही नहीं बीजेपी को भी नुकसान करेगा। जोगी का कोई अपना वोट तो है नहीं सवाल है बसपा का? बसपा कभी कांग्रेस के साथ मिल कर लड़ी नहीं। बसपा के रहते भी कांग्रेस 0.7 प्रतिशत से कम थी। इस बार भी बसपा अलग लड़ी। सीपीआई गोंडवाना अलग लड़ते थे इस बार भी लड़े तो कांग्रेस का जो वोट बैंक प्रतिशत था इनके अलग होने के बावजूद भी बना रहा लेकिन इस बार प्रदेश में कांग्रेस ज्यादा तैयार थी। सरकार के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश था। इन सबका फायदा कांग्रेस को मिला है। जोगी कांग्रेस की दो से तीन सीटे आ सकती हैं लेकिन बसपा का फेक्टर नहीं रहा है। बसपा के रहते तो पहले भी कांग्रेस का वोट बैंक रहा है।

बस्तर के बीजापुर के युवा पत्रकार मुकेश चन्द्राकर कहते हैं कि एग्जिट पोल वाले कितने लोगों से बात किए, मुझे नहीं पता लेकिन में खुद दो हजार से ज्यादा लोगों से मिला और सबके मुंह से बदलाव कि बात सुनते आया हूँ। अब कोई जादुई करिश्मा ही होगा जो बीजेपी छत्तीसगढ़ में वापस आएगी। इवीएम में लगातार धांधली की शिकायत आते रहती है, कांग्रेस को वोट पड़ा है अब इवीएम में कुछ गड़बड़ हो सकती है तो नहीं कह सकते। मुकेश आगे कहते हैं कि 15 सालों से लगातार सरकार रहने के चलते इस दौरान गाँव-गाँव में सरकार बदलने का लहर चल रही थी। मुकेश कहते हैं कि सरकार से आदिवासी किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर काफी आक्रोश में थे। जाहिर सी बात है कि कांग्रेस के अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था। मुकेश कहते हैं कि अपनी विधानसभा सीट की अगर मैं बात करुं तो इस क्षेत्र से निकले मंत्री महेश गागडा अपने ही क्षेत्र की जनता से संपर्क में दूरी बना कर रखे थे और यहां के कांग्रेस प्रत्याशी ने काफी मेहनत की है।

इसी को आगे बढाते हुए सुकमा जिले के पत्रकार सलीम शेख कहते हैं कि पूरे प्रदेश में बदलाव की एक लहर उठी हुई थी। बस्तर में बीहड़ों तक सरकार बदलने की लहर का प्रभाव था। सलीम अपने अनुभव से कहते हैं कि इस बार सत्ता कांग्रेस के हाथ में होगी।

छत्तीसगढ़ में कार्यरत सामजिक कार्यकर्त्ता अजय टीजी कहते हैं कि सरकार से मध्यम वर्ग, व्यापारी जीएसटी और नोटबंदी जैसे फैसलों से काफी नाराज थे। लोग कहते फिर रहे थे कि बीजेपी को छोड़ कर सब को वोट दे देंगे। निश्चिंत ही लोगों के पास दूसरा विकल्प कांग्रेस था और कांग्रेस को वोट गया है। अजय टीजी आगे कहते है कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी जैसी पार्टियों को भी कहीं-कहीं अच्छा वोट मिला है लेकिन वो कांग्रेस का वोट प्रतिशत नहीं गया है। और बस्तर, धमतरी जैसे जिलों में तो जोगी कांग्रेस पूरी तरीके से गायब थी। निश्चित ही प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाते हुए दिख रही है।

बिलासपुर के पत्रकार अनुज श्रीवास्तव कहते हैं कि प्रदेश में बीजेपी के नीतियों को लेकर लोगो में आक्रोश था और इस दौरान जनता 15 साल की सरकार को बदलना चाह रही थे। अनुज यह भी कहते हैं कि वोटिंग के दिन बिलासपुर संभाग में ही पांच हजार से ज्यादा मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में मौजूद नहीं थे। मतदाताओं के नाम काट दिए गए थे। ये वही मतदाता थे जो बीजेपी को बिल्कुल भी वोट नहीं देना चाहते थे।

कांकेर के वरिष्ठ पत्रकार राजेश हलदार कहते हैं कि मूल्य वृद्धि, गैस के कीमत बढ़ना, जीएसटी जैसे मुद्दों से जनता खफा थी। निश्चित ही जनता का मत इस बार बीजेपी के पक्ष में नहीं था। राजेश यह भी कहते हैं विधानसभा ही नहीं आगामी लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को जनता के इसी आक्रोश का सामना करना पड़ेगा।

Chhattisgarh elections 2018
Assembly elections 2018
Raman Singh
BJP
Congress
exit polls

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • protest
    न्यूज़क्लिक टीम
    दक्षिणी गुजरात में सिंचाई परियोजना के लिए आदिवासियों का विस्थापन
    22 May 2022
    गुजरात के दक्षिणी हिस्से वलसाड, नवसारी, डांग जिलों में बहुत से लोग विस्थापन के भय में जी रहे हैं। विवादास्पद पार-तापी-नर्मदा नदी लिंक परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। लेकिन इसे पूरी तरह से…
  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र: 2047 की बात है
    22 May 2022
    अब सुनते हैं कि जीएसटी काउंसिल ने सरकार जी के बढ़ते हुए खर्चों को देखते हुए सांस लेने पर भी जीएसटी लगाने का सुझाव दिया है।
  • विजय विनीत
    बनारस में ये हैं इंसानियत की भाषा सिखाने वाले मज़हबी मरकज़
    22 May 2022
    बनारस का संकटमोचन मंदिर ऐसा धार्मिक स्थल है जो गंगा-जमुनी तहज़ीब को जिंदा रखने के लिए हमेशा नई गाथा लिखता रहा है। सांप्रदायिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल पेश करने वाले इस मंदिर में हर साल गीत-संगीत की…
  • संजय रॉय
    महंगाई की मार मजदूरी कर पेट भरने वालों पर सबसे ज्यादा 
    22 May 2022
    पेट्रोलियम उत्पादों पर हर प्रकार के केंद्रीय उपकरों को हटा देने और सरकार के इस कथन को खारिज करने यही सबसे उचित समय है कि अमीरों की तुलना में गरीबों को उच्चतर कीमतों से कम नुकसान होता है।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: महंगाई, बेकारी भुलाओ, मस्जिद से मंदिर निकलवाओ! 
    21 May 2022
    अठारह घंटे से बढ़ाकर अब से दिन में बीस-बीस घंटा लगाएंगेे, तब कहीं जाकर 2025 में मोदी जी नये इंडिया का उद्ïघाटन कर पाएंगे। तब तक महंगाई, बेकारी वगैरह का शोर मचाकर, जो इस साधना में बाधा डालते पाए…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License