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छत्तीसगढ़ चुनाव : क्या अजीत जोगी किंगमेकर होंगे?
जोगी के साथ एक अनौपचारिक बातचीत के दौरान ये सामने आया कि जेसीसी चीफ राज्य में किसी को भी विधानसभा में बहुमत न मिलने उम्मीद कर रहे हैं, जैसे इस साल की शुरुआत में कर्नाटक में हुआ था।
सौरभ शर्मा
23 Nov 2018
AJIT JOGI
Image Courtesy: Livemint

वे एक स्टैम्प पेपर पर लिखे गए 14-पॉइंट घोषणापत्र के साथ एक व्हीलचेयर पर आए थे। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री, जो पिछले 15 वर्षों से सत्ता से बाहर हैं, आज राज्य विधानसभा चुनावों में किंगमेकर बनने का सपना देख रहे हैं।

क्षेत्रीय पार्टी के संस्थापक अजीत जोगी, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जेसीसी), जिसे कांग्रेस से दूर होने के बाद प्रसिद्ध रूप से "जोगी कांग्रेस" के नाम से जाना जाता है, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी.पी.आई.) के साथ गठबंधन बनाने के बाद बहुत मजबूत दिख रहा है और इससे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस में तनाव बढ़ गया है।

बिलासपुर, जंगीर-चंपा और मुंगेली जैसे जिलों में जोगी की मजबूत पकड़ ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए मुश्किल पैदा कर दी हैं और इन दोनों पार्टियों द्वारा मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए सघन प्रचार किया। हालांकि, भारत के निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के साथ उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार सत्तारूढ़ बीजेपी ने 2013 में आठ सीटों से अपनी जीत दर्ज की थी, कांग्रेस छह पर जीती थी, जबकि बीएसपी इन तीन जिलों में 15 विधानसभा सीटों में से सिर्फ एक सीट पर जीत पाई थी। यह भी उल्लेख करना जरूरी है कि बीजेपी ने राज्य में जो अंतिम विधानसभा चुनाव जीता था उसमें वोटों में बढ़त का खास अंतर नहीं था।

जोगी के साथ एक अनौपचारिक बातचीत में, उन्होंने अपना घोषणापत्र जारी करने से पहले, कहा था कि राज्य विधानसभा में किसी को बहुमत मिलने उम्मीद नहीं है जैसे कि इस साल की शुरुआत में कर्नाटक में हुआ था। उस स्थिति में, उनकी पार्टी सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हालांकि, वह सार्वजनिक रूप से दावा कर रहे हैं कि उनकी पार्टी राज्य में सरकार का गठन करेगी, लेकिन ऐसा संभव नहीं दिखता है।

छत्तीसगढ़ में राजनीतिक और नौकरशाही के गलियारों में चर्चा यह है कि जोगी भाजपा के लिए सतीमनी समुदाय के समर्थन को कांग्रेस के लिए रोकने के लिए बड़ा सहारा है, और उन आदिवासियों से भी, जो एमएसपी, भूमि और वन अधिकारों की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। कुछ दिन पहले, कांग्रेस के छत्तीसगढ़ प्रभारी पी एल पुनिया ने यह भी कहा कि जोगी बीजेपी के व्यक्ति हैं, और बीएसपी के साथ गठबंधन बीजेपी की मदद के लिए किया गया है, क्योंकि मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ एक बहुत ही मजबूत सत्ता विरोधी लहर है।

रायपुर स्थित राजनीतिक पर्यवेक्षक अशोक तोमर के अनुसार, अजीत जोगी इस चुनाव में निर्णायक कारक हैं क्योंकि उन्हें राज्य की जनजातियों द्वारा पसंद किया जाता है, और वह आसानी से उनके साथ जुड़ जाते है। तोमर कहते हैं "जो बात जोगी की मदद करेगी वह यह है कि वह सभी के लिए सुलभ हैं, और वह भी बहुत आसानी से। वह काफी साधारण नेता हैं, और वह अक्सर जमीन से जुड़े रहते हैं, लोगों से उनकी भाषा में बात करते है, उनकी समस्याओं को सुनते हैं, और जो कुछ भी कर सकते है वे करते है।"

तोमर आगे कहते हैं कि एक अन्य कारक जो छत्तीसगढ़ में खोयी राजनीतिक पृष्ठभूमि को हासिल करने में जोगी को मदद करेगा, वह है धान की एमएसपी का मुद्दा। उनके मुताबिक "हालांकि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में उसी एमएसपी का वादा किया है, लेकिन स्टैम्प पेपर पर घोषणापत्र जोगी की मदद करेगा क्योंकि ग्रामीण और आदिवासी इस तरह के स्टंट से प्रभावित हो जाते हैं।"

अजीत जोगी के बहुत करीबी सहयोगी अंकुर शर्मा कहते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री राज्य में अपने राजनीतिक पृष्ठभूमि को हासिल करने के लिए पिछले तीन सालों से कड़ी मेहनत कर रहे हैं और इन चुनावों में जितना संभव हो सके बीजेपी और कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे।

"उन्होंने मारवाही में बीजेपी कार्यकर्ता के बच्चे के इलाज के लिए आर्थिक रूप से की मदद की। उन्होंने कोटा में कांग्रेस कार्यकर्ता की बहन की शादी में मदद की, और दोनों पक्षों के वोट बैंक को तोड़ने के लिए उनके द्वारा कई रणनीतिक रूप से काम किए गए, और यह निश्चित रूप से परिणाम देगा।" उन्होंने कहा कि “सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर अन्य पार्टियों की तरह खर्च करने के बजाय जैसे, अजीत जोगी ने आदिवासियों के साथ मैदान पर अपना समय निवेश किया है।”

शर्मा आगे कहते हैं कि अजीत जोगी ने स्पष्ट रूप से अपने बेटे अमित और अपनी पत्नी को जमीनी तौर पर समय से  जनता का सामना करने के लिए भेजा और उनके मुद्दों को सुनने का निर्देश दिया, और यह समझने की कोशिश की गई कि वास्तव में जनता सरकार से क्या चाहती है।

उन्होंने कहा, "जोगी कांग्रेस द्वारा तैयार घोषणापत्र पार्टी के सदस्यों द्वारा जमीन पर बिताए गए समय का नतीजा है।"

मध्य प्रदेश कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी, जो जोगी के बैचमेट भी थे, कहते हैं कि नौकरशाही में शुरुआती दिनों से जोगी की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं थीं, और उन्होंने इसके लिए बहुत अच्छी तरह से योजना बनाई थी। उन्होंने कहा "सबसे पहले, वह इंदौर कलेक्टर होने के दौरान कांग्रेस के सबसे प्रिय बन गए, और फिर वे राजनीति में प्रवेश कर गए। तब से उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा है।"

जोगी के बहुत करीबी दोस्त ने आगे इस संवाददाता से कहा कि कांग्रेस के साथ विभाजन के बाद जोगी बिखर गए थे, और उन्हें अपने साम्राज्य को फिर से बनाने के लिए नए सिरे से काम शुरू करना पड़ा। न्यूज़क्लिक के साथ रिकॉर्ड वार्तालाप में इस पूर्व आईएएस अधिकारी ने कहा कि अजीत जोगी यह भी जानते हैं कि उन्हें उन सभी सीटों पर अच्छे नतीजे नहीं मिलेंगे, जिनसे वह चुनाव लड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा, "वे (अजीत जोगी) कर्नाटक में जो हुआ, उसे देखने के बाद बहुत खुश हैं और उनमें आत्मविश्वास पैदा हो गया है, और तब से वह दोहरी ऊर्जा के साथ काम कर रहे हैं क्योंकि वे अपने मजबूत क्षेत्रों को जानते हैं जहां वह अपनी शक्ति को साबित कर सकते हैं, और विधानसभा में किसी को बहुमत न मिलने के मामले में किंगमेकर के रूप में उभर सकते हैं।" उन्होंने कहा कि उन्होंने बसपा और सीपीआई के साथ गठबंधन की घोषणा करने से पहले बहुत सारा रिसर्च और होमवर्क किया था। आईएएस अधिकारी ने कहा कि वे बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि यह उनके लिए आखिरी मौका है, और यदि इसमें वह विफल रहे, तो समझो उनका खेल खत्म हो गया है।

उन्होंने न्यूज़क्लिक को बताया "अजीत कड़ी मेहनत कर रहे हैं क्योंकि वे अपने बेटे के पैरों को राजनीति में जमाना चाहते हैं। उनके लिए स्थिति मरने और मिटने की बनी हुयी है, और यही वजह है कि उन्होंने अपने कार्ड बहुत रणनीतिक रूप से खेले हैं। गैर बहुमत वाली विधानसभा के मामले में, वह उस पार्टी के साथ जाएंगे जो उन्हें बेहतर विकल्प देगी, और वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार, ऐसा लगता है कि वह भाजपा के साथ जाएंगे।"

AJIT JOGI
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