NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
छत्तीसगढ़ के भ्रष्टाचार और व्यापार माफिया के बीच तेंदु पत्ता तोड़ने वाले फंसे हैं
दयनीय और देर से भुगतान और मामूली वन उपज की वजह से कई आदिवासियों को शहरी क्षेत्रों में मज़दूरी करने पर मजबूर कर दिया है।
सौरभ शर्मा
04 Dec 2018
Translated by महेश कुमार
adivasi

40 वर्षीय नीता कोडमा फेडरेशन को तेंदु पत्तियों के बंडल बेचने के बाद बोनस के रूप में  300 रुपये प्राप्त करने के बाद अपने गांव खुशी से लौट आयी। घर पहुंचने के बाद, वह अपने पति, किशोर कोडमा के साथ, दक्षिणी बस्तर में नक्सलवाद से पीड़ित दंतेवाड़ा के माइकिगुडा गांव लौटी और मिले लाभ की गणना की तो पाया कि तेंदु पत्ते के लिए फेडरेशन से प्राप्त पैसे में बोनस शामिल नहीं हुआ। इसके बजाए, जब दोनों ने यात्रा पर खर्च की गई राशि की इसमें से कटौती की तो पाया कि उन्हें  160 रुपये कि हानि हुई  है। तेंदु पत्तियों का उपयोग बिडी बनाने के लिए किया जाता है।
अजीत कुंजम, सोनू सिन्हा और उसी गांव के कई अन्य आदिवासियों के पास बताने के लिए ऐसी ही कहानियाँ थीं ।
छत्तीसगढ़ के तेंदु पत्ते तोड़ने वाले सरकार से नाखुश हैं क्योंकि इस व्यापार में भ्रष्टाचार और मामूली  वन उपज ने कई आदिवासियों को शहरी क्षेत्रों में मज़दूरी करने पर मजबूर कर दिया है।

43 वर्षीय किशोर कोडमा ने न्यूज़क्लिक को बताया कि दूसरों के खेत में या शहर में मज़दूर के रूप में काम करना बेहतर है क्योंकि इससे उन्हें मज़दूरी की गारंटी तो है।

"पांच घंटे तक काम करने के बाद भी, हमें मजदूरी के रूप में कम से कम 180-200 रुपये मिलते हैं और एक पूरे दिन का काम हमें 300 रुपये के करीब देता है। क्या यह सही है कि ठेकेदारों के सामने कड़ी मेहनत से तेंदु पत्तियों को तोड़ने के बाद पैसे के लिए उनसे भिक्षा मांगे।"

beedi workers
 

 

पिछले छह महीनों से, किशोर बस्तर डिवीज़न के वामपंथी अतिवाद से ग्रस्त (एलडब्ल्यूई) विभिन्न ज़िलों में सड़क निर्माण एजेंसी के साथ एक मज़दूर के रूप में काम कर रहा है। न्यूजक्लिक ने उनसे जगदलपुर में उस वक्त मुलाकात की, जब वे और अन्य कर्मचारी मतदान के दौरान दो दिवसीय छुट्टी पर अपने गांव वापस जाने की तैयारी कर रहे थे।

"हमें तेंदु पत्तियों के बंडलों की संख्या के आधार पर दादा लोगों (नक्सल) को लेवी देनी होती है। इसके उपर, सरकार बहुत देरी से भुगतान  करती है। समय पर भुगतान की कोई गारंटी नहीं है। कुछ मजदूरों ने कहा कि विशेष रूप से केवल फेडरेशन कर्मचारियों के लिए ही बोनस है, लेकिन पत्ता तोड़ने वाले मज़दूरों को बोनस नही मिलता है।"

बस्तर में स्थानीय फेडरेशन के रिकॉर्ड की जांच करने पर, न्यूज़क्लिक ने पाया कि सरकार द्वारा मिशिगुडा के ग्रामीणों के लिए बोनस के रूप में 9,84,301 रुपये की राशि जारी की गई थी। लेकिन, ग्रामीणों का दावा है कि प्राप्त बोनस की उच्चतम राशि 700 रुपये से अधिक नहीं है।

किशोर ने आरोप लगाया कि, "किसी भी परिवार को 700 रुपये से  ज़्यादा बोनस नहीं मिला है। बाकी के पैसे सरकारी अधिकारियों, संस्था के कर्मचारियों और वन विभाग के अधिकारियों ने हड़प लिए हैं ।"

 

छत्तीसगढ़ राज्य माइनर वन प्रोड्यूस को-ऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड के अनुसार, राज्य में तेंदु पत्तियों का उत्पादन लगभग 16.44 लाख मानक बैग सालाना है, जो देश में कुल तेंदु के उत्पादन का लगभग 20 प्रतिशत है।

तेंदु पत्तियों के एक मानक बैग में 50 पत्तियों के 1,000 बंडल होते हैं। संग्रह का मौसम अप्रैल के तीसरे सप्ताह से मई के आखिरी सप्ताह तक चलता है।सर्जुजा में स्थित वन अधिकार कार्यकर्ता गंगाराम पायक्रा का कहना है कि तेंदु पत्तियां तोड़ने में आदिवासी मज़दूरों को ही सबसे ज़्यादा भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है।

"सरकार उन्हें बोनस के नाम पर मूर्ख बनाती है। सरकार उनको वन अधिकारों के नाम पर मूर्ख बनाती है। आप उन्हें हर चीज़ में मूर्ख बनाते हैं।" उन्होने कहा कि तेंदु पत्ते संग्रह्ता सबसे ज़्यादा पीड़ित होते हैं क्योंकि उन्हें अक्सर कम गिनती और देर से भुगतान की समस्या का सामना करना पड़ता है। 

बिलासपुर उच्च न्यायालय में तेंदु पत्ती संग्रहता के केस में लड़े वकील सुदीप श्रीवास्तव कहते हैं कि तेंदु पत्तियों को तोड़ने वाले आदिवासियों ने बहुत पीड़ा और भ्रष्टाचार का सामना किया है।वह कहते हैं "यदि आप दरों के माध्यम से देखते हैं, तो आपको एक पैटर्न मिलेगा। चुनाव वर्ष में तेंदु पत्तियों की दरों में कमी आती है, इसके पीछे कई कार्टेल (व्यापारी) हैं, "। 

श्रीवास्तव ने कहा कि उन्होंने बिलासपुर उच्च न्यायालय में पिछले साल मार्च में एक याचिका दायर की थी जिसमें इस साल की तेंदु पत्ते की नीलामी में राज्य सरकार एजेंसियों और व्यापारियों द्वारा भ्रष्टाचार के ज़रीये कार्टलाइजेशन (व्यापार माफिया) करने का आरोप लगाया गया था। पिछले साल पत्तियों के एक मानक बैग के लिए औसत बोली-प्रक्रिया मूल्य 7,952 रुपये था, लेकिन इस साल यह 5,716 रुपये हो गया।
 

tendu leaves
Chattisgarh
GST
Bastar
Forest Rights Act

Related Stories

मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात

कश्मीर: कम मांग और युवा पीढ़ी में कम रूचि के चलते लकड़ी पर नक्काशी के काम में गिरावट

तमिलनाडु: ग्राम सभाओं को अब साल में 6 बार करनी होंगी बैठकें, कार्यकर्ताओं ने की जागरूकता की मांग 

‘जनता की भलाई’ के लिए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के अंतर्गत क्यों नहीं लाते मोदीजी!

जन आंदोलनों के आयोजन पर प्रतिबंध अलोकतांत्रिक, आदेश वापस लें सरकार : माकपा

अपनी ज़मीन बचाने के लिए संघर्ष करते ईरुला वनवासी, कहा- मरते दम तक लड़ेंगे

सोनी सोरी और बेला भाटिया: संघर्ष-ग्रस्त बस्तर में आदिवासियों-महिलाओं के लिए मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली योद्धा

उप्र चुनाव: बेदखली नोटिस, उत्पीड़न और धमकी—चित्रकूट आदिवासियों की पीड़ा

यूपी चुनावों को लेकर चूड़ी बनाने वालों में क्यों नहीं है उत्साह!

भड़काऊ बयान देने का मामला : पुणे पुलिस ने कालीचरण को हिरासत में लिया


बाकी खबरें

  • सोनिया यादव
    क्या पुलिस लापरवाही की भेंट चढ़ गई दलित हरियाणवी सिंगर?
    25 May 2022
    मृत सिंगर के परिवार ने आरोप लगाया है कि उन्होंने शुरुआत में जब पुलिस से मदद मांगी थी तो पुलिस ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। परिवार का ये भी कहना है कि देश की राजधानी में उनकी…
  • sibal
    रवि शंकर दुबे
    ‘साइकिल’ पर सवार होकर राज्यसभा जाएंगे कपिल सिब्बल
    25 May 2022
    वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया है और अब सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया है।
  • varanasi
    विजय विनीत
    बनारस : गंगा में डूबती ज़िंदगियों का गुनहगार कौन, सिस्टम की नाकामी या डबल इंजन की सरकार?
    25 May 2022
    पिछले दो महीनों में गंगा में डूबने वाले 55 से अधिक लोगों के शव निकाले गए। सिर्फ़ एनडीआरएफ़ की टीम ने 60 दिनों में 35 शवों को गंगा से निकाला है।
  • Coal
    असद रिज़वी
    कोल संकट: राज्यों के बिजली घरों पर ‘कोयला आयात’ का दबाव डालती केंद्र सरकार
    25 May 2022
    विद्युत अभियंताओं का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 11 के अनुसार भारत सरकार राज्यों को निर्देश नहीं दे सकती है।
  • kapil sibal
    भाषा
    कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
    25 May 2022
    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License