NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
छ्त्तीसगढ़ में धान के किसानों की दुर्दशा
धान के किसान को 300 रुपए के बोनस के साथ सरकार को चावल बेचने पर 1,750 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है जो एमएसपी 2,050 रुपए होता है।

सौरभ शर्मा
30 Nov 2018
chattisgarh

कांग्रेस और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जैसे राजनीतिक दल राज्य में धान के फसल पर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,500 रुपए देने के अपने वादे के ज़रिए राज्य की सत्ता हासिल करने की पूरी कोशिश में है।

पूर्वी भारत का चावल का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के धान किसान वर्तमान में मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से बेहद नाख़ुश हैं और मध्य छत्तीसगढ़ के कई किसानों ने चावल का भंडारण कर लिया है और वे नई सरकार बनने के बाद ही इसे बेचने की योजना बना रहे हैं। यही धान किसान फैसला करेंगे कि राज्य में नई सरकार किस राजनीतिक दल की बनेगी।

वर्तमान में इन धान किसानों को 300 रुपए के बोनस के साथ सरकार को चावल बेचने पर 1,750 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहा है जिसका एमएसपी 2,050 रुपए होता है।

दल्ली रजहररा के एक किसान 38 वर्षीय दिनेश साहू कहते हैं कि जो एमएसपी वर्तमान में किसानों को मिल रहा है इससे लाभ हासिल करने के लिए वह पर्याप्त नहीं हैं। वह कहते हैं, "लाभ भूल जाइए, मंडी ले जाने के लिए किसानों को परिवहन समेत अन्य खर्चों के लिए अपनी जेब से भुगतान करना पड़ता है और वर्तमान एमएसपी में वे नुकसान उठा रहे हैं।" उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने ड्राइंग रूम में कम से कम 50 क्विंटल चावल का भंडारण कर लिया है और नई सरकार बनने के बाद ही इसे बेचेंगे।

वे कहते हैं, "देखिए, मैंने कांग्रेस को वोट किया है और मैं उसके सत्ता में आने का इंतज़ार कर रहा हूं। यहां तक कि जोगी कांग्रेस किसानों के लिए भी काम करेगी क्योंकि इन दोनों पार्टियों ने 2500 रुपए प्रति क्विंटल देने का वादा किया है। चुनाव के नतीजे आने में कुछ ही दिन बचे हैं और किसान इस बार नुकसान उठाना नहीं चाहते हैं।"

तीन बच्चों के पिता साहू कहते हैं कि उन्हें पिछली बार 29,000 रुपए का नुकसान उठाना पड़ा और उनके क्षेत्र के अन्य किसानों ने भी अपना चावल नुकसान में बेचा। यहां उल्लेख किया जा सकता है कि 12 दिसंबर 2013 को वर्तमान मुख्यमंत्री रमन सिंह ने शपथ ग्रहण करते समय एमएसपी को 2,100 रुपए प्रति क्विंटल करने का भरोसा दिया था जैसा कि बीजेपी के पुराने घोषणापत्र में वादा किया गया था लेकिन एमएसपी में वृद्धि गत जुलाई में हुई और यह 2050 रुपए प्रति क्विंटल तक ही पहुंच पाया। और इतने लंबे समय से राज्य में सत्ता में रहने वाली भगवा पार्टी द्वारा किए गए वादे तक यह पहुंच भी नहीं सका।

साहू के अनुसार एक एकड़ क्षेत्र का आकलन:

धान की खेती करने में लगा समय = 145 दिन

मज़दूर पर ख़र्च 230 रुपए प्रति दिन = 145 x230 = 33,350 रुपए

230 रुपए प्रति दिन ख़र्च सरकार द्वारा तय की गई है।

धान के बीज की लागत = 700 रुपए

कीटनाशक पर लागत = 2,000 रुपए

खाद पर लागत = 3,000 रुपए

उत्पादन की कुल लागत = 39,050 रुपए

अनुमानित उत्पादन लगभग 10 क्विंटल

एमएसपी के अनुसार 10 क्विंटल की लागत = 1750 x 10 = 17,500 रुपए

बोनस = 300 x10 = 3,000 रुपए

कुल = 20,500 रुपए

प्रति एकड़ लाभ/ हानि = एमएसपी - उत्पादन लागत

= 20,500 - 39,050 = -18,500 रुपए

साहू की आकलन के मुताबिक़ एक किसान को एकड़ ज़मीन पर उगाए गए 10 क्विंटल धान पर लगभग 18,500 रुपए का नुकसान होता है। यह भी उल्लेख किया जा सकता है कि उनकी इस रिपोर्ट में कृषि संबंधी लागत और कीमत के लिए कमीशन ने धान के एमएसपी के लिए 2,226 रुपए प्रति क्विंटल की सिफारिश की थी। छत्तीसगढ़ सरकार के उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार ये राज्य धान की खेती करने वाले 43 लाख किसानों का घर है।

रायपुर स्थित कृषि विशेषज्ञ संकेत ठाकुर कहते हैं कि एमएसपी का आकलन करने की सरकार की पद्धति गलत है क्योंकि इसमें ज़मीन की लागत और ज़मीन के मालिक की कार्यक्षमता शामिल नहीं हैं। वह कहते हैं, "सरकार कृषि अर्थव्यवस्था को औद्योगिक अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करना चाहती है। वह चाहती है कि किसान उद्योगों में मजदूरी करे। यदि यह सरकार की सोच होगी तो किसान लाभ कैसे कमाएंगे?"

राजनीतिक पर्यवेक्षक अशोक तोमर का कहना है कि एमएसपी मुद्दा इस चुनाव भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को ख़त्म करने जा रही है और यह दूसरे पार्टियों के लिए मददगार साबित होगा।

वे कहते हैं, "धान के किसानों ने पिछले साल कई विरोध प्रदर्शन किए हैं और प्रकृति के प्रकोप के कारण भी उन्हें भारी नुकसान भी हुआ है। कांग्रेस और अजीत जोगी ने इस मुद्दे पर बहुत अच्छा काम किया है और हां यह कहना सही होगा कि इन किसानों का रायपुर में पकड़ है।"

यह भी उल्लेख किया जा सकता है कि पिछले ढ़ाई वर्षों में विभिन्न कारणों से छत्तीसगढ़ में 1,344 किसानों ने आत्महत्या की।

chattisgarh election
Chattisgarh
BJP
Congress
AJIT JOGI
paddy farmers

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

गुजरात: भाजपा के हुए हार्दिक पटेल… पाटीदार किसके होंगे?


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    महामारी के दौर में बंपर कमाई करती रहीं फार्मा, ऑयल और टेक्नोलोजी की कंपनियां
    26 May 2022
    वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम की वार्षिक बैठक में ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने " प्रोफिटिंग फ्रॉम पेन" नाम से रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में उन ब्यौरे का जिक्र है जो यह बताता है कि कोरोना महामारी के दौरान जब लोग दर्द…
  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    हैदराबाद फर्जी एनकाउंटर, यौन हिंसा की आड़ में पुलिसिया बर्बरता पर रोक लगे
    26 May 2022
    ख़ास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बातचीत की वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर से, जिन्होंने 2019 में हैदराबाद में बलात्कार-हत्या के केस में किये फ़र्ज़ी एनकाउंटर पर अदालतों का दरवाज़ा खटखटाया।…
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : नीतीश सरकार के ‘बुलडोज़र राज’ के खिलाफ गरीबों ने खोला मोर्चा!   
    26 May 2022
    बुलडोज़र राज के खिलाफ भाकपा माले द्वारा शुरू किये गए गरीबों के जन अभियान के तहत सभी मुहल्लों के गरीबों को एकजुट करने के लिए ‘घर बचाओ शहरी गरीब सम्मलेन’ संगठित किया जा रहा है।
  • नीलांजन मुखोपाध्याय
    भाजपा के क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान करने का मोदी का दावा फेस वैल्यू पर नहीं लिया जा सकता
    26 May 2022
    भगवा कुनबा गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का हमेशा से पक्षधर रहा है।
  • सरोजिनी बिष्ट
    UPSI भर्ती: 15-15 लाख में दरोगा बनने की स्कीम का ऐसे हो गया पर्दाफ़ाश
    26 May 2022
    21 अप्रैल से विभिन्न जिलों से आये कई छात्र छात्रायें इको गार्डन में धरने पर बैठे हैं। ये वे छात्र हैं जिन्होंने 21 नवंबर 2021 से 2 दिसंबर 2021 के बीच हुई दरोगा भर्ती परीक्षा में हिस्सा लिया था
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License