NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
SC ST OBC
भारत
राजनीति
छत्तीसगढ़ : भू-अधिकारों के बावजूद जनजातीय परिवार लगातार हो रहे हैं ज़मीन से बेदख़ल
कोरबा ज़िले के उडता गांव में आदिवासी किसानों की फसल लॉकडाउन के दौरान वन विभाग द्वारा नष्ट कर दी गई। साथ ही वन विभाग ने इलाक़े से आदिवासी समुदाय को दूर रखने के लिए पूरी ज़मीन पर तारबंदी कर दी।
सुमेधा पाल
08 Jan 2021
छत्तीसगढ़
Image Courtesy: Business Standard

छत्तीसगढ़ के कोरबा में अपनी ज़मीन से हटाए जाने के बाद 5 जनजातीय परिवार वन विभाग से अपने भू-अधिकारों को मान्यता दिलवाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

यह जनजातीय परिवार वन में विचरण करने वाले कंवर समुदाय से आते हैं। यह लोग कोरबा जिले के उडता क्षेत्र में अपना घर, फसल और ज़मीन खो चुके हैं। जबकि इन्हें भू-अधिकार दिए जा चुके हैं। 

कोरबा जिले में उडता को सबसे पुराना और बड़ा गांव माना जाता है। समुदाय का कहना है कि वे पिछले 300 सालों से इस क्षेत्र में रहते आ रहे हैं। यहां वे आंवला, नींबू, आम जैसे फलों और सब्ज़ियों, यहां तक कि गेहूं की खेती भी करते रहे हैं। यहां आदिवासी समुदाय कुआं भी बना चुका है।

एक परिवार जिसे ज़मीन से बेदखल कर दिया गया है, उसके मुखिया रतन सिंह का दावा है कि वनाधिकारों के हासिल होने के बावजूद उन्हें जबरदस्ती ज़मीन से हटाया गया है। मानसिंह कंवर और हेम सिंह कहते हैं कि उनके पास "अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006" के तहत लीज का अधिकार है। यहां तक कि 2009 में ही ग्राम सभा भी उनके पक्ष में प्रस्ताव पारित कर चुकी है।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए मानसिंह कंवर ने कहा, "चार दूसरे किसानों और हमारी ज़मीन को वन विभाग ने जबरदस्ती छीन लिया है, जबकि हममें से एक के पास वनाधिकार भी थे। हमारे घरों को नष्ट कर दिया गया और हमें दूसरा रहवास खोजने के लिए मजबूर किया गया। अहम बात यह है कि यही ज़मीन हमारी आजीविका है, यहां हम अपने मवेशी चराने के लिए आते हैं, जहां से हमें संसाधन उपलब्ध होते हैं। अब जब यहां तारबंदी कर दी गई है, तो हम खाद्यान्न संसाधनों तक नहीं पहुंच सकते।"

15 एकड़ से ज़्यादा की आदिवासी ज़मीन को साफ़ कर वनविभाग द्वारा वहां जुलाई में तारबंदी कर दी गई थी। इसके बाद इलाके में जनजातीय विरोध तीखा हो गया था, जिसमें हाल के वक़्त में फिर से उबाल आया है।

इस हफ़्ते कोरबा जिला प्रशासन को जनजातीय अधिकारों को दोबारा बहाल करने और प्रभावित लोगों को उनका घर वापस देने के लिए ज्ञापन सौंपा गया है। वहीं वनविभाग को 10 दिन की मियाद देते हुए एक प्रस्ताव भेजा गया है। प्रस्ताव में 20 से 40 गांव के जनजातीय किसानों ने घोषणा की है कि तय मियाद के बाद उडता की तरफ जाएंगे, ताकि आदिवासियों को वापस उनके ज़मीन के अधिकार मिल पाएं।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा, "वन विभाग ने लॉकडाउन का इस्तेमाल भू-अधिकारों पर कार्रवाई के लिए बहाने के तौर पर किया है। इससे अब ज़्यादा बड़े स्तर का भूमि अधिकार आंदोलन खड़ा हो गया है। वन विभाग ने आदिवासियों की आजीविका छीनने के लिए उनकी फसलों को नष्ट कर दिया और वहां टीक के पेड़ लगा दिए। अब यह आंदोलन कई गांवों तक फैल गया है।"

"थर्ड पोल" के मुताबिक़, "भारत में आदिवासी समुदाय बहुत हद तक कृषि पर निर्भर है। भारत में आदिवासियों की कुल संख्या 10 करोड़ 40 लाख है, जो कुल जनसंख्या का 8.6 फ़ीसदी हिस्सा है। लेकिन पिछले दशक में आदिवासी किसानों की संख्या में 10 फ़ीसदी की कमी आई है, जबकि कृषि मज़दूरों की संख्या में 9 फ़ीसदी का इज़ाफा हुआ है। इसने कोरोना महामारी के दौर में आदिवासी समुदाय को खास तौर पर संकटग्रस्त बना दिया, क्योंकि बहुत सारे लोग आजीविका के कृषि और गैर कृषि विकल्पों तक नहीं पहुंच पा रहे थे।"

एक्टिविस्ट कहते हैं कि कोरबा में वन विभाग और जिला प्रशासन ने आदिवासियों की इस मजबूरी का फायदा उठाया है। अब प्रशासन भू-अधिकारों के लिए नए आवेदनों को स्वीकार नहीं कर रहा है, वहीं पुरानों को बिना किसी वज़ह से खारिज किया जा रहा है। कोरबा नगरपालिका इलाके में हजारों एकड़ ज़मीन वन भूमि के तौर पर पंजीकृत है, जबकि कई परिवार यहां पीढ़ियों से रह रहे हैं।

जनजातीय समुदाय के लोग सिर्फ़ अपने भूमि अधिकारों को लौटाए जाने की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि ज़मीन से जबरदस्ती बेदखली के मामले में जो भी अधिकारी जिम्मेदार हैं, उनपर कार्रवाई की मांग भी की जा रही है। समुदाय का कहना है कि जिन लोगों को बेदखल किया गया है, उन्हें अपनी ज़मीन के अधिकार मिलें, ताकि वे अपने नुकसान की भरपाई कर सकें। साथ ही उनके दावों की भी जांच की जाए।

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Chhattisgarh: Tribal Families Continue to Face Evictions Despite Land Claims

tribal rights
Land rights
Adivasi resurgence
Adivasi Lives Matter
Korba
Pali block
CPIM
Chhattisgarh

Related Stories

केवल आर्थिक अधिकारों की लड़ाई से दलित समुदाय का उत्थान नहीं होगा : रामचंद्र डोम

बिहारः भूमिहीनों को ज़मीन देने का मुद्दा सदन में उठा 

अनुसूचित जाति के छात्रों की छात्रवृत्ति और मकान किराए के 525 करोड़ रुपए दबाए बैठी है शिवराज सरकार: माकपा

UP Elections: जनता के मुद्दे भाजपा के एजेंडे से गायब: सुभाषिनी अली

कोरबा : रोज़गार की मांग को लेकर एक माह से भू-विस्थापितों का धरना जारी

माओवादियों के गढ़ में कुपोषण, मलेरिया से मरते आदिवासी

‘माओवादी इलाकों में ज़िंदगी बंदूक की नाल पर टिकी होती है’

बीजापुर एनकाउंटर रिपोर्ट: CRPF की 'एक भूल' ने ले ली 8 मासूम आदिवासियों की जान!

पुरी एयरपोर्ट : भूमि अधिकारों के लिए दलित एवं भूमिहीन समुदायों का संघर्ष जारी

हसदेव अरण्य: केते बेसन पर 14 जुलाई को होने वाली जन सुनवाई को टाले जाने की मांग ज़ोर पकड़ती जा रही है


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License