NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
भारत
राजनीति
कोरोना काल में कुरीति ने उठाया सिर, महाराष्ट्र में लॉकडाउन के दौरान दो सौ से अधिक बाल-विवाह
बाल संरक्षण से जुड़ी संस्था 'चाइल्डलाइन' ने इस वर्ष मई से जुलाई के बीच पूरे देश में कुल 92 हजार 203 प्रकरणों का रिकार्ड तैयार किया। इसमें 5 हजार 58 मामले बाल विवाह से संबंधित हैं।
शिरीष खरे
25 Aug 2020
c
बाल विवाह विषय पर लघु-नाटिका करते बच्चे (प्रतीकात्मक)

पिछले दिनों महाराष्ट्र में मराठवाड़ा अंचल के लातूर जिले में बाल विवाह से जुड़ी एक चौंकाने वाली घटना सामने आई। पंद्रह वर्ष की एक बच्ची वैशाली साठे (परिवर्तित नाम) का विवाह आयोजन एक पचास वर्षीय विधुर से किया जा रहा था। हालांकि, एक सामाजिक संगठन की मध्यस्थता से यह विवाह रोक दिया गया। साथ ही इस विवाह आयोजन के लिए जिम्मेदार पक्षों के विरुद्ध प्रकरण भी दर्ज किया गया है। पर, राज्य में बाल विवाह से जुड़ी यह अकेली घटना नहीं है। महाराष्ट्र में लॉकडाउन के दौरान के आंकड़े देखें तो ऐसे प्रकरणों की संख्या सैकड़ों में है।

 बाल संरक्षण से जुड़ी संस्था 'चाइल्डलाइन' ने इस वर्ष मई से जुलाई के बीच पूरे देश में कुल 92 हजार 203 प्रकरणों का रिकार्ड तैयार किया। बता दें कि इसमें 5 हजार 58 प्रकरण बाल विवाह से संबंधित हैं। महाराष्ट्र राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य संतोष शिंदे बताते हैं कि इसी दौरान महाराष्ट्र में दो सौ से अधिक बाल विवाह के प्रकरण सामने आए हैं।

 लॉकडाउन के कारण वंचित समुदाय के सामने आर्थिक और सामाजिक संकट बढ़ गया है। तब बड़ी संख्या में बाल विवाह जैसी प्रतिबंधित घटनाएं उजागर होना चिंता की बात है। कोरोना काल में यह बात स्पष्ट हुई है कि विशेषकर ग्रामीण भागों में कई परिवार न सिर्फ बीमारियों से जूझ रहे हैं बल्कि अब बड़ी तादाद में मौतें भी हो रही हैं। वहीं, दैनिक मजदूरी पर आजीविका चलाने वाले परिवार बेकार हो गए हैं। दूसरी तरफ, राज्य का पूरा प्रशासनिक अमला कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को कम करने में जुटा हुआ है। ऐसे में बाल-विवाह जैसी घटनाओं का लगातार उजागर होना इसके पीछे के कारणों को समझने की मांग करता है।

 गौर करने वाली बात यह भी है कि इन प्रकरणों में अधिकतर सामाजिक संगठनों के हस्तक्षेप से उजागर हुए हैं। प्रश्न है कि जिन इलाकों में इस मुद्दे पर सामाजिक संगठन सक्रिय नहीं हैं वहां इस कुरीति पर नियंत्रण करने के लिए प्रशासिनक स्तर पर क्या प्रयास किए जाने की जरूरत है। जब सभी सरकारी एजेंसिया महामारी को रोकने में व्यस्त हैं तो इस तरह की घटनाओं की निगरानी करने और इन्हें रोकने के मामले में की जा रही लापरवाही से सामाजिक जीवन किस तरह से प्रभावित हो रहा है।

 इस बारे में वर्धा जिला बाल संरक्षण अधिकारी माधुरी भोयर बताती हैं कि बाल विवाह रोकने के लिए ग्रामीण स्तर पर एक विकेन्द्रीकृत व्यवस्था बनाने की जरूरत है जो ग्राम या वार्ड स्तर पर इस मुद्दे पर न सिर्फ जन-जाग्रति करे बल्कि यदि कहीं बाल विवाह हुए भी तो उनकी निगरानी करे और उन मामलों में अच्छी तरह हस्तक्षेप भी करे। साथ ही, इस मुद्दे पर शासन को सामाजिक संस्थाओं के साथ समन्यवय और संवाद बढ़ाने की जरूरत है। यदि हर तहसील स्तर पर ग्राम बाल अधिकार संरक्षण समिति अच्छी तरह से संचालित होने लगे तो हमें इस दिशा में अपेक्षित परिणाम हासिल होंगे। वहीं, सोलापुर बाल संरक्षण अधिकारी विजय मुत्तर के मुताबिक वे प्रतिदिन बाल विवाह रुकवा रहे हैं।

child marriage 001_1 (1).jpg

 दूसरी तरफ, सामाजिक परिवर्तन के लिए कार्य करने वाले कई कार्यकर्ताओं का मानना है कि कोरोना काल में लॉकडाउन के साथ ही छोटे बच्चों के स्कूल बंद कर दिए गए। इससे उनकी शिक्षा बंद हो गई। वहीं, मजदूरी से कमाई करने वाले अधिकतर माता-पिता भी बेरोजगार हो गए। इससे कई परिवारों के लिए दो जून की रोटी मुश्किल हो गई। लिहाजा, इनमें से कई परिवारों ने बाल विवाह के माध्यम से छोटी लड़कियों को उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त करने की योजना बनाई और उन्हें इस प्रवृत्ति की तरफ धकेला।

 संतोष शिंदे कहते हैं कि कुल प्रकरणों में अब तक 90 प्रतिशत बाल विवाह रोके गए हैं। ज्यादातर प्रकरणों के उजागर होने की घटनाएं मराठवाड़ा के लातूर और उस्मानाबाद जिले से आ रही हैं। लेकिन, इस बार पश्चिम महाराष्ट्र में  कोल्हापुर, सतारा और सांगली गन्ना बेल्ट भी बाल विवाह की घटनाओं का सामने आना चिंता की बात है।

 इन प्रकरणों से संबंधित कई व्यक्ति इस मामले में एक दूसरा पहलू सामने रखते हैं। ये कहते हैं कि भारतीय समाज में लड़कियों की शादी करने पर परिजनों को बहुत पैसा खर्च करना पड़ता है। ऐसे में बाल-विवाह के पक्षधर कई परिजन कोरोना लॉकडाउन में इसलिए शादी कराने के लिए तैयार हुए कि इस दौरान उन्हें कम खर्च में आयोजन पूरा कराने में मदद मिलेगी। सामान्य दिनों में अधिक से अधिक लोगों को भोजन कराने और अन्य खर्च की वजह से लड़की के परिजनों को आमतौर पर कर्ज लेना पड़ता है। ऐसे में 2 लाख रुपये की लागत घटकर 20 हजार रुपये तक पहुंच गई है। आंकड़े बताते हैं कि लातूर में इस वर्ष अप्रैल और जून के बीच 16 बाल विवाह प्रकरण उजागर हुए। लातूर में सामान्यत:  लड़की के पिता को दहेज के लिए पांच लाख रुपये तक देने पड़ते हैं। लेकिन, बताते हैं कि कोरोना लॉकडाउन में उन्हें पांच लाख की बजाय एक लाख रुपए तक दहेज के लिए तैयार किया गया। वहीं, यह भी देखने में आया है कि इसी दौरान पुलिस व प्रशासन का पूरा ध्यान महामारी की स्थिति में कोरोना रक्षकों की मदद करना और कानून-व्यवस्था बनाए रखना है तो कई परिजन इस हालात का फायदा बाल विवाह आयोजित कराने के लिए उठा रहे हैं।  

 वहीं, ऐसे में एक डर है कि विशेषकर लड़कियों की पढ़ाई के लिए वर्षों से राज्य में चल रहे प्रयासों पर पानी न फिर जाए। क्योंकि, देखा गया है कि कई बार लड़कियों की पढ़ाई में बाधा डालने वाली जिन कुरीतियों को तोड़ने की कोशिश की जाती है तो वे किसी किसी दूसरी विपत्ति के कारण फिर से सिर उठा लेती हैं। चिंता की बात है कि इस बार फिर महामारी के कारण बनी बेकारी और गरीबी को बढ़ावा देने वाली यह स्थिति लड़कियों को कहीं शिक्षा से और अधिक दूर न कर दे।

 

child marriage
child marriage in mharastra
child marriage in corona time
childcare helpline number

Related Stories

बाल विवाह विधेयक: ग़ैर-बराबरी जब एक आदर्श बन जाती है, क़ानून तब निरर्थक हो जाते हैं!

किशोर मां से जन्में बच्चे वयस्क मां के बच्चों की तुलना में कमजोर : अध्ययन


बाकी खबरें

  • भाषा
    महाराष्ट्र : एएसआई ने औरंगज़ेब के मक़बरे को पांच दिन के लिए बंद किया
    19 May 2022
    महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रवक्ता गजानन काले ने मंगलवार को कहा था कि औरंगजेब के मकबरे की कोई जरूरत नहीं है और उसे ज़मींदोज़ कर दिया जाना चाहिए, ताकि लोग वहां न जाएं। इसके बाद, औरंगाबाद के…
  • मो. इमरान खान
    बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’
    19 May 2022
    रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदुत्ववादी भीड़ की हरकतों से पता चलता है कि उन्होंने मुसलमानों को निस्सहाय महसूस कराने, उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और उन्हें हिंसक होकर बदला लेने के लिए उकसाने की…
  • वी. श्रीधर
    भारत का गेहूं संकट
    19 May 2022
    गेहूं निर्यात पर मोदी सरकार के ढुलमुल रवैये से सरकार के भीतर संवादहीनता का पता चलता है। किसानों के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने की ज़िद के कारण गेहूं की सार्वजनिक ख़रीद विफल हो गई है।
  • एम. के. भद्रकुमार
    खाड़ी में पुरानी रणनीतियों की ओर लौट रहा बाइडन प्रशासन
    19 May 2022
    संयुक्त अरब अमीरात में प्रोटोकॉल की ज़रूरत से परे जाकर हैरिस के प्रतिनिधिमंडल में ऑस्टिन और बर्न्स की मौजूदगी पर मास्को की नज़र होगी। ये लोग रूस को "नापसंद" किये जाने और विश्व मंच पर इसे कमज़ोर किये…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 30 फ़ीसदी की बढ़ोतरी 
    19 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटो में कोरोना के 2,364 नए मामले सामने आए हैं, और कुल संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 4 करोड़ 31 लाख 29 हज़ार 563 हो गयी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License