NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
जेएनयू छात्रों के समर्थन में आगे आया नागरिक-बौद्धिक समाज
नागरिक-बौद्धिक समाज जिसमें लेखक, कलाकार और शिक्षाविद सभी शामिल ने एक बयान जारी कर जेएनयू पर हमले का विरोध करते हुए शिक्षा पर सरकारी खर्च की वकालत की है।
आईसीएफ़
22 Nov 2019
JNU

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) को लेकर नागरिक-बौद्धिक समाज जिसमें लेखक, कलाकार और शिक्षाविद सभी शामिल ने एक बयान जारी किया है। इस बयान में जेएनयू पर हमले का विरोध करते हुए शिक्षा पर सरकारी खर्च की वकालत की गई है।

बयान इस प्रकार है :

हम सब 18 नवम्बर 2019को जवाहर लाल नेहरू  विश्वविद्यालय के शान्तिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे विद्यार्थियों पर अर्धसैनिक बलों और पुलिस के बर्बर हमले से सन्न हैं। छात्रावास की फीस में बेतहाशा बढ़ोतरी किसी भी आवासीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए वास्तविक चिंता का विषय है। अत्यंत दुखद बात है कि इन सरोकारों का जवाब  विद्यार्थियों, शिक्षकों और पत्रकारों पर पाशविक हमले से दिया गया।

जेएनयू ने विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता बनाये रखने और नेतृत्व प्रदान करने में इसीलिए सफलता हासिल की क्योंकि इसने सभी विद्यार्थियों को, उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की परवाह किये बिना, अध्ययन का खुला मंच प्रदान किया। किसी भी विश्वविद्यालय और उसके चरित्र में विद्यार्थियों का योगदान केवल उनके द्वारा दी गयी फीस से नहीं आंका जाना चाहिए। जेएनयू का विलक्षण शैक्षिक परिवेश उसके विद्यार्थियों की विविधता से बना है जिन्होंने इसके जन्म से ही इसे बनाने में अपना योग दिया है।

विद्यार्थियों और अध्यापकों के सरोकारों का गला घोंट देने के लिए प्रशासन ने जो तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाया है, उसका मकसद विश्वविद्यालयी शिक्षा के अवसर को तबाह कर देना है। फीस वृद्धि, शिक्षा के स्व-वित्तीकरण और कर्ज आधारित शिक्षा के कारण विचारों की दुनिया पर उन्हीं लोगों का कब्जा हो जाता है जो शिक्षा खरीद सकते हैं। इससे शिक्षा केंद्र व्यापारिक अड्डों में बदल जाएंगे और विचारों की दुनिया शिक्षा जगत और व्यापक सांस्कृतिक माहौल में दरिद्रता व्याप्त हो जाएगी। हम ऐसे निजीकरण के अभियान से चिंतित हैं जिससे सांस्कृतिक भविष्य पर कालिख पुत जाएगी। हम विद्यार्थियों, अध्यापकों और उन अन्य तबकों के साथ अपनी एकजुटता जाहिर करते हैं जो शिक्षा को सर्वसुलभ बनाने के लिए संघर्षरत हैं और शिक्षा पर धन खर्च करने को टैक्स देने वालों के धन का उचित उपयोग मानते हैं।

जेएनयू के विद्यार्थियों को लगी चोटें सरकारी अनुदान से मिलाने वाली शिक्षा पर चोट हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगाने, विश्वविद्यालय परिसर में और उसके आस-पास अर्ध सैनिक बलों की मौजूदगी, प्रदर्शनकारियों पर बर्बर हमले तथा सरकार द्वारा निजीकरण के पक्ष में ऊपर से फैसला थोप देने की हम कड़ी निंदा करते हैं।

हम मांग करते हैं:

1. विश्वविद्यालय से जुड़े सभी लोगों की चिंताओं पर विश्वविद्यालय प्रशासन ध्यान दे।

2. शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों, जिनमें एक दृष्टिबाधित विद्यार्थी भी था, पर हमला करने वाले पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की जाय।

3. कूपमंडूक मीडिया के एक हिस्से द्वारा जेएनयू व उसके विद्यार्थियों की छवि धूमिल करने की कोशिशों पर तत्काल रोक लगाई जाय जो निहित राजनीतिक तत्वों के साथ मिलकर सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को तबाह करने पर आमादा हैं।

4. सरकार बेहतर सांस्कृतिक भविष्य के लिए निजीकरण की नीतियों को त्याग कर उसके बदले में शिक्षा पर सरकारी खर्च बढ़ाए।

इस बयान पर दलित लेखक संघ (दलेस), जन संस्कृति मंच (जसम), जनवादी लेखक संघ (जलेस), न्यू सोशिलिस्ट इनेशेटिव, प्रोगेसिव राइटर्स एसोसिएशन (पीडब्लूए), सिनेमा ऑफ रिज़िस्टन्स जैसी संस्थाओं समेत व्यक्तिगत तौर पर भी लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं।

इन्हें आप यहां देख सकते हैं।  

(साभार : आईसीएफ)

JNU
JNUSU
JNUTA
JNU Fee Hike
SFI
AISA
AISF
DSF
BJP
MHRD

Related Stories

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा

अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !

कर्नाटक: स्कूली किताबों में जोड़ा गया हेडगेवार का भाषण, भाजपा पर लगा शिक्षा के भगवाकरण का आरोप

लखनऊ विश्वविद्यालय में एबीवीपी का हंगामा: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत चंदन का घेराव, धमकी

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

नई शिक्षा नीति से सधेगा काॅरपोरेट हित

उत्तराखंड : ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में बंद होते सरकारी स्कूल, RTE क़ानून की आड़ में निजी स्कूलों का बढ़ता कारोबार 

NEP भारत में सार्वजनिक शिक्षा को नष्ट करने के लिए भाजपा का बुलडोजर: वृंदा करात


बाकी खबरें

  • सरोजिनी बिष्ट
    विधानसभा घेरने की तैयारी में उत्तर प्रदेश की आशाएं, जानिये क्या हैं इनके मुद्दे? 
    17 May 2022
    ये आशायें लखनऊ में "उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन- (AICCTU, ऐक्टू) के बैनर तले एकत्रित हुईं थीं।
  • जितेन्द्र कुमार
    बिहार में विकास की जाति क्या है? क्या ख़ास जातियों वाले ज़िलों में ही किया जा रहा विकास? 
    17 May 2022
    बिहार में एक कहावत बड़ी प्रसिद्ध है, इसे लगभग हर बार चुनाव के समय दुहराया जाता है: ‘रोम पोप का, मधेपुरा गोप का और दरभंगा ठोप का’ (मतलब रोम में पोप का वर्चस्व है, मधेपुरा में यादवों का वर्चस्व है और…
  • असद रिज़वी
    लखनऊः नफ़रत के ख़िलाफ़ प्रेम और सद्भावना का महिलाएं दे रहीं संदेश
    17 May 2022
    एडवा से जुड़ी महिलाएं घर-घर जाकर सांप्रदायिकता और नफ़रत से दूर रहने की लोगों से अपील कर रही हैं।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 43 फ़ीसदी से ज़्यादा नए मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए 
    17 May 2022
    देश में क़रीब एक महीने बाद कोरोना के 2 हज़ार से कम यानी 1,569 नए मामले सामने आए हैं | इसमें से 43 फीसदी से ज्यादा यानी 663 मामले दिल्ली एनसीआर से सामने आए हैं। 
  • एम. के. भद्रकुमार
    श्रीलंका की मौजूदा स्थिति ख़तरे से भरी
    17 May 2022
    यहां ख़तरा इस बात को लेकर है कि जिस तरह के राजनीतिक परिदृश्य सामने आ रहे हैं, उनसे आर्थिक बहाली की संभावनाएं कमज़ोर होंगी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License