NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
कोविड-19
भारत
राजनीति
“तुमसे न होगा मोदी जी!”
एक प्रधानमंत्री और उसके मुख्यमंत्रियों की यह नाकामी उस व्यवस्था की पोल खोलती है जो ख़ुद पिछले सात वर्षों में भाजपा ने गढ़ी है। हर जगह संवेदन-शून्य लोगों की नियुक्ति से यही होगा। पब्लिक मशीन नहीं होती। वह एक जीता-जागता समाज है।
शंभूनाथ शुक्ल
30 Apr 2021
modi

एम आसैपंडी नोएडा के सेक्टर 51 स्थित केंद्रीय विहार में रहते थे। वे कोरोना पॉज़िटिव हो गए। शुरू में तो घर पर इलाज चलता रहा किंतु 26 तारीख़ से उन्हें साँस लेने में तकलीफ़ हुई। सेक्टर 39 के कोविड सेंटर में उन्हें भर्ती कराने के काफ़ी प्रयास किए गए। लेकिन हर बार नहीं का उत्तर मिला। सीएमओ दीपक जौहरी ने एक बार भी उनकी बात नहीं सुनी तो हार कर उनके सभी परिचितों ने स्थानीय विधायक पंकज सिंह को संपर्क करने की कोशिश की, पर बार-बार फ़ोन करने के बाद भी उनका फ़ोन नहीं उठा। मालूम हो कि पंकज सिंह केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे हैं, रसूखदार हैं। वे कहीं भी उन्हें भर्ती करा सकते थे। मगर उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की तनिक भी चिंता नहीं है। आसैपंडी अगले रोज़ नहीं रहे। मात्र 54 वर्ष में एक व्यक्ति अपनी कच्ची गृहस्थी को छोड़ कर चला गया। लेकिन उनके जन-प्रतिनिधि, ज़िला प्रशासन और प्रदेश शासन को उनकी कोई चिंता नहीं है। और उनकी ही क्यों नोएडा और ग़ाज़ियाबाद में सैकड़ों लोग रोज़ कोविड के चलते मर रहे हैं। इतनी अधिक संख्या में कि श्मशान में भी जगह नहीं मिल रही है। मगर सरकार चलाने वाले बेफ़िक़्र हैं। यह अकेले नोएडा का मामला नहीं है। ग़ाज़ियाबाद के विधायक और सांसद ग़ायब हैं। ग़ाज़ियाबाद ज़िले में साहिबाबाद के विधायक सुनील शर्मा और सांसद वीके सिंह सिवाय शादी-विवाह के और कहीं नहीं दिखते। एक भी कोरोना-ग्रस्त मरीज़ों की मदद के लिए आगे बढ़ कर नहीं आए। जब ऐन केंद्र सरकार की नाक के नीचे बैठे भाजपा जन-प्रतिनिधियों का यह हाल है तो दूर-दराज इलाक़ों की भला क्या बात की जाए। इसीलिए अब सभी को लग रहा है, कि किसे चुन लिया।

और तो और ख़ुद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दिल्ली प्रांत की कार्यकारिणी परिषद के सदस्य राजीव तुली ने इस महामारी के समय भाजपा नेताओं, सांसदों और विधायकों की अनुपस्थिति पर हमला किया है। आज के इंडियन एक्सप्रेस में एक खबर है कि श्री तुली ने अपने एक ट्वीट में लिखा है कि “जब दिल्ली में चारों तरफ़ आग लगी है, तब क्या किसी ने दिल्ली भाजपा नेताओं को देखा?” यह गंभीर मामला है। इससे साफ़ प्रतीत होता है कि आरएसएस को भी अब लग रहा है कि भाजपा जनता के बीच अपनी साख खोती जा रही है। भाजपा के लिए प्राण-प्रण से जुटे वे जो लोग हर-हर मोदी और घर-घर मोदी का नारा लगाने में तत्पर थे, वे भी अब कह रहे हैं कि “तुमसे न होगा मोदी जी!” 

एक प्रधानमंत्री और उसके मुख्यमंत्रियों की यह नाकामी उस व्यवस्था की पोल खोलती है जो ख़ुद पिछले सात वर्षों में भाजपा ने गढ़ी है। हर जगह संवेदन-शून्य लोगों की नियुक्ति से यही होगा। पब्लिक मशीन नहीं होती। वह एक जीता-जागता समाज है। अगर वह किसी को सिर पर चढ़ा कर लाती है तो उसे दूर फेंकना भी उसे अच्छी तरह पता है। पूरे देश से जब आक्सीजन के लिए हाहाकार मचने लगा तो अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री कह रहे हैं कि आक्सीजन की कमी दूर करने के लिए 500 प्लांट लगेंगे या रेमडसिविर इंजेक्शन की कमी दूर करेंगे। सवाल उठता है, कि पिछले सवा साल में मोदी सरकार चुनाव लड़ती रही, जन विरोधी क़ानूनों को पास करती रही, मंदिर का शिलान्यास करती रही लेकिन कोरोना की दवाओं अथवा कोरोना वैक्सीन के भरपूर उत्पादन बढ़ाने का ख़्याल नहीं आया? कोरोना को भारत में प्रकट हुए 15 महीने बीत चुके हैं। इस बीमारी से लड़ने के लिए हर आमो-ख़ास ने पीएम केयर फंड में मदद भी की पर इस फंड का ईमानदारी से इस्तेमाल नहीं हुआ। क्या ज़रूरत थी पाँच राज्यों में चुनाव कराने की, उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के लिए तमाम सरकारी कर्मचारियों को झोंक देने की। इनमें से 135 कर्मचारी मारे गए, लेकिन सरकार ने चुनाव नहीं रोका। क्या ज़रूरत थी हरिद्वार में होने वाले कुंभ में लोगों की भीड़ जुटने देने की? सत्य बात तो यह है कि जब कोरोना पर लगभग क़ाबू पा लिया गया था तब इस तरह की ढील बरतने की भूल कर सरकार ने स्वयं इस बीमारी को न्योता है। और जिस दूसरी लहर को पहली लहर के पलटवार करने जैसी बात कर सरकार ज़िम्मेदारियों से मुँह मोड़ रही है, वह और भी हास्यास्पद और सरकार की संवेदन हीनता को दिखाता है। वह यह नहीं मान रही कि उसकी अपनी ग़लतियों से कोरोना की दूसरी लहर आई है। 

दिसंबर के तीसरे हफ़्ते से ही कोरोना के ब्रिटेन स्ट्रेंच की सूचनाएँ आने लगी थीं। कनाडा, अमेरिका और रूस व चीन ने ब्रिटिश उड़ानों की आवाजाही पर रोक लगा दी थी लेकिन भारत सरकार की नींद जनवरी में तब टूटी जब दिल्ली में कई लोग इस स्ट्रेंच से ग्रस्त मिले। तब तक ये लोग देश के कई हिस्सों में घूम कर अपनी बीमारी दे आए थे। इसके बाद होली के अवसर पर सरकार को लॉकडाउन लगा देना था ताकि लोग रंग खेलने के बहाने भीड़ न बढ़ाएँ। किंतु सरकार का ध्यान इस तरफ़ नहीं गया क्योंकि उसको चुनाव कराने थे। बंगाल में ममता बनर्जी को घेरना था। उसे यक़ीन था कि ममता बनर्जी अकेली पड़ गई हैं और यही समय उनको घेरने का है। हरिद्वार कुम्भ सभी को शाही स्नान की छूट दे कर सरकार हिंदू वोटों को अपने पाले में लान चाहती थी। इसी के साथ उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों को कराया गया, ताकि पता चल सके कि प्रदेश में मतदाता का मूड़ कैसा है। अगले वर्ष ही वहाँ विधानसभा चुनाव है और उत्तर परदेश में नरेश टिकैत के किसान आंदोलन से सरकार चिंतित थी। साफ़ ज़ाहिर है कि मोदी सरकार के लिए जनता नहीं चुनाव जीतना उसकी वरीयता में है। इसीलिए उसके जन-प्रतिनिधि भी अपने क्षेत्र की जनता की तकलीफ़ों से आँख मूँदे बैठी रहती है। ऐसे में इस सरकार से क्या उम्मीद की जाए!

उधर पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदम्बरम ने मोदी सरकार को उखाड़ फेकने का आह्वान किया है। परंतु लोकतंत्र में किसी सरकार को कैसे उखाड़ा जा सकता है, इसका कोई प्लान उनके या उनकी पार्टी पास नहीं है। इसका अर्थ है कि कांग्रेस के पास भी कोई स्पष्ट लाइन नहीं है। उसके नेता भी सड़क पर उतर कर ग़ुस्से को जन आंदोलन में बदलने का आह्वान नहीं कर रहे हैं। क्योंकि कांग्रेस और भाजपा में कोई साफ़ बँटवारा नहीं है। फ़र्क़ सिर्फ़ इतना ही है कि भाजपा एक अनुदार व घनघोर दक्षिणपंथी पार्टी है तथा कांग्रेस वाम व दक्षिणपंथी शक्तियों का घालमेल। जब वह विपक्ष में होती है, तब तो वह थोड़ा लेफ़्ट चलती है और जनवादी शक्तियों का साथ देती लगती है, मगर सत्ता में आते ही वह भी राइट चलने लगती है। अर्थात् उसका मॉडरेट या उदारवादी चेहरा भी टिकाऊ नहीं है। ऐसे में जनता सिर्फ़ मरने को विवश है। कोई भी आगे आकर सटीक निदान नहीं तलाश रहा। 

मेरा स्पष्ट मानना है कि इस स्थिति में सिर्फ़ वामपंथी शक्तियाँ ही सही रास्ता खोज सकती हैं। किंतु उनके पास कोई लोकप्रिय राजनीतिक दल या मंच नहीं है। आज भारत के लोकतंत्र को जिस चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया गया है, वहाँ किसी भी राजनीतिक दल को जनता के बीच तक पहुँचने के लिए अकूत धन चाहिए। वामपंथी पार्टियों के पास धन का स्रोत सिर्फ़ जनता है। और वह कितना भी चंदा दे पूँजीपतियों द्वारा दिए गए चंदे के मुक़ाबले नमक बराबर भी नहीं हो सकता। पूँजीपति उसी राजनीतिक दल को चंदा देते हैं, जो सरकार बनने पर उसके हितों की रखवाली करें और उन्हें दोनों हाथों लूटने का अवसर दें। मगर वे भूल जाते हैं, कि यह भारत देश अपनी तमाम ख़ामियों के बावजूद विवेक नहीं खोता, वह कुछ समय के लिए दब भले जाए। कांग्रेस यदि लेफ़्ट को साथ लेकर लड़ाई लड़ती है तो वह एक नए मक़ाम पर होगी और वही एक रास्ता है।

Narendra modi
Modi Govt
COVID-19
Coronavirus
Corona Crisis

Related Stories

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना ने फिर पकड़ी रफ़्तार, 24 घंटों में 4,518 दर्ज़ किए गए 

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 84 दिन बाद 4 हज़ार से ज़्यादा नए मामले दर्ज 

कोरोना अपडेट: देश में कोरोना के मामलों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी, 24 घंटों में दर्ज हुए 3,712 मामले 

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में 2,745 नए मामले, 6 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में कोरोना के 2,706 नए मामले, 25 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 2,685 नए मामले दर्ज

कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,710 नए मामले, 14 लोगों की मौत

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License