NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
कोविड-19 : कश्मीर में धीमे इंटरनेट की वजह से 'वर्क फ़्रॉम होम' करना नामुमकिन
इंटरनेट की धीमी गति के कारण व्यापार ठीक से नहीं हो रहा हैं, छात्र अध्ययन सामग्री हासिल नहीं कर पा रहे हैं और निवासियों को कोरोनावायरस के संबंध में जानकारी हासिल करने में भी मुश्किलें आ रही हैं।
सुहैल भट्ट
23 Mar 2020
Translated by महेश कुमार
jammu and kashmir

दुनिया भर में कोविड-19 (नोवेल कोरोनावायरस रोग 2019) के प्रसार को रोकने के लिए लोग तेज़ी से आत्म-अलगाव (होम आइसोलेशन) के साथ घर से काम करने का विकल्प चुन रहे हैं। हालांकि, कश्मीर के लोगों का कहना है कि घाटी में हाई-स्पीड इंटरनेट सेवाओं पर लगे प्रतिबंध के चलते घर से काम करना न केवल मुश्किल है बल्कि असंभव भी है। पिछले अगस्त में धारा 370 को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के बाद, अब इंटरनेट बंद में पिछले महीने ही थोड़ी सी ढील दी गई थी।

अपेक्षाकृत तौर पर वायरस से अप्रभावित रहने के बाद, घाटी में 12 मार्च को कोविड-19 संक्रमण का पहला केस पाया गया, इस पर प्रतिक्रिया करते हुए, अधिकारियों ने घाटी की सभी सड़कों को बंद/अवरुद्ध कर दिया और लोगों को पड़ोस छोड़ने पर रोक लगा दी है। सभी स्कूलों, कॉलेजों, दुकानों, और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद कर दिया गया है और कर्मचारियों को घर में रहने के आदेश दिए गए है। प्रशासन ने चार या उससे अधिक लोगों की मौजूदगी को ग़ैर-क़ानूनी क़रार दे दिया है और इसके लिए औपनिवेशिक युग के क़ानूनों को लागू कर दिया है - इस तरह के क़ानून का इस्तेमाल क्षेत्र में सरकार विरोधी प्रदर्शनों को रोकने के लिए किया जाता है।

नेशनल कॉन्फ़्रेंस के अध्यक्ष और श्रीनगर से सांसद जो पिछले सप्ताह सात महीने की हिरासत से रिहा हुए हैं, ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है, “लोगों को घर से काम करने की सलाह दी जा रही है, लेकिन ऐसा करना 2जी इंटरनेट और सीमित फ़िक्स्ड लाइन इंटरनेट कनेक्शन के साथ असंभव है। इसलिए, मैं आपसे जम्मू-कश्मीर में 4जी इंटरनेट सेवाएं बहाल करने का अनुरोध करता हूं, ताकि लोगों की पीड़ा को कम किया जा सके।'' नेशनल कॉन्फ़्रेंस अध्यक्ष ने कहा कि व्यापार और छात्रों को 5 अगस्त, 2019 को गई तालाबंदी से काफ़ी नुकसान हो चुका हैं।

मुदासिर ख़ालिक़, जो कश्मीर में एक आईटी-कंपनी में काम करते हैं, वह सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए वह घर से काम करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए यह क़दम ज़रूरी है। कंपनी उन्हें घर से काम करने की अनुमति दे रही है, लेकिन धीमे इंटरनेट ने उनके लिए ऐसा करना असंभव बना दिया है। उन्होंने कहा, “मैं ऐसे एप्लिकेशन पर काम करता हूं जिनके लिए बड़े साइज़ के दस्तावेज़ वीडियो और फ़ाइलों को डाउनलोड करने की ज़रूरत होती है। वर्क फ़्रॉम होम करना असंभव है।" उसे या तो अपना पूरा कारोबार बंद करना होगा या दफ़्तर जाना होगा जहां ब्रॉडबैंड कनेक्शन अपेक्षाकृत तेज़ है।

मुदासिर ने न्यूज़क्लिक को बताया कि घाटी में कोविड-19 के पहले केस की जानकारी के बाद उनके सभी सहकर्मियों की चिंता बढ़ गई है। पड़ोसी जम्मू क्षेत्र में तीन केस पॉज़िटिव पाए गए  हैं, और कारगिल ज़िले में एक और लद्दाख से छह केस सामने आए हैं।

पिछले आठ महीनों में, कम गति वाले इंटरनेट को मोबाइल फ़ोन और फ़िक्स्ड लाइन फोन दोनों पर बहाल किया गया था। हालांकि, धीमी गति के इंटरनेट की वजह से कोविड-19 के संबंध में जानकारी हासिल करना बड़ी बाधा बन गई है। एक छात्र मीर ने न्यूज़क्लिक को बताया, “मैं अपनी पढ़ाई के लिए ऑनलाइन व्याख्यान सुनने या देखने में असमर्थ हूं। पढ़ाई को तो छोड़ दें, मैं धीमी गति के इंटरनेट के कारण संक्रमण के बारे में जानकारी तक हासिल नहीं कर पा रहा हूं। सरकार को इंटरनेट सेवाओं को बहाल करना चाहिए।”

जब से सरकार ने 2जी सेवाओं को खोला है, प्रदेश के निवासी उच्च गति के इंटरनेट सेवाओं की मांग कर रहे हैं। हालांकि, सरकार हर बार नए सिरे से समीक्षा करने के बाद केवल 2जी सेवाओं को ही बहाल कर रही है। इसी प्रवृत्ति को जारी रखते हुए, 26 मार्च को सरकार द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि नई समीक्षा होने तक यही गति जारी रहेगी।

प्रतिबंध को “भारत की संप्रभुता और अखंडता के हित में अति आवश्यक क़दम” बताते हुए, सरकार ने अपने आदेश में कहा कि प्रतिबंध राज्य की सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। इसने जम्मू और कश्मीर दोनों डिवीज़नों के पुलिस प्रमुखों से इंटरनेट स्पीड पर "सुनिश्चित" प्रतिबंध लगाने को कहा है।

पिछले अगस्त में अनुच्छेद 370 के निरस्त करने के बाद हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस के एक उदारवादी धड़े ने शुक्रवार को दिए अपने पहले बयान में सरकार से 4जी इंटरनेट सेवाओं को तुरंत बहाल करने का आग्रह किया है।

इन प्रतिबंधों के कारण छात्र सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं क्योंकि वे ऑनलाइन सीखने के उपाय में कमी की वजह से अपने नुकसान को कम करने में असमर्थ हैं। शैक्षणिक संस्थान बंद करने से लगभग 15 लाख छात्र घाटी में प्रभावित हुए हैं।

जम्मू और कश्मीर की प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने क्षेत्र के लगभग सभी निजी स्कूलों को शामिल करते हुए कहा कि सरकार इस प्रतिबंध से छात्रों को शिक्षा के अधिकार से वंचित कर रही है। एसोसिएशन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि, "कई देशों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं, लेकिन वहां के छात्र ऑनलाइन कक्षाओं या उपकरणों के माध्यम से ख़ुद को शिक्षित कर पा रहे हैं, लेकिन कश्मीर एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि प्रदेश में ऑफ़लाइन और साथ ही ऑनलाइन शिक्षा पर भी प्रतिबंध रहे।"

घर से काम करने के संघर्ष के अलावा, निवासियों को ऑनलाइन वेबसाइटों से आवश्यक सामान ख़रीदने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। 

एक निवासी ने उदास स्वर में कहा, “शॉपिंग साइट धीमी गति के इंटरनेट से नहीं खुलती हैं। हम दवा और बच्चों की चीज़ों जैसी आवश्यक वस्तुओं को ऑनलाइन ख़रीदने में बिलकुल असहाय हैं, जिसकी वजह से आख़िरकार हमें घर से बाहर निकलना पड़ता है।"

अंग्रेजी में लिखा मूल आलेख आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

COVID-19: Work From Home ‘Not an Option’ with Slow Speed Internet in Kashmir

Kashmir
Jammu and Kashmir
Kashmir Coronavirus
Coronavirus
COVID 19

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 

यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा

आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद

कोरोना अपडेट: देश में आज फिर कोरोना के मामलों में क़रीब 27 फीसदी की बढ़ोतरी


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License