NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
दाल और सब्जी भी विलासिता की वस्तु बन गयी
किरण
18 Jun 2015

“आप हमें आंकड़े दे रहे हैं। आंकड़ों से हमारा पेट नहीं भरेगा। अपनी पत्नी से कीमतों की सच्चाई पूछिए,” इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक खबर के अनुसार पिछले हफ्ते यह बात बी.एन.राय जो कि भारतीय मजदूर संघ के नेता है, ने मंत्री से कही। संघ परिवार के न्रेतत्व में से एक की यह पितृसत्तात्मक धारणा ही है कि केवल महिलायें ही कीमतों के बारे में जानती हैं और इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। सबसे बड़े खुलासे की बात यह है कि यह वह व्यक्ति है जो कि मोदी सरकार से राजनैतिक तौर पूरी तरह से जुड़ा हुआ है, निश्चित तौर पर एक वह व्यक्ति जिसने इस सरकार के सत्ता में आने के लिए खासी मेहनत की, वह व्यक्ति सरकार के मुद्रास्फीति के आंकड़ों को पचाने में असमर्थ है।

                                                                                                                               

आधिकारिक आंकड़े कहते हैं कि न केवल थोक स्तर पर कोई मुद्रास्फीति है बल्कि इस वर्ष के अप्रैल माह में पिछले अप्रैल के माह के मुकाबले कीमते 2.7 प्रतिशत के नीचे हैं। यहाँ तक कि फूटकर स्तर पर आधिकारिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के मुताबिक़ अप्रैल तक मुद्रास्फीति केवल 4.87 पर रही। इसका मतलब है कि एक साल में कीमतों में बढ़ोतरी औसतन 5 प्रतिशत से कम पर रही। ये कुछ आंकड़े हैं जिन्हें नरेन्द्र मोदी, अरुण जेटली और उनके भक्त लोग लगातार पेश करते हैं और यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि मोदी ने महंगाई कम करने के अपनी वादे को पूरा कर दिया। आम आदमी अपने जीवन के कठोर तजुर्बे से जानता हैं कि ये आंकड़े उन सच्चाई से मेल नहीं खाती हैं जिनका वे रोज़ बाजारों में सामना करते हैं। उन्हें आधिकारिक आंकड़ों को बताने की जरूरत नहीं पड़ती जब उन्हें मंहगाई की मार झेलनी पड़ती है, लेकिन ये आंकड़े खुद दिखाते हैं कि कैसे ये औसत का खेल गंभीर वास्तविकताओं को छिपाते हैं।

वस्तुओं के दो समूह मुख्य समस्या का केंद्र हैं – दाल और सब्जियां। यहाँ तक कि आधिकारिक थोक मूल्य सूचकांक मानता है कि दालों में मुद्रास्फीति 15 प्रतिशत है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक कहता है कि पिछले वर्ष के मुकाबले “दाल और उत्पाद” की कीमतों में 12.5 प्रतिशत का इजाफा है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुमानों के अनुसार शहरी इलाकों में अप्रैल से अप्रैल तक कीमतों में 18.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुयी है। अपने आप में ये चिंता से भरे आंकड़े हैं, लेकिन इनसे तो सही तस्वीर दिखने की शुरुवात भी नहीं होती है।

उपभोक्ता मामलों के विभाग के डाटा से स्थिति वास्तव में कितनी बद्दतर है, पता चलता है। पांच प्रमुख दालों की कीमतों का क्या हुआ है पर एक नजर डालते हैं। हमने केवल राष्ट्रीय राजधानी और राज्यों की कुछ राजधानियों को चुना है जहाँ भाजपा सत्ता में है दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, जयपुर और भोपाल। अन्य जगहों पर तो भगवा ब्रिगेड दावा करती है कि यहाँ कमज़ोर राज्य सरकारें हैं जिनमें अन्य पार्टियों की सरकारे हैं इसलिए कीमतों के नियंत्रण से बाहर जाने के लिए वे जिम्मेदार हैं। आंकड़े बताते हैं कि उपरोक्त सभी शहरों में 22 मई से 22 मई तक तुर (अरहर) की दाल की कीमतों में 20 से 38 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। उर्द की दाल के मामले में बढ़ोतरी 22 से 44 प्रतिशत की है। मसूर की दाल के लिए बढ़ोतरी 12 से 55 प्रतिशत है और मूंग डाल में 2 से 53 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। चने की दाल में मूल्य वृद्धि, अधिक विविध है चूँकि आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भोपाल में इसमें गिरावट देखने को मिली है और जयपुर में इसकी कीमतों में 50 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला है। दिल्ली और मुंबई में तूर, उर्द और मूंग की दालें 100 रुपए किलो बिकी या कुछ अन्य केन्द्रों में उससे थोडा कम। सब्जियों की स्थिति कुछ ज्यादा अलग नहीं है। थोक मूल्य सूचकांक दिखाता है पिछले अप्रैल के मुकाबले में इस अप्रैल में प्याज के दामों में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। लेकिन कहानी का यह एक छोटा हिस्सा है। मोदी के अपने अहमदाबाद में राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के फूटकर मूल्य आंकड़ों के मुताबिक़ कीमतों में 57 प्रतिशत का उछाल है यानी पिछली मई में 15 रुपए औसत के मुकाबले इस मई में कीमत 23 रुपए औसत रही।

अगर प्याज के दाम स्तब्ध कर रहे हैं तो टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं। जिन पांच शहरों के बारे में हमने बात की है, उनमें अहमदाबाद में टमाटर की कीमतों में 55 प्रतिशत से लेकर भोपाल में 265 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही है। मटर के मामले में केवल तीन शहरों से ही आंकड़े मिले, इनमें भी 30 से 39 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गयी। दिल्ली में फूलगोभी की कीमत दोगुनी हो गयी  है, और मुंबई और अहमदाबाद में इसमें 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही। राष्ट्रीय राजधानी में बेंगन की कीमत में 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी रही।

यह सूची यूँ ही जारी रह सकती है, लेकिन सवाल बहुत साधारण है - अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें काफी कम रहने से सरकारी सूचकांकों को नीचे लाने में मदद मिली है, लेकिन लोग सूचकांक से पेट नहीं भर सकते हैं, उनके लिए तो दाल और सब्जी ही मायने रखती हैं जिनके दाम काफी उपर हें। खाद्य पदार्थों में बड़ी कीमतों की वजह से केवल घर का बजट ही नहीं गड़बड़ाया है। इससे पोषण पर गंभीर प्रभाव पड़ेंगे जबकि देश में कुपोषण का मामला पहले से ही गंभीर स्थिती में है। भारत में आबादी का एक बड़ा हिस्सा रिवाज से ही शाकाहारी है। और एक उससे भी बड़े हिस्से को मजबूरी में मुख्य रूप से शाकाहारी भोजन पर गुजारा करना पड़ता है क्योंकि मांस की कीमत ज्यादा है और उसे खरीदना हरेक के बस की बात नहीं है। इन तबकों के लिए दालें बहुत महत्त्वपूर्ण हैं जिनसे वे प्रोटीन ले सकते हैं और सब्जियां जिनसे उन्हें खनीज तथा विटामिन प्राप्त हो सकते हैं। जैसे-जैसे इनकी कीमते बढ़ती हैं और जो परिवार हाशिये पर हैं वे खाने का सेवन कम कर देते हैं, जिसका असर आर्थिक बोझ से भी ज्यादा पड़ता है। क्या हम कीमतों में कमी लाने के लिए कुछ सख्त कदम की उम्मीद कर सकते हैं? क्या सरकार सच्चाई मानने के लिए तैयार है, कुछ उम्मीद की जा सकती थी लेकिन जब मंत्री ही इठलाते हुए चारो तरफ घूम-घूम कर कह रहे हैं कि मुद्रास्फीति नकारात्मक है और अच्छे दिन आ गए हैं, तो लगता है कि कोई नहीं है जो इस समस्या को ठीक कर सके क्योंकि वे खुद ही जता रहे हैं कि कोई समस्या नहीं है।

 

वस्तू

एक साल में बड़ी कीमतें

दालें

तुर (अरहर))

20 से 38 प्रतिशत

उर्द

22 से 44 प्रतिशत

मसूर

12 से 55 प्रतिशत

मूंग

2 से 53 प्रतिशत

सब्जियां

टमाटर

55 से 265 प्रतिशत

मटर

30 से 39 प्रतिशत

प्याज

10 से 57 प्रतिशतt

फूलगोभी

7 से 106 प्रतिशत

यह आंकड़े दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, जयपुर और भोपाल से लिए है

 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख में वक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारों को नहीं दर्शाते ।

 

भाजपा
अरुण जेटली
मुद्रास्फीति
महंगाई
कच्चा तेल
सूचकांक
महंगाई दर

Related Stories

भारतीय अर्थव्यवस्था : हर सर्वे, हर आकंड़ा सुना रहा है बदहाली की कहानी

सरकारी आंकड़ों में महंगाई हो गई कम, ग़रीब जनता को एहसास भी नहीं हुआ! 

#श्रमिकहड़ताल : शौक नहीं मज़बूरी है..

आपकी चुप्पी बता रहा है कि आपके लिए राष्ट्र का मतलब जमीन का टुकड़ा है

अबकी बार, मॉबलिंचिग की सरकार; कितनी जाँच की दरकार!

आरक्षण खात्मे का षड्यंत्र: दलित-ओबीसी पर बड़ा प्रहार

झारखंड बंद: भूमि अधिग्रहण बिल में संशोधन के खिलाफ विपक्ष का संयुक्त विरोध

जीएसटी ने छोटे व्यवसाय को बर्बाद कर दिया

झारखण्ड भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल, 2017: आदिवासी विरोधी भाजपा सरकार

यूपी: योगी सरकार में कई बीजेपी नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप


बाकी खबरें

  • left
    अनिल अंशुमन
    झारखंड-बिहार : महंगाई के ख़िलाफ़ सभी वाम दलों ने शुरू किया अभियान
    01 Jun 2022
    बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ वामपंथी दलों ने दोनों राज्यों में अपना विरोध सप्ताह अभियान शुरू कर दिया है।
  • Changes
    रवि शंकर दुबे
    ध्यान देने वाली बात: 1 जून से आपकी जेब पर अतिरिक्त ख़र्च
    01 Jun 2022
    वाहनों के बीमा समेत कई चीज़ों में बदलाव से एक बार फिर महंगाई की मार पड़ी है। इसके अलावा ग़रीबों के राशन समेत कई चीज़ों में बड़ा बदलाव किया गया है।
  • Denmark
    पीपल्स डिस्पैच
    डेनमार्क: प्रगतिशील ताकतों का आगामी यूरोपीय संघ के सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने पर जनमत संग्रह में ‘न’ के पक्ष में वोट का आह्वान
    01 Jun 2022
    वर्तमान में जारी रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में, यूरोपीय संघ के समर्थक वर्गों के द्वारा डेनमार्क का सैन्य गठबंधन से बाहर बने रहने की नीति को समाप्त करने और देश को ईयू की रक्षा संरचनाओं और सैन्य…
  • सत्यम् तिवारी
    अलीगढ़ : कॉलेज में नमाज़ पढ़ने वाले शिक्षक को 1 महीने की छुट्टी पर भेजा, प्रिंसिपल ने कहा, "ऐसी गतिविधि बर्दाश्त नहीं"
    01 Jun 2022
    अलीगढ़ के श्री वार्ष्णेय कॉलेज के एस आर ख़ालिद का कॉलेज के पार्क में नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल होने के बाद एबीवीपी ने उन पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की मांग की थी। कॉलेज की जांच कमेटी गुरुवार तक अपनी…
  • भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    भारत में तंबाकू से जुड़ी बीमारियों से हर साल 1.3 मिलियन लोगों की मौत
    01 Jun 2022
    मुंह का कैंसर दुनिया भर में सबसे आम ग़ैर-संचारी रोगों में से एक है। भारत में पुरूषों में सबसे ज़्यादा सामान्य कैंसर मुंह का कैंसर है जो मुख्य रूप से धुआं रहित तंबाकू के इस्तेमाल से होता है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License