NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दावा बनाम हक़ीक़त: क्या भारत खुले में शौच से मुक्त हो गया है?
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा स्वच्छ भारत मिशन पर दिए जा रहे झांसे की पोल  एनएसओ के सर्वेक्षण के नतीजों ने खोल दी है।

सुविदया पटेल
27 Nov 2019
Translated by महेश कुमार
क्या भारत खुले में शौच से मुक्त हो गया है?

2 अक्टूबर, 2019 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्व के साथ घोषणा की थी कि भारत जो दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला वह देश था जिसकी बड़ी आबादी के पास शौचालय नहीं थे, वह खुले में शौच मुक्त हो गया है। क्या यह सच है? हाल ही में जारी किए गए 76वें राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि हक़ीक़त इस दावे से बहुत दूर है और यह कि आज भी भारत शौचालय के बिना सबसे अधिक घरों वाला संदिग्ध देश बना हुआ है।

पांच साल पहले, 2 अक्टूबर 2014 को, मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) को लॉन्च किया था। एक ऐसा कार्यक्रम जिसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना था कि हर घर में पांच साल के भीतर शौचालय हो और उसका उपयोग किया जाए। 2014 तक, भारत स्वच्छता कार्यक्रमों के तहत शौचालय निर्माण के लिए सार्वजनिक संसाधन उपलब्ध कराने पर ध्यान केंद्रित करता था। धन की कमी और पानी की घरेलू आपूर्ति की ख़राब स्थिति के चलते और अन्य विभिन्न समस्याओं के कारण ये योजना बहुत सफल नहीं रही।

स्वच्छ भारत मिशन के ज़रीये मोदी सरकार ने स्वच्छता के प्रति सार्वजनिक नीतियों के दृष्टिकोण में बदलाव किया। यह तर्क दिया गया कि घर में शौचालय का उपयोग करने के लिए लोगों में जागरुकता होनी चाहिए और लोगों में मौजूद अनिच्छा की वजह से भी स्वच्छता का विस्तार कम हुआ है, और इसलिए भारत तब तक खुले में शौच मुक्त नहीं होगा जब तक कि सघन प्रचार अभियान न चलाए जाएँ और साथ=साथ जो लोग खुले में शौच करते हैं उनके ख़िलाफ़ अपमानजनक उपायों सहित दंडात्मक कार्यवाही न की जाए और फिर भी न मानें तो उनका उत्पीड़न और शारीरिक हमले किए जाए ताकि वे  शौचालय का इस्तेमाल करने पर मजबूर हो जाएँ।

पिछले पाँच वर्षों में मोदी सरकार ने बड़े लंबे चौड़े दावे किए हैं कि भारत ने आख़िरकार खुले में शौच करने के संकट से ख़ुद को छुटकारा दिला दिया है, लेकिन इसकी पुष्टि करने के लिए कोई भी प्रमाण उपलब्ध नहीं कराया गया है, जबकि दावा है यह कि पिछले पाँच वर्षों में एसबीएम के तहत 10 करोड़ शौचालय बने हैं।

एनएसो ने जुलाई-दिसंबर 2018 के दौरान पेयजल, सफाई, स्वच्छता और आवास की स्थिति पर अपना 76 वां सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण के परिणाम कई अन्य सर्वेक्षणों के साथ रोक दिए गए, और इनमें से कुछ को बाद में तब जारी किया गया जब बड़ी संख्या में प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों ने मीडिया में नाराज़गी जताते हुए बयान जारी किया।

नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) रिपोर्ट नंबर 584 में प्रस्तुत डाटा, जिसे 76 वें दौर के सर्वेक्षण के आधार पर तैयार किया गया है, वह उस झांसे की धज्जियां उड़ा कर रख देता है जिसके ज़रीये पाँच वर्षों तक झूठा प्रचार चलाया गया। राष्ट्रीय प्रतिनिधि सर्वेक्षण में पाया गया कि 2018 में, जब सरकार यह दावा कर रही थी कि केवल 1.7 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास शौचालय नहीं हैं, जबकि 28.7 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास शौचालय नहीं थे। ग्रामीण और शहरी परिवारों को अगर एक साथ ले तो सर्वेक्षण के मुताबिक़ 20.2 प्रतिशत घरों में शौचालय नहीं हैं।

 

jnu 1.PNG

jnu 2.PNG

चित्र 1, 2 और तालिका 1, ग्रामीण घरों में शौचालय होने के राज्य-वार अंतर को दिखाता है। इन तालिकाओं से निम्नलिखित बातें बाहर आती हैं।

उत्तर-पूर्वी राज्यों ने लगभग सार्वभौमिक शौचालय के स्तर को हासिल कर लिया है। इन राज्यों में एसबीएम को लॉन्च करने से पहले ही शौचालयों वाले ग्रामीण परिवारों का अनुपात अधिक था।

पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा, अन्य बड़े राज्यों को देखे तो केरल एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने वास्तव में खुले में शौच मुक्त होने का दर्जा हासिल कर लिया है। एनएसएस के आंकड़ों के अनुसार, केरल में 99.6 प्रतिशत घरों में शौचालय हैं। केरल के अलावा, हिमाचल प्रदेश में (97.3 प्रतिशत) और उत्तराखंड में (97.1 प्रतिशत) शौचालय के साथ सार्वभौमिक पहुंच हासिल करने के नज़दीक हैं।

एक और उल्लेखनीय मामला छत्तीसगढ़ का है। 2012 में, राज्य में केवल 23 प्रतिशत ग्रामीण घरों में शौचालय थे। हालांकि इसने अभी तक सार्वभौमिक दर्जा हासिल नहीं किया है, 2012 और 2018 के बीच छत्तीसगढ़ में शौचालय की पहुंच 68 प्रतिशत अंक बढ़ी।

इन राज्यों के विपरीत, कई अन्य राज्य हैं जिन्हें सरकार ने खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ़) घोषित किया था, सर्वेक्षण में पाया गया कि शौचालय के बिना ग्रामीण परिवारों का एक बहुत बड़ा अनुपात अभी भी मौजूद है। उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश को जनवरी 2019 में ओडीएफ़ घोषित किया गया था, जबकि यहाँ केवल 52 प्रतिशत ग्रामीण घरों में शौचालय हैं। यह अनुपात झारखंड में 58 प्रतिशत (इसे नवंबर 2018 में ओडीएफ़ घोषित किया था) है, बिहार में 64 प्रतिशत है (इसे अक्टूबर 2019 में ओडीएफ़ घोषित किया गया था), राजस्थान में 66 प्रतिशत है ( इसे जून 2018 में ओडीएफ़ घोषित किया गया था) और मध्य प्रदेश में 71 प्रतिशत है (जिसे अक्टूबर 2018 में ओडीएफ़ घोषित किया गया था)। सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि गुजरात में भी, जो प्रधानमंत्री का गृह राज्य है, जिसे फ़रवरी 2018 की शुरुआत में ओडीएफ़ घोषित किया गया था, लगभग एक-चौथाई ग्रामीण घरों में शौचालय नहीं है।

2018 के एनएसएस सर्वेक्षण में, ओडिशा में ग्रामीण घरों का सबसे कम अनुपात (49 प्रतिशत) पाया गया, जिनमें शौचालय नहीं थे। इसके विपरीत, एसबीएम डाटा के अनुसार, ओडिशा में 2018 तक 87 प्रतिशत ग्रामीण घरों में शौचालय थे। ओडिशा के 30 में से केवल तीन जिलों को 2018 के अंत तक ओडीएफ़ घोषित किया गया था। लेकिन अगले कुछ महीनों के भीतर, सभी शेष ज़िलों को ओडीएफ़ घोषित कर दिया गया।

स्वच्छ भारत मिशन मोदी सरकार की पहली सबसे महत्वपूर्ण फ्लैगशिप योजना थी। इस कार्यक्रम की उपलब्धियों के सरकारी दावों और इस सर्वेक्षण के परिणामों के साथ उभरी वास्तविकता झूठ के बीच अंतर का पर्दाफ़ाश कर रही है। इस साल 2 अक्टूबर को जब मोदी घोषणा कर रहे थे कि "ग्रामीण भारत ने खुद को खुले में शौच से मुक्त कर लिया है", तो वास्तव में वे एक ज़बरदस्त झूठ बोल रहे थे।

jnu 3.PNG

लेखक, जे॰एन॰यू॰, नई दिल्ली में एक रिसर्च स्कॉलर हैं। (Suvidya.jnu@gmail.com)। व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं।

 

Swachh Bharat Mission
Open defecation free
Narendra modi
NSO Survey
ODF Villages

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़

हिमाचल में हाती समूह को आदिवासी समूह घोषित करने की तैयारी, क्या हैं इसके नुक़सान? 


बाकी खबरें

  • bhasha singh
    न्यूज़क्लिक टीम
    श्रीलंका में सत्ता बदल के बिना जनता नहीं रुकेगीः डॉ. सिवा प्रज्ञासम
    12 May 2022
    स्पेशल इंटरव्यू में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बात की, श्रीलंका के मानवाधिकार कार्यकर्ता-ट्रेड यूनियन कार्यकर्ता डॉ. सिवा प्रज्ञासम से और जानने की कोशिश की कि किस दिशा में बढ़ रहा है आंदोलन।
  •  delimitation report
    न्यूज़क्लिक टीम
    जम्मू कश्मीर की Delimitation की रिपोर्ट क्या कहती है?
    12 May 2022
    जम्मू कश्मीर से जुड़ा परिसीमन की रिपोर्ट क्या कहती है? भाजपा इस रिपोर्ट पर खुश क्यों हैं और भाजपा के अलावा दूसरी पार्टियां खफा क्यों है? क्या निष्पक्ष ढंग से परिसीमन किया गया? जम्मू कश्मीर के परिसीमन…
  • दमयन्ती धर
    खंभात दंगों की निष्पक्ष जाँच की मांग करते हुए मुस्लिमों ने गुजरात उच्च न्यायालय का किया रुख
    12 May 2022
    याचिका के मुताबिक पुलिस कथित तौर पर हिंदुओं और मुस्लिमों के द्वारा दायर की गई प्राथमिकियों पर जानबूझकर अलग-अलग तरीके से और दुर्भावनापूर्ण तरीके से जांच कर रही है।
  • abhisar
    न्यूज़क्लिक टीम
    शाहीन बाग से खरगोन : मुस्लिम महिलाओं का शांतिपूर्ण संघर्ष !
    12 May 2022
    बोल के लब के आज़ाद हैं तेरे के इस एपिसोड में आज वरिष्ठ पत्रकार अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं खरगोन में मुस्लिम महिलाओं के रैली की जिसमे निर्दोष लोगो को रिहा करने की मांग की गई हैं।
  • अब्दुल अलीम जाफ़री
    योगी 2.0 का पहला बड़ा फैसला: लाभार्थियों को नहीं मिला 3 महीने से मुफ़्त राशन 
    12 May 2022
    पीएमजीकेएवाई ने भाजपा को विधानसभा चुनाव जीतने में मदद की थी।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License