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भारत
राजनीति
“देश काग़ज़ पर बना नक़्शा नहीं होता!” – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
यदि तुम्हारे घर के 
एक कमरे में आग लगी हो 
तो क्या तुम 
दूसरे कमरे में सो सकते हो? 
यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में 
लाशें सड़ रहीं हों 
तो क्या तुम 
दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो? 
यदि हाँ 
तो मुझे तुम से 
कुछ नहीं कहना है। 
न्यूज़क्लिक प्रोडक्शन
02 Sep 2019

यदि तुम्हारे घर के 
एक कमरे में आग लगी हो 
तो क्या तुम 
दूसरे कमरे में सो सकते हो? 
यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में 
लाशें सड़ रहीं हों 
तो क्या तुम 
दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो? 
यदि हाँ 
तो मुझे तुम से 
कुछ नहीं कहना है। 
  
देश काग़ज़ पर बना 
नक़्शा नहीं होता 
कि एक हिस्से के फट जाने पर 
बाक़ी हिस्से उसी तरह साबुत बने रहें 
और नदियां, पर्वत, शहर, गांव 
वैसे ही अपनी-अपनी जगह दिखें 
अनमने रहें। 
यदि तुम यह नहीं मानते 
तो मुझे तुम्हारे साथ 
नहीं रहना है। 
  
इस दुनिया में आदमी की जान से बड़ा 
कुछ भी नहीं है 
न ईश्वर 
न ज्ञान 
न चुनाव 
काग़ज़ पर लिखी कोई भी इबारत 
फाड़ी जा सकती है 
और ज़मीन की सात परतों के भीतर 
गाड़ी जा सकती है। 
  
जो विवेक 
खड़ा हो लाशों को टेक 
वह अंधा है 
जो शासन 
चल रहा हो बंदूक की नली से 
हत्यारों का धंधा है 
यदि तुम यह नहीं मानते 
तो मुझे 
अब एक क्षण भी 
तुम्हें नहीं सहना है। 
  
याद रखो 
एक बच्चे की हत्या 
एक औरत की मौत 
एक आदमी का 
गोलियों से चिथड़ा तन 
किसी शासन का ही नहीं 
सम्पूर्ण राष्ट्र का है पतन। 
  
ऐसा ख़ून बहकर 
धरती में जज़्ब नहीं होता 
आकाश में फहराते झंडों को 
काला करता है। 
जिस धरती पर 
फ़ौजी बूटों के निशान हों 
और उन पर 
लाशें गिर रही हों 
वह धरती 
यदि तुम्हारे ख़ून में 
आग बन कर नहीं दौड़ती 
तो समझ लो 
तुम बंजर हो गये हो- 
तुम्हें यहां सांस लेने तक का नहीं है अधिकार 
तुम्हारे लिए नहीं रहा अब यह संसार। 
  
आख़िरी बात 
बिल्कुल साफ़ 
किसी हत्यारे को 
कभी मत करो माफ़ 
चाहे हो वह तुम्हारा यार 
धर्म का ठेकेदार, 
चाहे लोकतंत्र का 
स्वनामधन्य पहरेदार।

Jammu and Kashmir
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Kashmir

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