NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अंतरराष्ट्रीय
डिजिटल युग में प्रोपगैंडा और शरारत
बीजेपी ने शायद पहले ही सर्वेक्षण और लक्षित समूह का अध्ययन किया और निष्कर्ष निकाला कि हरियाणवी या भोजपुरी (कम लिंगानुपात वाले क्षेत्र) पुरुषों को ख़ूबसूरत कश्मीरी लड़कियों से शादी करने की भावना को उकसाना,संभवतः अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के उनके फैसले को भुनाने का बेहतर रास्ता है।
बप्पा सिन्हा
14 Aug 2019
digital age

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने हाल ही में हरियाणा के फतेहाबाद में आयोजित एक सभा में विवादित बयान दिया। कश्मीर से जुड़े अनुच्छेद 370 के हटने को लेकर खट्टर ने कहा कि इसने हरियाणवी  पुरूषों के लिए रास्ता साफ कर दिया है कि वे कश्मीरी लड़कियों को अपनी पत्नी बनाकर लाएं। वे "बेटी बचाओ बेटी पढाओ" अभियान पर बोल रहे थे! पिछले पांच वर्षों से भारतीय जनता पार्टी के (बीजेपी) इस अभियान से अभ्यस्त होने के बावजूद इस कृत्य ने पूरी तरह चौंका दिया है। लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री को ऐसे घृणित शब्दों को बोलने के लिए किस चीज ने प्रेरित किया? क्या यह केवल उनकी व्यक्तिगत शरारत थी जो अल्पसंख्यकों व महिलाओं के प्रति विशिष्ट भाजपा शैली में अहंकार और असंवेदनशीलता के रूप में व्यक्त की गई या किसी ने सुझाव दिया है? क्या यह उनके राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की परवरिश और स्त्री जाति से विद्वेष की झलक है जो इसकी प्रवृत्ति है? सरकार के समर्थक लेखकों ने यह कहते हुए उनका बचाव किया है कि उनकी टिप्पणी को ग़लत समझा गया। लेकिन वास्तव में खट्टर ने जो कहा वह एक शरारती व्यक्ति द्वारा किया गया मज़ाक नहीं था। यह एक कुटिल और सावधानी से तैयार किया गया अभियान का हिस्सा है।

खट्टर इस तरह की भद्दी टिप्पणी करने वाले एकमात्र बीजेपी नेता नहीं थे और न ही वे पहले नेता थे। 5 अगस्त को जिस दिन सरकार ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने की घोषणा की थी उसी दिन यूपी के मुज़फ़्फरनगर ज़िले के खतौली विधानसभा क्षेत्र के बीजेपी विधायक विक्रम सिंह सैनी ने सरकार के इस फैसले को लेकर कहा कि बीजेपी कार्यकर्ता इस क़दम से उत्साहित हैं कि वे अब कश्मीर की ख़ूबसूरत लड़कियों से शादी कर सकते हैं। और वह कोई अकेले नेता नहीं थे। हफिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार सोशल मीडिया साइट टिक्कॉक पर इसी दिन बड़ी संख्या में वीडियो पोस्ट की गई जिसमें लोगों ने जीत का दावा करते हुए कहा कि वे अब कश्मीर से "लड़कियां ला सकते हैं"।

स्क्रॉल डॉट इन का एक अन्य लेख "अ होल न्यू सब-जॉनर ऑफ सॉन्ग्स इमरजेज अबाउट गेटिंग कश्मीरी बहू (कश्मीरी बहू पाने को लेकर गीत की एक मुकम्मल नई उप-शैली उभरी है)" शीर्षक से है। इस लेख में हरियाणवी और भोजपुरी में कई गीतों को यूट्यूब पर पोस्ट करने की चर्चा की गई है। इस गीत में कश्मीरी लड़कियों को पत्नी बनाने का लेकर चर्चा है। स्पष्ट रूप से ये सभी शरारती व्यक्तियों का काम नहीं है जो अनायास ही सरकार के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के फैसले से सक्रिय हो रहे हैं बल्कि बीजेपी के आईटी सेल द्वारा एक सुनियोजित और समन्वित अभियान का हिस्सा है। हाल में बीजेपी के पास सबसे अच्छी डेटा टीम है जिसे पैसे से ख़रीदा जाता है और इसलिए उन्होंने शायद पहले से ही सर्वेक्षण और लक्षित समूह का अध्ययन किया है और निष्कर्ष निकाला कि हरियाणवी या भोजपुरी (कम लिंगानुपात वाले क्षेत्र) पुरुषों को ख़ूबसूरत कश्मीरी लड़कियों से शादी करने की भावना को उकसाना संभवतः अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के उनके फैसले को भुनाने का बेहतर मार्ग है। यह कितना ख़तरनाक है।


समाचार लेखों में जो रिपोर्ट किया गया है और यूट्यूब जैसी सोशल मीडिया साइटों पर जो पोस्ट किया गया है वे बहुत बड़े समुंद्री हिमखंड का बहुत छोटा सा दिख रहा हिस्सा है।  इसके साथ, कई यहां तक कि आपत्तिजनक वीडियो और भाषण पहले ही लाखों व्हाट्सएप ग्रुपों में फैल चुके हैं जिसको बीजेपी / आरएसएस प्रत्येक राज्य में चलाते हैं। लेकिन दिल्ली या मुंबई जैसे महानगर में बैठे हुए अगर ये वीडियो आपके व्हाट्सएप ग्रुप में दिखाई नहीं दिया तो आश्चर्य न हों। जनसांख्यिकीय और सामाजिक-आर्थिक आधार पर सभी समूहों का विश्लेषण और वर्गीकरण किया गया है। इन वीडियो को उत्तर भारत के ग्रामीण और उप-नगरीय क्षेत्र में युवाओं को लक्षित किया जाएगा। दिल्ली और मुंबई के अमीर को विकास और आकर्षक रियल एस्टेट के अवसरों को लेकर लक्षित किया जाएगा जो कश्मीर में खुलने वाले हैं। इस तरह डिजिटल युग में डेटा-संचालित माइक्रो-टारगेटिंग द्वारा दुष्प्रचारित किया जा रहा है।

बीजेपी इन तकनीकों से अच्छी तरह वाकिफ है और पिछले कुछ वर्षों से लगातार इनका इस्तेमाल कर रही है। उदाहरण के लिए हमने 2016 में नोटबंदी के दौरान इसी तरह की रणनीति देखी थी। जब अर्थशास्त्री, विपक्ष और प्रत्येक विद्वान व्यक्ति आर्थिक दुःस्वप्न नोटबंदी को लेकर चर्चा करते कि यह स्पष्ट हो जाएगा कि काले धन से निपटने में यह कैसे अप्रभावी होगा या अर्थव्यवस्था को डिजिटल बनाने का किस तरह यह एक हास्यास्पद तरीका है तो बीजेपी आईटी सेल इस बात को आगे बढ़ाने का प्रयास करते कि यह आतंकवादियों और नक्सलियों को खत्म करने में सफल होगा। हालांकि यह नोटबंदी के बेतुके बचाव के तौर पर दिखाई देगा, लेकिन क्या वास्तव में इसने कुछ किया! लोगों को आश्वस्त किया गया था कि नोटबंदी के कारण आतंकवाद समाप्त हो गया और इसलिए उनके स्वयं का व्यक्तिगत बलिदान राष्ट्र की भलाई के लिए क़ीमत चुकाने की एक छोटी सी क़ीमत थी।

जाहिर है, बीजेपी के दुष्प्रचार तंत्र के पीछे एक विज्ञान है। इस तरह की दुष्प्रचार तकनीकों के दो पहलू हैं जो बीजेपी के लिए किसी भी तरह से अद्वितीय नहीं है लेकिन ट्रम्प और ब्रेक्सिट अभियानों सहित दुनिया भर में विभिन्न दक्षिणपंथी दलों द्वारा सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया जा रहा है। एक तो प्रत्येक मतदाता के लिए डेटा एनालिटिक्स और जनसांख्यिकीय और मनोवैज्ञानिक प्रोफाइल तैयार करने के लिए इस्तेमाल करना जिसे बदनाम कैम्ब्रिज एनालिटिका द्वारा सार्वजनिक किया गया था। थोड़ा समझ में आने वाला दूसरा पहलू लोगों के दिमाग को लक्षित करने के लिए व्यवहारिक मनोविज्ञान का इस्तेमाल करना है। अब यह व्यवहारिक मनोविज्ञान के क्षेत्र में समझा जाता है कि लोगों को दो रास्तों के माध्यम से राजी किया जा सकता है। इनमें से लंबा रास्ता तथ्यों और तार्किक तर्कों की एक विस्तृत प्रस्तुति के माध्यम से दर्शकों को समझाने का है। स्पष्ट रूप से यह दर्शकों को जीतने में समय लेता है और एक ऐसी दुनिया में तेजी से चुनौती दे रहा है जहां लोगों के तवज्जो का दायरा बहुत छोटा है। छोटा रास्ता लोगों की भावनाओं और मौजूदा नुकसान के लिए अपील करना है। यह तुरंत परिणाम दे सकता है, खासकर जब भय, क्रोध, घमंड या लालच जैसी नकारात्मक भावनाओं के लिए अपील की जाती है। ये सभी दशकों से विज्ञापनदाताओं और बाजार करने वाले लोगों की जानकारी में है और इसका इस्तेमाल साबुन से लेकर कार और बंदूक तक सब कुछ बेचने के लिए किया जाता है। सोशल और डिजिटल मीडिया के आगमन के साथ हाल ही में जो हुआ है वह ये कि इन तकनीकों का इस्तेमाल उम्मीदवारों, पार्टियों और नीतियों को बेचने के लिए किया जाता है।

हमने दक्षिणपंथी दलों द्वारा इन तकनीकों का इस्तेमाल खास तौर से भय और लालच देकर लोगों के दिमाग को "हैक" करने के लिए देखा है जिससे हमारे लोकतंत्र को ख़तरा हो रहा है। हम में से ज़्यादातर लोग भड़क जाते हैं और इन डरावने तरीकों से घृणा करते हैं। लेकिन हमें यह समझने की ज़रूरत है कि रोज़मर्रा के इस बेतूकी घटना पर प्रतिक्रिया देना ही उनका मुकाबला करने के लिए पर्याप्त नहीं है। एक प्रभावी दीर्घकालिक जवाबी मुक़ाबले को यह समझने की आवश्यकता है कि ये दुष्प्रचार तकनीक कैसे काम करती है और फिर यह धरातल पर आंदोलन तैयार करने के लिए और साथ ही डिजिटल दुनिया में रचनात्मक अभियान लोगों को उन चीजों के बारे में सूचित करने को लेकर है जो वास्तव में उनके जीवन और आजीविका के लिए मायने रखती हैं।

लेखक VirtunetSystems के संस्थापक और मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी हैं। लेख में व्यक्त विचार निजी है।

digital age
propaganda in digital age
manohar lal khttar
propaganda by bjp
BJP propganada for chnaging of behaviour of people
Jammu and Kashmir

Related Stories

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

कश्मीर में हिंसा का नया दौर, शासकीय नीति की विफलता

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

कश्मीरी पंडितों के लिए पीएम जॉब पैकेज में कोई सुरक्षित आवास, पदोन्नति नहीं 

यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा

आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्रक़ैद

जम्मू में आप ने मचाई हलचल, लेकिन कश्मीर उसके लिए अब भी चुनौती

जम्मू-कश्मीर परिसीमन से नाराज़गी, प्रशांत की राजनीतिक आकांक्षा, चंदौली मे दमन


बाकी खबरें

  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां
    04 Jun 2022
    बनारस के फुलवरिया स्थित कब्रिस्तान में बिंदर के कुनबे का स्थायी ठिकाना है। यहीं से गुजरता है एक विशाल नाला, जो बारिश के दिनों में फुंफकार मारने लगता है। कब्र और नाले में जहरीले सांप भी पलते हैं और…
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में 24 घंटों में 3,962 नए मामले, 26 लोगों की मौत
    04 Jun 2022
    केरल में कोरोना के मामलों में कमी आयी है, जबकि दूसरे राज्यों में कोरोना के मामले में बढ़ोतरी हुई है | केंद्र सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए पांच राज्यों को पत्र लिखकर सावधानी बरतने को कहा…
  • kanpur
    रवि शंकर दुबे
    कानपुर हिंसा: दोषियों पर गैंगस्टर के तहत मुकदमे का आदेश... नूपुर शर्मा पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं!
    04 Jun 2022
    उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था का सच तब सामने आ गया जब राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दौरे के बावजूद पड़ोस में कानपुर शहर में बवाल हो गया।
  • अशोक कुमार पाण्डेय
    धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है
    04 Jun 2022
    केंद्र ने कश्मीरी पंडितों की वापसी को अपनी कश्मीर नीति का केंद्र बिंदु बना लिया था और इसलिए धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। अब इसके नतीजे सब भुगत रहे हैं।
  • अनिल अंशुमन
    बिहार : जीएनएम छात्राएं हॉस्टल और पढ़ाई की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर
    04 Jun 2022
    जीएनएम प्रशिक्षण संस्थान को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने की घोषणा करते हुए सभी नर्सिंग छात्राओं को 24 घंटे के अंदर हॉस्टल ख़ाली कर वैशाली ज़िला स्थित राजापकड़ जाने का फ़रमान जारी किया गया, जिसके ख़िलाफ़…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License