NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दिल्ली पहुंची कचरी की आवाज़, जांच समिति ने किया दमन का विरोध
सौजन्य: संघर्ष संवाद
29 Oct 2015

यहाँ की करछना तहसील के कचरी गाँव में बीते महीने की 9 तारीख को हुए पुलिसिया दमन की जांच करने दिल्ली से आई पत्रकारों की एक स्वतंत्र जांच समिति ने जेल में बंद किसानों के परिवारों के साथ सहानुभूति जताते हुए उन्हें तत्काल बेशर्त रिहा करने की मांग उठाई है। गुरुवार और शुक्रवार को कचरी,कचरा, देहली भगेसर आदि गांवों का दौरा करने तथा जिलाधिकारी के साथ लंबी वार्ता करने के बाद जांच दल ने यहां स्थित कॉफी हाउस में पत्रकारों को संबोधित करते हुए अपनी जांच के निष्कर्ष संक्षेप में सामने रखे।

सामाजिक कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई, जितेंद्र चाहर और ऋचा पांडेय, पत्रकार राजेंद्र मिश्रा, संजय रावत, अजय प्रकाश, सिद्धांत मोहन और अभिषेक श्रीवास्तव, राजनीतिक कार्यकर्ता राघवेंद्र सिंह, राघवेंद्र प्रताप सिंह और अधिवक्ता रवींद्र सिंह उक्त जांच दल में शामिल थे। इन्होंने करछना पावर प्लांट से प्रभावित परिवारों की व्यथा सुनी और जेल में बंद महिलाओं व पुरूषों से मुलाकात के बाद बताया कि किस तरह किसानों के परिवारों को फर्जी मुकदमों में कैद किया गया है और एक महीने से ज्यादा समय से छोटे-छोटे बच्चों को अपराधियों के बीच रखकर उनके अधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है।

जांच समिति ने कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं जो निम्न हैं-

• तीन लाख का मुआवजा वापस लेने के लिए कानूनी प्रक्रिया क्यों नहीं अपनाई जा रही

• विस्थापित किसानों के पुनर्वास और पुनर्स्थापन का खाका अब तक क्यों नहीं बना है

• पूरे इलाके में अलग-अलग बहानों से पिछले दो महीने से धारा 144 क्यों लागू है

• जेल में बंद 42 लोगों में शामिल 8 बच्चों को बाल सुधार गृह में क्यों नहीं भेजा जा रहा है

• प्रशासनिक अधिकारियों के बयानों में 9 सितंबर की घटना को लेकर विरोधाभास क्यों है

सामाजिक कार्यकर्ता प्रिया पिल्लई ने कहा, ‘‘गिरफ्तार 42 किसानों को 36 घंटे तक कुछ खाने-पीने को नहीं दिया गया। एक महिला से यह कहा गया कि कुबूल करो कि तुम्हारे घर में बारूद बनता है। आखिर यह मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं तो और क्या है।’’ पत्रकार अजय प्रकाश ने 9 सितंबर की घटना के बारे में एस.पी. जमुना पार आशुतोष मिश्र की बताई कहानी को मनगंढ़त करार देते हुए सवाल उठाया कि ‘‘कचरी गांव के सिपाही लाल पटेल के घर के भीतर से अगर बम फेंका गया था तो घर के भीतर की दीवारें काली क्यों हैं और उसमें कोई आहत क्यों नहीं हुआ। जांच दल ने 9 सितंबर को गांव पर हुए हमले की कहानी में कई तकनीकि झोल गिनाते हुए साफ कहा कि यह कार्रवाई विकास के नाम पर किसानों से जमीन हड़पने के लिए जबरन की गई है।’’ ऋचा पांडेय ने पूछा, ‘‘एस.पी. के मुताबिक गांव में यदि एस.आई महिला थाना समेत आठ महिला सिपाही भेजी गई थीं तो गांव की युवतियां पुरूष सिपाहियों के बारे में शिकायत क्यों कर रही हैं। साफ है कि प्रशासन झूठ बोल रहा है।

’’ दिल्ली से आए पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव ने करछना मामले की कनहर गोली कांड से तुलना करते हुए कहा कि ‘‘सरकारें कंपनियों के एजेंट का काम कर रही हैं और विकास का नाम लेकर संसाधनों को निजी हाथों में सौंप देना चाहती हैं। इसी वजह से उनकी कार्रवाई से असहमत जनता को कभी नक्सली तो कभी आतंकवादी करार दिया जा रहा है। करछना के मामले में उन्होंने इलाहाबाद के पंथ संस्थान में करवाए गए एक अध्ययन का हवाला दिया जिसमें मिर्जापुर से इलाहाबाद तक को नक्सली क्षेत्र घोषित करने की सिफारिश की गई थी।’’  उन्होंने पूरी घटना को इस पृष्ठभूमि में देखने का आग्रह किया।

संघर्ष संवाद के संपादक जितेंद्र चाहर ने बताया कि कचरी में हुए दमन का संज्ञान राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने ले लिया है और संभव है कि जल्द ही आयोग की एक टीम इसकी जांच करने के लिए मौके पर पहुंचेगी जिसकी गाज कुछ बड़े प्रशासनिक अधिकारियों पर गिर सकती है। राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि मुलायम सरकार चाहे कितना भी इस मामले को क्यों न दबा ले लेकिन करछना के किसानों की आवाज अब दिल्ली पहुंच चुकी है।

जांच समिति जल्द ही दिल्ली में एक बड़ा आयोजन करके अपनी जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करेगी और उसकी एक प्रति राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को सौंपते हुए दोषी अधिकारियों को दंडित करने की मांग करेगी। 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख में वक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारों को नहीं दर्शाते ।

उत्तर प्रदेश
करछना जे पी पॉवर प्लांट विरोधी आंदोलन
पुलिसिया दमन

Related Stories

उप्र बंधक संकट: सभी बच्चों को सुरक्षित बचाया गया, आरोपी और उसकी पत्नी की मौत

नागरिकता कानून: यूपी के मऊ अब तक 19 लोग गिरफ्तार, आरएएफ और पीएसी तैनात

यूपी-बिहार: 2019 की तैयारी, भाजपा और विपक्ष

सोनभद्र में चलता है जंगल का कानून

यूपीः मेरठ के मुस्लिमों ने योगी की पुलिस पर भेदभाव का लगाया आरोप, पलायन की धमकी दी

चीनी क्षेत्र के लिए केंद्र सरकार का पैकेज, केवल निजी मिलों को एक मीठा तोहफ़ा

चंद्रशेखर आज़ाद 'रावण’ जेल में बंद, भीम आर्मी द्वार लोगों को संगठित करने का प्रयास जारी

डॉक्टर कफील ने कहा ऑक्सीज़न की कमी ने बच्चों की मौतों में किया था इज़ाफा

भीम आर्मी नेता के भाई की हत्या के बाद सहारनपुर में तनाव

यूनियन हॉल में जिन्ना के तस्वीर के कारण एएमयू के छात्र पीटे गये


बाकी खबरें

  • भाषा
    अदालत ने कहा जहांगीरपुरी हिंसा रोकने में दिल्ली पुलिस ‘पूरी तरह विफल’
    09 May 2022
    अदालत ने कहा कि 16 अप्रैल को हनुमान जयंती पर हुए घटनाक्रम और दंगे रोकने तथा कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में स्थानीय प्रशासन की भूमिका की जांच किए जाने की आवश्यकता है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 3,207 नए मामले, 29 मरीज़ों की मौत 
    09 May 2022
    राज्यों में कोरोना जगह-जगह पर विस्पोट की तरह सामने आ रहा है | कोरोना ज़्यादातर शैक्षणिक संस्थानों में बच्चो को अपनी चपेट में ले रहा है |
  • Wheat
    सुबोध वर्मा
    क्या मोदी सरकार गेहूं संकट से निपट सकती है?
    09 May 2022
    मोदी युग में पहली बार गेहूं के उत्पादन में गिरावट आई है और ख़रीद घट गई है, जिससे गेहूं का स्टॉक कम हो गया है और खाद्यान्न आधारित योजनाओं पर इसका असर पड़ रहा है।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: एक निशान, अलग-अलग विधान, फिर भी नया इंडिया महान!
    09 May 2022
    क्या मोदी जी के राज में बग्गाओं की आज़ादी ही आज़ादी है, मेवाणियों की आज़ादी अपराध है? क्या देश में बग्गाओं के लिए अलग का़ानून है और मेवाणियों के लिए अलग क़ानून?
  • एम. के. भद्रकुमार
    सऊदी अरब के साथ अमेरिका की ज़ोर-ज़बरदस्ती की कूटनीति
    09 May 2022
    सीआईए प्रमुख का फ़ोन कॉल प्रिंस मोहम्मद के साथ मैत्रीपूर्ण बातचीत के लिए तो नहीं ही होगी, क्योंकि सऊदी चीन के बीआरआई का अहम साथी है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License