NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दिल्ली उच्च न्यायलय: मालिक मज़दूरों को दिए बढ़े हुए वेतन को वसूल नहीं करेंगे
दिल्ली सरकार शनिवार के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगीI
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
07 Aug 2018
delhi minimum wage

दिल्ली हाईकोर्ट ने बीते शनिवार को न्यूनतम वेतन पर मज़दूरों के खिलाफ और मालिकों के पक्ष में फैसला सुनायाI यह दिल्ली के मज़दूरों के लिए किसी गंभीर घाव से कम नहीं है परन्तु सोमवार को कोर्ट ने एक अन्य निर्णय से मज़दूरों के घाव पर थोड़ा महरम लगाया हैI

शनिवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने मज़दूरों के लंबे संघर्ष के बाद उनके न्यूनतम वेतन में सरकार द्वारा किये गए 37% वृद्धि को रोक दिया थाI लेकिन कल कोर्ट ने इस मसले पर संज्ञान लेते हुए मज़दूरों को राहत देते हुए एक और आदेश दिया और कहा कि कोई भी मालिक किसी भी मज़दूर से बढ़ाकर दिया हुआ वेतन वापस नहीं माँग सकता हैंI मतलब न्यूनतम वेतन के बढ़ोतरी के बाद मज़दूरों को जो बढ़ा हुआ वेतन दिया है उसे कोई भी मालिक या उद्योगपति वसूल नहीं सकता है, परन्तु अब से वे बढ़े हुए वेतन देने के लिए बाध्य नहीं हैंI

इसके बाद से ही मज़दूरों में इस बात की आशंका यह थी फैक्ट्री मालिक उनसे बढ़े हुए वेतन को लौटाने के लिए न कह देंI परन्तु कल के फैसले ने मज़दूरों की इस आशंका को खत्म कर दिया और साफ किया कि दिल्ली सरकार के न्यूनतम मज़दूरी बढ़ाने के आदेश से अब तक दिए गए बढ़े हुए वेतन को मज़दूरों  से वापस नहीं लिया जा सकताI

यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि मार्च में दिल्ली सरकार ने न्यूनतम वेतन में वृद्धि के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था जिसके अनुसार दिल्ली में अकुशल मज़दूरों को 13,584 रूपये, अर्द्ध कुशल मज़दूरों को 14,998 रूपये और कुशल मज़दूरों को 16,468 रूपये न्यूनतम मज़दूरी तय की गई थीI परन्तु हाईकोर्ट के फैसले के बाद न्यूनतम वेतन एक बार फिर से वो ही हो गया जो पहले थाI इसके अनुसार अकुशल, अर्द्ध कुशल और कुशल को क्रमशः 9,724 रूपये, 10,764 रूपये और 11,830 रुपये प्रतिमाह हैI

फैसल पर दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया

मज़दूरों  के लिए न्यूनतम मज़दूरी के फैसले का रद्द होना बहुत बड़ा झटका है साथ ही  ये  दिल्ली कि आम आदमी पार्टी की सरकार के लिए झटका हैंI ऐसे में हाईकोर्ट से शनिवार को आए फैसले के खिलाफ सरकार सुप्रीमकोर्ट में अपील दाखिल करने का मन  बनाया  हैI दिल्ली सरकार में श्रम मंत्री गोपाल राय ने सोमवार को विभाग के तमाम वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मीटिंग की और इसके बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने का कारण भी बताया और एक–एक कर उच्च न्यायालय द्वारा उठाई गयी आपत्तियों पर आपना पक्ष रखाI

सर्वप्रथम गोपाल राय ने हाईकोर्ट की पहली अपत्ति, दिल्ली सरकार ने न्यूनतम मज़दूरी बढ़ाते हुए जल्दबाज़ी की हैं, पर जवाब दिया और बताया कि दिल्ली में 8 अप्रैल 2016 को कमेटी बनीI कमेटी ने आठ मीटिंग की थीI फिर उप राज्यपाल की अपात्ति के बाद दोबारा कमेटी अगस्त 2016 में बनी जिसने 9 बार मीटिंग कीI 3 मार्च 2017 को अंततः नोटिफिकेशन जारी किया गया थाI

फिर गोपाल राय ने हाइकोर्ट द्वारा की गई  दूसरी अपात्ति, न्यूनतम वेतन बढ़ाने से संबंधित कमेटी में एसोचेम, फिक्की, सीआईआई के लोगों को क्यों जोड़ा गया? इस पर भी मंत्री ने अपना पक्ष रखा और उन्होंने कहा कि  पहले भी जब 2010 में दिल्ली में डीए को लेकर सवाल उठे थे, उस दौरान भी इस मसले को सुलझाने के लिए जो समीति बनी थी उसमें भी एसोचेम, फिक्की और सीआईआई के सदस्य शामिल थे, तब तो इस पर किसी ने भी सवाल खड़े नहीं किये थे तो अब क्यों आपत्ति हैं?

अंत में श्री राय ने कहा कि दिल्ली सरकार हाइकोर्ट के इस फैसले से संतुष्ट नहीं है और इसके खिलाफ दिल्ली की सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी और वहाँ इस फैसले को चुनौती देगीI

हाईकोर्ट ने एक और बात अपने निर्णय में बड़ी प्रमुखता से कही थी कि दिल्ली के आस-पास न्यूनतम मज़दूरी कम है सरकार द्वारा तय की गई मज़दूरी से इसलिए उन्होंने  सरकार के मार्च में जारी नोटिफिकेशन को खारिज़ कर दियाI

इस पर दिल्ली के एक मज़दूर गोविन्द ने कहा कि “न्यायालय को हरियाण और यूपी के बराबर ही दिल्ली में दूध, सब्ज़ी, ज़मीन और मकान का किराया और अन्य वस्तुओं के दाम करने के लिए भी एक आदेश देना चाहिएI तभी न्यायालय का ये तर्क सार्थक है कि दिल्ली के आस-पास के राज्यों में न्यूनतम वेतन कम है इसलिए दिल्ली में भी कम ही हो”I

Delhi High court
minimum wage reduced
delhi's workers
Arvind Kejriwal
delhi govt
anti-worker policies

Related Stories

दिल्ली उच्च न्यायालय ने क़ुतुब मीनार परिसर के पास मस्जिद में नमाज़ रोकने के ख़िलाफ़ याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने से इनकार किया

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?

‘आप’ के मंत्री को बर्ख़ास्त करने से पंजाब में मचा हड़कंप

बग्गा मामला: उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस से पंजाब पुलिस की याचिका पर जवाब मांगा

मैरिटल रेप : दिल्ली हाई कोर्ट के बंटे हुए फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, क्या अब ख़त्म होगा न्याय का इंतज़ार!

मुंडका अग्निकांड के लिए क्या भाजपा और आप दोनों ज़िम्मेदार नहीं?

ख़बरों के आगे-पीछे: राष्ट्रपति के नाम पर चर्चा से लेकर ख़ाली होते विदेशी मुद्रा भंडार तक


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License