NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों का ABVP के हमलों के खिलाफ मार्च
“ABVP 14 फरवरी से ही SFI कार्यकर्ताओं और उन सभी छात्रों को चुनकर हमला कर रही है जो ‘वी ट्री पूजा’ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शमिल थे।”
मुकुंद झा
16 Feb 2019
SFI protest

छात्र संगठन एसएफआई (SFI) कार्यकर्ताओं पर एबीवीपी (ABVP) के हमले के खिलाफ छात्रों ने आज शनिवार को मार्च निकाला।आज जब एसएफआई के लोग प्रदर्शन कर के वापस जा रहे थे , उसी दौरान अखिल भरतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े लोगों ने हमला किया जिसमे एसएफआई के अखिल भरतीय केन्द्रीय कमेटी सदस्य नितेश गंभीर रूप से घयल हो गए है | इसको लेकर उन्होंने जान से मारने की कोशिश का आरोप लगया और इसको लेकर पुलिस में भी मामला दर्ज कर दिया है |

दरअसल एसएफआई का एक समूह शुक्रवार, 15 फरवरी को विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन पर शिक्षा के निजीकरण और शिक्षा के व्यावसायीकरण के खिलाफ 18 फरवरी को होने वाले अखिल भारतीय मार्च 'चलो दिल्ली' के लिए पर्चे बांट रहा था,तभी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) कार्यकर्ताओ ने उन पर लाठी-डण्डों के साथ हमला कर दिया जिसमें कई छात्रों को गंभीर चोटें आईं।

51530755_388653445245525_5924956798430740480_n.jpg

इस हमले के  खिलाफ आज दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने आर्ट्स फैकल्टी से मोरिस नगर थाने तक विरोध मार्च किया। इस मार्च में एसएफआई, आइसा , एआईडीएसओ, एआईएसएफ और पिंजरा तोड़ जैसे संगठन ने हिस्सा लिया। सभी ने एबीवीपी द्वारा किये जा रहे हमलों की निंदा की और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई कि मांग की।

लेकिन मोरिस नगर पुलिस थाने के SHO से न्यूज़क्लिक से बात करते हुए इसे हमला मानने से साफ इंकार किया। उनके मुताबिक ये दो समूह की झड़प थी। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले इस तरह कि घटनाएँ आम बात हैं । एबीवीपी और एसएफआई की विचारधार नहीं मिलती है, इसलिए झड़प हो जाती है।

एसएफआई का कहना है कि पुलिस भी एबीवीपी को बचाने की कोशिश कर रही है जबकि वहाँ मौजूद कई लोगो ने इसे देखा और मोबाइल से शूट भी किया। इसके अलावा मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर 4 पर लगे सीसीटीवी में भी सबकुछ रिकॉर्ड हुआ है,  जिसमें साफ दिख रहा है किस तरह से एबीवीपी से जुड़े लोगों  ने दो पुलिसकर्मियों के सामने हमारे लोगों पर हमला किया जब वो चुपचाप ‘दिल्ली चलो’के लिए पर्चा बाँट रहे थे, अगर यह हमला नहीं तो क्या था? इसका जबबा SHO साहब को देना चाहिए।

उनका कहना था कि पुलिस को बाहना छोड़कर आरोपियों के खिलाफ जल्द से जल्द एफआईआर दायर कर  आरोपियों की गिरफ्तारी करनी चाहिए। एसएफआई का यह भी कहना है कि एबीवीपी से जुड़े लोग हमारी महिला साथियों को लगातार रेप की धमकियाँ तक दे रहे हैं।

सवाल उठता है कि अचानक ये हमले क्यों किये जा रहे हैं। इस पूरे मामले की शुरुआत 14 फरवरी  से ही होती है। इस दिन से  दोनों छात्र संघठन एबीवीपी और एसएफआई आमने सामने हैं।

hindu.JPG

एसएफआई के राज्य अध्यक्ष विकास भौदरिया ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि एबीवीपी कार्यकर्ता 14 फरवरी से ही हमारे कार्यकर्ताओं  और उन सभी छात्रों को चुनकर हमला कर रहे है , जो उस दिन वी ट्री पूजा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल थे।कालेज में हिंसा करने के बाद भी वो नहीं रुके हैं। एबीवीपी के कार्यकर्ता नॉर्थ कैंपस के आसपास के हर उस  छात्र पर हमला कर रहे है , जिनके बारे में उन्होंने लगता है कि वो  वी-ट्री पूजा का विरोध कर रहे थे।

पिंजरा तोड़ के अनुसार उनके कार्यकर्ता, पर भी एबीवीपी ने हमला किया और लगातार उन्हें धमकियां दी जा रही हैं।

इसके बाद 15 फरवरी को विरोध प्रदर्शनों में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले हिंदू कॉलेज के छात्र कल  कॉलेज नहीं गए क्योंकि एबीवीपी के लोग गेट पर खड़े थे

अब तक आप समझ गए होंगे कि ये पूरा बवाल 14 फरवरी के दिन वी ट्री की पूजा से जुड़ा है लेकिन ये कौन सी पूजा है और इसको लेकर इतना बवाल क्यों हो रहा है? आइए जानते हैं कि ये पूजा क्या है।

वी ट्री पूजा

हिंदू कॉलेज में पिछले काफ़ी समय से ये प्रथा है कि  हर साल 14 फ़रवरी को एक  पेड़ को सजाया जाता है। इसे कहते हैं वी ट्री यानी वर्जिन ट्री। इसपर गुब्बारे और कॉन्डम लगाए जाते हैं जिनमें पानी भरा होता है। इसके साथ ही  साथ ही पेड़ पर एक सुंदर महिला की फोटो लगाई जाती है। अधिकतर वो कोई फ़िल्म की हिरोइन होती है। उसका बड़ा सा पोस्टर लगाया जाता है। उसको ये  दमदमी माई कहते हैं। इसके लिए बकायदा एक मीटिंग होती है कि इसबार दमदमी मैं किस अदाकारा को चुना जाए। इस पूजा में भाग लेने वाले छात्रों का मानना है कि जो भी लड़के दमदमी माई को पूजेंगे, उनको अगले छह महीने में वैसी ही गर्लफ्रेंड मिल जाएगी और यही नहीं उसको एक साल के अंदर उस लड़की से  सेक्स करना नसीब होगा।

इस पूरी पूजा को हिन्दू कालेज के पुरुष छात्रों का एक धड़ा और उनके साथ कई अन्य कालेज के छात्र भी बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। कथित तौर पर खुद को ‘संस्कारी’ कहने वाले एबीवीपी से जुड़े छात्र भी इसमें शामिल होते हैं। मुख्य पूजा जो करता है वो  कॉलेज फ्रेशर जीता हुआ लड़का होता है, उसको किसी पंडा की तरह जनेऊ पहनाया जाता है और वो  फिर पेड़ और दमदामी माई की आरती होती है।  ज़रा आरती के बोल ख़ुद पढ़िए और सोचिए कि ये कैसी पूजा है :- जय दमदमी माता

मैया जय दमदमी माता

तुमको दिनभर देखूं - 2

रात भर सो नहीं पाता

मैया जय दमदमी माता

 

36-24-36 ये तेरी काया....

 

Capture_2.JPG

 

ये सब बेहूदगी यहीं नहीं रुकती। इसके बाद प्रसाद बाँटा जाता है। प्रसाद के नाम पर कॉन्डम में भरा पानी छिड़का जाता है और यह कहा जाता है कि जिस पर यह पानी गिरा उसे दमदमी माई का आशीर्वाद मिल जाता है।

इस पूजा का विरोध

ये बेतुकी बेहूदी प्रथा कई सालो से चल रही है लेकिन पिछले कुछ समय में इसका विरोध बढ़ा है। इसके विरोध की शुरुआत लड़कियों ने की थी, लेकिन आज के समय कई पुरुष छात्र भी इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं।  आज भी विरोध करने वालों में महिलाओं की संख्या अधिक है।

विरोध कर रहे छात्रों का साफ कहना है कि  ये प्रथा सेक्सिस्ट है और ब्राह्मणवाद पितृसत्ता को बढ़ावा देती हैं।  इस का विरोध इसलिए भी क्योंकि  इस में लड़कियों को एक सेक्स ऑब्जेक्ट के रूप में देखा जाता है। पुरुष ये पूजा सिर्फ इसलिए करते हैं कि उन्होंने भी कोई दिखने में सुंदर गर्लफ्रेंड मिल जाए जिसके साथ वो सेक्स कर सकें। आरती के दौरान इस्तेमाल किए जा रहे शब्द भी कुछ ऐसे ही होते हैं।

इस पूजा में अधिकतर पुरुष होते है वो चिल्लाते हैं, शोर मचाते हैं और सेक्स करने की कामना करते हैं। ये पूरा कार्यक्रम एक प्रकार से महिलाओ के प्रति एक हिंसक भीड़ को उकसने जैसा है। आप जानते हैं कि आज भी हमारे समाज में महिलाओं को बराबरी के दर्जे के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ रहा है और सरकारी संस्थानों में इस तरह का जाहिलपन किस हद तक ठीक है ये आप खुद सोचिए।

18 फरवरी को देश भर से छात्र कैंपसों में महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा और ऐसी ही कई मांगों को लेकर दिल्ली के मंडी हॉउस से संसद मार्ग तक मार्च करेंगे।

 

 

 

Student Protests
SFI Student
SFI
SFI Protest
ABVP
Delhi University
Delhi
#StudentsChaloDelhi
#StudentsAgainstModi

Related Stories

कार्टून क्लिक: उनकी ‘शाखा’, उनके ‘पौधे’

मुंडका अग्निकांड: 'दोषी मालिक, अधिकारियों को सजा दो'

मुंडका अग्निकांड: ट्रेड यूनियनों का दिल्ली में प्रदर्शन, CM केजरीवाल से की मुआवज़ा बढ़ाने की मांग

अलीगढ़ : कॉलेज में नमाज़ पढ़ने वाले शिक्षक को 1 महीने की छुट्टी पर भेजा, प्रिंसिपल ने कहा, "ऐसी गतिविधि बर्दाश्त नहीं"

दिल्ली: रामजस कॉलेज में हुई हिंसा, SFI ने ABVP पर लगाया मारपीट का आरोप, पुलिसिया कार्रवाई पर भी उठ रहे सवाल

धनशोधन क़ानून के तहत ईडी ने दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को गिरफ़्तार किया

दिल्ली: दलित प्रोफेसर मामले में SC आयोग का आदेश, DU रजिस्ट्रार व दौलत राम के प्राचार्य के ख़िलाफ़ केस दर्ज

कोरोना अपडेट: केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली में फिर से बढ़ रहा कोरोना का ख़तरा

डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी

ज्ञानवापी पर फेसबुक पर टिप्पणी के मामले में डीयू के एसोसिएट प्रोफेसर रतन लाल को ज़मानत मिली


बाकी खबरें

  • hisab kitab
    न्यूज़क्लिक टीम
    लोगों की बदहाली को दबाने का हथियार मंदिर-मस्जिद मुद्दा
    20 May 2022
    एक तरफ भारत की बहुसंख्यक आबादी बेरोजगारी, महंगाई , पढाई, दवाई और जीवन के बुनियादी जरूरतों से हर रोज जूझ रही है और तभी अचनाक मंदिर मस्जिद का मसला सामने आकर खड़ा हो जाता है। जैसे कि ज्ञानवापी मस्जिद से…
  • अजय सिंह
    ‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार
    20 May 2022
    मौजूदा निज़ामशाही में असहमति और विरोध के लिए जगह लगातार कम, और कम, होती जा रही है। ‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’—यह ऐसा हथियार बन गया है, जिससे कभी भी किसी पर भी वार किया जा सकता है।
  • India ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेता
    20 May 2022
    India Ki Baat के दूसरे एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, भाषा सिंह और अभिसार शर्मा चर्चा कर रहे हैं ज्ञानवापी विवाद, मोदी सरकार के 8 साल और कांग्रेस का दामन छोड़ते नेताओं की। एक तरफ ज्ञानवापी के नाम…
  • gyanvapi
    न्यूज़क्लिक टीम
    पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?
    20 May 2022
    अचानक मंदिर - मस्जिद विवाद कैसे पैदा हो जाता है? ज्ञानवापी विवाद क्या है?पक्षकारों की मांग क्या है? कानून से लेकर अदालत का इस पर रुख क्या है? पूजा स्थल कानून क्या है? इस कानून के अपवाद क्या है?…
  • भाषा
    उच्चतम न्यायालय ने ज्ञानवापी दिवानी वाद वाराणसी जिला न्यायालय को स्थानांतरित किया
    20 May 2022
    सर्वोच्च न्यायालय ने जिला न्यायाधीश को सीपीसी के आदेश 7 के नियम 11 के तहत, मस्जिद समिति द्वारा दायर आवेदन पर पहले फैसला करने का निर्देश दिया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License