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भारत
राजनीति
डीटीसी में हड़ताल के लिए मतदान, सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप
“डीटीसी कर्मचारी ज़ुल्म के पंजे को तोड़ने के लिए स्ट्राइक बैलट से वोट कर रहे हैं, जिसके बाद वो हड़ताल पर जा सकते हैं।”
न्यूजक्लिक रिपोर्ट
24 Sep 2018
DTC

डीटीसी कर्मचारी दिल्ली सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ़ हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। आज से डीटीसी के सभी डिपो पर हड़ताल को लेकर स्ट्राइक बैलट वोट किया जा रहा है। ये बैलट वोट उस समय किया जा रहा जब दिल्ली सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को आधार मानकर पिछले माह एक फरमान जारी करके एक झटके में कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर दी। साथ ही डीटीसी कर्मचारियों की लंबे समय से कई मांगें हैं, जिनके पूरे न होने से उनमें गुस्सा है, जैसे पक्की नौकरी का सवाल हो या फिर समान काम का समान वेतन हो या फिर सामजिक सुरक्षा का सवाल ये सभी ऐसे सवाल है जिसे लेकर डीटीसी के कर्मचारी आंदोलित हैं|

दिल्ली परिवहन निगम यानी डीटीसी दिल्ली की एक बड़ी आबादी का सहारा है। इसमें मज़दूर हों या मध्यम वर्ग के लोग, मेट्रो के साथ डीटीसी ही उनके आवागमन का सहारा। जबसे मेट्रो के किराये में बेतहाशा वृद्धि हुई है, तबसे तो और ज्यादा लोगों ने डीटीसी का रुख किया है। ऐसे में डीटीसी की व्यवस्था को सरकार को और पुख्ता करना था परन्तु लगातर उसको बदहाली की ओर धकेला जा रहा है। कर्मचरियों का तो कहना है की सरकार डीटीसी को तबाह करना चाहती है।

डीटीसी वर्कर्स यूनटी सेंटर जो मज़दूर संगठन ऐक्टू (AICCTU) से जुड़ा हुआ है, उसके अनुसार घटाए गए वेतन के विरोध में और डीटीसी मैनेजमेंट ओर सरकार की नीति और रवैये को देखते हुए वो सभी के डिपो में स्ट्राइक बैलेट वोट करा रहा है, जिसके माध्यम से ये जानने की कोशिश की जाएगी कि कितने कर्मचारी हड़ताल के पक्ष में है। इसके लिए दिल्ली के हर डिपो में 25 ,26 ,27 और 28 सितंबर को क्रमशः पूर्वी, उत्तरी , पश्चिमी और दक्षिणी दिल्ली के  डिपो में स्ट्राइक बैलेट वोट होगा|

ऐक्टू की सदस्या श्वेता ने न्यूज़क्लिक ने कहा कि “डीटीसी कर्मचारी ज़ुल्म के पंजे को तोड़ने के लिए स्ट्राइक बैलट से वोट कर रहे हैं, जिसके बाद वो हड़ताल पर जा सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा की हमारे घाव पर नमक छिड़कने के लिए कुछ सरकारी चमचे अब बता रहे हैं कि दिल्ली सरकार हमारे लिए ज़रूर कुछ करेगी। हमें बस इतना कहना है कि, उसने जितनी जल्दी हाईकोर्ट का गलत तरीके से नाम लेकर वेतन घटा दिया, उतनी ही जल्दी सुप्रीम कोर्ट के 'समान काम समान वेतन' वाले आर्डर को देखते हुए भी एक सर्कुलर निकाल दे - इससे ज़्यादा हम और क्या मांग रहे हैं ?

कर्मचारियों का दर्द

डीटीसी के कर्मचारी ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि “माननीय मंत्री महोदय एवं डीटीसी के अधिकारियों से निवेदन है कि डीटीसी के अनुबंधित कर्मियों के दुख-दर्द को समझे कि दिल्ली जैसे महंगे शहर में मात्र 481 रुपये मजदूरी होते हुए भी जब एक अस्थायी कर्मचारी सुबह 3-4 बजे उठ कर, अपने निजी वाहन का प्रयोग कर के, अपनी जेब से पैसे खर्च कर पेट्रोल डलवा कर या जैसे-तैसे बसों द्वारा अपनी ड्यूटी के निर्धारित समय पर ड्यूटी करने के लिए डिपो पहुँचता है (डीटीसी के कर्मचारियों को TA नहीं मिलता)। उसके बाद उसे 4-5 घंटे बैठा कर रखा जाता है और अंत में कहा जाता है कि घर जाइये आज ड्यूटी नहीं है। जरा सोच कर देखिए कि उन कर्मचारियों पर क्या बीतती होगी, ऐसा तो आपने कहीं भी नहीं देखा होगा|

डीटीसी के कर्मचारी क्यों है परेशान

कर्मचारियों के वेतन कटौती की जिसके लिए  वो जिस न्यायालय के निर्णय को आधार बना रहे वो आधार कहीं नहीं टिकता है| पूरा घटनाक्रम इस प्रकार है, दिल्ली सरकार द्वारा मार्च, 2017 को न्यूनतम वेतन पर एक अधिसूचना जारी की गई थी, तब दिल्ली के मज़दूरों को लगा की उनके सालों के संघर्ष का कुछ फल मिला, क्योंकि इसके तहत न्यूनतम वेतन में 37% की वृद्धि की बात कही गई थीI परन्तु दिल्ली के मज़दूरों की ये ख़ुशी ज़्यादा समय तक नहीं रही| इस अधिसूचना के आते ही दिल्ली के कुछ व्यापारियों, पेट्रोल व्यापारी और रेस्टोरेंट मालिक इसे खारिज़ करने की माँग को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय चले गएI जिसके बाद न्यायलय में ये मामला एक साल से भी ज़्यादा समय तक लटका रहा|

अंततः पिछले  माह न्यायालय ने तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए इस अधिसूचना को खारिज़ कर दिया| यहाँ ध्यान देने वाली यह बात है कि सुनवाई के दौरान न्यायालय ने भी यह माना था कि वृद्धि के बावजूद भी न्यूनतम वेतन बहुत ही कम है, इसमें दिल्ली जैसे शहर में गुज़ारा कर पाना बहुत ही मुश्किल है| परन्तु फिर भी न्यायलय ने मज़दूरों के खिलाफ अपना निर्णय सुनायाI परन्तु इस आदेश में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि सरकार या निगम को बढ़ा हुआ वेतन वापस लेना ही होगा|

एक अख़बार में छपी खबर के मुताबिक वेतन कटौती के बाद से कई कर्मियों ने नौकरी छोड़ दी है या फिर नौकरी छोड़ने की अर्जी दायर की है | इसपर बात करते हुए कर्मचारियों ने कहा कि डीटीसी के अनुबंधित कर्मचारी नौकरी न छोड़ें तो क्या करें, क्या मात्र 481 रुपये प्रति ड्यूटी में घर से 20-30 किलोमीटर दूर जाकर मानसिक और शारीरिक मेहनत भी करें और निगम एवं दिल्ली सरकार के शोषण का भी शिकार हो...?

डीटीसी कर्मचारियों की मुख्य मांगें

डीटीसी वर्कर्स युनिटी सेंटर का कहना है कि उनकी मुख्य मांगों पर सरकार कार्रवाई करे नहीं तो कर्मचारी अपनी लड़ाई को सड़क पर उतरकर लड़ने को मज़बूर होंगे–

•    वर्तमान में जो वेतन मार्च की अधिसूचना के बाद से मिल रहा है वो मिलना चाहिए।

•    इस नये सर्कुलर को तुरंत वापस लिया जाए।

•   दिल्ली सरकार और निगम के सभी सविंदा कर्मचारियों के लिए समान काम के लिए समान वेतन को लागू किया जाए।

•    प्राइवेट बसों को लाकर डीटीसी का निजीकरण नहीं चलेगा! डीटीसी के लिए नई बसों की खरीद करो|

मज़दूर संगठन ऐक्टू ने  कहा, कि केजरीवाल, गोपाल राय या कैलाश गहलोत वोट पाकर डीटीसी कर्मचारी को भूल ज़रूर गए है , पर कर्मचारी लड़ना नहीं भूला। जो सरकार वेतन काटने का सर्कुलर तुरंत ला सकती है, वो पक्का करने या समान काम समान वेतन का सर्कुलर भी तो ला ही सकती है। अगर मज़दूर के हक़ में ये सरकार बोलने को तैयार नही, तो गद्दी छोड़ने के लिए तैयार हो जाये।

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