NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
डीटीसी में हड़ताल के लिए मतदान, सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप
“डीटीसी कर्मचारी ज़ुल्म के पंजे को तोड़ने के लिए स्ट्राइक बैलट से वोट कर रहे हैं, जिसके बाद वो हड़ताल पर जा सकते हैं।”
न्यूजक्लिक रिपोर्ट
24 Sep 2018
DTC

डीटीसी कर्मचारी दिल्ली सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ़ हड़ताल पर जाने की तैयारी कर रहे हैं। आज से डीटीसी के सभी डिपो पर हड़ताल को लेकर स्ट्राइक बैलट वोट किया जा रहा है। ये बैलट वोट उस समय किया जा रहा जब दिल्ली सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को आधार मानकर पिछले माह एक फरमान जारी करके एक झटके में कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर दी। साथ ही डीटीसी कर्मचारियों की लंबे समय से कई मांगें हैं, जिनके पूरे न होने से उनमें गुस्सा है, जैसे पक्की नौकरी का सवाल हो या फिर समान काम का समान वेतन हो या फिर सामजिक सुरक्षा का सवाल ये सभी ऐसे सवाल है जिसे लेकर डीटीसी के कर्मचारी आंदोलित हैं|

दिल्ली परिवहन निगम यानी डीटीसी दिल्ली की एक बड़ी आबादी का सहारा है। इसमें मज़दूर हों या मध्यम वर्ग के लोग, मेट्रो के साथ डीटीसी ही उनके आवागमन का सहारा। जबसे मेट्रो के किराये में बेतहाशा वृद्धि हुई है, तबसे तो और ज्यादा लोगों ने डीटीसी का रुख किया है। ऐसे में डीटीसी की व्यवस्था को सरकार को और पुख्ता करना था परन्तु लगातर उसको बदहाली की ओर धकेला जा रहा है। कर्मचरियों का तो कहना है की सरकार डीटीसी को तबाह करना चाहती है।

डीटीसी वर्कर्स यूनटी सेंटर जो मज़दूर संगठन ऐक्टू (AICCTU) से जुड़ा हुआ है, उसके अनुसार घटाए गए वेतन के विरोध में और डीटीसी मैनेजमेंट ओर सरकार की नीति और रवैये को देखते हुए वो सभी के डिपो में स्ट्राइक बैलेट वोट करा रहा है, जिसके माध्यम से ये जानने की कोशिश की जाएगी कि कितने कर्मचारी हड़ताल के पक्ष में है। इसके लिए दिल्ली के हर डिपो में 25 ,26 ,27 और 28 सितंबर को क्रमशः पूर्वी, उत्तरी , पश्चिमी और दक्षिणी दिल्ली के  डिपो में स्ट्राइक बैलेट वोट होगा|

ऐक्टू की सदस्या श्वेता ने न्यूज़क्लिक ने कहा कि “डीटीसी कर्मचारी ज़ुल्म के पंजे को तोड़ने के लिए स्ट्राइक बैलट से वोट कर रहे हैं, जिसके बाद वो हड़ताल पर जा सकते हैं।” उन्होंने आगे कहा की हमारे घाव पर नमक छिड़कने के लिए कुछ सरकारी चमचे अब बता रहे हैं कि दिल्ली सरकार हमारे लिए ज़रूर कुछ करेगी। हमें बस इतना कहना है कि, उसने जितनी जल्दी हाईकोर्ट का गलत तरीके से नाम लेकर वेतन घटा दिया, उतनी ही जल्दी सुप्रीम कोर्ट के 'समान काम समान वेतन' वाले आर्डर को देखते हुए भी एक सर्कुलर निकाल दे - इससे ज़्यादा हम और क्या मांग रहे हैं ?

कर्मचारियों का दर्द

डीटीसी के कर्मचारी ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि “माननीय मंत्री महोदय एवं डीटीसी के अधिकारियों से निवेदन है कि डीटीसी के अनुबंधित कर्मियों के दुख-दर्द को समझे कि दिल्ली जैसे महंगे शहर में मात्र 481 रुपये मजदूरी होते हुए भी जब एक अस्थायी कर्मचारी सुबह 3-4 बजे उठ कर, अपने निजी वाहन का प्रयोग कर के, अपनी जेब से पैसे खर्च कर पेट्रोल डलवा कर या जैसे-तैसे बसों द्वारा अपनी ड्यूटी के निर्धारित समय पर ड्यूटी करने के लिए डिपो पहुँचता है (डीटीसी के कर्मचारियों को TA नहीं मिलता)। उसके बाद उसे 4-5 घंटे बैठा कर रखा जाता है और अंत में कहा जाता है कि घर जाइये आज ड्यूटी नहीं है। जरा सोच कर देखिए कि उन कर्मचारियों पर क्या बीतती होगी, ऐसा तो आपने कहीं भी नहीं देखा होगा|

डीटीसी के कर्मचारी क्यों है परेशान

कर्मचारियों के वेतन कटौती की जिसके लिए  वो जिस न्यायालय के निर्णय को आधार बना रहे वो आधार कहीं नहीं टिकता है| पूरा घटनाक्रम इस प्रकार है, दिल्ली सरकार द्वारा मार्च, 2017 को न्यूनतम वेतन पर एक अधिसूचना जारी की गई थी, तब दिल्ली के मज़दूरों को लगा की उनके सालों के संघर्ष का कुछ फल मिला, क्योंकि इसके तहत न्यूनतम वेतन में 37% की वृद्धि की बात कही गई थीI परन्तु दिल्ली के मज़दूरों की ये ख़ुशी ज़्यादा समय तक नहीं रही| इस अधिसूचना के आते ही दिल्ली के कुछ व्यापारियों, पेट्रोल व्यापारी और रेस्टोरेंट मालिक इसे खारिज़ करने की माँग को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय चले गएI जिसके बाद न्यायलय में ये मामला एक साल से भी ज़्यादा समय तक लटका रहा|

अंततः पिछले  माह न्यायालय ने तकनीकी कारणों का हवाला देते हुए इस अधिसूचना को खारिज़ कर दिया| यहाँ ध्यान देने वाली यह बात है कि सुनवाई के दौरान न्यायालय ने भी यह माना था कि वृद्धि के बावजूद भी न्यूनतम वेतन बहुत ही कम है, इसमें दिल्ली जैसे शहर में गुज़ारा कर पाना बहुत ही मुश्किल है| परन्तु फिर भी न्यायलय ने मज़दूरों के खिलाफ अपना निर्णय सुनायाI परन्तु इस आदेश में कहीं भी यह नहीं लिखा है कि सरकार या निगम को बढ़ा हुआ वेतन वापस लेना ही होगा|

एक अख़बार में छपी खबर के मुताबिक वेतन कटौती के बाद से कई कर्मियों ने नौकरी छोड़ दी है या फिर नौकरी छोड़ने की अर्जी दायर की है | इसपर बात करते हुए कर्मचारियों ने कहा कि डीटीसी के अनुबंधित कर्मचारी नौकरी न छोड़ें तो क्या करें, क्या मात्र 481 रुपये प्रति ड्यूटी में घर से 20-30 किलोमीटर दूर जाकर मानसिक और शारीरिक मेहनत भी करें और निगम एवं दिल्ली सरकार के शोषण का भी शिकार हो...?

डीटीसी कर्मचारियों की मुख्य मांगें

डीटीसी वर्कर्स युनिटी सेंटर का कहना है कि उनकी मुख्य मांगों पर सरकार कार्रवाई करे नहीं तो कर्मचारी अपनी लड़ाई को सड़क पर उतरकर लड़ने को मज़बूर होंगे–

•    वर्तमान में जो वेतन मार्च की अधिसूचना के बाद से मिल रहा है वो मिलना चाहिए।

•    इस नये सर्कुलर को तुरंत वापस लिया जाए।

•   दिल्ली सरकार और निगम के सभी सविंदा कर्मचारियों के लिए समान काम के लिए समान वेतन को लागू किया जाए।

•    प्राइवेट बसों को लाकर डीटीसी का निजीकरण नहीं चलेगा! डीटीसी के लिए नई बसों की खरीद करो|

मज़दूर संगठन ऐक्टू ने  कहा, कि केजरीवाल, गोपाल राय या कैलाश गहलोत वोट पाकर डीटीसी कर्मचारी को भूल ज़रूर गए है , पर कर्मचारी लड़ना नहीं भूला। जो सरकार वेतन काटने का सर्कुलर तुरंत ला सकती है, वो पक्का करने या समान काम समान वेतन का सर्कुलर भी तो ला ही सकती है। अगर मज़दूर के हक़ में ये सरकार बोलने को तैयार नही, तो गद्दी छोड़ने के लिए तैयार हो जाये।

DTC
DTC workers
delhi govt
Voting for strike

Related Stories

DTC ठेका कर्मचारियों ने अभियान चलाकर केजरीवाल सरकार को दी चेतावनी, 'शवयात्रा' भी निकाली

भाजपा की नफ़रत को ‘आप’ के काम से काटेंगे : गोपाल राय

दिल्ली सरकार देगी राशन कार्ड धारकों को मुफ़्त राशन, ऑटो-टैक्सी चालकों को मिलेगी आर्थिक मदद

दिल्ली उच्च न्यायालय ऑक्सीजन आपूर्ति के मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र से कहा "पानी सिर के ऊपर चला गया है"

दिल्ली में सरकार मतलब एलजी, और एलजी मतलब...!

दिल्ली : मोदी सरकार का सत्ता हथियाने का नया मॉडल

भयावह वायु प्रदूषण को लेकर कितनी गंभीर हैं हमारी सरकारें?

दिल्ली: डीटीसी कर्मचारियों का लेबर कोड्स के विरुद्ध व किसानों के समर्थन में प्रदर्शन

ट्रांसपोर्ट उद्योग को बचाने की मांग को लेकर श्रमिकों का देशव्यापी प्रदर्शन

यमुना की सफ़ाई में 'आधिकारिक उदासीनता' बड़ी चुनौती, हटाया जाय मिलेनियम बस डिपो


बाकी खबरें

  • डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    'राम का नाम बदनाम ना करो'
    17 Apr 2022
    यह आराधना करने का नया तरीका है जो भक्तों ने, राम भक्तों ने नहीं, सरकार जी के भक्तों ने, योगी जी के भक्तों ने, बीजेपी के भक्तों ने ईजाद किया है।
  • फ़ाइल फ़ोटो- PTI
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: क्या अब दोबारा आ गया है LIC बेचने का वक्त?
    17 Apr 2022
    हर हफ़्ते की कुछ ज़रूरी ख़बरों को लेकर फिर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन..
  • hate
    न्यूज़क्लिक टीम
    नफ़रत देश, संविधान सब ख़त्म कर देगी- बोला नागरिक समाज
    16 Apr 2022
    देश भर में राम नवमी के मौक़े पर हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद जगह जगह प्रदर्शन हुए. इसी कड़ी में दिल्ली में जंतर मंतर पर नागरिक समाज के कई लोग इकट्ठा हुए. प्रदर्शनकारियों की माँग थी कि सरकार हिंसा और…
  • hafte ki baaat
    न्यूज़क्लिक टीम
    अखिलेश भाजपा से क्यों नहीं लड़ सकते और उप-चुनाव के नतीजे
    16 Apr 2022
    भाजपा उत्तर प्रदेश को लेकर क्यों इस कदर आश्वस्त है? क्या अखिलेश यादव भी मायावती जी की तरह अब भाजपा से निकट भविष्य में कभी लड़ नहींं सकते? किस बात से वह भाजपा से खुलकर भिडना नहीं चाहते?
  • EVM
    रवि शंकर दुबे
    लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों में औंधे मुंह गिरी भाजपा
    16 Apr 2022
    देश में एक लोकसभा और चार विधानसभा चुनावों के नतीजे नए संकेत दे रहे हैं। चार अलग-अलग राज्यों में हुए उपचुनावों में भाजपा एक भी सीट जीतने में सफल नहीं हुई है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License