NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
डीयू : ओरिएंटेशन प्रोग्राम के नाम पर प्राध्यापकों का भगवाकरण!
“अधिकांश वक्ताओं ने धर्मनिरपेक्षतावादियों, मार्क्सवादी बुद्धिजीवियों, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, उदारवादियों और पश्चिमी सभ्यता के ख़िलाफ़ जमकर भड़ास निकाली थी। और कांग्रेस पार्टी और जवाहरलाल नेहरू पर सबसे ज़्यादा हमला किया गया था। जो कि प्रशिक्षण कार्यक्रम से किसी रूप में नहीं जुड़ा था।"
प्रदीप सिंह
04 Aug 2019
DU

दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंटर फ़ॉर प्रोफ़ेशनल डेवलपमेंट फ़ॉर हायर एजुकेशन (CPDHE) का काम सहायक प्रोफ़ेसरों को शिक्षित-प्रशिक्षित करना है। इस शिक्षण-प्रशिक्षण में विभिन्न विषयों के विशेषज्ञों को आमंत्रित करके अध्यापकों के शिक्षण कौशल का विकास करना और उस विषय में हो रहे बदलावों से रूबरू कराना है। लेकिन (CPDHE) की निदेशक प्रो. गीता सिंह ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कुछ संगठनों के साथ मिलकर इसे राजनीति का केंद्र बना दिया है। पिछले कुछ वर्षों से यह केंद्र लगातार चर्चा में है। चर्चा का कारण विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफ़ेसरों को विषय विशेषज्ञों की बजाय राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारकों द्वारा प्रशिक्षण देना है। 

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों के तहत  केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों के साथ ही संबद्ध कॉलेजों के सभी सहायक प्रोफ़ेसरों को अपने संपूर्ण करियर के दौरान एक "ओरिएंटेशन" और दो "रिफ़्रेशर" पाठ्यक्रम में शामिल होना आवश्यक है।

"ओरिएंटेशन" पाठ्यक्रम व्यापक कार्यक्रम है, जो सहायक प्रोफ़ेसरों को शिक्षण कौशल और संकाय से जुड़े लोगों को अंतःविषय दृष्टिकोण से परिचित कराता है।

"रिफ़्रेशर" का उद्देश्य प्राध्यापकों के ज्ञान का उन्नयन और अपने क्षेत्र में इतिहास और समाजशास्त्र के बदलावों से परिचित कराना है। देश भर के समस्त विश्वविद्यालयों में यूजीसी द्वारा संचालित मानव अनुसंधान विकास केंद्र (एचआरडीसी) यह प्रशिक्षण आयोजित कराता है। विश्वविद्यालयों में  जिन्हें अकादमिक स्टाफ़ ट्रेनिंग कॉलेज भी कहा जाता है। हर विश्वविद्यालय में अकादमिक स्टाफ़ कॉलेज होता है जो समय-समय पर विशेषज्ञों को बुलाकर ऐसे कार्यक्रमों का संचालन करता है।  

geeta SINGH 1.jpgलेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय के ओरिएंटेशन और रिफ़्रेशर कोर्स में सहायक प्रोफ़ेसरों को इंद्रेश कुमार जैसे संघ प्रचारकों द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है। और उन्हें विषय की बजाय कांग्रेस और धर्मनिरपेक्ष राजनेताओं की कमियों पर भाषण पिलाया जाता है। ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ। पिछले तीन वर्षों से दिल्ली विश्वविद्यालय के CPDHE में जितने भी ओरिएंटेशन और रिफ़्रेशर कोर्स आयोजित किए गए, सब किसी न किसी रूप में विवादित रहे। हर कार्यक्रम में संघ संगठनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया।   

अभी जुलाई में भी दो सप्ताह का एक ऐसा ही कार्यक्रम आयोजित किया गया। 9 - 22 जुलाई तक चलने वाले इस प्रशिक्षण प्रोग्राम में सोशल साइंस, सोशल वर्क और बायो केमिस्ट्री के लगभग 28 सहायक प्रोफ़ेसर शामिल हुए। “भारतीय समाज आधार, संबंध-संवेदना एवं सेवा” विषयक संगोष्ठी में इंद्रेश कुमार समेत संघ के कई पदाधिकारी विषय विशेषज्ञ के तौर पर आमंत्रित किए गए। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि ऐसे तमाम संघ कार्यकर्ताओं को सामाजिक चिंतक (सोशल थिंकर) की श्रेणी में बुलाया गया।

सेंटर फ़ॉर प्रोफ़ेशनल डेवलपमेंट फ़ॉर हायर एजुकेशन (CPDHE) की डायरेक्टर प्रो. गीता सिंह कहती हैं, “ओरिएंटेशन प्रोग्राम में पहले भी विषय विशेषज्ञों के साथ समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय विभूतियों को आमंत्रित किया जाता रहा है। इस बार भी हमने शिक्षाविद प्रो. गिरीश्वर मिश्र, प्रो. रजनीश शुक्ल, प्रो. संजीव कुमार, प्रो. पामेला के साथ इंद्रेश कुमार, आरिफ़ मोहम्मह ख़ान और चंडी प्रसाद भट्ट जैसे सामाजिक जीवन में सक्रिय व्यक्तियों को भी बुलाया था।”

चंडी प्रसाद भट्ट देश के जाने-माने पर्यावरणविद हैं। राजनेता आरिफ़ मोहम्मद ख़ान भी मुस्लिम समाज में व्याप्त बुराइयों के ख़िलाफ़ लड़ते रहे हैं और इस कड़ी में अपने राजनीतिक करियर को भी दांव पर लगा दिया। लेकिन इंद्रेश कुमार समाज में किस योगदान के लिए जाने जाते हैं, के सवाल पर गीता सिंह कहती हैं कि वो सोशल थिंकर हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इंद्रेश कुमार सेंटर फ़ॉरप्रोफ़ेशनल डेवलपमेंट फ़ॉरहायर एजुकेशन (CPDHE) के हर कार्यक्रम में मौजूद रहते हैं।

geeta SINGH 3.jpgपिछले कुछ वर्षों में ऐसी रिपोर्टें आई हैं कि दिल्ली विश्वविद्यालय में UGC-HRD केंद्र-सेंटर फ़ॉर प्रोफ़ेशनल डेवलपमेंट फ़ॉर हायर एजुकेशन (CPDHE) का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ गहरा संबंध है। दरअसल, CPDHE की निदेशक गीता सिंह आरएसएस के संगठन विश्वग्राम से जुड़ी हैं। यह संगठन आरएसएस विचारक इंद्रेश कुमार संचालित करते हैं। विश्वग्राम की वेबसाइट और फेसबुक पेज इंद्रेश कुमार के साथ गीता सिंह की तस्वीरों से भरे हुए हैं, जिनमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के एक प्राध्यापक नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि जब से प्रो. गीता सिंह सेंटर फ़ॉर प्रोफ़ेशनल डेवलपमेंट फ़ॉर हायर एजुकेशन की डायरेक्टर बन कर आई हैं तब से संघ के प्रचारकों का ओरिएंटेशन प्रोग्राम में आना आम बात हो गया है।

विश्वविद्यालय संचालित ओरिएंटेशन और रिफ़्रेशर कोर्स का मक़सद प्राध्यापकों को शिक्षण में प्रवीण करना और उनके अपने विषय के विभिन्न नए आयामों से परिचित कराना है, जो समय और बदलाव की प्रक्रिया में सामने आए हैं। लेकिन अब यह केंद्र प्राध्यपकों के भगवाकरण का सेंटर बनता जा रहा है। पिछले तीन वर्ष में यहां जितने भी कार्यक्रम चलाए गए सब में संघ के विचार का प्रचार प्रमुख रहा है। इसमें सम्मिलित कुछ शिक्षकों का कहना है कि 'प्रशिक्षण कार्यक्रम'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचार के प्रचार का मंच बन गया है।

गीता सिंह की संघ से संबंधों की झलक नवंबर और दिसंबर 2017 में स्पष्ट रूप से देखने को मिली जब सीपीडीएचई में दो ओरिएंटेशन और दो रिफ़्रेशर पाठ्यक्रम समवर्ती रूप से आयोजित किए गए थे। देश भर से इसमें शामिल हुए लगभग दो सौ पचास शिक्षकों को शैक्षणिक सामग्री की बजाए राजनीतिक विचार का पाठ पढ़ाया गया। उस समय अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली के एक शिक्षक ने शिकायत की थी कि "चार अलग-अलग कार्यक्रमों के शिक्षकों को विशाल संयुक्त सत्रों में धकेल दिया गया था। जो यूजीसी के प्रारूप और उद्देश्यों के बारे में निर्धारित मानदंडों की अवहेलना करता था।"

तब कई प्रतिभागियों ने एतराज़ जताया था कि आमंत्रित व्यक्तियों में से ज़्यादातर शिक्षाविद नहीं थे। प्रशिक्षण देने आए हुए लोग  आर्गनाइज़र, पांचजन्य, भारतीय शिक्षा मंडल और अखिल भारतीय इतिहास संकल्प योजना जैसे आरएसएस से जुड़े संगठनों-संस्थानों से जुड़े राजनीतिज्ञ थे। यह कार्यक्रम ‘भारत बोध’(भारत के बारे में सीखना) और भारतीय संस्कृति, विचार और विचारकों पर केंद्रित था। तब कश्मीर विश्वविद्यालय से आए एक प्रतिभागी  जावेद अहमद ने कहा था कि  “अधिकांश वक्ताओं ने धर्मनिरपेक्षतावादियों, मार्क्सवादी बुद्धिजीवियों, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, उदारवादियों और पश्चिमी सभ्यता के ख़िलाफ़ जमकर भड़ास निकाली थी। और कांग्रेस पार्टी और जवाहरलाल नेहरू पर सबसे ज़्यादा हमला किया गया था। जो कि प्रशिक्षण कार्यक्रम से किसी रूप में नहीं जुड़ा था।"

देश में शिक्षा के भगवाकरण की बात तो लंबे समय से की जा रही है। लेकिन अब शिक्षा के साथ शिक्षकों के भगवाकरण की योजना भी सामने आ गई है।

(सभी फोटो cpdhe.du.ac.in से साभार) 

(लेखक के विचार निजी हैं।)

Delhi University
Centre for Professional Development in Higher Education
CPDHE
Secularism
Marxist
JNU
Congress
BJP
RSS
rss and campus student tussle
UGC

Related Stories

कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा

दिल्ली: दलित प्रोफेसर मामले में SC आयोग का आदेश, DU रजिस्ट्रार व दौलत राम के प्राचार्य के ख़िलाफ़ केस दर्ज

डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी

अलविदा शहीद ए आज़म भगतसिंह! स्वागत डॉ हेडगेवार !

‘धार्मिक भावनाएं’: असहमति की आवाज़ को दबाने का औज़ार

कर्नाटक: स्कूली किताबों में जोड़ा गया हेडगेवार का भाषण, भाजपा पर लगा शिक्षा के भगवाकरण का आरोप

दिल्ली : पांच महीने से वेतन व पेंशन न मिलने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे शिक्षकों ने किया प्रदर्शन

जेएनयू: अर्जित वेतन के लिए कर्मचारियों की हड़ताल जारी, आंदोलन का साथ देने पर छात्रसंघ की पूर्व अध्यक्ष की एंट्री बैन!

कॉमन एंट्रेंस टेस्ट से जितने लाभ नहीं, उतनी उसमें ख़ामियाँ हैं  

उत्तराखंड : ज़रूरी सुविधाओं के अभाव में बंद होते सरकारी स्कूल, RTE क़ानून की आड़ में निजी स्कूलों का बढ़ता कारोबार 


बाकी खबरें

  • शारिब अहमद खान
    ईरानी नागरिक एक बार फिर सड़कों पर, आम ज़रूरत की वस्तुओं के दामों में अचानक 300% की वृद्धि
    28 May 2022
    ईरान एक बार फिर से आंदोलन की राह पर है, इस बार वजह सरकार द्वारा आम ज़रूरत की चीजों पर मिलने वाली सब्सिडी का खात्मा है। सब्सिडी खत्म होने के कारण रातों-रात कई वस्तुओं के दामों मे 300% से भी अधिक की…
  • डॉ. राजू पाण्डेय
    विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक
    28 May 2022
    हिंसा का अंत नहीं होता। घात-प्रतिघात, आक्रमण-प्रत्याक्रमण, अत्याचार-प्रतिशोध - यह सारे शब्द युग्म हिंसा को अंतहीन बना देते हैं। यह नाभिकीय विखंडन की चेन रिएक्शन की तरह होती है। सर्वनाश ही इसका अंत है।
  • सत्यम् तिवारी
    अजमेर : ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ की दरगाह के मायने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश
    27 May 2022
    दरगाह अजमेर शरीफ़ के नीचे मंदिर होने के दावे पर सलमान चिश्ती कहते हैं, "यह कोई भूल से उठाया क़दम नहीं है बल्कि एक साज़िश है जिससे कोई मसला बने और देश को नुकसान हो। दरगाह अजमेर शरीफ़ 'लिविंग हिस्ट्री' है…
  • अजय सिंह
    यासीन मलिक को उम्रक़ैद : कश्मीरियों का अलगाव और बढ़ेगा
    27 May 2022
    यासीन मलिक ऐसे कश्मीरी नेता हैं, जिनसे भारत के दो भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह मिलते रहे हैं और कश्मीर के मसले पर विचार-विमर्श करते रहे हैं। सवाल है, अगर यासीन मलिक इतने ही…
  • रवि शंकर दुबे
    प. बंगाल : अब राज्यपाल नहीं मुख्यमंत्री होंगे विश्वविद्यालयों के कुलपति
    27 May 2022
    प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए राज्यपाल की शक्तियों को कम किया है। उन्होंने ऐलान किया कि अब विश्वविद्यालयों में राज्यपाल की जगह मुख्यमंत्री संभालेगा कुलपति पद का कार्यभार।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License