NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
समाज
भारत
राजनीति
दलित जितेंद्र की हत्या पहाड़ के लिए चेतावनी!
“दलित के घर शादी हुई और उसमें सामान्य लोग भी आ रहे हैं तो नियम के मुताबिक तथाकथित ऊंची जाति के लोग खाना बनाते हैं। फिर पहले सवर्ण समुदाय के लोग खाना खाते हैं, उसके बात दलितों को खाना खिलाया जाता है। दलित अपना खाना खुद नहीं निकाल सकते...।”
वर्षा सिंह
07 May 2019
sc st atrocity in uttarakhand

“हिंदू हिंसक नहीं होता, अहिंसक होता है” इस मुद्दे पर हरिद्वार का संत समाज जिस समय आग-बबूला हो रहा था, उसी समय टिहरी के दलित युवक को हिंदुओं ने इतना पीटा, कि इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। सीताराम येचुरी ने रामायण-महाभारत की हिंसक घटनाओं को लेकर टिप्पणी की थी। जिस पर संत समाज हिंदुत्व का झंडा बुलंद कर रहा था। लेकिन जब टिहरी का एक दलित नौजवान मारा गया तो उन संतों ने कोई टिप्पणी नहीं की।

टिहरी के जौनपुर विकास खंड के बसाण गांव के 23 साल के जितेंद्र दास की हत्या इसलिए की गई क्योंकि एक शादी समारोह में वह सवर्णों के सामने कुर्सी पर बैठकर खाना खा रहा था। शादी भी दलित की थी। सवर्णों ने कुर्सी मांगी और जितेंद्र ने कुर्सी देने से इंकार किया। सवर्ण समुदाय के उन लोगों को ये बात इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने उसे इतनी बुरी तरह पीटा कि वो मरणासन्न हो गया। कुछ दिन बाद 5 मई को अस्पताल में जितेंद्र ने दम तोड़ दिया। ये घटना पहाड़ के समाज में छिपी बसी जातिवाद की वीभत्सता दर्शाती है।

राष्ट्र सेवादल और समता सैनिक दल से जुड़े ज़बर सिंह इस घटना के बाद पूरी पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हैं। उन्होंने इस मामले में चौकी इंचार्ज, एसएचओ और सीओ के खिलाफ़ एससी-एसटी एक्ट में लापरवाही बरतने पर एसडीएम को तहरीर भी दी है। जिसे वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है।

WhatsApp Image 2019-05-06 at 7.41.32 PM.jpeg

ज़बर सिंह बताते हैं कि टिहरी के बसाण गांव का रहने वाला जितेंद्र दास 26 अप्रैल की रात को पड़ोस के कोट गांव में अपने ही रिश्तेदार की शादी में गया हुआ था। इसी रात को कुर्सी पर खाना खाने पर जितेंद्र को सवर्ण समुदाय के कुछ लोगों ने मना किया। शादी समारोह में भी मारपीट हुई,लेकिन लोगों ने बीच-बचाव कर दिया था। इसके थोड़ी ही देर बाद दबंग उसे समारोह से कुछ दूर ले गए।

मरणासन्न हालत में जितेंद्र को किसने घर तक पहुंचाया, ये पता नहीं चल सका। अगले दिन परिजन उसे अस्पताल ले गए। जहां से उसे हायर सेंटर रेफर किया गया। फिर देहरादून के इंद्रेश अस्पताल में भर्ती कराया गया। ज़बर बताते हैं कि करीब 12-14 लोग इस मारपीट में रहे होंगे। सात लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करायी गई। लेकिन पुलिस ने मामले में कुछ नहीं किया। 29 अप्रैल की रात को जब पुलिस पर दबाव बढ़ा तो एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया। लेकिन उसके बाद 5 मई तक पुलिस ठंडी पड़ी रही। ज़बर कहते हैं कि पुलिस ने जानबूझ कर मामले को टाला, इसका नतीजा ये निकला कि सारे गवाह मुकर गए। यहां तक कि जो लोग जितेंद्र के साथ बीच-बचाव में पिटे थे, वे भी अपने बयान से मुकर गए। उनका कहना है कि दबंगों ने मृतक के घर में भी जाकर धमकियां दीं।

ज़बर सिंह के मुताबिक भाजपा नेता इस मामले को हलका करने का दबाव बना रहे हैं। इसीलिए पुलिसवालों ने भी ढिलाई बरती। जबकि मारा गया जितेंद्र दास भाजपा विधायक खजान दास का रिश्तेदार भी था। जिस गांव में ये घटना हुई, उसके ठीक बगल में खजानदास का गांव झगेड़ी पड़ता है। खजान दास पर भी मामले को दबाने के आरोप है।

ज़बरसिंह कहते हैं टिहरी के जौनसार बावर समेत कुछ अन्य क्षेत्रों में पिछले दो-तीन साल से दलित मूवमेंट चल रहा है। जिससे सवर्ण समुदाय के लोगों में आक्रोश है। पिछले वर्ष सितंबर महीने में लखनलाल नाम के एक और व्यक्ति की हत्या हुई, लेकिन उसका शव नहीं मिला। उनका आरोप है कि स्थानीय भाजपा नेताओं के दबाव में पुलिस ने परिजनों से गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया। ताजा घटना उसी का आक्रोश है। इसके अलावा जौनसार की तरह ही कुछ जगहें ओबीसी या एससी-एसटी बेल्ट घोषित हैं। जैसे जौनपुर में सवर्ण जातियां ओबीसी श्रेणी में आती हैं। जौनसार बावर में एसटी घोषित हैं। तो यहां अपर कास्ट को एसटी का सर्टिफिकेट मिलता है। तो इन जगहों पर इस तरह के झगड़ों में एससी-एसटी का मुकदमा दर्ज नहीं होता।

5 मई को जितेंद्र की मौत हुई थी। उस दिन हंगामा बढ़ा तो पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ़्तार किया। 6 मई को 2 और लोग गिरफ्तार किए गए। सोमवार को टिहरी के एसपी पीड़ित परिवार से मिले।

कैसी होती है दलित की शादी

ज़बर सिंह बताते हैं कि दलित के घर शादी हुई और उसमें सामान्य लोग भी आ रहे हैं तो नियम के मुताबिक तथाकथित ऊंची जाति के लोग खाना बनाते हैं। फिर पहले सवर्ण समुदाय के लोग खाना खाते हैं, उसके बात दलितों को खाना खिलाया जाता है। दलित अपना खाना खुद नहीं निकाल सकते, क्योंकि उसे ऊंची जाति के व्यक्ति ने बनाया होता है। दोनों जातियों के खाने की जगहें भी अलग-अलग होती हैं। दलित समुदाय अपनी ही शादी में एक तरफ को खाना खाता है। वे सवर्णों के आगे कुर्सी पर नहीं बैठते। जितेंद्र के साथ ऐसा ही हुआ था। उससे कुर्सी मांगी गई और उसने कहा- भाई जी मैं खाना खा रहा हूं, इस पर सवर्ण समुदाय के लोगों को गुस्सा आ गया।

पहाड़ों में भी ऐसा होता है

सामाजिक कार्यकर्ता और मूल रूप से टिहरी निवासी गीता गैरोला कहती हैं कि पहाड़ों में भी बहुत जातिवाद है। ये बहुत ही शर्मनाक घटना है। उत्तराखंडियों को इससे सबक लेना चाहिए। वे कहती हैं कि हमारे यहां भी बहुत भेदभाव है। दलितों के साथ रोटी-बेटी का रिश्ता नहीं है। शादी ब्याह में अलग से खाना खिलाते हैं। पहले सवर्ण खाते हैं। दलितों के बनाए हुए मंदिर में लोग पूजा करते हैं लेकिन उन्हें मंदिर में नहीं घुसने देते। वे पुराना वाकया याद करती हैं कि जब 21 दिन तक सवर्णों ने दलित की बारात रोके रखी थी। पुलिस-पटवारी भी 21 दिन तक वहीं रुके रहे। सवर्ण अपने गांव के सामने से दलित की पालकी-डोली ले जाने को तैयार नहीं थे। गीता गैरोला कहती हैं कि वैसे तो ये चाचा-ताऊ जैसे रिश्ते लगाते हैं लेकिन घर में नहीं घुसने देते।

मुख्यमंत्री का बयान क्यों नहीं आया?

सामाजिक कार्यकर्ता दीपा कौशलम कहती हैं कि आपकी सामाजिक स्थिति और आर्थिक स्थिति ही आपको कमज़ोर या मजबूत बनाती है। यदि इसका कॉम्बीनेशन ही कमजोर हो तो सब हावी हो जाते हैं। वे कहती हैं कि पहाड़ में ये माना ही नहीं जाता था कि इस तरह का जातिगत भेदभाव होता है। लेकिन ये घटना बताती है कि पहाड़ी समाज में भी किस तरह की वीभत्सता छिपी हुई है।

दीपा कहती हैं कि निम्न जातियों के लोग अब थोड़े से विरोधी हो रहे हैं, अपने हक के लिए बोलने लगे हैं, इसीलिए इस तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। जब तक आप ऐसी चीजों को स्वीकार करते हो तब तक कुछ नहीं होता, लेकिन जब आप इसका विरोध करते हो तो इस तरह सबक सिखाने की कोशिश की जाती है। फिर ऐसी घटनाओं से दूसरे लोग डर जाते हैं।

दीपा खेद जताती हैं कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का इस मामले पर कोई बयान नहीं आया। उन्होंने कोई संवेदनशीलता नहीं दिखायी।

न तो भाजपा, न ही कांग्रेस समेत अन्य दलों ने इस मामले पर मज़बूत तरीके से आवाज़ उठाई। कांग्रेस के किशोर उपाध्याय और सीपीआई-एमएल के इंद्रेश मैखुरी ने घटना की निंदा की।

मृतक के परिजन शव के साथ सीएम आवास कूच कर रहे थे, तो उन्हें रोक लिया गया। उन्होंने राज्यपाल बेबीरानी मौर्य से मिलने की कोशिश की,लेकिन मुलाकात नहीं हुई।

अलार्मिंग घटना

पहाड़ की ये घटना चौंकती है। देहरादून में साहित्यकार लाल बहादुर वर्मा कहते हैं कि पहाड़ में घटी ये घटना अलार्मिंग है। सिविल सोसाइटी को इस पर नोटिस लेना चाहिए। ये चीज यदि खत्म नहीं हुई, तो रोकी नहीं जा सकती, बल्कि ये समय के साथ बढ़ेगी ही। वर्मा कहते हैं कि ये बीज तो समाज में मौजूद हैं बस एक विस्फोट की जरूरत होती है। ऐसा ही टिहरी में हुआ और एक व्यक्ति पर गुस्सा उतर गया। वे कहते हैं कि जो मारा गया, उसमें भी मैं हूं, जिन्होंने मारा, उसमें भी मैं शामिल हूं।

caste discrimination
sc st strocity
UTTARAKHAND
hinduism
hindutva terorr
RSS
Sitaram yechury
BJP
Dalit atrocities
Dalits

Related Stories

कर्नाटक पाठ्यपुस्तक संशोधन और कुवेम्पु के अपमान के विरोध में लेखकों का इस्तीफ़ा

मनोज मुंतशिर ने फिर उगला मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हर, ट्विटर पर पोस्ट किया 'भाषण'

लखनऊ: प्रोफ़ेसर और दलित चिंतक रविकांत के साथ आए कई छात्र संगठन, विवि गेट पर प्रदर्शन

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने कथित शिवलिंग के क्षेत्र को सुरक्षित रखने को कहा, नई याचिकाओं से गहराया विवाद

रुड़की से ग्राउंड रिपोर्ट : डाडा जलालपुर में अभी भी तनाव, कई मुस्लिम परिवारों ने किया पलायन

जहांगीरपुरी हिंसा में अभी तक एकतरफ़ा कार्रवाई: 14 लोग गिरफ़्तार

इस आग को किसी भी तरह बुझाना ही होगा - क्योंकि, यह सब की बात है दो चार दस की बात नहीं

उर्दू पत्रकारिता : 200 सालों का सफ़र और चुनौतियां

सद्भाव बनाम ध्रुवीकरण : नेहरू और मोदी के चुनाव अभियान का फ़र्क़

यूपी चुनाव: पूर्वी क्षेत्र में विकल्पों की तलाश में दलित


बाकी खबरें

  • बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    बिहार में ज़िला व अनुमंडलीय अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी
    18 May 2022
    ज़िला अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए स्वीकृत पद 1872 हैं, जिनमें 1204 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं, जबकि 668 पद खाली हैं। अनुमंडल अस्पतालों में 1595 पद स्वीकृत हैं, जिनमें 547 ही पदस्थापित हैं, जबकि 1048…
  • heat
    मोहम्मद इमरान खान
    लू का कहर: विशेषज्ञों ने कहा झुलसाती गर्मी से निबटने की योजनाओं पर अमल करे सरकार
    18 May 2022
    उत्तर भारत के कई-कई शहरों में 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पारा चढ़ने के दो दिन बाद, विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन के चलते पड़ रही प्रचंड गर्मी की मार से आम लोगों के बचाव के लिए सरकार पर जोर दे रहे हैं।
  • hardik
    रवि शंकर दुबे
    हार्दिक पटेल का अगला राजनीतिक ठिकाना... भाजपा या AAP?
    18 May 2022
    गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। हार्दिक पटेल ने पार्टी पर तमाम आरोप मढ़ते हुए इस्तीफा दे दिया है।
  • masjid
    अजय कुमार
    समझिये पूजा स्थल अधिनियम 1991 से जुड़ी सारी बारीकियां
    18 May 2022
    पूजा स्थल अधिनयम 1991 से जुड़ी सारी बारीकियां तब खुलकर सामने आती हैं जब इसके ख़िलाफ़ दायर की गयी याचिका से जुड़े सवालों का भी इस क़ानून के आधार पर जवाब दिया जाता है।  
  • PROTEST
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पंजाब: आप सरकार के ख़िलाफ़ किसानों ने खोला बड़ा मोर्चा, चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर डाला डेरा
    18 May 2022
    पंजाब के किसान अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राजधानी में प्रदर्शन करना चाहते हैं, लेकिन राज्य की राजधानी जाने से रोके जाने के बाद वे मंगलवार से ही चंडीगढ़-मोहाली सीमा के पास धरने पर बैठ गए हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License