NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
भारत
अंतरराष्ट्रीय
डोरियन तूफ़ान और जलवायु परिवर्तन का असर
वायुमंडल में कार्बन के कम होने का कोई संकेत दिखाई नहीं दे रहा है और इसलिए विनाशकारी तूफ़ानों से छुटकारा पाने के कोई तत्काल संकेत नहीं हैं।
संदीपन तालुकदार
05 Sep 2019
climate change

सितंबर आते ही दुनिया के कई स्थानों पर उष्णकटिबंधीय तूफ़ान उमड़ने लगते हैं। इस साल इस तरह का पहला बड़ा तूफ़ान हरिकेन डोरियन है जिसने बहामास में तबाही मचा दी। ग्रैंड बहामा और अबाको द्वीप के हज़ारों लोग बेघर हो गए हैं। वे बाढ़ में फंसे हुए हैं और उन्हें भोजन, पीने के पानी और चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है। यूएन ने बहामास को तत्काल मदद के लिए वैश्विक समुदाय से अपील की है।

बहामास के प्रधानमंत्री ह्यूबर्ट मिन्निस के शब्दों में, “हम एक ऐतिहासिक त्रासदी में फंसे हुए हैं। ये तबाही अभूतपूर्व और व्यापक है।” मिन्निस ने घोषणा की कि पुनर्निर्माण एक बहुत बड़ा काम होगा और बहामा को बड़े पैमाने पर सहयोग की ज़रूरत होगी।

डोरियन के बहमास में 36 घंटे से अधिक समय तक रुकने के बाद लोगों से जुड़ी समस्या सामने आई है और इससे पांच मील तक चौड़ा ग्रैंड बहामा पूरी तरह तबाह हो गया। डोरियन भी धीमी गति से चलने वाला तूफ़ान बन गया जो हाल में बड़े तूफ़ानों से संबंधित एक प्रवृत्ति बन गयी है। इन तूफ़ानों की धीमी गति से चलने वाला चरित्र उन्हें लंबे समय तक एक स्थान पर रोके रखता है और इस स्थान पर मूसलाधार बारिश से बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर देता है।

हाल के दिनों में बड़े पैमाने पर विनाशकारी तूफ़ानों के उद्भव ने इन विनाशकारी घटनाओं के साथ जलवायु परिवर्तन के संभावित संबंध की चिंता बढ़ा दी है। जबकि उष्णकटिबंधीय तूफ़ान एक ऐसी घटना रही है जो बीच-बीच में बड़े पैमाने पर कुछ विनाश के साथ नियमित अंतराल पर होती है। इन तूफ़ानों की हालिया प्रवृत्ति बेहद चिंताजनक है। वास्तव में कुछ वर्षों से कोई भी उष्णकटिबंधीय तूफ़ान बड़े पैमाने पर आता है। पिछले साल भी लगभग इसी समय फ़्लोरेंस तूफ़ान ने यूएसए के कुछ हिस्सों को तबाह कर दिया था और मंगखूट तूफ़ान ने दुनिया के दूसरे हिस्से फ़िलीपींस में तबाही मचा दी थी। वैज्ञानिक अब इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन ने तूफ़ानों की निरंतर शक्ति और इसके परिणामी विनाश और मानवीय संकट को बढ़ाने में योगदान दिया है।

तूफ़ानों की ताक़त के लिए सबसे पहली चीज़ समुद्र का गर्म होना है। मौलिक भौतिकी के अनुसार गर्म पानी तूफ़ान को शक्ति देता है। जब तूफ़ान गर्म पानी के ऊपर से गुज़रता है तो इसकी तीव्रता अचानक बढ़ जाती है। समुद्र की सतह का तापमान ग्लोबल वार्मिंग के साथ बढ़ रहा है और निचले स्तर का पानी भी गर्म हो रहा है। ये तूफ़ान ठंडा और गहरे पानी के ऊपरी सतह की ओर आने से कमज़ोर हो जाता है। जब मानव-निर्मित जलवायु परिवर्तन ने भी गहरे पानी को गर्म कर दिया है तो तूफ़ान की प्रारंभिक स्थितियों के अनुसार ये तूफ़ान पहले की तुलना में अक्सर काफ़ी अधिक बढ़ जाता है। इसके अलावा समुद्र की सतह का बढ़ा तापमान और हवा में मौजूद नमी की भारी मात्रा के कारण ये बारिश अधिक विनाशकारी हो जाएगी। वर्तमान प्रवृत्ति की बात करें तो तूफ़ान से भारी बारिश होती है जिससे बाढ़ आ जाती है।

डोरियन के साथ भी ऐसा हुआ था। डोरियन को औसत तापमान से ऊपर पानी से शक्ति मिली। जिस क्षेत्र में डोरियन की शुरुआत हुई वहां समुद्र के सतह का तापमान सामान्य की तुलना में 0.5 डिग्री सेल्सियस से 1 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

एक दशक पहले नेचर पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन ने बताया था कि वार्मिंग के प्रत्येक 1 डिग्री सेल्सियस के लिए अधिकतम सतत वायु की गति में 7% की वृद्धि हुई है। फिर, वैज्ञानिक अनुमान कहते हैं कि विनाशकारी क्षमता हवा की गति की तीसरी शक्ति के आनुपातिक है। इसका मतलब है कि हवा की गति में 7% निरंतर वृद्धि से 23% तबाही होगी।

बड़े तूफ़ानों की धीमी गति से चलने वाली प्रवृत्ति अन्य चिंताजनक मुद्दे हैं। एक निष्कर्ष के अनुसार तूफ़ान के स्थलीय क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद तेज़ गति से घंटो हवा चलती है, भारी बारिश होती है और जान-माल के नुकसान के साथ संपत्तियों का भारी नुकसान होता है। नेचर पत्रिका में 3 जून को प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन ने अटलांटिक तूफ़ानों को धीमी गति से चलने और ज़्यादा समय तक एक स्थान पर मौजूद रहने वाला बना दिया है। इस अध्ययन के अनुसार, यह प्रवृत्ति 20 वीं शताब्दी के मध्य से उभरी है।

वुड्स होल रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक जेनिफर फ्रांसिस कहते हैं, "यह धीमी गति से चलने वाली उष्णकटिबंधीय तंत्र का एक अन्य उदाहरण है जिसे हम जलवायु परिवर्तन की परिणाम स्वरूप ज़्यादा देख सकते हैं। गर्मियों के दौरान ऊपरी सतह की स्टीयरिंग हवाएं इन महाद्वीपों पर धीमी गति से चलती हैं इसलिए ऋतु तंत्र के रुकने की संभावना अधिक होती है।"

अब बहामास में जो कुछ हम देख रहे हैं वह सभी कारकों का संयोजन है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मानव निर्मित जलवायु परिवर्तन विशेष रूप से इस ग्रह के गर्म होने के कारण हो रहा है। लेकिन, वातावरण में कार्बन की कमी होने का कोई संकेत नहीं है और इसलिए विनाशकारी तूफ़ानों से छुटकारा पाने के तत्काल संकेत दिखाई नहीं दे रहे हैं।

Hurricane Dorian
climate change
global warming
Bahamas
North Atlantic
Devastating Storms and Climate Change

Related Stories

अंकुश के बावजूद ओजोन-नष्ट करने वाले हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन की वायुमंडल में वृद्धि

संयुक्त राष्ट्र के IPCC ने जलवायु परिवर्तन आपदा को टालने के लिए, अब तक के सबसे कड़े कदमों को उठाने का किया आह्वान 

जलवायु शमन : रिसर्च ने बताया कि वृक्षारोपण मोनोकल्चर प्लांटेशन की तुलना में ज़्यादा फ़ायदेमंद

अगले पांच वर्षों में पिघल सकती हैं अंटार्कटिक बर्फ की चट्टानें, समुद्री जल स्तर को गंभीर ख़तरा

धरती का बढ़ता ताप और धनी देशों का पाखंड

क्या इंसानों को सूर्य से आने वाले प्रकाश की मात्रा में बदलाव करना चाहिए?

अमीरों द्वारा किए जा रहे कार्बन उत्सर्जन से ख़तरे में "1.5 डिग्री सेल्सियस" का लक्ष्य

जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट : अमीर देशों ने नहीं की ग़रीब देशों की मदद, विस्थापन रोकने पर किये करोड़ों ख़र्च

आईईए रिपोर्ट की चेतावनी, जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए स्वच्छ ऊर्जा निवेश करने में दुनिया बहुत पीछे

जलवायु परिवर्तन से 1 दशक से कम समय में नष्ट हो गए दुनिया के 14% कोरल रीफ़ : अध्ययन


बाकी खबरें

  • padtal dunia ki
    न्यूज़क्लिक टीम
    कोलंबिया में लाल को बढ़त, यूक्रेन-रूस युद्ध में कौन डाल रहा बारूद
    31 May 2022
    पड़ताल दुनिया भर की' में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने लातिन अमेरिका के देश कोलंबिया में चुनावों में वाम दल के नेता गुस्तावो पेत्रो को मिली बढ़त के असर के बारे में न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर…
  • मुकुंद झा
    छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"
    31 May 2022
    एनईपी 2020 के विरोध में आज दिल्ली में छात्र संसद हुई जिसमें 15 राज्यों के विभिन्न 25 विश्वविद्यालयों के छात्र शामिल हुए। इस संसद को छात्र नेताओं के अलावा शिक्षकों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी…
  • abhisar sharma
    न्यूज़क्लिक टीम
    सरकारी एजेंसियाँ सिर्फ विपक्ष पर हमलावर क्यों, मोदी जी?
    31 May 2022
    आज अभिसार शर्मा बता रहे हैं के सरकारी एजेंसियों ,मसलन प्रवर्तन निदेशालय , इनकम टैक्स और सीबीआई सिर्फ विपक्ष से जुड़े राजनेताओं और व्यापारियों पर ही कार्रवाही क्यों करते हैं या गिरफ्तार करते हैं। और ये…
  • रवि शंकर दुबे
    भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़
    31 May 2022
    अटल से लेकर मोदी सरकार तक... सदन के भीतर मुसलमानों की संख्या बताती है कि भाजपा ने इस समुदाय का सिर्फ वोटबैंक की तरह इस्तेमाल किया है।   
  • विजय विनीत
    ज्ञानवापी सर्वे का वीडियो लीक होने से पेचीदा हुआ मामला, अदालत ने हिन्दू पक्ष को सौंपी गई सीडी वापस लेने से किया इनकार
    31 May 2022
    अदालत ने 30 मई की शाम सभी महिला वादकारियों को सर्वे की रिपोर्ट के साथ वीडियो की सीडी सील लिफाफे में सौंप दी थी। महिलाओं ने अदालत में यह अंडरटेकिंग दी थी कि वो सर्वे से संबंधित फोटो-वीडियो कहीं…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License