NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दुनिया में रूसगेट के नाम पर अमेरिका मज़ाक का पात्र बन कर रह गया है
अमेरिकी संस्थानों द्वारा अपनी राजनैतिक प्रक्रियाओं में "बाहरी हस्तक्षेप" के बारे में रोना बिल्कुल हास्यास्पद लगता है I
सुबिन डेनिस
21 Feb 2018
Translated by महेश कुमार
Russia GATE

" रूसगेट" पिछले कुछ दिनों से अमेरिकियों के लिए प्रमुख खबर बनी हुयी है।

यूएस स्पेशल काउंसिल और फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) के पूर्व निदेशक रॉबर्ट मुलर, मई 2017 के बाद 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में कथित "रूसी हस्तक्षेप" की जांच कर रहे हैं। म्यूएलर ने 16 फरवरी 2018 को एक अभियोग जारी किया, जिसमें 13 रूसी नागरिकों और तीन रूसी संस्थाओं को इसलिए आरोपित किया गया है कि उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका में "चुनावों और राजनीतिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप करने" की गुस्ताखी की।

अभियोग में मुख्य आरोपी इंटरनेट रिसर्च एजेंसी एलएलसी (आईआरए एलएलसी) इकाई है, जो कथित तौर पर रूसी व्यापारी येवगेनी प्रोजेज़िन से संबंधित है। अभियोग में उल्लिखित 12 अन्य व्यक्तियों पर भी आरोप लगाया गया है कि आईआरए एलएलसी ने "संयुक्त राज्य अमेरिका को निशाना बनाने के लिए हस्तक्षेप कार्यवाही" करने के लिए "विभिन्न क्षमताओं के आधार पर काम किया" था।

यह आरोप लगाया गया है कि आरोपी व्यक्तियों और संगठनों ने अपने आपको अमेरिकियों के रूप में पेश किया और अमेरिकी श्रोताओं को आकर्षित करने के लिए सामाजिक मीडिया पेजों और समूहों को संचालित करने के लिए नकली अमेरिकी आई.डी. बनायी। दस्तावेज कहते हैं कि इन समूहों और पृष्ठों ने "विभाजनकारी अमेरिकी राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को संबोधित किया"। आईआरएएलसी के रणनीतिक लक्ष्य "अमेरिकी राजनीतिक व्यवस्था में कलह का बोना" था, जिसमें 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव शामिल है। अभियोग का कहना है कि आरोपी "कई उम्मीदवारों के बारे में अपमानजनक पोस्ट लिखी", और कि 2016 के मध्य तक, उनके कार्यों में "तत्कालीन उम्मीदवार डोनाल्ड जे ट्रम्प के राष्ट्रपति अभियान का समर्थन और हिलेरी क्लिंटन का अपमान" शामिल था।

हालांकि, फेसबुक में विज्ञापनों के उपाध्यक्ष रोब गोल्डमैन ने ट्वीट किया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ज्यादातर रूसी विज्ञापन चुनाव के बाद आए थे।

"मैंने सभी रूसी विज्ञापनों को देखा है और मैं बहुत ही निश्चित रूप से कह सकता हूं कि चुनाव को प्रभावित करने का लक्ष्य मुख्य लक्ष्य नहीं था। रूस के अधिकांश विज्ञापन पर खर्च चुनाव के बाद हुआ। हमने इस तथ्य को साझा किया, लेकिन बहुत कुछ आउटलेट क्योंकि यह ट्रम्प की मुख्य मीडिया कथा से सम्बंधित नहीं थे और इसलिए चुनाव के साथ संरेखित नहीं करता है, "उन्होंने कहा।

उपलब्ध जानकारी के आधार पर यहां कम से कम चार महत्वपूर्ण बिंदु को नोट करने की जरूरत हैं।

पहला, ये अभियोग 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में किसी रूसी सरकार की भागीदारी की बात नहीं करता है। रूसी सरकार या अभियोग में नामांकित संगठनों ने अमेरिका के चुनावों में धांधली नहीं की है और न ही मतदान मशीनों को हैक किया है।

दो, अभियोग में किए गए दावे कहते हैं कि आईआरएलएलसी एक वाणिज्यिक विपणन योजना में शामिल था, जिसका उद्देश्य यहां विस्तार से बताया गया है। आखिरकार, अमेरिका के दर्शकों को लक्षित करने के लिए सनसनीखेज सामग्री को आकर्षक बना दिया जाता है, जैसा कि मैसिडोनिया में किशोरों द्वारा चलाई जाने वाली नकली समाचार वेबसाइटें मिलेंगी। उन्हें जिसकी सबसे ज्यादा चिंता है वह धन, न कि वे जो अपनी साइट के माध्यम से प्रचार कर रहे थे। और उनके पास नकली समाचार बनाने के लिए कॉर्पोरेट मीडिया घरों की "बेहतरीन परंपराएं" मौजूद हैं जैसे द न्यू यॉर्क टाइम्स और द वॉशिंगटन पोस्ट!

तीन, रूसी कंपनी द्वारा खर्च किए गए पैसे शर्मनाक रूप से काफी कम थे। कई अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स ने दावा किया कि अमेरिका में यूएस $ 1.25 मिलियन प्रति माह अपने कार्यों के लिए IRA LLC द्वारा खर्च किया गया था। लेकिन अभियोग वास्तव में कहता है कि "प्रोजेक्ट लखता" नामक कंपनी के संचालन में रूस सहित अन्य देशों में घरेलू दर्शकों को भी शामिल किया गया था और अन्य देशों में अमेरिका सहित विभिन्न देशों में विदेशी दर्शकों को निशाना बनाया गया था। सितंबर 2016 में या उसके आसपास, परियोजना के लखता के लिए कंपनी का मासिक बजट 1.25 मिलियन अमरीकी डॉलर था - जिसमें सभी देशों में परियोजना से संबंधित कार्यों के लिए बजट शामिल था।

किसी को केवल इसके साथ अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दो मुख्य उम्मीदवारों के वास्तविक अभियान व्यय के साथ तुलना करने की जरूरत है। ट्रम्प अभियान ने 31 दिसंबर, 2016 तक 957.6 करोड़ डॉलर जुटाए और इसमें से 99 फीसदी खर्च किया, जबकि क्लिंटन अभियान ने 1.4 अरब डॉलर जुटाए और इसने  98 फीसदी खर्च किए।

रूसी कंपनी द्वारा खर्च किए गया धन अमरीका के चुनाव में किये गए खर्च के मुकाबले ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर था।

चार, और यह सबसे महत्वपूर्ण और स्पष्ट है, कि ये सभी आरोप उस वक्त बेमानी हो गए, जब उनको राजनीतिक हस्तक्षेप के साथ तुलना की जाती है, जिसमें अमेरिकी सरकार खुद पूरी दुनिया भर में लगी हुई है।

अमरीका ने ना जाने कितने देशों का साथ युद्ध लड़ा है – क्योंकि अमरीकी निगमों के पोषण के लिए उनके शासकों की नीतियाँ काफी नहीं थी। इसने लाखों लोगों का क़त्ल कर दिया और उससे कईं ज्यादा लोगो बेकार कर दिया। अमरीकी युद्ध मशीन इस गृह और इसके वाशिंदों के लिए बहुत बड़ा ख़तरा है। यहाँ तक की जब वह शीधे युद्ध में नहीं उतरता है, अमरीका उन देशों में अपने चहेते राजनितिक समूहों को समर्थन देने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करता है, यहाँ तक वह आतंकवादी संगठनों को भी समर्थन देता है जैसा की हमने अफगानिस्तान और सीरिया में देखा है। 2016 में अमरीका ने 1 करोड़ 90 लाख डॉलर फिलिस्तीन के चुनाव में फतह के लिए खर्च किये और जब वे हार गए तो अमरीका ने चुनाव के नतीजों को मानने से इनकार कर दिया।

अमरीका ने भारत में भी दखल दी, जब डेनियल पत्रिक मोयानिहन  1973 से 1975 तक भारत में अमरीका का राजदूत था, ने अपनी 1978 की किताब में स्वीकार किया कि, एक खतरनाक जगह : हमने केवल दो बार भारतीय राजनीती में दखल दी और एक राजनैतिक पार्टी को आर्थिक मदद दी। दोनों बार यह मदद उस वक्त दी गयी जब दोनों राज्यों पश्चिम बंगाल और केरल में कम्युनिस्ट सरकारों के जीतने की उम्मीद थी, जहाँ कोलकाता है। दोनों ही बार पैसा कांग्रेस को उसके कहने पर दिया गया।

कॉर्पोरेट मीडिया और हिलेरी क्लिंटन के इर्द गिर्द डेमोक्रेटिक पार्टी स्तंभकार के दावों में – जोकि ओबामा प्रशासन में राज्य सचिव की हैसियत से सुझाव दिया ठाट कि अमरीका को सीरिया और लीबिया के विरुद्ध युद्ध लड़ना चाहिए, उद्धरण के लिए कि हिलेरी की हार के लिए रूस की सरकार जिम्मेदार है एक मज़ाक से ज्यादा कुछ नहीं है।

अमरीका से बहार किसी के भी लिए इस पर विश्वास करना कि अमरीका इस बात के लिए चिंतित है कि कोई बाहर से उसके राजनैतिक प्रक्रिया में दखल डे रहा है एक मजाक ही लगेगा।

लेकिन रूसगेट दुष्प्रचार का एक मकसद था, जैसा कि रॉब युरी इंगित करते हैं :

“आरोप रूस” का सबसे बढ़िया और पागलपन भरा निचोड़ निकला वह यह है कि उसने न्यूटर वाम को ट्रम्प के खिलाफ हमले में सक्रीय कर दिया बजाये इसके कि हमला उसके द्वारा संजोय जा रहे हितों के आधार पर होता. सबुत के तौर पर , श्री ट्रम्प के प्रशासन में गोल्डमैन सैक्स के पूर्व अधिकारियों का अनुपात का अनुमान लगाया जा सकता है कि श्री ओबामा के प्रशासन में क्या और श्रीमती क्लिंटन की क्या उम्मीद थी। अगर समस्या डोनाल्ड ट्रम्प है, तो समाधान 'ट्रम्प नहीं है'। हालांकि, अगर समस्या यह है कि अमीर काफी हद तक अमेरिकी राजनीतिक परिणामों को नियंत्रित करते हैं, तो 'ट्रम्प' को कैसे न चुना जाये, इसके बारे में निर्णय लेना होगा?

Russia gate
hillary cilnton
USA
Russia
russia age

Related Stories

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

रूस की नए बाज़ारों की तलाश, भारत और चीन को दे सकती  है सबसे अधिक लाभ

गुटनिरपेक्षता आर्थिक रूप से कम विकसित देशों की एक फ़ौरी ज़रूरत

रूस पर बाइडेन के युद्ध की एशियाई दोष रेखाएं

पश्चिम बनाम रूस मसले पर भारत की दुविधा

रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध का भारत के आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा?

यूक्रेन संकट : वतन वापसी की जद्दोजहद करते छात्र की आपबीती

यूक्रेन संकट, भारतीय छात्र और मानवीय सहायता

यूक्रेन में फंसे बच्चों के नाम पर PM कर रहे चुनावी प्रचार, वरुण गांधी बोले- हर आपदा में ‘अवसर’ नहीं खोजना चाहिए

काश! अब तक सारे भारतीय छात्र सुरक्षित लौट आते


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License