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दुर्गा पूजा उत्सव के बीच बंगाल में एनआरसी के ख़ौफ़ से मौत का मातम
नागरिकता छिनने और अपनी जमीन-घर से बेदखल होने की दहशत का आलम यह है कि बीते 10-12 दिनों में राज्य में 15 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं। अब ऐसे लोगों की मदद और सुरक्षा के लिए यूसीआरसी ने कमर कस ली है और आंदोलन छेड़ दिया है।
सरोजिनी बिष्ट
30 Sep 2019
बंगाल में एनआरसी के ख़ौफ़
सांकेतिक तस्वीर। सौजन्य: The Indian Express

एक तरफ पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा का उत्सव शुरू हो गया है, तो दूसरी तरफ राज्य में जगह-जगह मौत तांडव कर रही है। राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) पर बढ़ती बेचैनी अब जानलेवा बन गयी है। नागरिकता छिनने और अपनी जमीन-घर से बेदखल होने की दहशत का आलम यह है कि बीते 10-12 दिनों में राज्य में 15 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं। कम से कम से आठ लोगों के खुदकुशी करने की ख़बर है, जबकि बाक़ी लोगों की मौत तनाव-बेचैनी के कारण अस्वस्थ होने या फिर हृदयाघात से हुई है। विभिन्न सरकारी कागजात जुटाने के लिए लाइन में लगने के दौरान भी कुछ मौतों की ख़बर है। भाजपा नेताओं के बार-बार हर हाल में पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू करने के दावों को देखते हुए विभिन्न जिला व ब्लॉक कार्यालयों में वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने या गलतियों को सुधरवाने, डिजिटल राशन कार्ड बनवाने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी है। जन्म प्रमाणपत्र बनवाने और शादी के पंजीयन के लिए भी विभिन्न नगर निकायों व अन्य सरकारी कार्यालयों में आवेदकों की भीड़ देखी जा रही है। दरअसल, लोग जल्दी से जल्दी से सारे सरकारी कागजात दुरुस्त करना चाह रहे हैं।

27 साल के मिलन मंडल का घर मुर्शिदाबाद जिले के डोमकल के शिवनगर में है। उनके वोटर कार्ड और आधार कार्ड में नाम के हिज्जे में थोड़ा फर्क था। उनके पिता का दावा है कि इसे लेकर मिलन मंडल बहुत परेशाना रहता था और बार-बार यही कहता रहता था कि अब घर-दुआर सब चला जायेगा। अन्य स्थानीय लोगों का भी यही कहना है कि मिलन एनआरसी को लेकर पिछले कुछ समय काफी परेशान था। आखिरकार गत 17 सितंबर को उसने फांसी लगा ली। असम में एनआरसी की अंतिम सूची प्रकाशित होने के बाद जिस तरह की खबरें वहां से आ रही थीं उसके बाद से जलपाईगुड़ी के मयनागुड़ी ब्लॉक की माधवडांगा-2 पंचायत निवासी अन्नदा राय (39) भी बहुत परेशान थे। उन्होंने अपनी जमीन को गिरवी रखा हुआ था। जमीन का कागज पास में नहीं होने के कारण वह लगातार बेचैन रह रहे थे। 20 सितंबर को उन्होंने फांसी लगा ली। इसी तरह उत्तर 24 परगना के बसीरहाट के सोलादाना निवासी कमाल हुसेन मंडल (35) ने भी जमीन के कागजात की समस्या को लेकर 22 सितंबर को एक आम बागान में फांसी लगा ली। डिजिटल कार्ड बनने में आ रही दिक्कत के चलते 22 सितंबर को ही दक्षिण 24 परगना के फलता के मामूदपुर निवासी कालाचांद मिद्दा (42) ने भी फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।

कूचबिहार जिले के घुघुमारी की हाउरागाड़ी गांव निवासी आर्जिना खातून (27) आधार कार्ड पर पति का नाम गलत होने से घर-बार से बेदखल होने की चिंता में पड़ गयी और 24 सितंबर को फांसी लगा ली। जलपाईगुड़ी जिले के कोतवाली थाने के सरदार पाड़ा निवासी साबिर अली (32) की बेटियों के जन्म प्रमाणपत्र पर और आधार कार्ड में नाम में फर्क था। इसके अलावा खानदान के पुराने कागज-पत्र भी नहीं मिल रहे थे। इससे साबिर अली तनाव में रहने लगे और उसने 24 सितंबर को कुएं में कूदकर जान दे दी। इसी तरह की परेशानी को लेकर 24 सितंबर हो ही जलपाईगुड़ी के धूपगुड़ी ब्लॉक के बर्मनपाड़ा निवासी श्यामल राय (32) के भी फांसी लगा लेने की खबर है। एनआरसी की चिंता में मौत का यह सिलसिला चलता ही जा रहा है।

इसे भी पढ़ें : एनआरसी को लेकर कोलकाता समेत प.बंगाल के कई हिस्सों में अफरा-तफरी

सीपीएम का शरणार्थी संगठन फिर से हुआ सक्रिय

1947 में भारत के विभाजन के बाद पूर्वी बंगाल से लाखों की संख्या में शरणार्थी पश्चिम बंगाल आये। उनको दोबारा से बसाने और उन्हें एक भारतीय के रूप में सभी अधिकार दिलाने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी ने कई शरणार्थी संगठन बनाये। इनके एकजुट होकर काम करने के लिए यूनाइटेड सेंट्रल रिफ्यूजी काउंसिल (यूसीआरसी) का गठन किया गया। इस संगठन ने शरणार्थियों की उजड़ी दुनिया फिर से बसाने में बड़ी भूमिका निभायी। इसी तरह बांग्लादेश बनने के समय पूर्वी पाकिस्तान में अशांति के चलते फिर उस पार से बड़ी संख्या में शरणार्थी आये, जिनके लिए यूसीआरसी ने काफी काम किया। शरणार्थी समस्या खत्म होने के बाद यूसीआरसी ने सरकार परियोजनाओं व अन्य विभिन्न कारणों से विस्थापित हुए लोगों के लिए काम करना शुरू किया। अब एक बार फिर सीपीएम ने अपने इस संगठन को सक्रिय किया है।

आज भी ऐसे लाखों शरणार्थी व विस्थापित हैं, जिन पर उचित दस्तावेजों के अभाव में एनआरसी के चलते संकट आ सकता है। इनकी सुरक्षा के लिए यूसीआरसी ने कमर कस ली है और आंदोलन छेड़ दिया है। हाल ही में कूचबिहार, उत्तर 24 परगना और नदिया जिलों में सीपीएम के एनआरसी विरोधी कार्यक्रमों में भारी जन समर्थन देखने को मिला। लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद दोबारा मिल रहे जन समर्थन से उत्साहित सीपीएम के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्र ने कहा कि एनआरसी और कुछ नहीं, बल्कि भाजपा की बंगालियों की बांटने की साजिश है। इसे किसी कीमत पर लागू नहीं होने दिया जायेगा।

असमंजस छोड़ कांग्रेस भी विरोध में
एनआरसी को लेकर बंगाल कांग्रेस काफी दिनों असमंजस में रहने के बाद आखिरकार वह भी इसके विरोध में उतर में आयी है। राज्य में एनआरसी के कारण जिस तरह भय का माहौल बन रहा है, उसे खत्म करने की गुहार लगाते हुए उसने राज्यापाल जगदीप धनखड़ को ज्ञापन सौंपा है। राज्य कांग्रेस के नेता सोमेन मित्र, प्रदीप भट्टाचार्य, अमिताभ चक्रवर्ती, शुभंकर सरकार और अब्दुस सत्तार राज्यपाल से मिले और राज्यपाल से मांग की कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने का कानून नहीं लाया जाये। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्र ने कहा कि एक पार्टी के राजनीतिक फायदे के लिए बंगाल की जनता दहशत में है। उन्होंने आम जनता से अफवाहों पर ध्यान नहीं देने और आतंकित नहीं होने की अपील की है। उन्होंने कहा कि एनआरसी लागू नहीं होने दिया जायेगा। इसके लिए दुर्गा पूजा के बाद पार्टी आंदोलन में भी उतरेगी।

इसे भी पढ़ें :एनआरसी पर पश्चिम बंगाल में बढ़ती बेचैनी

                 एनआरसी को लेकर कोलकाता समेत प.बंगाल के कई हिस्सों में अफरा-तफरी

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