NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
दुष्प्रचार के आक़ाओं से एक मुलाक़ात
8 मई को रामलीला मैदान दिल्ली में पीएम मोदी की रैली के दौरान, न्यूज़क्लिक के दो संवाददाताओं के साथ बीजेपी के गुंडों ने हाथापाई की। ये है उस हिंसक घटना का एक दस्तावेज़।
रवि कौशल
09 May 2019
दुष्प्रचार के आक़ाओं से एक मुलाक़ात
सांकेतिक तस्वीर। सौजन्य: iDiva

लोकतंत्र अंधकार में मर जाता है। वॉशिंगटन पोस्ट की टैगलाइन लोकतंत्र की विभिन्न संस्थाओं के कामकाज के बारे में बहुत कुछ बताती है। लेकिन अगर मैं  कहूँ कि यह लोकतंत्र झूठी ख़बरों से मर जाता है तो क्या करेंगे आप? क्या होगा अगर मैं आपको बताता हूँ कि सत्तारूढ़ दल केवल अपने संस्करण को प्रसारित करने और लिखने की अनुमति देने में अधिक रुचि रखते हैं? और अगर आप इन दबावों के आगे नहीं झुकेंगे तो क्या होगा? तब एक भीड़ आपके पास केवल यह सुनिश्चित करने के लिए आती है कि उनकी विफ़लता छिपी रहे, उनका प्रोपेगेंडा ज़ाहिर ना हो।  

न्यूज़क्लिक की टीम (संवाददाता रवि कौशल और मुकुंद झा) जब दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली में पहुँची तो उन्होंने भी यही देखा और महसूस किया। हमारी टीम को कार्यक्रम स्थल में प्रवेश करने से मना कर दिया गया क्योंकि हमारे पास भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक अधिकारियों द्वारा जारी किया गया मीडिया पास नहीं था। हाँ! काफ़ी उचित है। तब हमने सामान्य प्रवेश द्वार से जाने का फ़ैसला किया। पहले हमने देखा कि रामलीला मैदान लगभग आधा ख़ाली था। हमने लोगों से मुद्दों पर बातचीत करना शुरू किया, जिसमें उनके निर्वाचन क्षेत्र में आने वाली समस्याओं, उनके सांसदों द्वारा निष्पादित कार्य आदि शामिल थे।  

कई लोगों को तो ये भी नहीं पता था कि उनका सांसद कौन है। जब मुकुंद ने एक व्यक्ति से उनके क्षेत्र के सांसद उदित राज, जो कि अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, के तीन जनता के हित में किये गए कार्यो पर सवाल किया तो उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि उन्हें नहीं पता। रैली में आई एक महिला ने हमें बताया कि किस तरह नोटबंदी ने उसे ग़रीब बना दिया क्योंकि उसके गहने चोरी हो गए जब वह पैसे का आदान-प्रदान करने के लिए कतार में खड़ी थी। उन्होंने यह भी बताया कि वह पिछले चार साल से अपने विकलांग युवा बच्चे के लिए शॉपिंग बूथ लेने की कोशिश कर रही है, लेकिन उसका भी कुछ नहीं हुआ है। अचानक, एक व्यक्ति हमारे पास यह जाँचने के लिए आया कि हम कौन हैं। हमने अपना पहचान पत्र दिखाया और वह चला गया। 

फिर, हम एमसीडी के सफ़ाई मज़दूर विकास परिषद के संस्थापक तेजपाल पिहाल से मिले, जिन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर से चुने जाएँ लेकिन एक गठबंधन सरकार के साथ। जब हमने इसके बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि उनका समुदाय (वाल्मीकि जो नागरिक अधिकारियों द्वारा स्वच्छता कार्यकर्ता के रूप में लगे हुए हैं) को पिछले पाँच वर्षों में पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया गया है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता कर्मचारी नालियों में मर रहे हैं और सरकार ने उनकी स्थिति में सुधार के लिए कुछ नहीं किया है। मुझे याद आता है कि उसने कहा, “मोदी जी, आप सफ़ाई कर्मचारियों के पैर धोते हो, कभी उनसे ये भी तो पूछिए उन्हें कितना वेतन मिलता है, उनके क्या हालात हैं!" 
वहाँ के लोगों में जोश सा उमड़ गया जब भाजपा के पश्चिमी दिल्ली के उम्मीदवार परवेश वर्मा ने कहा, “ये बाबर की औलादें हमें राम का नाम लेने से रोकेंगी!"

मुकुंद ने एक बाड़े के तरफ़ देखा जहाँ तीन से चार सौ कुर्सियाँ पूरी तरह से ख़ाली थीं। उन्होंने इसकी तस्वीर भी ली। अचानक, उन्हें एक व्यक्ति ने रोक दिया, जिसने उनसे सवाल किया कि आप इस बाड़े की तस्वीरें क्यों ले रहे हैं, आप आगे जा कर तस्वीरें क्यों नहीं लेते?" इससे पहले कि वह कुछ कह पाते, उसने कहा कि आप आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के एजेंट हैं। मुकुंद बस यही कह पाए की वो मीडिया से हैं। लेकिन उस व्यक्ति ने मुकुंद को उनके कॉलर से पकड़ लिया और उन्हें घसीटना शुरू कर दिया। मैं(रवि) उसको बचाने के लिए भागा। लेकिन मैंने यह देखा कि अचानक रूमाल से चेहरा ढके हुए चार आदमी सामने आ गए। उन्होंने मुझे पीछे धकेला। मैंने उन्हें बताया कि मैं रिपोर्टर हूँ लेकिन उधर से सिर्फ़ गालियों की बरसात हो रही थी। एक व्यक्ति ने मुकुंद की गर्दन पकड़ने की कोशिश की और उन्हें चित्रों को हटाने के लिए कहा। मुकुंद ने पहले तो मना कर दिया लेकिन उन्हें और गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई। मैंने विनती की कि हम रेपोर्टिंग कर रहे हैं और हम चित्रों और फ़ुटेज को हटा नहीं सकते। एक व्यक्ति अचानक चिल्लाया, “मारो देशद्रोही को।” मुझे मुकुंद से लगातार दूर रखा गया। उन्होंने उनका पहचान पत्र भी छीन लिया था। फिर उन्होंने मुकुंद का फ़ोन पकड़ा। उन्हें फ़ोन अनलॉक करने के लिए मजबूर किया। सभी चित्र और फ़ुटेज डिलीट कर के पीछे धकेला। हम स्तब्ध थे लेकिन पराजित नहीं थे। 

मुझे अक्सर आश्चर्य होता है जब आदमी को लिंच किया जाता है तो कैसी स्थिति रहती है। आज एहसास भी हो गया। मुझे एक पीड़ित की बेबसी का एहसास हुआ जब लोग मारने के लिए आतुर होते हैं। मुझे एहसास हुआ कि भारत क्या देश बन गया है। हमें सकारात्मक चीज़ों को कवर करने के लिए कहा गया था। लेकिन हमने सोचा कि लोग महत्वपूर्ण थे और उन्हें इस उन्माद में सुनना अधिक महत्वपूर्ण है। 

इस पूरे हिंसक प्रकरण पर हमारी प्रतिक्रिया ये है: हम रिपोर्टिंग जारी रखेंगे, क्योंकि लोकतंत्र ग़लत जानकारी के साथ मर जाता है।

ramleela maidan
Narendra modi
Bharatiya Janata Party
Aam Aadmi Party Congress
elections 2019
Lok Sabha Polls
freedom of speech
Press freedom
mob lynching

Related Stories

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

भारत में धार्मिक असहिष्णुता और पूजा-स्थलों पर हमले को लेकर अमेरिकी रिपोर्ट में फिर उठे सवाल

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया

बॉलीवुड को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है बीजेपी !

PM की इतनी बेअदबी क्यों कर रहे हैं CM? आख़िर कौन है ज़िम्मेदार?

छात्र संसद: "नई शिक्षा नीति आधुनिक युग में एकलव्य बनाने वाला दस्तावेज़"

भाजपा के लिए सिर्फ़ वोट बैंक है मुसलमान?... संसद भेजने से करती है परहेज़


बाकी खबरें

  • hafte ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोदी सरकार के 8 साल: सत्ता के अच्छे दिन, लोगोें के बुरे दिन!
    29 May 2022
    देश के सत्ताधारी अपने शासन के आठ सालो को 'गौरवशाली 8 साल' बताकर उत्सव कर रहे हैं. पर आम लोग हर मोर्चे पर बेहाल हैं. हर हलके में तबाही का आलम है. #HafteKiBaat के नये एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार…
  • Kejriwal
    अनिल जैन
    ख़बरों के आगे-पीछे: MCD के बाद क्या ख़त्म हो सकती है दिल्ली विधानसभा?
    29 May 2022
    हर हफ़्ते की तरह इस बार भी सप्ताह की महत्वपूर्ण ख़बरों को लेकर हाज़िर हैं लेखक अनिल जैन…
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष:  …गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
    29 May 2022
    गोडसे जी के साथ न्याय नहीं हुआ। हम पूछते हैं, अब भी नहीं तो कब। गोडसे जी के अच्छे दिन कब आएंगे! गोडसे जी का नंबर कब आएगा!
  • Raja Ram Mohan Roy
    न्यूज़क्लिक टीम
    क्या राजा राममोहन राय की सीख आज के ध्रुवीकरण की काट है ?
    29 May 2022
    इस साल राजा राममोहन रॉय की 250वी वर्षगांठ है। राजा राम मोहन राय ने ही देश में अंतर धर्म सौहार्द और शान्ति की नींव रखी थी जिसे आज बर्बाद किया जा रहा है। क्या अब वक्त आ गया है उनकी दी हुई सीख को अमल…
  • अरविंद दास
    ओटीटी से जगी थी आशा, लेकिन यह छोटे फिल्मकारों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा: गिरीश कसारावल्ली
    29 May 2022
    प्रख्यात निर्देशक का कहना है कि फिल्मी अवसंरचना, जिसमें प्राथमिक तौर पर थिएटर और वितरण तंत्र शामिल है, वह मुख्यधारा से हटकर बनने वाली समानांतर फिल्मों या गैर फिल्मों की जरूरतों के लिए मुफ़ीद नहीं है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License