दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एक टेलीविज़न चैनल से अपना हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है, जिसमें उसे स्पष्ट तौर पर इस बात का खुलासा करना होगा कि दिल्ली दंगों के मामले से संबंधित ये कथित गोपनीय बयान उसे कहाँ से हासिल हुए थे।
दिल्ली पुलिस द्वारा अदालत को यह सूचित किये जाने के बाद कि इस जाँच में शामिल किसी भी पुलिस कर्मी ने इसे लीक करने का काम नहीं किया है, न्यायमूर्ति विभु बाक्रू ने इस आशय के आदेश को जारी किया है।
पुलिस ने इस सन्दर्भ में आगे कहा है कि वह इस बात से भी व्यथित है कि अभियुक्त का कथित इकबालिया बयान सार्वजनिक हो जाने से जाँच की प्रक्रिया में बाधा पहुँची है। इसने अदालत को इस सम्बंध में एक सतर्कता जाँच गठित किये जाने के बारे में भी सूचित किया है।
यह सब जामिया के छात्र आसिफ़ इक़बाल तन्हा की ओर से ज़ी न्यूज़, ओपइंडिया, यूट्यूब और फेसबुक को कथित तौर पर पुलिस द्वारा लीक की गई संवेदनशील/गोपनीय सूचना को अपने यहाँ से हटाने के बाबत दायर याचिका एवं मौजूदा जारी आपराधिक जाँच की मीडिया रिपोर्टिंग के सन्दर्भ में आवश्यक दिशानिर्देश जारी किये जाने की माँग के बाद देखने को मिला है।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में नजर आने वाली कई न्यूज़ रिपोर्टों में इस बात को दिखाया गया है कि आरोपी तन्हा ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में घटित साम्प्रदायिक दंगों को आयोजित करने और भड़काने की बात कबूली थी। हालाँकि तन्हा ने उच्च न्यायालय में अपनी सफाई में कहा है कि उसे पुलिस अधिकारीयों ने कुछ कागजातों पर हस्ताक्षर करने और अपनी हिरासत में रखते हुए बयान देने के लिए मजबूर किया था।
तन्हा ने आरोप लगाये हैं कि दिल्ली पुलिस के अधिकारीयों ने इस लंबित कार्यवाही में याचिकाकर्ता के खिलाफ पूर्वाग्रह के चलते गलत इरादे से उक्त बयान को मीडिया में लीक करने का काम किया है।
इससे पहले केरल उच्च न्यायालय ने भी मीडिया में इकबालिया बयानों के बढ़ते खुलासों की प्रवत्ति को लेकर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी। इसमें कहा गया है कि अभियुक्त द्वारा पुलिस को दिया गया इकबालिया बयान यदि लीक हो जाता है और जाँच के दौरान इस पर बाहर चर्चा होती है तो जाँच में शामिल अधिकारीयों एवं मीडिया पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
इससे पूर्व दिल्ली दंगों के मामलों में आरोपी पिंजरा तोड़ की सदस्या देवांगना कलिता द्वारा दायर एक याचिका में उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को इस बात के निर्देश दिये हैं कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के मामलों में जब तक आरोपों को, वो चाहे जो भी हों तय न हो गए हों और अदालती प्रक्रिया शुरू न हो गई हो, तब तक वह आगे से किसी भी आरोपी या गवाह के नामों का खुलासा करने वाले किसी भी संचार को जारी न करे।
अदालत का कहना था कि साम्प्रदायिक दंगों से संबंधित मामले निस्संदेह अति-संवेदनशील हैं।
दिल्ली दंगों के खुलासे पर दिल्ली उच्च न्यायलय के बयान को न्यूज़क्लिक द्वारा स्क्रिब्ड पर देखें
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल रिपोर्ट पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें-
Delhi HC directs TV channel to disclose source of Delhi riots accused confessional statement; police deny leak on its part
इस लेख का सर्वप्रथम प्रकाशन द लीफलेट द्वारा किया गया है।