कटाक्ष: जरा सोचिए, नये इंडिया को ऐेसे किसी भी कदम की कितनी ज़रूरत थी, जो देश में खुशी बढ़ाए, देश के खुशी सूचकांक को ऊपर उठाए। जब से विश्व खुशी सूचकांक में भारत खिसक कर 136वें नंबर पर पहुंचा है।
इस ऐतिहासिक हड़ताल से यह भरोसा पैदा होता है कि लड़ाकू मज़दूर, किसानों तथा छात्र-नौजवानों के साथ मिलकर जनता के सच्चे प्रतिपक्ष का निर्माण करेंगे तथा कारपोरेट हिंदुत्व के राष्ट्रीय विनाश के अभियान पर…
आज़ादी के दशकों बाद भी कम से कम 40 अफ़्रीकी देश यूके, फ़्रांस और जर्मनी में अपनी मुद्रा छपवाते हैं,यह स्थिति दरअस्ल उनकी आत्मनिर्भरता पर सवाल उठाती है। इस लेख में डीडब्ल्यू ने इसी बात की पड़ताल किया…