NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
धर्म से कोई लेनादेना नहीं है आतंकवाद का
फिल्मों,टीवी सीरियलों में मुस्लिम चरित्रों को आतंकवादी व अतिवादी के रूप में प्रस्तुति I
राम पुनियानी
28 Jun 2018
secularism

समकालीन राजनीति धर्म का लबादा ओढ़े हुए है। चाहे वह साम्राज्यवादी देशों की कच्चे तेल के संसाधनों पर कब्जा करने की राजनीति हो,या दक्षिण एशियाई देशों में जन्म-आधारित असमानता थोपने की राजनीति - दोनों ही धर्म की बैसाखियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। पाकिस्तान के अलावा,कई पश्चिम एशियाई देशों में इस्लाम के नाम पर सामंतवाद और एकाधिकारवाद की जड़ों को सींचा जा रहा है। म्यांमार और श्रीलंका में बौद्ध धर्म,राजनीति का मोहरा बना हुआ है। भारत में हिन्दुत्व का इस्तेमाल,उदारवाद और समानता के पक्ष में उठने वाली आवाजों को खामोश करने के लिए किया जा रहा है। इस तरह की संकीर्ण,कट्टरवादी राजनीति,अक्सर,कलाकारों व रचनात्मक कार्य में संलग्न अन्य व्यक्तियों को अपना निशाना बनाती है। गजल की महफिलों में उत्पात मचाया जाता है,फिल्म थियेटरों पर हमले होते हैं,नाटकों का मंचन रोका जाता है,प्रदर्शनियों में हंगामा किया जाता है और पुस्तकों पर प्रतिबंध लगाने की जिद की जाती है। धर्म और राष्ट्रवाद के नाम पर कलाकारों,लेखकों इत्यादि से माफी मांगने की मांग भी की जाती है।

बालीवुड सितारा प्रियंका चोपड़ा,एक अमरीकी टीवी सीरियल‘क्वांटिको‘में काम कर रही हैं। इस सीरियल के एक एपीसोड में यह दिखाया गया कि उनके द्वारा अभिनीत चरित्र,पाक-भारत शिखर वार्ता के आयोजन स्थल पर एक भारतीय हिन्दू आतंकवादी द्वारा परमाणु बम से हमला करने की साजिश को नाकाम करता है। इससे कुछ भावुक हिन्दू ब्रिगेडों की भावनाएं आहत हो गईं।‘‘हिन्दू सेना जनता से यह अपील करती है कि वह प्रियंका चोपड़ा की फिल्मों,उनके द्वारा किए जा रहे विज्ञापनों आदि का बहिष्कार करे और भारत सरकार से यह अनुरोध करती है कि वह उन्हें उनकी भारतीय नागरिकता से वंचित कर दे और उनका भारत में प्रवेश प्रतिबंधित किया जाए।‘‘प्रियंका चोपड़ा इस हमले के आगे तुरंत झुक गईं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मुझे इस बात का बहुत दुःख और खेद है कि क्वांटिको के हालिया एपीसोड के कारण कुछ लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। ऐसा करने का मेरा कोई इरादा नहीं था और ना ही कभी होगा। मैं सच्चे मन से क्षमायाचना करती हूं। मुझे भारतीय होने पर अभिमान है और यह कभी बदलेगा नहीं।‘‘बालीवुड की एक अदाकारा पूजा भट्ट ने प्रियंका का साथ दिया और एक कलाकार के तौर पर उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बचाव किया।

इन दिनों फिल्मों,टीवी सीरियलों,उपन्यासों इत्यादि में लगभग हमेशा मुस्लिम चरित्रों को आतंकवादी व अतिवादी के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। अगर क्वांटिको के एक एपीसोड में एक हिन्दू को आतंकवादी दिखा भी दिया गया तो इस पर इतना बवाल किए जाने की क्या आवश्यकता है?क्या यह इतना बड़ा अपराध है कि उसके लिए संबंधित कलाकार की नागरिकता तक रद्द करने की मांग की जाए?हिंसा और आतंकवाद को धर्म से जोड़ने की प्रवृत्ति, 9/11 के डब्लूटीसी हमले के बाद शुरू हुई। सच यह है कि इस और अन्य आतंकी हमले करने वाले गिरोहों को अमरीका ने ही हथियार और प्रशिक्षण उपलब्ध करवाया ताकि वे सोवियत रूस के अफगानिस्तान पर कब्जे के विरूद्ध चल रही लड़ाई में भाग ले सकें। उन्हें धर्मांध लड़ाका बनाने के लिए इस्लाम के उस संस्करण का उपयोग किया गया जो सऊदी अरब में प्रचलित है। यह सारी योजना वाशिंगटन में बनी और वहीं से कार्यान्वित की गई। आतंकी हरकतों को इस्लाम के नाम पर वाजिब ठहराया गया। अमरीकी मीडिया ने‘इस्लामिक आतंकवाद‘शब्द गढ़ लिया और पहली बार किसी धर्म को आतंकवाद से जोड़ा। यह इस तथ्य के बावजूद कि दुनिया में आतंकी सभी धर्मों के रहे हैं। इसी तर्ज पर,कई आतंकी हमलों में हिन्दू राष्ट्रवादियों का हाथ होने की बात सामने आने पर हिन्दू आतंकवाद,भगवा आतंकवाद और हिन्दुत्व आतंकवाद जैसे शब्द इस्तेमाल होने लगे। अब,प्रज्ञा ठाकुर और असीमानंद जैसे आरोपियों को जमानत मिलने के बाद यह मांग की जा रही है कि जिन लोगों ने इन शब्दों का इस्तेमाल किया था,वे क्षमा मांगे।

मालेगांव में सन्2008 में हुए बम विस्फोटों की महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद-निरोधक दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे द्वारा की गई सूक्ष्म जांच से यह सामने आया कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई मोटरसाईकिल कई हिन्दुत्व संगठनों से जुड़ी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की थी। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती गई,अन्य हिन्दुओं के नाम सामने आने लगे। इनमें शामिल थे ले. कर्नल प्रसाद पुरोहित,मेजर उपाध्याय,स्वामी दयानंद व स्वामी असीमानंद। इनमें से कई हिन्दू राष्ट्रवादी संगठनों से जुड़े थे और कई सीधे आरएसएस से। जांच के बाद कई लोगों को गिरफ्तार किया गया और इनमें से आरएसएस के दो पूर्व प्रचारकों को अजमेर धमाकों के मामले में आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई गई।

साध्वी प्रज्ञा,पुरोहित और असीमानंद को जमानत पर रिहा कर दिया गया है। स्वामी ने एक मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में यह इकबालिया बयान दिया था कि उसने कई आतंकी हमलों की योजना बनाई थी। स्वामी दयानंद पांडे के लेपटाप में आपत्तिजनक सामग्री मिली थी। सुनील जोशी,जो इस टीम का सदस्य बताया जाता है,की हत्या कर दी गई। यह मान लिया गया कि उसकी हत्या इसलिए हुई क्योंकि उसने साध्वी प्रज्ञा के साथ शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास किया था। इस सारी जांच और सुबूतों के बाद भी,सन्2014 में केन्द्र सरकार में परिवर्तन के बाद,इन सभी को जमानत मिल गई। क्या सच सभी सामने आएगा?

यह महत्वपूर्ण है कि इस प्रकरण में सरकारी वकील रोहिणी साल्यान ने यह आरोप लगाया था कि साध्वी इत्यादि से संबंधित मामलों में उसे नरम रूख अपनाने के निर्देश दिए गए थे। इस घटनाक्रम से अपराध और सजा से जुड़े कई सवाल उभरते हैं। सन्1993 के मुंबई धमाकों से संबंधित प्रकरण में रूबीना मेमन को केवल इसलिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई क्योंकि धमाकों में प्रयुक्त कार उसके नाम पर पंजीकृत थी। मालेगांव धमाकों में इस्तेमाल की गई मोटरसाईकिल साध्वी प्रज्ञा की थी परंतु उन्हें जमानत मिल गई।

पिछले कुछ समय से देश में जो कुछ हो रहा है,वह अत्यंत चिंताजनक है। शंभुलाल रैगर,जिसने अफराजुल को लवजिहाद के नाम परअत्यंत क्रूरतापूर्वक मौत के घाट उतारा था,के परिवार के लिए चंदा इकट्ठा किया गया। प्रोफेसर कलबुर्गी और गौरी लंकेष की हत्या से हिन्दुत्व संगठनों के जुड़े होने के प्रमाण सामने आ रहे हैं। प्रियंका चोपड़ा जैसे लोग अपने करियर की खातिर क्षमा मांगकर विवाद से बच जाते हैं परंतु बड़ा मुद्दा यह है कि धर्म को राजनीति के कीचड़ में घसीटने वालों से कैसे निपटा जाए?

(अंग्रेजी से हिन्दी रूपांतरण अमरीश हरदेनिया)

Courtesy: द सिटिज़न
Communalism
BJP-RSS
Hindu
Muslim

Related Stories

मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात

तिरछी नज़र: ये कहां आ गए हम! यूं ही सिर फिराते फिराते

विचार: सांप्रदायिकता से संघर्ष को स्थगित रखना घातक

विशेष: कौन लौटाएगा अब्दुल सुब्हान के आठ साल, कौन लौटाएगा वो पहली सी ज़िंदगी

मोदी के आठ साल: सांप्रदायिक नफ़रत और हिंसा पर क्यों नहीं टूटती चुप्पी?

हिंदुत्व सपाट है और बुलडोज़र इसका प्रतीक है

क्यों अराजकता की ओर बढ़ता नज़र आ रहा है कश्मीर?

क्या ज्ञानवापी के बाद ख़त्म हो जाएगा मंदिर-मस्जिद का विवाद?

सारे सुख़न हमारे : भूख, ग़रीबी, बेरोज़गारी की शायरी

पूजा स्थल कानून होने के बावजूद भी ज्ञानवापी विवाद कैसे?


बाकी खबरें

  • विकास भदौरिया
    एक्सप्लेनर: क्या है संविधान का अनुच्छेद 142, उसके दायरे और सीमाएं, जिसके तहत पेरारिवलन रिहा हुआ
    20 May 2022
    “प्राकृतिक न्याय सभी कानून से ऊपर है, और सर्वोच्च न्यायालय भी कानून से ऊपर रहना चाहिये ताकि उसे कोई भी आदेश पारित करने का पूरा अधिकार हो जिसे वह न्यायसंगत मानता है।”
  • रवि शंकर दुबे
    27 महीने बाद जेल से बाहर आए आज़म खान अब किसके साथ?
    20 May 2022
    सपा के वरिष्ठ नेता आज़म खान अंतरिम ज़मानत मिलने पर जेल से रिहा हो गए हैं। अब देखना होगा कि उनकी राजनीतिक पारी किस ओर बढ़ती है।
  • डी डब्ल्यू स्टाफ़
    क्या श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट की तरफ़ बढ़ रहा है बांग्लादेश?
    20 May 2022
    श्रीलंका की तरह बांग्लादेश ने भी बेहद ख़र्चीली योजनाओं को पूरा करने के लिए बड़े स्तर पर विदेशी क़र्ज़ लिए हैं, जिनसे मुनाफ़ा ना के बराबर है। विशेषज्ञों का कहना है कि श्रीलंका में जारी आर्थिक उथल-पुथल…
  • आज का कार्टून
    कार्टून क्लिक: पर उपदेस कुसल बहुतेरे...
    20 May 2022
    आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्याएं महंगाई और बेरोज़गारी है। और सत्तारूढ़ दल भाजपा और उसके पितृ संगठन आरएसएस पर सबसे ज़्यादा गैर ज़रूरी और सांप्रदायिक मुद्दों को हवा देने का आरोप है, लेकिन…
  • राज वाल्मीकि
    मुद्दा: आख़िर कब तक मरते रहेंगे सीवरों में हम सफ़ाई कर्मचारी?
    20 May 2022
    अभी 11 से 17 मई 2022 तक का सफ़ाई कर्मचारी आंदोलन का “हमें मारना बंद करो” #StopKillingUs का दिल्ली कैंपेन संपन्न हुआ। अब ये कैंपेन 18 मई से उत्तराखंड में शुरू हो गया है।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License