NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
धर्मनिर्पेक्ष भारत पर सांप्रदायिकता के काले बादल
न्यूज़क्लिक
02 Feb 2015

गणतंत्र दिवस पर जारी किए गए भारत सरकार के एक विज्ञापन ने तब काफी विवाद खड़ा कर दिया जब पाया गया कि संविधान की प्रस्तावना से “सेक्युलर” और “सोशलिस्ट” शब्द गायब थे।

अनेक राजनैतिक दलों और संगठनों ने भाजपा सरकार की इस हरकत की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि यह देश के अल्पसंख्यकों पर हमला और धर्मनिरपेक्ष ढाँचे पर चोट है। इंडिया रेसिस्ट डॉट कॉम नामक संस्था ने सरकार के उस दावे को खारिज करते हुए जिसमे सरकार ने कहा कि  “यह 1950 में पारित की गई प्रस्तावना थी”, एक हस्ताक्षर अभियान भी शुरू किया है। उन्होंने लिखा है कि, “ इस विज्ञापन का रेट्रो थीम नहीं था बल्कि आधुनिक समय की तस्वीर थी जिसमे 5 औरतें और 3 आदमी थे। साथ ही परिपेक्ष्य में नरेंद्र मोदी द्वारा कहा गया कि “ भारत सरकार की एक ही पवित्र किताब है और वो संविधान है” कोटेशन भी था।” इंडिया रेसिस्ट लिखता है कि, “ संविधान कोई पवित्र किताब नहीं बल्कि एक धर्मनिर्पेक्ष दस्तावेज़ है। विज्ञापन में दिखाए गए 8 लोगों में से जो अपने पारंपरिक वेशभूषा में हैं, 6 हिन्दू नज़र आ रहे और बाकी 2 उत्तर पूर्वी राज्यों के जनजातीय समुदाय के लोग हैं। इस बहुमत के विज्ञापन में इसाई, मुस्लिम या सिख के लिए कोई जगह नहीं है। इससे मोदी सरकार का सांप्रदायिक चेहरा और हिन्दू राष्ट्र के प्रति उनका अडिग संकल्प नज़र आता है।”

“कई दर्शकों के अनुसार इस बार के गणतंत्र दिवस पर अनेक राज्यों की झाकियों से हिंदूवादी विचारधारा झलक रही थी और साथ विपक्ष द्वारा प्रशासित राज्यों की झाकियों को प्रदर्शित ही नहीं किया गया। सरकार इस मुद्दे को और भड़काना चाहती है क्योंकि हाल ही में राज्य सभा द्वारा प्रकाशित किए गए कैलेंडर से भी सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्द गायब हैं।

                                                                                                                                                 

संचार एवं सूचना प्रोद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद 1976 में संविधान में जोड़े गए सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्दों पर बहस की मांग करते नज़र आ रहे हैं। इससे यह साफ़ हो जाता है कि यह सरकार द्वारा वास्तविक संविधान को छापने का प्रयास नहीं बल्कि उसपर हमले का प्रयत्न था। अगर वाकई इसपर बहस चाहिए थी तो वह सीधे की जा सकती थी बजाए इसके कि विज्ञापन से इन दो शब्दों को हटा दिया जाए।  

यह तो साफ़ है कि भाजपा एक धर्मनिर्पेक्ष देश नहीं चाहती है। वह देश के धर्मनिर्पेक्ष ढाँचे के सवाल पर अपना मुह जरुर बंद रखे हुए है पर उसके वास्तविक रंग तब उभर कर आते हैं जब उनके मंत्री और सहयोगी सांप्रदायिक भाषण देते हैं। “सेकुलरिज्म आज़ादी के बाद से देश का वो अभिन्न अंग है जो हर समुदाय के लोगो को बराबर का अधिकार देता है। साथ ही सोशलिस्ट शब्द सरकार की जनता के प्रति साम्यवादी रवैये को दर्शाता है। इन दो शब्दों पर कोई समझौता नहीं किया जाएगा और इन्हें हटाने की किसी भी कोशिश को प्रबल विरोध का सामना करना पड़ेगा। “

1950 के वास्तविक संविधान की प्रस्तावना को विज्ञापन के लिए प्रयोग में लाने के पीछे सरकार की जो भी मंशा रही हो, यह निश्चित ही संविधान के सेक्युलर और सोशलिस्ट ढाँचे पर चोट है और पुरे देश को इसकी कड़ी निंदा करनी चाहिए।

भाजपा सरकार
आईबी मंत्रालय
रविशंकर प्रसाद
गणतंत्र दिवस
सेक्युलर
सोशलिस्ट
नरेन्द्र मोदी

Related Stories

संविधान पर आए ख़तरों को पहचानने का अवसर है यह गणतंत्र दिवस!

पेट्रोल और डीज़ल के बढ़ते दामों 10 सितम्बर को भारत बंद

नारद के बाद, हनुमान का हुआ छत्तीसगढ़ के पत्रकारिता विश्वविद्यालय में प्रवेश

पीएमएफबीवाई: मोदी की एक और योजना जो धूल चाट रही है

मीडिया पर खरी खरी – एपिसोड 2 भाषा सिंह के साथ

चीन-भारत संबंधः प्रतिद्वंदी दोस्त हो सकते हैं

नकदी बादशाह है, लेकिन भाजपा को यह समझ नहीं आता

नाम में क्या रखा है? बहुत कुछ

नमो ऐप: आपका डाटा अब बीजेपी का चुनावी हथियार है

तमिलनाडु क्यों कावेरी प्रबंधन बोर्ड चाहता है


बाकी खबरें

  • समीना खान
    विज्ञान: समुद्री मूंगे में वैज्ञानिकों की 'एंटी-कैंसर' कम्पाउंड की तलाश पूरी हुई
    31 May 2022
    आख़िरकार चौथाई सदी की मेहनत रंग लायी और  वैज्ञानिक उस अणु (molecule) को तलाशने में कामयाब  हुए जिससे कैंसर पर जीत हासिल करने में मदद मिल सकेगी।
  • cartoon
    रवि शंकर दुबे
    राज्यसभा चुनाव: टिकट बंटवारे में दिग्गजों की ‘तपस्या’ ज़ाया, क़रीबियों पर विश्वास
    31 May 2022
    10 जून को देश की 57 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं, ऐसे में सभी पार्टियों ने अपने बेस्ट उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। हालांकि कुछ दिग्गजों को टिकट नहीं मिलने से वे नाराज़ भी हैं।
  • एम. के. भद्रकुमार
    यूक्रेन: यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाना इसलिए आसान नहीं है! 
    31 May 2022
    रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाना, पहले की कल्पना से कहीं अधिक जटिल कार्य साबित हुआ है।
  • अब्दुल रहमान
    पश्चिम बैन हटाए तो रूस वैश्विक खाद्य संकट कम करने में मदद करेगा: पुतिन
    31 May 2022
    फरवरी में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका और उसके सहयोगियों ने रूस पर एकतरफा प्रतिबंध लगाए हैं। इन देशों ने रूस पर यूक्रेन से खाद्यान्न और उर्वरक के निर्यात को रोकने का भी आरोप लगाया है।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    कोरोना अपडेट: देश में नए मामलों में करीब 16 फ़ीसदी की गिरावट
    31 May 2022
    देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 2,338 नए मामले सामने आए हैं। जबकि 30 मई को कोरोना के 2,706 मामले सामने आए थे। 
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License