NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
केंद्र सरकार की मुश्किल शर्तों से पंजाब की आर्थिक हालत और डावांडोल हुई
केन्द्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में हुई जीएसटी काउंसिल की 41वीं बैठक में मुख्य मंत्रियों की अपील का कोई असर दिखाई नहीं दिखा। इसके उलट केंद्र ने राज्यों को अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए दो और नई शर्तों के जाल में उलझा कर रख दिया।
शिव इंदर सिंह
31 Aug 2020
केंद्र सरकार की मुश्किल शर्तों से पंजाब की आर्थिक हालत और डावांडोल हुई
Image courtesy: Navbharat Times

वित्तीय संकट से जूझ रही पंजाब सरकार पर अब केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता के लिए बुने जा रहे शर्तों के चक्रव्यूह में उलझ गई है जिस कारण राज्य की आर्थिक हालत और खराब हो रही है।

केंद्र सरकार ने वित्त से सम्बन्धित पार्लियामेंटरी स्टैंडिंग कमेटी को बताया है कि कोरोना के चलते राजस्व इकठ्ठा न होने कारण केंद्र सरकार राज्य सरकारों के वित्तीय घाटे को पूरा करने के वायदे को पूरा नहीं कर सकती।

केन्द्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में हुई जीएसटी काउंसिल की 41वीं बैठक में मुख्य मंत्रियों की अपील का कोई असर दिखाई नहीं दिया। केंद्र ने राज्यों को अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए दो और नई शर्तों के जाल में उलझा कर रख दिया।

जीएसटी लागू करते समय केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ वादा किया था कि 1 जुलाई 2017 से लेकर अगले पांच साल तक हर वर्ष 14 प्रतिशत राजस्व बढ़ोतरी की दर में जो कमी रहेगी वह केंद्र खुद पूरी करेगा।

गौरतलब है कि पहले भी केन्द्र सरकार ने राज्य की कोई आर्थिक मदद नहीं की; मदद के नाम पर वित्तीय जिम्मेवारी बारे कानून (Fiscal Responsibility and Budget Management Act 2003) अनुसार राज्य की घरेलू सकल उत्पाद के 3 प्रतिशत से अधिक कर्जा लेने की सीमा बढ़ाई गई है पर साथ ही शर्तें लगा दी गई हैं कि 2 प्रतिशत कर्जा लेने के लिए हर 0.25 प्रतिशत पर केन्द्र सरकार द्वारा जारी कॉर्पोरेट पक्षीय नीतियों को लागू करना पड़ेगा।

यह शक्तियों का केन्द्रीयकरण करना है और राज्य सरकारों के गले में अगूंठा देकर उनकी हां करवाने का तरीका है।

आर्थिक व सामाजिक मामलों की समझ रखने वाले प्रोफेसर बावा सिंह का कहना है, “पंजाब सरकार के सिर कर्जा पहले ही वापसी की समर्थता से बढ़ रहा है। सवाल यह है कि और कर्जा शर्तें मानकर लेना पड़ेगा तो विकास कामों और आम लोगों की सहूलियतों के लिए पैसा कहां से बचेगा। राज्य सरकार को इन मुद्दों की ओर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि इन मुद्दों को लम्बे समय से नज़रअंदाज़ किया जाता रहा है।”

पंजाब के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि पंजाब सरकार की आर्थिकता को कोरोना वायरस के कारण भी बहुत नुकसान होगा। राज्य पर कर्जे का बोझ बढ़ रहा है। वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने चालू वित्त वर्ष का बजट पेश करते हुए 31 मार्च 2021 तक 2 लाख 48 हजार करोड़ रुपये तक का कर्जा बढ़ने का ऐलान किया था।

केन्द्र सरकार द्वारा कर्जा उठाने की दर बढ़ाने के साथ कर्जे का बोझ 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपये होने का अनुमान है। अब यह भी तथ्य सामने आ रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह की अगुवाई में सरकार ने चार सालों में राज्य के सिर 78 हजार करोड़ रुपये का कर्जा चढ़ा दिया है।

राज्य सरकार की हालत यहां तक कमजोर हो गई है कि पूंजीगत खर्चों के लिए सरकार के पास सलाना बहुत कम पैसा बचता है। बीते वित्तीय वर्ष के दौरान महज़ 3000 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च हुआ था।

वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केन्द्र सरकार ने कर्जा लेने की दर 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने की अनुमति तो दे दी है पर शर्तें ऐसी लगा दी हैं कि राज्य सरकारों को राजनैतिक तौर पर और लोगों को आर्थिक तौर पर महंगी कीमत अदा करनी पड़ेगी।

पंजाब का कुल घरेलू उत्पाद (GDP) 6 लाख करोड़ रुपये के करीब है। इस तरह राज्य सरकार 3 प्रतिशत के हिसाब से इस साल 18000 करोड़ रुपये का कर्जा ले रही है व जीडीपी का 5 प्रतिशत करने से सरकार 30000 करोड़ रुपये तक का कर्जा सलाना ले सकेगी।

राज्य के लिए सबसे बड़ी समस्या नियमित खर्चे हैं जो सरकार पर भारी हैं। यह भी अहम तथ्य है कि सरकार द्वारा अपने खर्चे घटाने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। कोरोना की मार के कारण अगर खर्चे घटाए भी हैं तो महज़ खानापूर्ति ही दिखाई दे रही है।

नियमित खर्चों में अगर चालू वित्तीय वर्ष का हिसाब देख लिया जाए तो तनख्वाहों का सलाना बोझ 27639 करोड़ रुपये, पेंशनों का सलाना बोझ 12267 करोड़ रुपये, बिजली सब्सिडी का बोझ 12246 करोड़ रुपये व ब्याज़ की अदायगी 19075 करोड़ रुपये बनता है। चालू वित्तीय वर्ष के दौरान कोरोना कारण राजस्व घाटा 22 से 25 हजार करोड़ रुपये जाने की संभावना है।

यह घाटा पूरा करने के लिए पंजाब सरकार ने डीज़़ल व पैट्रोल पर टैक्स भी बढ़ा दिया है और मुख्यमंत्री ने इन पर कर घटाने से कोरा इनकार कर दिया है। पंजाब सरकार की आमदनी के दो बड़े स्रोत शराब व माइनिंग हो सकते हैं पर सरकार द्वारा इन दोनों क्षेत्रों में कोई खास प्रगति नहीं दिखाई गई।

शराब से प्राप्त होने वाले राजस्व में स्थिरता ही नहीं आई बल्कि यह घटा है। शराब माफिया का बोलबाला बढ़ने के कारण शराब की नकली फैक्टरियां भी पकड़ी जा रही हैं। इसी तरह माइनिंग से आने वाला राजस्व भी सरकारी खजाने में आने की बजाय महज़ फाइलों तक सीमित हो गया है।

केन्द्र सरकार द्वारा कर्ज़ा लेने की दर बढ़ाने के लिए लगाई गई शर्तों में ‘वन नेशन वन राशनकार्ड’, ‘शहरी सुधार व प्रॉपर्टी टैक्सों में बढ़ोतरी’, ‘बिजली क्षेत्र के सुधार’, ‘ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नैस’ शामिल हैं। राज्य सरकार को एक शर्त पूरी करने पर 0.25 प्रतिशत की दर से कर्जा अधिक लेने की खुल मिल जाएगी।

वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राशनकार्ड व बिज़नेस सम्बन्धी शर्त को तो राज्य सरकार आसानी से पूरा कर सकती है पर शहरी क्षेत्र व बिजली क्षेत्र के सुधार अमल में लाने बहुत मुश्किल हैं। पंजाब में प्रॉपर्टी टैक्स की दरें राज्य सरकार द्वारा 6 साल पहले निर्धारित की गईं थी ताकि केन्द्र सरकार से ग्रांट्स ली जा सके।

शहरी क्षेत्र के सुधार सम्बन्धी ताजा शर्तों को अगर राज्य सरकार मानती है तो प्रॉपर्टी टैक्स में बढ़ोतरी हो सकती है जिससे लोगों पर बड़ा वित्तीय बोझ पड़ेगा। राज्य सरकार द्वारा खेती क्षेत्र के लिए दी जाने वाली सब्सीडी भी केन्द्र सरकार व राष्ट्रीय स्तर पर सरकारी आर्थिक विषेशज्ञों को कई सालों से रड़कती रही है। बिजली क्षेत्र के सुधार अमल में आने से खेती क्षेत्र व गरीबों को दी जाने वाली मुफ्त बिजली पर भी असर पड़ सकता है।

आर्थिक मामलों के जानकार वरिष्ठ पत्रकार हमीर सिंह के अनुसार, “राज्य सरकार कर्जा तभी ले सकेगी अगर वह बिजली सुधार बिल के मुताबिक बिजली सब्सिडी के बारे में दोबारा विचार करे। ‘एक देश एक राशनकार्ड’ का उसूल मानना पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के साथ हुई मीटिंग में यह सवाल उठाया था कि राज्य सरकार को कर्जा लेना है और वापिस भी करना है इसलिए शर्तें नहीं लगाई जानी चाहिए। केन्द्र सरकार राज्य सरकार की सहायता करने के लिए कोई ग्रांट नहीं दे रही। ‘एक देश एक टैक्स’ के तहत लागू की गई जीएसटी भी राज्यों के लिए संकट बनी हुई है। केन्द्र सरकार ने पांच सालों तक राज्यों के राजस्व में होने वाले घाटे की भरपाई करने का वादा किया था पर अब यह दलील दी जा रही है कि राजस्व कम आने के कारण राज्यों को पैसा देना संभव नहीं है।”

यहां ध्यान देने योग्य है कि कर्जे में फंसी 0राज्य सरकार ने लोगों के साथ बड़े-बडे़ वादे किए हुए हैं। पंजाब में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। खेती क्षेत्र में मंदी है। कर्जों के बोझ कारण किसान-मज़दूर आत्महत्या की राह पर है।

सेवा क्षेत्र के निजी क्षेत्र में कम वेतन के कारण परिवारों का गुजारा मुश्किल है। ओद्यौगिक क्षेत्र में भी रोजगार के मौके घट रहे हैं। पंजाब सरकार द्वारा पॉवरकॉम के 40000 पदों को खत्म करने के फैसले ने नौजवानों को निराश किया है। यह तमाम सवाल पंजाब सरकार के सामने मुंह बाये खड़े हैं।

(शिव इंदर सिंह स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

Central Government
Nirmala Sitharaman
punjab
41st meeting of GST Council
punjab government
Captain Amarinder Singh
Narendra modi
BJP
Congress
Economic Recession
economic crises

Related Stories

भाजपा के इस्लामोफ़ोबिया ने भारत को कहां पहुंचा दिया?

कश्मीर में हिंसा का दौर: कुछ ज़रूरी सवाल

सम्राट पृथ्वीराज: संघ द्वारा इतिहास के साथ खिलवाड़ की एक और कोशिश

तिरछी नज़र: सरकार जी के आठ वर्ष

कटाक्ष: मोदी जी का राज और कश्मीरी पंडित

हैदराबाद : मर्सिडीज़ गैंगरेप को क्या राजनीतिक कारणों से दबाया जा रहा है?

ग्राउंड रिपोर्टः पीएम मोदी का ‘क्योटो’, जहां कब्रिस्तान में सिसक रहीं कई फटेहाल ज़िंदगियां

धारा 370 को हटाना : केंद्र की रणनीति हर बार उल्टी पड़ती रहती है

मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति


बाकी खबरें

  • Mehsi oyster button industry
    शशि शेखर
    बिहार: मेहसी सीप बटन उद्योग बेहाल, जर्मन मशीनों पर मकड़ी के जाल 
    26 Oct 2021
    बिहार के पूर्वी चंपारण के मेहसी स्थित विश्व प्रसिद्ध सीप-बटन उद्योग की मशीनों पर मकड़ी के जाले लग चुके हैं। बिजली की सप्लाई नहीं है। उद्योग यूनिट दर यूनिट बंद हो रहे हैं। इस उद्योग के कारीगर पंजाब-…
  • coal crisis
    न्यूज़क्लिक टीम
    कोयला संकट से होगा कुछ निजी कंपनियों को फायदा, जनता का नुकसान
    26 Oct 2021
    कोयले के संकट से देश में बिजली की किल्लत हो रही है। इस किल्लत की वजह क्या है? इस संकट से किसको फायदा और किसको नुकसान होगा? जानने के लिए न्यूज़क्लिक ने बात की पूर्व कोयला सचिव अनिल स्वरुप से
  • Biden’s Taiwan Gaffe Meant no Harm
    एम. के. भद्रकुमार
    ताइवान पर दिया बाइडेन का बयान, एक चूक या कूटनीतिक चाल? 
    26 Oct 2021
    अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले गुरुवार को सीएनएन टाउन हॉल में यह कहा है कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो वाशिंगटन उसकी रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • workers
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    दिल्ली: डीबीसी कर्मचारियों का स्थायी नौकरी की मांग को लेकर प्रदर्शन, हड़ताल की चेतावनी दी
    26 Oct 2021
    लगभग 3500 से अधिक कर्मचारी दिल्ली के तीनों नगर निगम में अनुबंध के आधार पर काम कर रहे हैं। राजधानी में डेंगू और अन्य ऐसी महामारी की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद ये ठेके प्रथा के तहत कार्यरत…
  • instant loan
    शाश्वत सहाय
    तत्काल क़र्ज़ मुहैया कराने वाले ऐप्स के जाल में फ़ंसते नौजवान, छोटे शहर और गाँव बने टार्गेट
    26 Oct 2021
    इन ऐप्स के क़र्ज़ वसूली एजेंटों की ओर से किये जा रहे उत्पीड़न के चलते 2020 और 2021 के बीच पूरे भारत में कम से कम 21आत्महत्याएं हुई हैं।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License