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भारत
राजनीति
एक रफ़ाल, हज़ार मुश्किल : 4 से 5 लाख मज़दूरों की छंटनी!
रफ़ाल की कथा अनंत है, इससे केवल एचएएल को ही नुकसान नहीं हुआ, बल्कि मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेज बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (MESBAI) जो निजी सैन्य ठेकेदारों का एक संगठन है, भी मुश्किल में आ गया है और इसके चलते रफ़ाल का हैंगर बनाने का काम अटक रहा तो वे लाखों मज़दूर भी संकट में हैं जो इन ठेकेदारों के मातहत काम करते थे।
मुकुंद झा
29 Jan 2019
राफेल
MESBAI के कर्मचारी सोमवार को संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए

रफ़ाल को लेकर कहां-कहां कैसा-कैसा घोटाला या गड़बड़झाला हुआ है, कैसे-कैसे संकट पैदा हो गए हैं...इसकी कहानी बहुत लंबी होती जा रही है। केंद्र की मोदी सरकार पर सीधा आरोप है कि पहले तो अनिल अंबानी की कम्पनी को फायदा पहुँचने के लिए सरकारी रक्षा उपकरण बनाने वाले निगम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के हितों की अनदेखी की गई। फिर पता चल रहा है कि एचएएल की इस कदर उपेक्षा की गई कि उसे गंभीर आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा है। यहाँ तक बीते दिनों एचएएल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि अब उसके पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं है। इस मामले को तूल पकड़ता देख मोदी सरकार ने सैन्य-ग्रेड बुनियादी ढांचे के डेवलपर्स मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेज बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (MESBAI) को देय राशि के भुगतान के लिए आवंटित लगभग 200 करोड़ रुपये के फंड को डायवर्ट कर के एचएएल को दे दिया। अब इसे लेकर विवाद पैदा हो गया है।

मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेज बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (MESBAI) यह निजी सैन्य ठेकेदारों का एक संगठन है।  यह भी पिछले काफी समय से आर्थिक संकट से जूझ रहा है।  जब सरकार ने एचएएल के लिए  इस निजी सैन्य ठेकेदारों के लिए आवंटित निधि को स्थानांतरित करने का निर्णय किया तो देश भर के सैन्य बिल्डरों के बीच आक्रोश पैदा हो गया।

MESBAI ने सोमवार को दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन किया जिसमें कहा गया कि केंद्रीय रक्षा मंत्रालय पर लगभग 2,000 करोड़ रुपये का बकाया है।  जिसका भुगतान नहीं किया जा रहा है। ऐसे में उनके लिए अब नए निर्माण कार्य कर पाना संभव नहीं है।  संगठन ने ये साफ किया कि अगर सरकार ने उनका पिछला भुगतान नही किया तो अब कोई निर्माण कार्य नहीं करेंगे।

MESBAI रखरखाव और संचालन में शामिल होने के अलावा सशस्त्र बलों के सभी तीनों अंगों की बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकताओं की देखभाल भी करता है। वे भारतीय वायुसेना के ठिकानों पर रनवे और हैंगर का निर्माण करते हैं, इन पर कई अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां हैं।

सरकार के मुताबिक जेट का पहला बैच सितंबर में आने वाला है लेकिन उससे पहले सोमवार को MESBAI ने चेतावनी दी कि  अगर रक्षा मंत्रालय ने 2,000 करोड़ के बकाया को मंजूरी नहीं दी, तो रफ़ाल फाइटर जेट्स के लिए हैंगर (जेट्स को पार्क करने का स्थान) का निर्माण प्रभावित होगा।

रक्षा मंत्रालय के तहत एकमात्र मान्यता प्राप्त संघ MESBAI में वर्तमान में लगभग 10,000 निजी ठेकेदार हैं, जो देश के तकरीबन 25 लाख लोगों को रोजगार देते हैं इसमें तकरीबन 20 लाख मजदूर हैं।

MESBAI के अध्यक्ष प्रवीण महाना ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि “हम पिछले कई  वर्षों से आर्थिक संकट से गुजर रहे थे क्योंकि सरकार हमारे वैध बकाया भुगतान नहीं कर रही है।  हमने इस मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए लगातार प्रयास किया।”

उन्होंने कहा कि “पैसे की कमी के कारण, हम अब कर्ज  लेकर अपने श्रमिकों को भुगतान कर रहे हैं और वे काम जारी रखने के लिए उच्च लागत का भुगतान करके बाजार से सामग्री खरीद रहे हैं। यदि 2,000 करोड़ रुपये जल्द ही जारी नहीं किए जाते हैं और ठेकेदारों को भुगतान किया जाता है, फिर उन्हें सशस्त्र बलों के सभी विंगों के लिए चल रहे सभी निर्माण कार्यों, रखरखाव और संचालन कार्यों को रोकने के लिए मजबूर हो जाएँगें।

आगे उन्होंने चौंकाने वाला एक तथ्य बताया कि धन की कमी के कारण वो अब तक करीब 4 से 5 लाख मजदूरों की छंटनी कर चुके हैं। ऐसा नहीं है कि काम नहीं है लेकिन हमारे पास उनका भुगतान करने के लिए पैसा नहीं है।

एसोसिएशन का कहना है कि “पिछले चार से छह महीनों में से रफ़ाल के हैंगर और अन्य निर्माण कार्य  की गति धीमी पड़  गई है। कमोबेश इन गतिविधियों में एक ठहराव आ गया है, क्योंकि हमारे पास ठेकेदारों को भुगतान करने के लिए धन नहीं है, जिन्होंने अपने श्रमिको  में काफी कटौती की है।”

MESBAI ने कहा, "वे राफेल विमान को कहां पार्क करेंगे, जिसे सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बात रही है।"|

पिछले साल दीपावली से पहले, एसोसिएशन के सदस्यों ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी, जिन्होंने कुछ फंड जारी करने का वादा किया था। केवल  250 करोड़ जारी किए गए, एसोसिएशन ने कहा कि इसमें से एक बड़ा हिस्सा दक्षिणी कमान के तहत दो प्रमुख परियोजनाओं में चला गया, जिसके बाद हमारे कर्मचारियों ने 3 और 4 दिसंबर को टूल डाउन हड़ताल भी की थी। इस बीच हमें सरकार से केवल आश्वसन ही मिले और कुछ नहीं। हमने बकाया राशि की निकासी से संबंधित मुद्दों को चीफ इंजीनियर, रक्षा राज्यमंत्री, रक्षा मंत्री और पीएमओ के सामने भी उठाया है।

एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अज़ीज़ुल्ला खान ने कहा कि 16 जनवरी को चीफ इंजीनियर ने संदेश दिया कि अगले कुछ दिनों में 250 करोड़ जारी कर दिए जाएंगे। "लेकिन 18 जनवरी को हमें बताया गया कि हमारे फंड्स को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को दे दिया गया।"

एसोसिएशन ने कहा कि अगर उन्हें अगले 15 दिनों में भुगतान नहीं मिला, तो वे देश भर में सभी आवश्यक काम को रोकने के लिए बाध्य होंगे और संसद के बाहर भी विरोध प्रदर्शन करेंगे।

 

 

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