NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
अर्थव्यवस्था
एक सच्चाई जिसे GDP आँकड़े छिपाते हैं
दूसरी तिमाही का अनुमानित विकास दर 6.3% घोषित किया गया है, लेकिन यह ऐसा कुछ नहीं है जिसका एक सामान्य भारतीय जश्न मनाए।
बोदापाती सृजना
04 Dec 2017
Indian economy

017-18 की दूसरी तिमाही (क्यू 2) के लिए जीडीपी की त्वरित अनुमानित वृद्धि दर पिछली तिमाही (क्यू 1) के 5.7% की तुलना में 6.3% घोषित की गई। जेटली समेत कई अन्य लोग इस संकेत को मानते हैं कि भारत का आर्थिक विकास पटरी पर लौट आया है। जेटली के मुताबिक़ नोटबंदी गुज़रे दिनों की बात है और पिछले पांच तीमाही के विकास की धीमी रफ्तार अब ख़त्म हो गई है।

इस नई विकास दर की चमक में क्या कोई भारतीय आशावादी महसूस कर सकता है? शायद नहीं। सकल मूल्य वृद्धि में क्षेत्रीय योगदान पर क़रीब से नज़र डालने पर कोई अच्छी तस्वीर उभर कर सामने नहीं आती है जैसा कि 6.3% जीडीपी विकास दर इंगित करता है।

कृषि क्षेत्र मेें पहली तिमाही में सकल मूल्य वृद्धि (जीवीए) की विकास दर 2.3% से घटकर दूसरी तिमाही में 1.7% हो गई। विकास दर में ये गिरावट कृषि पर निर्भर भारत के क़रीब आधे मज़दूरों की आजीविका के लिए अच्छी नहीं है।

व्यापार, यात्रा, होटल आदि जैसी सेवाओं की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2017-18 की पहली और दूसरी तिमाही के बीच 11.1% से घटकर 9.9% हो गई। ठीक इसी तरह,वित्तीय, बीमा, रियल एस्टेट तथा व्यावसायिक सेवाओं की विकास दर 6.4% से 5.7% तक कम हो गई। भारत में इन दो सेवा क्षेत्रों में क़रीब 40% गैर-कृषि रोज़गार मिलते हैं।

इसके प्रभावी होने का जो मतलब है वह ये कि इन दोनों क्षेत्रों में भारत के क़रीब 70% कामगारों की हिस्सेदारी है, जो दूसरी तिमाही में धीमा हो गया है।

विनिर्माण क्षेत्र जो कि एक अन्य बड़ा नियोक्ता है, इस क्षेत्र में कुल कर्मचारियों का प्रतिशत क़रीब 10.6% है, इसमें सकल मूल्य वृद्धि (जीवीए) की मामूली वृद्धि2% से 2.6% तक ही देखी गई। यद्यपि यह मामूली वृद्धि है, 2.6% की वृद्धि दर आशावादी होने के लिए कुछ नहीं है, और निश्चित रूप से कुछ बड़े प्राप्ती का संकेत नहीं है। इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए विकास का 2.6% एक अपर्याप्त भरपाई है।

पहली तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही में विकास की पुनःप्राप्ति ज़्यादातर विनिर्माण क्षेत्र से हुई जो कुल जीवीए के लगभग 18% का योगदान करती है और लगभग 12% कर्मचारियों को रोज़गार देती है। इस क्षेत्र की वृद्धि दर पहली तिमाही में 1.2% से बढ़कर दूसरी तिमाही में 7% हो गई। यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण वृद्धि है।

लेकिन जैसा कि कई लोगों द्वारा इंगित किया गया है कि विनिर्माण क्षेत्र के जीवीए का अनुमान लगाने में सीएसओ की नई प्रणाली के बावजूद गंभीर समस्याएं हैं। सीएसओ द्वारा गणना की गई विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर आईआईपी (औद्योगिक उत्पादन सूचकांक) की संख्या के संकेत की तुलना में सबसे ज़्यादा लगता है। अगर हम आईआईपी पर नज़र डालते हैं तो विनिर्माण उत्पादन की वृद्धि दर पहली तिमाही में 1.1% से दूसरी तिमाही में 2.2% मामूली तौर पर बढ़ी। यह जीवीए की वृद्धि दर में 1.2% से 7% तक पर्याप्त वृद्धि से एक दम अलग है।

इसके अलावा संशोधित कार्यप्रणाली के अनुसार स्टॉक एक्सचेंजों (बीएसई/एनएसई) में सूचीबद्ध कंपनियों के विवरण के आधार पर विनिर्माण क्षेत्र (70%) के एक बड़े हिस्से का अनुमान लगाया जाता है न कि इन कंपनियों द्वारा कारखाने में वास्तविक उत्पादन के आधार पर। यह स्पष्ट रूप से इन कंपनियों के विनिर्माण जीवीए को अधिक अनुमानित करेगा क्योंकि इनमें से ज़्यादतर कंपनियों का विनिर्माण क्षेत्र के अलावा अन्य आय के स्रोत हैं। असंगठित क्षेत्र का विनिर्माण जीवीए आईआईपी संख्या के आधार पर अनुमानित किया जाता है।

परिणाम स्वरूप ये नई प्रणाली जीएसटी के कारण असंगठित क्षेत्र तथा नोटबंदी के लंबे समय तक नकारात्मक प्रभावों के कारण हुई क्षति को नज़र अंदाज़ करती है। नतीजतन, इस क्षेत्र में बेरोज़गारी की निश्चित संभावना है जो इस चमकीले वृद्धि दर से छिपी है।अलग-अलग क्षेत्रों पर विचार करने के बाद यह स्पष्ट होता है कि दूसरी तिमाही में 6.3% की वृद्धि दर को लेकर आशावादी होना एक साधारण भारतीय के लिए कुछ बेहतर नहीं है।

 

indian economy
GDP
Arun Jatley
GST
demonitisation

Related Stories

डरावना आर्थिक संकट: न तो ख़रीदने की ताक़त, न कोई नौकरी, और उस पर बढ़ती कीमतें

GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?

भारत के निर्यात प्रतिबंध को लेकर चल रही राजनीति

आर्थिक रिकवरी के वहम का शिकार है मोदी सरकार

मोदी@8: भाजपा की 'कल्याण' और 'सेवा' की बात

जब 'ज्ञानवापी' पर हो चर्चा, तब महंगाई की किसको परवाह?

कश्मीर: कम मांग और युवा पीढ़ी में कम रूचि के चलते लकड़ी पर नक्काशी के काम में गिरावट

मज़बूत नेता के राज में डॉलर के मुक़ाबले रुपया अब तक के इतिहास में सबसे कमज़ोर

क्या भारत महामारी के बाद के रोज़गार संकट का सामना कर रहा है?

‘जनता की भलाई’ के लिए पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के अंतर्गत क्यों नहीं लाते मोदीजी!


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License