NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
मज़दूर-किसान
स्वास्थ्य
भारत
ESIC अस्पताल बसई दारापुर: प्रशासन की मनमानी के ख़िलाफ़ कर्मचारियों का प्रदर्शन
प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों का कहना है "वो अपनी ज़िंदगी का पूरा समय इस कंपनी को दे चुके हैं और अब अचानक हमें बिना किसी नोटिस के निकाला जा रहा है।
मुकुंद झा
11 Jul 2019
ESIC अस्पताल बसई

दिल्ली के ESIC अस्पताल बसई दारापुर में 25 सालों से काम कर रहे 50 से अधिक ठेका कर्मचारियों को 15 जून को बिना किसी नोटिस या बिना किसी पूर्व जानकारी के नौकरी से निकाल दिया गया था। इसके विरोध में 3 जुलाई से ही ये कर्मचारी अस्पताल के बाहर धरने पर बैठे हैं।

निकाले गए कर्मचारी लिफ़्ट ऑपरेटर, पंप ऑपरेटर इत्यादि का काम करते थे। कर्मचारी यूनियन का कहना है, "ये सभी स्थाई प्रकृती के काम हैं, और उनको ESIC प्रबंधन ने नौकरी से निकाल दिया है। पिछले महीने जून 2019 को पुराने ठेकेदार को हटाकर प्रबंधन नया ठेकेदार लेकर आ गई। नए ठेकेदार ने आते ही पुराने सभी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया, ये सरासर श्रम क़ानूनों का उलंघन है।"

इसके विरुद्ध कर्मचारी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, उनका कहना है जब तक उनको न्याय नहीं मिलेगा तब तक वो अपना आंदोलन ऐसे ही जारी रखेंगे।

प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों का कहना है "वो अपनी ज़िंदगी का पूरा समय इस कंपनी को दे चुके हैं और अब अचानक हमें बिना किसी नोटिस के निकाला जा रहा है। जबकि हमारी कोई ग़लती भी नहीं है। इस तरह से निकाले जाने से सभी कर्मचारियों के सामने रोज़ी रोटी का गंभीर संकट खड़ा हो गया है।" कई कर्मचारियों ने कहा कि गर्मी की छुट्टी के बाद उनके बच्चों के स्कूल खुले हैं, अब उन्हें उनकी फ़ीस और वर्दी आदि ख़रीदनी है लेकिन उनके सामने अब गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हो गया। उनका कहना है उन्हें समझ नहीं आ रहा है क्या करें क्या न करें!

क्या है पूरा मामला?

बसई दारापुर ESIC अस्पताल में कर्मचारी पिछले काफ़ी समय से न्यूयनतम वेतन और समान काम के समान वेतन की मांग को लेकर काफ़ी लंबे समय से संघर्ष कर रहे थे। इस मामले को लेकर उन्होंने प्रबंधन को कई बार लिखा जिसके बाद प्रबंधन ने इसे श्रम मंत्रालय को भेज दिया फिर इसे द्वारका के लेबर कोर्ट में भेजा गया था। बर्खास्त किए गए कर्मचारियों ने बताया कि अभी ये मामला विचाराधीन था, इसी बीच प्रबंधन ने नया तरीक़ा निकाला और पुरानी कंपनी का ठेका ख़त्म कर दिया और नयी कंपनी को ठेका दे दिया। नई कंपनी ने काम संभालते ही 15 जून रात को 12 बजे जाकर ही काम कर रहे कर्मचारियों को हटना शुरू कर दिया। और उनसे कहा गया कि उनका काम ख़त्म हो गया है।

अब दिल्ली हाई कोर्ट ने अस्पताल को इस मामले में जवाब दाख़िल करने के लिए 17 जुलाई तक का समय दिया है।

सीटू दिल्ली उपाध्यक्ष एच सी पंत जो इस आंदोलन में शुरू से शामिल हैं, उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया, "एक तरफ़ जहाँ हम इस मामले को हाई कोर्ट में लड़ रहे है वहीं दूसरी तरफ़ हम लेबर कोर्ट भी गए हैं जहाँ हमने कहा कि कर्मचारियों को हटाना पूरी तरह से ग़लत है, क्योंकि हम प्रबंधन के ख़िलाफ़ पहले से लड़ रहे थे। इसी कारण से प्रबंधन ने कर्मचारियों को निकाला है। उन्होंने बताया कि अस्पताल के कर्मचारियों की तरफ़ से यूनियन लेबर कोर्ट में, न्यूनतम वेतन और समान काम का समान वेतन को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।

मामला अभी लंबित था। इसी बीच प्रबंधन ने सभी कर्मचारियों को बाहर कर दिया है। अब लेबर कोर्ट में सुनवाई 18 को है लेकिन कर्मचारियों की मांग है कि सभी कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से काम पर वापस लिया जाए। इसी के लिए3 जुलाई से कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं।

प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने बताया, "हमने अस्पताल प्रबंधन से बातचीत करने की कोशिश की और हमने पत्र भी लिखा कि सभी कर्मचारियों को वापस काम पर रखा जाए। लेकिन धरने के आठ दिन बीत जाने के बाद भी प्रबंधन कुछ कर्मचारियों को वापस लेने को तैयार हुआ लेकिन अभी अधिकतर कर्मचारियों को नहीं लिया गया है। इसके ख़िलाफ़ कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं और यह तब तक रहेगा जब तक सभी कर्मचारियों को वापस काम पर नहीं लिया जाता है।"

मज़दूर संगठन सीटू ने भी अधिकारियो को पत्र लिखकर कर्मचारियों को वापस लेने की मांग की है।

esic
ESIC hospital
basai
delhi hospitals
Workers rights

Related Stories

रिवर्स माइग्रेशन: महामारी के साल भर बाद भी मज़दूरों को सरकारों पर नहीं हुआ विश्वास!

सीडब्ल्यूसी के बिना नोटिस के निकाले गए सैकड़ों मज़दूरों का प्रदर्शन

उचित वेतन की मांग करने पर चेन्नई लक्ज़री क्लबों ने अपने 95 कर्मचारी निकाले

श्रमिकों के मूलभूत अधिकारों को नकारने की कोशिश

श्रम कानून-विहीन जंगलराज की ओर बढ़ता भारत

मज़दूर अधिकारों पर हो रहे हमलों के खिलाफ़ हज़ारो निर्माण मज़दूरों का दिल्ली में प्रदर्शन

दिल्ली के अदृश्य घरेलू कामगार

"और मुज़फ़्फ़रनगर नहीं सहेंगे" कुपोषण मुक्त भारत के लिए आइफ़ा का देशव्यापी विरोध प्रदर्शन

सीटू और एटक ने सरकार के ESI के योगदान में कटौती करने के निर्णय पर आलोचना की

भारत: क्रांतिकारी ट्रेड यूनियन आंदोलन के 50 वर्ष


बाकी खबरें

  • रवि कौशल
    डीयूः नियमित प्राचार्य न होने की स्थिति में भर्ती पर रोक; स्टाफ, शिक्षकों में नाराज़गी
    24 May 2022
    दिल्ली विश्वविद्यालय के इस फैसले की शिक्षक समूहों ने तीखी आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि इससे विश्वविद्यालय में भर्ती का संकट और गहरा जाएगा।
  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    पश्चिम बंगालः वेतन वृद्धि की मांग को लेकर चाय बागान के कर्मचारी-श्रमिक तीन दिन करेंगे हड़ताल
    24 May 2022
    उत्तर बंगाल के ब्रू बेल्ट में लगभग 10,000 स्टाफ और सब-स्टाफ हैं। हड़ताल के निर्णय से बागान मालिकों में अफरा तफरी मच गयी है। मांग न मानने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का संकेत दिया है।
  • कलिका मेहता
    खेल जगत की गंभीर समस्या है 'सेक्सटॉर्शन'
    24 May 2022
    एक भ्रष्टाचार रोधी अंतरराष्ट्रीय संस्थान के मुताबिक़, "संगठित खेल की प्रवृत्ति सेक्सटॉर्शन की समस्या को बढ़ावा दे सकती है।" खेल जगत में यौन दुर्व्यवहार के चर्चित मामलों ने दुनिया का ध्यान अपनी तरफ़…
  • आज का कार्टून
    राम मंदिर के बाद, मथुरा-काशी पहुँचा राष्ट्रवादी सिलेबस 
    24 May 2022
    2019 में सुप्रीम कोर्ट ने जब राम मंदिर पर फ़ैसला दिया तो लगा कि देश में अब हिंदू मुस्लिम मामलों में कुछ कमी आएगी। लेकिन राम मंदिर बहस की रेलगाड़ी अब मथुरा और काशी के टूर पर पहुँच गई है।
  • ज़ाहिद खान
    "रक़्स करना है तो फिर पांव की ज़ंजीर न देख..." : मजरूह सुल्तानपुरी पुण्यतिथि विशेष
    24 May 2022
    मजरूह सुल्तानपुरी की शायरी का शुरूआती दौर, आज़ादी के आंदोलन का दौर था। उनकी पुण्यतिथि पर पढ़िये उनके जीवन से जुड़े और शायरी से जुड़ी कुछ अहम बातें।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License