फेसबुक विवाद उभरने के बाद शशि थरूर फेसबुक पर हमलावर हुए तो बीजेपी ने शशि थरूर के ख़िलाफ़ ही मोर्चा खोल दिया। आख़िर यह राजनीति या ‘रिश्ता’ क्या कहलाता है। तिनका आख़िर किसकी दाढ़ी में है?
अमेरिकी अखबार ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ में प्रकाशित खबर के बाद सामने आया फेसबुक-भाजपा के कथित गठजोड़ का विवाद अब कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर पर केंद्रित होता दिख रहा है।
दरअसल केरल से सांसद शशि थरूर सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं। इस समिति ने इस मामले में फेसबुक को दो सितंबर को तलब किया है। इसके बाद से बीजेपी के नेता शशि थरूर पर हमलावर हो गए हैं। समिति के सदस्य व बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने शशि थरूर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
गौरतलब है इस मामले में थरूर और दुबे के बीच ट्वीटर पर जबदरदस्त वाकयुद्ध चला था। अब इस मामले में थरूर और निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को एक दूसरे के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस भी दिया है।
क्या है मामला?
भाजपा के कुछ नेताओं के नफरत वाले कथित बयानों को नज़रअंदाज करने के आरोपों का मामला सामना कर रहे सोशल मीडिया मंच फेसबुक को सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसद की स्थायी समिति ने उसके मंच के कथित दुरुपयोग के मुद्दे पर चर्चा के लिए आगामी दो सितम्बर को तलब किया है।
इससे एक दिन पहले यह समिति इंटरनेट बंद करने संबंधी मुद्दों पर भी चर्चा करेगी। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर प्रशासन के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है। फेसबुक के अलावा सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसदीय समिति ने इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के प्रतिनिधियों को भी दो सितम्बर को प्रस्तावित इस बैठक में उपस्थित रहने को कहा है।
बैठक में नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा और ऑनलाइन सोशल मीडिया मंचों के दुरुपयोग पर रोक लगाने संबंधी विषय पर चर्चा की जाएगी जिसमें डिजिटल दुनिया में महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष बल रहेगा। बैठक के एजेंडे के मुताबिक उपरोक्त विषय पर फेसबुक के प्रतिनिधियों की राय मांगी जाएगी। समिति द्वारा तलब किए जाने के मुद्दे पर फेसबुक की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
हमलावर हुई बीजेपी
आपको बता दें कि बैठक की यह अधिसूचना ठीक उस दिन आई जब सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी संसदीय समिति के प्रमुख शशि थरूर के खिलाफ भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर उन्हें समिति के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की।
बिरला को लिखे पत्र में नियमों का हवाला देते हुए दुबे ने उनसे आग्रह किया है कि वे थरूर के स्थान पर किसी दूसरे सदस्य को समिति का अध्यक्ष नियुक्त करें। भाजपा सांसद का आरोप है कि जब से थरूर इस समिति के अध्यक्ष बने हैं तब से वह इसके कामकाज को गैरपेशेवर तरीके से आगे बढ़ा रहे हैं और अफवाह फैलाने का अपना ‘राजनीतिक कार्यक्रम’ चला रहे हैं और ‘मेरी पार्टी को बदनाम’ कर रहे हैं।
थरूर को आड़े हाथों लेते हुए दुबे ने आरोप लगाया, ‘विदेशी लहजे के साथ ‘स्पेंसेरियन’ अंग्रेजी बोलना किसी व्यक्ति को इस बात की छूट नहीं देता कि वह न सिर्फ हमारे महान संवैधानिक संस्थाओं का अपमान कर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति करे बल्कि हमारे संविधान का भी दुरूपयोग करे।’
दुबे ने अपने पत्र में लिखा, ‘शशि थरूर का अपने पद पर बने रहना और समिति की कार्यवाही को नियंत्रित करना बहुत बेहद अनुचित होगा। इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप डाक्टर थरूर को (पद से) हटने के लिए मनाएं और उसके बाद किसी दूसरे सदस्य को समिति के अध्यक्ष का काम सौंपे।’
दिलचस्प बात यह है कि आईटी से जुड़ी इसी संसदीय समिति के सदस्य और बीजेपी सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने शशि थरूर पर समिति के कामकाज को कमजोर करने का आरोप लगाया है।
राठौड़ ने थरूर पर आरोप लगाया था कि समिति के सदस्यों के साथ चर्चा किए बिना ही वह ऐसे बयान दे रहे हैं कि किसे समन किया जाएगा और मीटिंग का एजेंडा क्या होगा। उन्होंने भी शशि थरूर के खिलाफ लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को खत लिखा है।
थरूर और दुबे आमने-सामने
थरूर ने लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में दुबे की ओर से ट्विटर पर की गई उस टिप्पणी पर आपत्ति जताई है जिसमें भाजपा सांसद ने कहा था कि ‘स्थायी समिति के प्रमुख के पास इसके सदस्यों के साथ एजेंडे के बारे में विचार-विमर्श किए बिना कुछ करने का अधिकार नहीं है।’
थरूर ने कहा, ‘निशिकांत दुबे की अपमानजनक टिप्पणी से न सिर्फ सांसद एवं समिति के प्रमुख के तौर पर मेरे पद का अनादर हुआ है, बल्कि उस संस्था का भी अपमान हुआ है जो हमारे देश की जनता की आकांक्षा का प्रतिबिंब है।’
उन्होंने बिरला से आग्रह किया कि दुबे के खिलाफ कार्यवाही आरंभ करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएं। कांग्रेस सांसद ने कहा कि वह इस मामले में सख्त कार्रवाई की उम्मीद करते हैं ताकि आगे से ऐसी घटना नहीं हो।
‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ की खबर से शुरू हुआ विवाद
गौरतलब है कि फेसबुक से जुड़ा पूरा विवाद अमेरिकी अखबार ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ की ओर से शुक्रवार को प्रकाशित रिपोर्ट के बाद आरंभ हुआ। इस रिपोर्ट में फेसबुक के अनाम सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि फेसबुक के वरिष्ठ भारतीय नीति अधिकारी ने कथित तौर पर सांप्रदायिक आरोपों वाली पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक भाजपा विधायक पर स्थायी पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में हस्तक्षेप किया था।
आरोपों के बाद फेसबुक ने अपनी सफाई में कहा था कि उसके मंच पर ऐसे भाषणों और सामग्री पर अंकुश लगाया जाता है, जिनसे हिंसा फैलने की आशंका रहती है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि उसकी ये नीतियां वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं और इसमें यह नहीं देखा जाता कि यह किस राजनीतिक दल से संबंधित मामला है।
फिलहाल लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक एक सितम्बर को बुलाई गई बैठक में संचार और गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा बिहार, जम्मू-कश्मीर और दिल्ली के प्रतिनिधियों को भी बुलाया गया है। एक सितम्बर को ‘मीडिया कवरेज में नैतिक मापदंड’ विषय पर चर्चा के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय, न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और प्रसार भारती के प्रतिनिधियों को बुलाया गया है।
समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ
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