पहले चुनावों के समय सांप्रदायिक हिंसा होती थी। अब ऐसा लग रहा है कि रोज़ाना सांप्रदायिक हिंसा हो रही है। ऐसा क्यों हो रहा है? इस तरह की सांप्रदायिक हिंसा के पीछे कौन है? कौन इस सांप्रदायिक हिंसा को नियंत्रित कर रहा है? विपक्ष की पार्टी ख़ासकर आम आदमी पार्टी का सांप्रदायिकता के प्रति क्या रुख़ है? सांप्रदायिक हिंसा के दुष्चक्र में फंसता जा रहा भारत ख़ुद को कैसे बाहर निकाले? इन सारे सवालों पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से ख़ास बातचीत।