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कोरोना संक्रमण के बीच बिहार में चुनाव कराने की ज़िद ने ले ली पहली बलि!
ईवीएम की ट्रेनिंग के दौरान संक्रमित हुए प्रधानाचार्य कैलाश झा किंकर की सोमवार को इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी। वे खगड़िया जिले में चल रही ईवीएम ट्रेनिंग के मास्टर ट्रेनर थे और हैदराबाद से आये उन प्रशिक्षकों के संपर्क में आकर कोरोना संक्रमित हो गये थे जो बाद में कोरोना पॉजिटिव पाये गये।
पुष्यमित्र
14 Jul 2020
कोरोना संक्रमण के बीच बिहार में चुनाव कराने की ज़िद ने ले ली पहली बलि!

बिहार में हर हाल में समय पर चुनाव कराने की ज़िद ने पहली बलि ले ली है! खगड़िया में ईवीएम की ट्रेनिंग के दौरान संक्रमित हुए प्रधानाचार्य कैलाश झा किंकर की सोमवार 13 जुलाई को इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी। वे खगड़िया जिले में चल रही ईवीएम ट्रेनिंग के मास्टर ट्रेनर थे और हैदराबाद से आये उन प्रशिक्षकों के संपर्क में आकर कोरोना संक्रमित हो गये थे, जो बाद में कोरोना पॉजिटिव पाये गये।

बिहार में नीतीश कुमार की सरकार का कार्यकाल अक्तूबर, 2020 को पूरा हो रहा है। अनलॉक होने के बाद राज्य में तेजी बढ़े कोरोना संक्रमण, बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था और विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद चुनाव आयोग ने कहा है कि चुनाव हर हाल में समय से ही होंगे। बीजेपी भी चुनाव को लेकर काफी उत्साहित दिख रही है और चुनाव टालने की बात करने वालों को कमज़ोर और चुनौती से भागने वाला बता रही है।

ट्रेनिंग में शामिल नहीं होने वाले को शोकॉज

कैलाश झा किंकर अपने स्कूल के प्राचार्य होने के साथ-साथ खगड़िया शहर के जाने-माने कवि और साहित्यसेवी भी थी। वे कौशिकी नामक पत्रिका का संपादन भी करते थे। उन्हें जिले में दो जुलाई से शुरू हुई ईवीएम की फर्स्ट लाइन ट्रेनिंग में मास्टर ट्रेनर के रूप में शामिल होने को कहा गया था।

पिछले दिनों राज्य में तेजी से बढ़े कोरोना के मामले को देखते हुए, उनके साथ-साथ जिले के दूसरे वरीय शिक्षक इस ट्रेनिंग में शामिल नहीं होना चाहते थे। इसी वजह से इस ट्रेनिंग के लिए प्रतिनियुक्त 70 में से 61 मास्टर ट्रेनर ट्रेनिंग से अनुपस्थित रहे। बाद में आठ जुलाई को खगड़िया जिला के डीएम ने इन सभी मास्टर ट्रेनर को ट्रेनिंग से अनुपस्थित रहने की वजह से शोकॉज नोटिस भी जारी किया।

बाद में जब ट्रेनिंग में शामिल हैदराबाद के इंजीनियरों के कोरोना संक्रमित होने की खबर आयी तो जिला प्रशासन ने प्रशिक्षण के दौरान उपस्थित सभी मास्टर ट्रेनरों और अन्य कर्मियों का टेस्ट कराया। उनमें से सात लोग कोरोना संक्रमित पाये गये, जिनमें कैलाश झा किंकर की इलाज के दौरान आइसोलेशन सेंटर में मौत हो गयी।

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इलाज से संतुष्ट नहीं थे कैलाश झा किंकर

कोरोना संक्रमित होने के बाद भी कैलाश झा ने जिला प्रशासन के वाट्सएप ग्रुप में नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा था कि ताजा खुशखबरी है कि ट्रेनिंग में शामिल होने के बाद मैं कोरोना संक्रमित हो गया हूं। आईसोलेशन सेंटर से उन्होंने अपने कई मित्रों को वहां की अव्यवस्था के बारे में वाट्सएप मैसेज किया, ये तमाम मैसेज सोशल मीडिया में शेयर किये जा रहे हैं। उन्होंने अपने एक चिकित्सक मित्र को यह मैसेज भी किया कि टेस्ट के दौरान स्वाब लेते हुए उनके नाक में कट हो गया है, जिससे लगातार खून रिस रहा है। आईसोलेशन सेंटर के डॉक्टर उनकी समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे। हो सके तो वे इसकी कोई दवा बतायें। मगर चिकित्सक ने अपनी मजबूरी यह कहते हुए जाहिर की कि आईसोलेशन सेंटर में होने के कारण वे अपनी दवा उन्हें कैसे दे सकते हैं। बाद में उनकी मृत्यु की खबर सामने आयी।

चुनाव आयोग की लापरवाही का शिकार

खगड़िया के वरिष्ठ पत्रकार अजिताभ कहते हैं कि कैलाश झा वस्तुतः चुनाव आयोग की लापरवाही का शिकार हुए हैं। सरकार में हर काम के लिए एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर तैयार होता है। कोरोना को देखते हुए उसे सख्ती से लागू कराये जाने की जरूरत होती है। अगर ट्रेनिंग के दौरान उस प्रोसीजर को लागू कराया गया होता और कोरोना को लेकर बरती जाने वाली सोशल डिस्टेंसिंग और सेनिटाइजिंग की प्रक्रिया का पालन किया गया होता तो आज सात लोग संक्रमित नहीं होते और कैलाश जी की दुखद मृत्यु नहीं होती।

इस घटना ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को भी संदेह के घेरे में ला दिया है। अगर वह 70 लोगों की ट्रेनिंग में मानक प्रक्रियाओं का पालन नहीं करवा पा रहा और सात लोग कोरोना संक्रमित हो जा रहे हैं, तो वह 13 करोड़ की आबादी और 7.31 करोड़ वोटरों वाले बिहार जैसे राज्य में कैसे विधानसभा चुनाव संपन्न करायेगा।

समय से चुनाव कराने की जिद पर अड़ा है आयोग

बिहार में हाल के दिनों में कोरोना संक्रमण के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि के बावजूद चुनाव आयोग ने 9 जुलाई को साफ कर दिया था कि राज्य में चुनाव समय से होंगे। बाद में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने भी एक अंग्रेजी अखबार को दिये इंटरव्यू में साफ-साफ कहा कि बिहार के चुनाव को टालने का कोई विचार नहीं है। ये चुनाव समय से ही होंगे। जबकि राज्य में प्रमुख विपक्षी दल राजद समेत कांग्रेस, सत्ताधारी दल लोजपा, और अन्य कई प्रमुख दलों ने कोरोना संक्रमण के इस भीषण स्थिति में चुनाव नहीं कराने का आग्रह किया था।

राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा था कि लाशों पर चुनाव कराने का कोई मतलब नहीं। इस पर राज्य के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने जवाब दिया कि तेजस्वी चुनौतियों से भाग रहे हैं। राज्य में सरकार में शामिल दलों में से भाजपा और जदयू हर हाल में समय से चुनाव करवाने पर अडिग है।

अनलॉक शुरू होने के बाद तेजी से बिगड़ी है बिहार की स्थिति

31 मई को जहां बिहार में सिर्फ 3692 कोरोना संक्रमित थे, और इस रोग से सिर्फ 23 लोगों की मृत्यु हुई थी, 14 जुलाई को खबर लिखे जाने तक राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 18853 हो गयी। 13 जुलाई की शाम तक राज्य में कोरोना से 134 लोगों की मौत हो चुकी थी। पिछले 14 दिनों में ही राज्य में 8865 मरीज मिले हैं। पिछले तीन दिनों से राज्य में रोज एक हजार से अधिक मरीज मिल रहे हैं। पूरे राज्य में राजनेताओं, अधिकारियों और चिकित्सकों के बड़ी संख्या में कोरोना से संक्रमित होने की खबरें हैं। अस्पतालों में लापरवाही की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। कई शहरों में सीमित अवधि का लॉकडाउन लगाया जा चुका है। अब बिहार में 31 जुलाई तक पूर्ण लॉकडाउन लगाने की तैयारियां चल रही हैं।

राजनीतिक गतिविधियों में संक्रमित हो रहे नेता-कार्यकर्ता

मंगलवार, 14 जुलाई को बिहार भाजपा के 24 नेताओं के कोरोना संक्रमित होने की खबर सामने आयी। ये लोग राज्य में चुनाव को लेकर आयोजित वर्चुअल रैली की तैयारी से संबंधित बैठकों में शामिल हुए थे। इससे पहले मुंगेर में एक वर्चुअल रैली में शामिल होने वाले दो दर्जन भाजपा नेताओं के संक्रमित होने की खबर सामने आयी थी। विधान परिषद में शपथ ग्रहण समारोह के बाद परिषद के अध्यक्ष के सपरिवार कोरोना संक्रमित होने की खबर के बाद राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी समेत कई बड़े नेताओं का कोरोना टेस्ट कराया गया। इनमें सीएम और डिप्टी सीएम कोरोना निगेटिव पाये गये, मगर एक नव निर्वाचित विधान पार्षद कोरोना से संक्रमित हो गये। जदयू के दो बड़े प्रवक्ता भी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इसके बावजूद राज्य के सत्ताधारी दल हर हाल में समय से चुनाव चाहते हैं। जबकि विपक्षी दल लगातार विरोध कर रहे हैं।

डंवाडोल है राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था

बिहार जैसे संसाधन विहीन राज्य में पहले से ही डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों और वेंटीलेटर का घोर अभाव है। राज्य के चिकित्सा अधिकारियों के 10609 पद सृजित हैं, जबकि इस वक्त सिर्फ 4172 चिकित्सक कार्यरत हैं। स्टाफ नर्स के 14198 पदों के एवज में सिर्फ 5068 नर्स, एएनएम के 27505 पदों के विरुद्ध सिर्फ 17934 एएनएम पदस्थापित हैं। कुल मिलाकर राज्य में चिकित्सकों के 60 फीसदी से अधिक पद रिक्त हैं और स्वास्थ्यकर्मियों के 70 फीसदी से अधिक पद खाली हैं। अगर चुनाव की वजह राज्य में मेलमिलाप बढ़ा और संक्रमण की दर तेज हुई तो संभालना मुश्किल हो सकता है।

(पुष्यमित्र स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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