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राजनीति
फिलिस्तीन
गाज़ा युद्धविराम और उनका उल्लंघन
अरण्या शंकर
22 Aug 2014

लगभग डेढ़ महीने पहले ७, जुलाई को इजराइल ने तथाकथित हमास द्वारा राकेट दागने के जवाब में गज़ा पट्टी पे सैन्य कार्यवाही शुरू कर दी। इसे “ ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज “ का नाम दिया गया। हवाई हमले के रूप में शुरू हुई ये कार्यवाही १७ जुलाई को पूर्ण स्तर पर ज़मीनी लड़ाई में तब्दील हो गई। तबसे अस्थाई युद्धविराम और उनके उल्लंघन का सिलसिला भी शुरू हो गया । अमरीकी सेक्रेटरी जॉन कैर्री द्वारा ७२ घंटे के युद्ध विराम की घोषणा जो जीएमटी के अनुसार ५:०० बजे शुरू हुआ और ७ बजे उसका तोड़ा जाना सबसे नई घटना है ।और हमेशा की तरह इजराइल ने इसका ठीकरा हमास पर फोड़ दिया है। पर पिछले कुछ दिनों के समाचार और २९-३० जुलाई को प्रकाशित हुई  ओसीएचए( यूनाइटेड नेशन ऑफिस फॉर हुमिनिटेरियन अफेयर) कुछ और ही दास्ताँ बयां कर रही है।

चित्र सौजन्य: Mondoweiss

२९-३० जुलाई

ओसीएचए के रिपोर्ट के अनुसार, “ इस्रेअल द्वारा घोषित किआ गया चार घंटे का युद्धविराम हमास द्वारा ठुकरा दिया गया” (यह समय इजराइल द्वारा अपनी सेना को फिर से शशास्त्र करने में उपयोग किया गया)।  अब हमास को ज़िम्मेदार ठहराने से पहले, यह जानना जरूरी होगा कि इसके पीछे कारण क्या था । यह प्रस्ताव हमास द्वारा इसलिए ठुकरा दिया गया क्योंकि यह पुरे गाज़ापट्टी पर लागू नहीं किया गया था और साथ ही यह विराम कई अनुच्छेदों के साथ आया था जिसमे विराम के बावजूद ऐश सुजरियाह बाज़ार पे बमबारी जारी रखने की भी बात । हम इन भयावाह शर्तों पे आगे नजर डालते है ।

जबालिया एलीमेंट्री गर्ल्स स्कूल जहाँ ३३०० आईडीपी(इनटर्नली डिसप्लेस्ड पर्सन्स) ने शरण ले रखी थी, पर इसरायली सेना ने तीन बार हमला किया । इसमें १५ से अधिक लोगो की जान गई और कई घायल हुए, मरने वालो में ४ बच्चे भी थे । इस घटना के बारे मे सेक्रेअट्री जनरल फॉर चिल्ड्रेन एंड आर्म्ड कोन्फ्लिक्ट की विशेष प्रतिनिधि ने कहा है कि, “ इसमें कोई शक नहीं है की आज तीन सप्ताह की जंग के बाद गाज़ा में ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ बच्चे सुरक्षित हो । आज एक हमें में चार बच्चो की जान गई है जबकि इजराइल को इस बात की पूरी सूचना थी की इस ईमारत में शरणार्थी हैं ।´ और अगर इसे और साफ़ तौर पे बताया जाए तो,” इजराइल को इसकी सूचना १७ बार दी गई थी , और आखरी सूचना बमबारी से सिर्फ एक घंटे पहले दी गई थी ।´ गाज़ा के इकलौते विद्युत् उत्पादन कारखाने पर भी बम गिराया गया है जिससे क्षेत्र में बिजली की समस्या और विकट हो गई है, इसका सीधा प्रभाव स्वास्थ सुविधा पर पड़ रहा है ।“ युएन की रिपोर्ट माने तो गाज़ा में अब केवल दो घंटे ही बिजली रहती है और वो भी केवल कुछ हिस्सों में । ऐश सुजरियाह बाज़ार पर किए गए हमलो में १७ लोगो की जान गई और अनेको घायल हुए हैं  ।.

अगर अब तक छपे रिपोर्ट पर जाए तो हालत दिल दहला देने वाले हैं। अब तक कुल १२६३फिलिस्तीनियों की जान गई है जिसमे ८५२ नागरिक हैं(६८%) २४९ बच्चे और १३५ महिलाये हैं। गाज़ा इमरजेंसी सर्विस के आकड़ों के हिसाब से यह संख्या १४३५ की है और साथ ही ८१०० फिलिस्तीनी घायल भी हैं ।  इसके विपरीत केवल 59 इसरायली ही मारे गए है जिसमे केवल ३ नागरिक है बाकी सब सेना के सदस्य।  अगर इजराइल नागरिको पर हमले की बात को नकारता है तो यह बता दिया जाए कि हताहत हुए लोगो में ६८ ऐसे परिवार है जिसने ३ या अधिक सदस्यों को खोया है जो कुल मिला के ३६० है। लगभग दो लाख पैतालीस हज़ार से अधिक फिलिस्तीनी बेघर भी हुए हैं।.

३०-३१ जुलाई

जब युएन सुरक्षा परिषद् ने गाज़ा में अस्थाई युद्धविराम का निवेदन किया तब इजराइल ने “ इस हमले को और सक्रीय करते हुए सभी सुरंगों को नस्ट करने की बात कही। टेल अवीव में हुई बैठक में इसरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने कहा कि, “ हमने दर्ज़नो आतंक की सुरंगों को नस्ट किया है और हम यह काम पूरा करेंगे चाहे फिर वो बिना युद्ध विराम के हो। जब तक यह काम पूरा नहीं हो जाता तब तक हम किसी भी उस बात को नहीं मानेगे जो इसरायली सेना को इस कार्य को पूरा करने से रोकती हो क्योंकि ये इसरायली जनता के सुरक्षा का सवाल है।´ यह बात इजराइल और अमरीकी सेना द्वारा दिए गए बयान को ध्यान में रखते हुए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। अमरीका ने इजराइल को और शस्त्र प्रदान करने की बात कही वहीँ इजराइल ने १६,००० अतरिक्त सुरक्षा बल मंगवा लिया है जिससे यह कुल संख्या ८६,००० तक पहुँच गई ।

इजराइल ने जबालिया स्कूल पर हमले की बात को नकारते हुए कहा है कि यह हमास द्वारा छोड़ा गया राकेट था जो गलत दिशा में चला गया बावजूद इसके कि सभी सबूत इसके खिलाफ हैं। इसरायली सेना के प्रवक्ता जनरल मोती अल्मोज़ ने कहा कि,” यह साफ़ तौर पर नहीं कहा जा सकता कि यह हमला आईडीऍफ़ सिपाहियों या हमास द्वारा किया गया है” । जबकि आखिर हमास इतनी बड़ी गलती क्यूँ करेगा , इस बात का जवाब इजराइल देने में

३१ जुलाई- १ अगस्त

युएन द्वारा घोषित ७२ घंटे का युद्धविराम जिसे अमरीका ने भी अपना समर्थन दिया था, शुक्रवार को ५ बजे शुरू होना । हालाकि इस युद्ध विराम की शर्तों पर सभी को पहले से शक था। इसका पहला उदहारण यह था कि जब दोनों पक्ष कैरो में चर्चा कर रहे होंगे तब भी इसरायली सेना गाज़ा के अन्दर रहेगी।

सबसे बड़ा खुलासा करने वाली बात अनजाने में जॉन कैर्री से आई जब उन्होंने कहा कि,” यह मात्र एक छोटा सा विराम है, एक मौका है, कोई अंत या समाधान नहीं है। यह मौका है नए योजनाओं को बनाने का और नए तरीकों को खोजने का जिससे गाजा पर हमला और तेज़ किया जा सके।

युद्धविराम के शुरू होने के २ घनते के अन्दर ही इजराइल ने रफाह पर हमला किया जिसमे ७० फिलिस्तीनियों की मौत हुई और ३०० से अधिक घायल । वाशिगटन पोस्ट का एक पत्रकार, रफाह पर बम गिराने की तस्वीर भी खींचने में कामयाब ।

आखिर इस हमले की जरुरत क्यों पड़ी? उपरी तौर पे पता चला कि एक आईडीऍफ़ सिपाही का कुछ फिलिस्तीनी   इस्लामिस्ट जिहादियों ने अपहरण कर लिया है । पर अगर यह सही है तो सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों इसरायली सेना नगरीय क्षेत्रों को निशाना बना रही है?

हमें गाज़ा में हो रहे हमले को मानवता की दृष्टि से भी सवाल के घेरे में लाना चाहिए पर सबसे ज्यादा जरूरी है इसपर राजनितिक सवाल उठाना। हमास के द्वारा किए गए हमले की प्रशंसा या समर्थन कोई नहीं कर रहा पर क्यों हमास द्वारा फैलाई गई हिंसा की इसरायली हिंसा से तुलना की जा रही है? क्या कब्ज़ा करने वाले की तुलना कब्जे में रहने वाले से करना उचित है? हमें इतिहास से सबक लेते हुए अपने आप से यह सवाल करना चाहिए। हम इसे केवल मानवता का मुद्दा मान कर फिलिस्तीनियों का आज़ादी के लिए लगातार संघर्ष नज़रंदाज़ कर रहे हैं और उसकी उपेक्षा ।  

 

डिस्क्लेमर:- उपर्युक्त लेख मे व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं, और आवश्यक तौर पर न्यूज़क्लिक के विचारो को नहीं दर्शाते ।

बेंजामिन नेतान्याहू
गाज़ा
हमास
इजराइल
जबालिया
जॉन कैर्री
ओसीएचए
यूएन

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