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राजनीति
गौ रक्षा के नाम पर और कितनी हत्याएँ ?
गाय के नाम पर हिंसा के मामलों में पुलिस का रवैया भी ना सिर्फ लचर रहा है बल्कि कई बार पुलिस मूकदर्शक बनी रही है
ऋतांश आज़ाद
15 Nov 2017
gau rakshak
Image Courtesy: Kashmirmonitor.in

राजस्थान के अलवर में तथाकथित गौ रक्षकों द्वारा 3 लोगों पर हमले और उनमें से एक व्यक्ति उमर मोहम्मद की हत्या के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अलवर पुलिस का कहना है कि इन दोनों ने ये स्वीकार किया है कि वे "गौ-रक्षक " हैं और उन्होंने यह भी कबूल किया है कि उन्होंने उमर का क़त्ल  किया और उसके शव के टुकड़े किये।  पुलिस के मुताबिक आरोपियों, रामवीर गुर्जर और भगवान सिंह ने उन्हें बताया है कि उन्होंने एक ख़ाली ट्रक को अपने गाँव के पास से गुज़रते हुए देखा , उन्हें ये शक़ हुआ कि, इसे गाय लाने के लिए इस्तेमाल किया जायेगा।  जब वह ट्रक गायों के साथ वापस आये तो उन्होंने ट्रक के सामने कीलें फेंक दी।  आरोपियों ने कहा है कि उनपर पहले ट्रक से गोली चलायी गयीं और तब ही उन्होंने गोली चलायी । आरोपियों ने ये भी स्वीकार है कि उमर की लाश को काटने  के बाद उन्होंने ही सबूत मिटने के लिए उसे रेल की पटरी पर फेंका था।   पुलिस का कहना है कि बाक़ी 4 आरोपियों  की  भी पहचान कर ली गयी है और उन्होंने भी जल्दी गिरफ्तार कर लिया जायेगा।  अलवर पुलिस के सुप्रीटेनडेंट ने आगे ये भी जोड़ा है कि उमर , जावेद और ताहिर जिनपर हमला हुआ है वो  गौ तस्कर हैं और जिस ट्रक में वो गाय ले जा रहे थे वो भी चोरी का था। राना ने आगे कहा कि जल्द ही  जावेद और ताहिर पर भी कार्यवाही की जाएगी।  जबकी जावेद और ताहिर दोनों का कहना है कि वो दोनों ये गाय दौसा से ख़रीदकर लाये थे।  उनके गाँव के सरपंच शौकत ने भी यही कहा कि उनका गाँव पशु पालाकों का गाँव है।  मेवात इलाके के इस गाँव के लोगों ने भी बताया है कि उमर पशु पालक  थे , उमर के घर वालों ने इस मामले में जल्द से जल्द कार्यवाही करने और मुआवज़े की माँग की है।  इस घटना के बाद घायल हुए जावेद अब भी अस्पताल में भर्ती हैं। 

गौरतलब है कि 10 नवम्बर को उमर का शव अलवर ज़िले के पुलिस थाने के पास एक रेल पटरी पर पाया गया था। तभी से ये आशंका जताई जा रही थी कि इस मामले में तथ्यों को छिपाने की कोशिश की जा रही है। इस घटना के बाद पुलिस ने गौ तस्करी का मामला दर्ज़ किया पर तथाकथिक गौ रक्षकों पर नहीं। इसपर मानवाधिकार संगठनों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएँ आने के बाद, पुलिस को कार्यवाही करनी पड़ी। लेकिन पुलिस अब भी उमर, जावेद  और ताहिर को गौ तस्कर मान रही है। 

इसपर माकपा की जयपुर सचिव सुमित्रा चोपड़ा का कहना है कि “अगर ये लोग गौ तस्कर थे तो इन्हें पहले पकड़ा क्यों नहीं गया ? और अगर वो सच में गौ तस्कर थे भी तो क्या प्रशासन ने तथाकथित गौ रक्षकों को उन्हें क़त्ल करने का लाय्लेंस दिया है ? ये सब बातें इसीलिए कही जा रही है क्योंकि सरकार पहलू खान के हत्यारों की ही तरह इन्हें भी बचाना चाह रही है ".

नेशनल फेडरेशन ऑफ़ इंडियन वीमेन की राजस्थान सचिव निशा सिदधू का कहना है कि " इन गौ गुंडों पर रोक लगनी चाहिए, सरकार ने इन्हें अपने राजनीतिक फ़ायदे के लिए खुला छोड़ रखा है। ये साफ़ तौर पर हिन्दू-मुस्लिम को बाँटने और उससे फायदा उठाने की राजनीति है। सवाल यह है कि क्या ये अलवर में होने वाले चुनावों को देखते हुए नहीं किया जा रहा ? अगर वो दोषी थे तो उन्हें पहले गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? "

पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (PUCL) ने इस मामले में ताहिर को सुरक्षा देने और उन्हें 10 लाख़ का मुआवज़ा देने की माँग की है।  इसके साथ ही PUCL की राजस्थान सचिव कविता श्रीवास्तव ने ट्विटर पर लिखा है "अलवर पुलिस उमर के क़त्ल को दो अपराधी गुटों के बीच टकराव की तरह दिखाने की कोशिश कर रही है। इसे गौ गुंडों के द्वारा क़त्ल की बजाये की रोज़मर्रा की घटना की तरह दिखाने की कोशिश की जा रही है " 

इस घटना की कड़ी निंदा हो रही है I खासकर से तब जबकि इसी साल अलवर में एक और पशु पालक पहलू खान की गौ रक्षकों ने निर्मम हत्या कर दी गयी थीI जिसके बाद इस हत्या के सभी मुख्य आरोपियों को सबूतों के आभाव में रिहा कर दिया गया ।  इस मामले में पिछले महीने मानवाधिकार संगठनों ने एक रिपोर्ट पेश की जिसमें ये बताया गया कि पुलिस और प्रशासन ने आरोपियों को बचाने की कोशिश की थी।  पहलू खान के आलावा इस साल राजस्थान में ही मई में अब्दुल गफ्फार कुरैशी, जून में प्रतापगढ़ के ज़फर खान, सितम्बर में नीम का थाना के भगतरम मीना को गौ गुंडों द्वारा क़त्ल किया गया है।  

उमर की मौत और लगातार हो रही गौ-रक्षा ने नाम पर मौब लिंचिन (भीड़ द्वारा हत्या) के खिलाफ आज दिल्ली में विरोध  प्रदर्शन हुआ  जिसमे ,एडवा, एपवा,  आइसा, अमन बिरादरी , ANHAD, , CITU – Delhi, Delhi Solidarity Group, द्वारका कलेक्टिव , , Muslim Women Forum, NAPM, NFIW, Pehchan, Progressive Writers Association, SEHR, SFI, United Against Hate, शामिल थे  . साथ ही जयपुर में भी महावाधिकार संगठनों ने इसके खिलाफ रैली निकली है।  

देशभर में गौ-रक्षा के नाम पर बढ़ रही घटनाओं की सूची में ये एक और घटना है I ऐसी घटनाओं का लगातार बढ़ना और इसपर प्रशासन की चुप्पी एक खतरनाक स्थिति की ओर इशारा करती है . ‘सिटीजन्स अगेंस्ट हेट’ की रिपोर्ट के अनुसार गौ-रक्षकों द्वारा हिंसा के 97% मामले 2014 में मोदी सरकार के आने के बाद सामने आये हैं. 2015 से गौ रक्षा के नाम पर हिंसा के 24 मामले सामने आये हैं, जिनमें 34 हत्याएं और 2 रेप की घटनाएँ शामिल हैं. इनमें से ज्यादातर मामले हरियाणा के हैं, जहाँ 9 क़त्ल और 2 रेप के मामले शामिल हैं. हरियाणा के बाद इस सूची में उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, बंगाल और राजस्थान का नंबर आता है. रिपोर्ट के अनुसार इनमें से 94% मामलों में गौ-रक्षा दलों के लोग शामिल थे . इस रिपोर्ट में पाया गया है कि भीड़ के द्वारा की गयी घटनाएँ भी सुनियोजित ढंग से करायी जाती रही हैं . इन हमलों के शिकार ज्यादातर मुस्लिम समाज के लोग होते रहे हैं जिनमे ज्यादातर कुरैशी, मेव , अंसारी और गुज्जर हैं . इन समाजों में ज्यादातर लोग पशु पालन से जुड़े हुए रहे हैं इसीलिए ये आसान निशाना बनते रहे हैं . इस रिपोर्ट के अनुसार 63 में से 61 मामले मोदी सरकार के गौ रक्षा कानूनों को कड़े करने के बाद से आये हैं . अंग्रेजी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 2010 से 2017 गौ रक्षा के नाम पर हिंसा के 63 घटनाएँ हुई जिनमे से 32 बीजेपी शासित राज्यों में हुई हैं . मुसलमानों के अलावा इसके शिकार 8% दलित , 1 %ईसाई , 5% सिख और 14 % हिन्दू भी हुए हैं . अब्राहम और राव 2017  रिपोर्ट के हिसाब से 52 % हिंसा की वारदातें अफवाहों की वजह से हुई और 23 मामलों में विश्व हिन्दू परिषद् , बजरंग दल या बाकी कट्टरपंथी संगठन शामिल रहे हैं .

गाय के नाम पर हिंसा के मामलों में पुलिस का रवैया भी ना सिर्फ लचर रहा है बल्कि कई बार पुलिस मूकदर्शक बनी रही है . पुलिस बहुत मामलों में हिंसा के शिकार लोगों को बचाने में पूरी तरह नाकाम रही है -इसमें झारखण्ड के अलीमुद्दीन अंसारी का उदाहरण दिया जा सकता है . जिन्हें सरेआम जून 2017 में बंजरंग दल और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने पीट पीट कर मार डाला था .  

 

 

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