NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
विज्ञान
अंतरराष्ट्रीय
ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ रही हैं महासागरीय धाराओं की गति
महासागरीय धाराओं का परितंत्र समुद्रों में ऊष्मा और पोषक तत्वों का वितरण करता है। इसका मौसम पर भी बड़ा प्रभाव होता है। इन धाराओं की बढ़ती गति के नतीज़े गंभीर हो सकते हैं।
संदीपन तालुकदार
12 Feb 2020
ocean

बहुविषयक विज्ञान जर्नल ''साइंस एडवांस'' में प्रकाशित एक पेपर के मुताबिक़, महासागरीय परिसंचार तंत्र (Ocean Circulatory System) की गति में तेजी आ रही है। ''डीप रिसर्चिंग एक्सलरेशन ऑफ ग्लोबल मीन ओसिअन सर्कुलेशन ओवर द पास्ट टू डिकेड'' नाम के इस पेपर को पांच फरवरी को प्रकाशित किया गया है। इसमें महासागरीय धाराओं (Ocean Current) की बढ़ती गति पर काम है। पिछले 25 सालों में महासागरीय धाराओं में लगातार तेजी आई है, जिसकी वजह बढ़ता ग्लोबल वार्मिंग बताई जा रही है।

समुद्र में विशाल महासागरीय धाराओं को जोड़ने वाला एक तंत्र है, जिसे ''ग्रेट ओसियन कंवेयर बेल्ट'' के नाम से जाना जाता है। यह बेल्ट दुनिया के सभी समुद्रों के पानी को आपस में जोड़ती है। समुद्रों का यह पानी गोल-गोल गतिज होता है। मतलब, अगर कोई आदमी अटलांटिक सागर में कूदता है, तो वो सभी महासागरों के पानी में घूमते हुए, वापस अटलांटिक में पहुंच जाएगा। यह तंत्र ऊष्मा और पोषक तत्वों का वितरण करता है। इसका दुनिया के मौसम पर भी बहुत प्रभाव होता है। इस तंत्र के ज़रिए कटिबंधीय क्षेत्रों से ध्रुवीय क्षेत्रों में गर्म पानी पहुंचता है और वहां से ठंडा पानी वापस ऊष्ण इलाकों में वापस आता है।
 
इस अध्ययन का नेतृत्व चाइनीज़ एकेडमी ऑफ साइंस से जुड़े शोधार्थी शिजान हू ने किया है। उनके साथ ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और चीन के दूसरे लोग भी शामिल थे। इन शोधार्थियों ने अपने अध्ययन के लिए ''आर्गो फ्लोट्स'' और दूसरे डाटा उपकरणों का इस्तेमाल किया।

अध्ययन के मुताबिक़, 1990 से 2013 के बीच महासागरीय धाराओं की ऊर्जा करीब ''15 फ़ीसदी प्रति दशक'' के हिसाब से बढ़ी है। अगर आंकड़ों का यह अंदाजा सही है, तो इसके बहुत ख़तरनाक प्रभाव होंगे। इससे ''जेट स्ट्रीम'', मौसम प्रवृत्तियां प्रभावित हो सकती हैं। यहां तक कि सागरों की गहराईयों में संरक्षित ऊष्मा की मात्रा पर भी असर पड़ सकता है।

शोधार्थियों के मुताबिक़ अगर ऊपरी दो हजार मीटर को अध्ययन के लिए लिया शामिल किया जाए, तो इसका मतलब होगा कि समुद्रों के 76 फ़ीसदी हिस्से की गति बढ़ रही है। यह गति कटिबंधीय सागरों, खासकर प्रशांत महासागर में सबसे ज्यादा है।प्राथमिक तौर पर इसके लिए  पवनों की गति में हर दशक में हो रहा दो फ़ीसदी इज़ाफा जिम्मेदार है। इससे 2000-3000 मीटर तक की महासागरीय धाराओं की गति तेज हुई है। शोधार्थियों के मुताबिक़ पवन की गति में प्रति दशक दो फ़ीसदी का इज़ाफा, महासागरीय धाराओं की गति में पांच फ़ीसदी प्रति दशक तक बढ़ोत्तरी कर रहा है।

जब ग्लोबल वार्मिंग अपने चरम बिंदु पर पहुंचती है तो पवनों की गति बढ़ती है। ऐसा माना गया था कि यह समय इस शताब्दी के आखिर में आएगा।  लेकिन शोधार्थियों ने लिखा, '' पूरे वैश्विक परिसंचरण तंत्र की गति में 20 वीं शताब्दी के आखिरी दशक से काफी तेजी आई है।'' अध्ययनों से पता चलता है कि वैज्ञानिक समुदाय जितना समझ पाया है, पृथ्वी, मौसम परिवर्तन से उससे कहीं ज्यादा संवेदनशील है।

वैज्ञानिक अभी तक यह साफ नहीं कर सके हैं कि महासागरीय धाराओं में आए इस बदलाव से क्या प्रभाव पड़ेगा। लेकिन इस उभार का महाद्वीपों के पूर्वी तट पर प्रभाव पड़ सकता है, जहां महासागरीय धाराएं ताकतवर हैं। कुछ मामलों में महासागरीय धाराओं की बढ़ती गति से समुद्रों के हॉट-स्पॉट्स को नुकसान पहुंच सकता है। हॉट-स्पॉट्स, वह जगह होती हैं, जहां जैव-विविधता बड़े स्तर पर विविध होती है। मतलब, हॉट-स्पॉट्स को नुकसान पहुंचने से इस इलाके के समुद्री जीवों का खात्मा हो सकता है। 

शोधार्थी यह बात भी निश्चित्ता से नहीं कह सकते कि महासागरीय धाराओं में आया परिवर्तन ग्रीनहाऊस गैस और उससे जुड़ी ग्लोबल वार्मिंग की वजह से लक्षित हुआ है। लेकिन उनका साफ कहना है कि जो बदलाव आए हैं, वो महासागरीय धाराओं की गति में होने वाले प्राकृतिक बदलावों से कहीं तेज हैं। महासागरीय धाराओं में आया परिवर्तन ही अकेला नहीं है, हाल में महासागरों में बड़े स्तर के कई दूसरे बदलाव भी देखे गए हैं।


 

global warming
ocean
ocean circulation
global conveyor belt

Related Stories

अंकुश के बावजूद ओजोन-नष्ट करने वाले हाइड्रो क्लोरोफ्लोरोकार्बन की वायुमंडल में वृद्धि

संयुक्त राष्ट्र के IPCC ने जलवायु परिवर्तन आपदा को टालने के लिए, अब तक के सबसे कड़े कदमों को उठाने का किया आह्वान 

अगले पांच वर्षों में पिघल सकती हैं अंटार्कटिक बर्फ की चट्टानें, समुद्री जल स्तर को गंभीर ख़तरा

धरती का बढ़ता ताप और धनी देशों का पाखंड

आईईए रिपोर्ट की चेतावनी, जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए स्वच्छ ऊर्जा निवेश करने में दुनिया बहुत पीछे

ग्लोबल वार्मिंग के दौरान कई जानवर अपने आकार में बदलाव कर रहे हैं

1400 वैज्ञानिकों की चेतावनी : जलवायु परिवर्तन पर क़दम नहीं उठाए तो मानवता झेलेगी 'अनकही पीड़ा'

कीटनाशक प्रदूषण के जोखिम की ज़द में विश्व के 64% कृषि क्षेत्र

तेज़ी से पिघल रहे हैं सतोपंथ और ऋषि गंगा ग्लेशियर

पृथ्वी दिवस: वैज्ञानिकों ने चिंता जताई


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    डिजीपब पत्रकार और फ़ैक्ट चेकर ज़ुबैर के साथ आया, यूपी पुलिस की FIR की निंदा
    04 Jun 2022
    ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर पर एक ट्वीट के लिए मामला दर्ज किया गया है जिसमें उन्होंने तीन हिंदुत्व नेताओं को नफ़रत फैलाने वाले के रूप में बताया था।
  • india ki baat
    न्यूज़क्लिक टीम
    मोहन भागवत का बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को क्लीनचिट
    03 Jun 2022
    India की बात के इस एपिसोड में वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश, अभिसार शर्मा और भाषा सिंह बात कर रहे हैं मोहन भागवत के बयान, कश्मीर में जारी हमले और आर्यन खान को मिली क्लीनचिट के बारे में।
  • GDP
    न्यूज़क्लिक टीम
    GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफ़ा-नुक़सान?
    03 Jun 2022
    हर साल GDP के आंकड़े आते हैं लेकिन GDP से आम आदमी के जीवन में क्या नफा-नुकसान हुआ, इसका पता नहीं चलता.
  • Aadhaar Fraud
    न्यूज़क्लिक टीम
    आधार की धोखाधड़ी से नागरिकों को कैसे बचाया जाए?
    03 Jun 2022
    भुगतान धोखाधड़ी में वृद्धि और हाल के सरकारी के पल पल बदलते बयान भारत में आधार प्रणाली के काम करने या न करने की खामियों को उजागर कर रहे हैं। न्यूज़क्लिक केके इस विशेष कार्यक्रम के दूसरे भाग में,…
  • कैथरिन डेविसन
    गर्म लहर से भारत में जच्चा-बच्चा की सेहत पर खतरा
    03 Jun 2022
    बढ़ते तापमान के चलते समय से पहले किसी बेबी का जन्म हो सकता है या वह मरा हुआ पैदा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान कड़ी गर्मी से होने वाले जोखिम के बारे में लोगों की जागरूकता…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License