NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
अपराध
घटना-दुर्घटना
समाज
भारत
गलत पहचान: 'विदेशी' महिला मानकर हिरासत शिविर में रखी गई बुजुर्ग महिला तीन साल बाद रिहा
मधुबाला मंडल कोकराझार स्थित अवैध आप्रवासियों के शिविर से रिहा होने के कुछ देर बाद बुधवार शाम को अपनी बधिर बेटी के घर लौट आईँ।
27 Jun 2019
Madhubala
फोटो साभार: NDTV

असम में 'विदेशी' समझकर हिरासत शिविर में रखी गई 59 वर्षीय महिला को तीन साल बाद रिहा कर दिया गया।

पुलिस ने स्वीकार किया है कि वह गलत पहचान की शिकार हुईं। अधिकारियों ने गलत व्यक्ति को हिरासत में लिया था। मधुबाला मंडल कोकराझार स्थित अवैध आप्रवासियों के शिविर से रिहा होने के कुछ देर बाद बुधवार शाम को अपनी बधिर बेटी के घर लौट आईँ।

मधुबाला की रिहाई विदेशियों के न्यायाधिकरण के समक्ष पुलिस के यह स्वीकार करने के बाद हुई कि उन्होंने 2016 में न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित की गई मधुबाला दास की जगह मधुबाला मंडल को हिरासत शिविर में भेज दिया था।

दोनों महिलाएं चिरांग जिले के विष्णुपुर से संबंध रखती हैं। चिरांग जिले के पुलिस अधीक्षक सुधाकर सिंह ने मीडिया को बताया, "मुझे जब यह शिकायत मिली कि मधुबाला मंडल गलत पहचान का शिकार हुई हैं और उन्हें हिरासत केन्द्र भेज दिया गया तो मैंने जांच बिठाई और तथ्य सामने आ गए। यह गलत पहचान का मामला था।"

सुधाकर ने पुलिस मुख्यालय को इसकी सूचना दी और इस कार्रवाई में सुधार के लिए विदेशियों के न्यायाधिकरण गए। उन्होंने कहा, "न्यायाधिकरण ने 25 जून को उन्हें रिहा करने का आदेश जारी किया।"

Assam
NRC Process
Declared foreigner
freed
old women
madhubala mondal

Related Stories

असम: बलात्कार आरोपी पद्म पुरस्कार विजेता की प्रतिष्ठा किसी के सम्मान से ऊपर नहीं

असम: ओएनजीसी के तीन कर्मचारियों का अपहरण

पांच राज्यों में 30 फीसदी से अधिक महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार


बाकी खबरें

  • बी. सिवरामन
    खाद्य मुद्रास्फीति संकट को और बढ़ाएगा रूस-यूक्रेन युद्ध
    04 Apr 2022
    सिर्फ़ भारत में ही नहीं, खाद्य मुद्रास्फीति अब वैश्विक मुद्दा है। यह बीजिंग रिव्यू के ताजा अंक की कवर स्टोरी है। संयोग से वह कुछ दिन पहले न्यूयॉर्क टाइम्स की भी एक प्रमुख कहानी बन गई।
  • राजेंद्र शर्मा
    कटाक्ष: सांप्रदायिकता का विकास क्या विकास नहीं है!
    04 Apr 2022
    वो नेहरू-गांधियों वाला पुराना इंडिया था, जिसमें सांप्रदायिकता को तरक्की का और खासतौर पर आधुनिक उद्योग-धंधों की तरक्की का, दुश्मन माना जाता था। पर अब और नहीं। नये इंडिया में ऐसे अंधविश्वास नहीं चलते।
  • विजय विनीत
    ग्राउंड रिपोर्ट: किसानों के सामने ही ख़ाक हो गई उनकी मेहनत, उनकी फसलें, प्रशासन से नहीं मिल पाई पर्याप्त मदद
    04 Apr 2022
    "हमारी ज़िंदगी ही खेती है। जब खेती बर्बाद होती है तो हमारी समूची ज़िंदगी तबाह हो जाती है। सिर्फ़ एक ज़िंदगी नहीं, समूचा परिवार तबाह हो जाता है। पक चुकी गेहूं की फसल की मडाई की तैयारी चल रही थी। आग लगी…
  • भाषा
    इमरान खान के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने पर सुनवाई करेगा उच्चतम न्यायालय
    04 Apr 2022
    पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने देश के प्रधानमंत्री इमरान खान की सिफारिश पर नेशनल असेंबली (एनए) को भंग कर दिया है। इससे कुछ ही देर पहले नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी ने प्रधानमंत्री के…
  • शिरीष खरे
    कोविड-19 टीकाकरण : एक साल बाद भी भ्रांतियां और भय क्यों?
    04 Apr 2022
    महाराष्ट्र के पिलखाना जैसे गांवों में टीकाकरण के तहत 'हर-घर दस्तक' के बावजूद गिने-चुने लोगों ने ही कोविड का टीका लगवाया। सवाल है कि कोविड रोधी टीकाकरण अभियान के एक साल बाद भी यह स्थिति क्यों?
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License