NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu

सदस्यता लें, समर्थन करें

image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
भारत
राजनीति
गोरखपुर बीआरडी अस्पताल हादसा को एक सालः न मुआवज़ा और न ही कोई सुविधा
पिछले साल 9-10 अगस्त को ऑक्सीजन की कमी के चलते बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में अपने बच्चों को खोने वाले परिजनों से न्यूज़़क्लिक ने बात की।
अब्दुल अलीम जाफ़री
11 Aug 2018
one year of BRD tragedy

"भगवान ने 8 साल बाद मुझे जुड़वा बच्चे दिये, एक लड़का और एक लड़की। मैंने अपना ख़ून तक दिया उन्हें बचाने के लिए लेकिन डॉक्टर बचा नहीं पाए। ऑक्सीजन की कमी से वो मर गए। मेरी पूरी दुनिया ख़त्म हो गई।" ये शब्द उस पिता के हैं, जिन्होंने पिछले साल 10 अगस्त को बीआरडी गोरखपुर अस्पताल में अपने बच्चा को गँवा दिया। ब्रह्मदेव यादव ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए अपना दर्द बयां किया।

लरज़ाई हुई आवाज़ में उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता था कि ये मामूली बुख़ार उनके बच्चों की जान ले लेगा। उन्होंने कहा "मैं अपने बेटे राकेश को लेकर 2 अगस्त 2017 को बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल गया था। मेरे बेटे को बुख़ार था और बेटी पूरी तरह से ठीक थी लेकिन डॉक्टरों ने मुझे अपनी बेटी सोनी का वज़न कम होने को लेकर अस्पताल में दाख़िल करने को कहा। मैंने देखा कि डॉक्टर किस तरह रोज़ाना 2-3 सिरिंज ख़ून निकाल रहे थे और इस तरह मेरे बच्चे कमज़ोर होते चले गए। इसके तुरंत बाद मैंने अपना एक यूनिट खून दिया फिर भी वे मेरे बच्चों को बचा नहीं सके।"

यादव ने आगे रूंधी हुई आवाज़ में कहा कि वह उस काले दिन को याद नहीं करना चाहते थे क्योंकि उन्होंने वो चीख़- पुकार वाला दिन देखा था जब माता-पिता अपने मृत बच्चे को इधर उधर लेकर भाग रहे थें। उन्होंने कहा, "मैंने ऑक्सीजन के ख़तरे के निशान को देखा जो लगातार लाल निशान को ब्लिंक कर रहा था लेकिन किसी ने भी प्रशासन को ख़बर नहीं किया। यह भयानक समय था, अब और नहीं बता सकता हूं।"

इस एक साल में यादव ने मदद के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से कई बार मुलाक़ात की लेकिन या तो वे सिर्फ मुस्कुराए या कहा कि 'देखेंगे कि क्या किया जा सकता है'। पीड़ित यादव ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया को साक्षात्कार भी दिया लेकिन कुछ भी असर नहीं पड़ा। उन्हें अभी तक मुआवज़े का एक पैसा भी नहीं मिला है।

गोरखपुर से क़रीब बीस किलोमीटर दूर खजानी के रहने वाले एक अन्य व्यक्ति जितेंद्र चौधरी ने कहा कि उन्होंने 10 अगस्त 2017 को अपने बेटे को खो दिया और छह दिन बाद अपनी पत्नी को भी खो दिया। उन्होंने कहा, "मेरे बेटे का जन्म पिछले साल 10 अगस्त को ऑपरेशन द्वारा हुआ था, बाद में उसे एनआईसीयू में रखा गया था और बाद में मृत घोषित कर दिया गया। छह दिन बाद ख़ून की कमी के कारण मेरी पत्नी भी मेरी आंखों के सामने मर गई। मैं देखकर चौंक गया था कि किस तरह जूनियर डॉक्टर जो खुद सीखने आए थे वे इन एन्सेफलाइटिस बच्चों का इलाज कर रहे थें। ज़्यादातर कर्मचारी और डॉक्टर मोबाइल फोन पर कैरम बोर्ड और गेम खेलते थे। वे किसी के ज़िंदगी को कैसे बचाएंगे?"

ये पूछे जाने पर उनकी ज़िंदगी इस एक साल में कितना बदल गई तो चौधरी अपने बेटे और पत्नी को याद करते हुए रोने लगे। उन्होंने कहा, "मैंने देखा है कि 10 अगस्त को कम से कम50-60 लोग अपने बच्चों के लिए किस तरह रो रहे थें। हमें अस्पताल परिसर के बाहर हमारे मृत बच्चों को ले जाने के लिए मजबूर किया गया। यह दर्दनाक वक़्त था।"

जब न्यूज़क्लिक ने सिद्धार्थनगर के रहने वाले एक अन्य पीड़ित किशन से संपर्क किया तो उन्होंने इस मामले पर बात करने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि वह लगातार उन्हीं चीज़ों को दोहराना नहीं चाहते हैं। उन्होंने कहा "मैं उस दिन को भूल गया जब मैंने अपने दो साल के बेटे लवकुश को खो दिया था। मुझे सरकार से कोई मुआवज़ा नहीं मिला। पिछले साल जब मैंने लव खो दिया तो मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) ने मुझे किसी भी बैंक में खाता खोलने को कहा और आधार कार्ड सहित सभी ज़रूरी दस्तावेज़ के साथ आने को कहा लेकिन यह महज़ एक मज़ाक था जो कि वे अब तक ख़ामोश हैं।"

किशन ने भारत के न्यायपालिका प्रणाली का उपहास करते हुए कहा, "देखिए, सभी आरोपी जेल से बाहर आ रहे हैं, और हमारे जैसे लोगों के पास कहने के लिए कुछ भी नहीं है। हमारा किस तरह का क़ानून है? मैं अब निराश और असहाय हूँ।"

अपनी 12 वर्षीय बेटी वंदना को खोने वाले रमेश ने कहा, "अब इस पर चर्चा करना ही बेकार है क्योंकि ग़रीब लोगों के ज़िंदगी की कोई क़ीमत नहीं है। मैं इस मामले के बारे में मुख्यमंत्री से मिलने के लिए पांच बार से ज़्यादा लखनऊ गया लेकिन नतीजा क्या निकला, सारी दुनिया जानती है।" और इस तरह बात करते हुए उन्होंने फोन काट दिया।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों और लखनऊ स्थित कंपनी पुष्पा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रोप्राइटर और मालिक, जो मेडिकल कॉलेज को लिक्विड ऑक्सीजन गैस देते थे,सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया था और इस मामले में जेल भेजा गया था। अब नौ में से चार ज़मानत पर जेल से बाहर हैं।

पुष्पा सेल्स द्वारा लिखे गए अस्पताल के प्रमुख को एक पत्र में ऑक्सीजन की आपूर्ति में रूकावट के पीछे 63,65,702 रुपए बकाया होने कारण था। ऐसा लगता है कि ज़िला प्रशासन ने शुरूआती संकट पर ध्यान नहीं दिया था जहां 63 बच्चों की मौत हो गई थी।

दिल दहला देने वाली इस घटना के एक साल बाद इस मेडिकल कॉलेज में थोड़ा भी बदलाव नहीं आया है। उसने अपने अतीत से कुछ नहीं सीखा है। बच्चों की मौत अभी भी जारी है क्योंकि इसमें कोई अतिरिक्त सुविधा नहीं बढ़ाई गई है और कोई अच्छे डॉक्टर भी नहीं है। हाल ही में न्यूजक्लिक ने रिपोर्ट किया था कि इस मेडिकल कॉलेज ने 13 अगस्त, 2017 के बाद से हेल्थ बुलेटिन तैयार नहीं किया है।

इससे पहले बीआरडी प्रशासन मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) और अतिरिक्त निदेशक (स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण) को यहां आने वाले मरीज़ों की संख्या, एन्सेफलाइटिस रोगियों की संख्या और उनकी चिकित्सा स्थिति इत्यादि के बारे में आंकड़ा देता था। हालांकि अब ये आंकड़ा दिए हुए क़रीब एक साल हो रहा है।

सरकार की उदासीनता के चलते 60 से ज़्यादा बच्चों की मौत उस भयावह रात में हो गई। जांच पर जांच बैठाए गए और आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हुआ। कई डॉक्टर और कर्मचारी को जेल में डाला गया लेकिन कुछ महीने की क़ानूनी लड़ाई के बाद वे जेल से बाहर आ गए। अभी भी एक सवाल का जवाब नहीं मिला है कि आख़िर असली मुजरिम कौन है।

BRD Tragedy
BRD hospital
gorakhpur hospital tradegy
गोरखपुर

Related Stories

गोरखपुर ऑक्सीजन कांड : डॉ. कफ़ील को कोर्ट से राहत, लेकिन जांच में देरी

भारत के बच्चे : गोरखपुर की जर्जर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली

Daily Round-up : यंग इंडिया अधिकार मार्च, किसानों का प्रदर्शन और कुछ अन्य ख़बरें

डॉक्टर कफील ने कहा ऑक्सीज़न की कमी ने बच्चों की मौतों में किया था इज़ाफा

बीआरडी त्रासदी: एक और डॉक्टर जेल में कैद है

बीआरडी त्रासदी: एक और डॉक्टर जेल में कैद है

एक्सक्लूसिव इंटरव्यू : डॉक्टर कफील के परिवार से गोरखपुर हादसे पर चर्चा

गोरखपुर अस्पताल में बच्चों की मौत मामले में डॉ कफ़ील को ग़लत तरीके से आरोपी बनाया जा रहा है?

डॉक्टर कफील को प्रशासन की नाकामी पर पर्दा डालने के लिए बलि का बकरा बनाया जा रहा है

उत्तर प्रदेश, बिहार उपचुनाव:सभी तीनों लोकसभा सीटों पर भाजपा हारी


बाकी खबरें

  • न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    छत्तीसगढ़ः 60 दिनों से हड़ताल कर रहे 15 हज़ार मनरेगा कर्मी इस्तीफ़ा देने को तैयार
    03 Jun 2022
    मनरेगा महासंघ के बैनर तले क़रीब 15 हज़ार मनरेगा कर्मी पिछले 60 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं फिर भी सरकार उनकी मांग को सुन नहीं रही है।
  • ऋचा चिंतन
    वृद्धावस्था पेंशन: राशि में ठहराव की स्थिति एवं लैंगिक आधार पर भेद
    03 Jun 2022
    2007 से केंद्र सरकार की ओर से बुजुर्गों को प्रतिदिन के हिसाब से मात्र 7 रूपये से लेकर 16 रूपये दिए जा रहे हैं।
  • भाषा
    मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत
    03 Jun 2022
    चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो…
  • अखिलेश अखिल
    मंडल राजनीति का तीसरा अवतार जाति आधारित गणना, कमंडल की राजनीति पर लग सकती है लगाम 
    03 Jun 2022
    बिहार सरकार की ओर से जाति आधारित जनगणना के एलान के बाद अब भाजपा भले बैकफुट पर दिख रही हो, लेकिन नीतीश का ये एलान उसकी कमंडल राजनीति पर लगाम का डर भी दर्शा रही है।
  • लाल बहादुर सिंह
    गैर-लोकतांत्रिक शिक्षानीति का बढ़ता विरोध: कर्नाटक के बुद्धिजीवियों ने रास्ता दिखाया
    03 Jun 2022
    मोदी सरकार पिछले 8 साल से भारतीय राज और समाज में जिन बड़े और ख़तरनाक बदलावों के रास्ते पर चल रही है, उसके आईने में ही NEP-2020 की बड़ी बड़ी घोषणाओं के पीछे छुपे सच को decode किया जाना चाहिए।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें

CC BY-NC-ND This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivatives 4.0 International License